भारतीय जीवनशैली से स्वयं को बनायें ऊर्जावान

विचार : आज के बदलते युग में किसी के पास समय नहीं है, सभी अपने कार्यों में व्यस्त हैं, जिनके पास कार्य नहीं है वह स्मार्ट फोन व टेलीविजन देखने में व्यस्त हैं। कहा जाता है कि नये डिजिटल एसेसरीज तनावमुक्त के साधन हैं लेकिन यह एकदम झूठ है। इलेक्ट्रानिक, डिजिटल व सोशल मीडिया के माध्यम से समाज में जो बातें दिखायी फैलायी जा रही हैं उससे समाज में सिर्फ और सिर्फ विघटन व तनाव ही पैदा हो रहा है। कोई देश को इस्लामिक कंट्री बनाना चाहता है तो कोई क्षेत्रवाद व भाषावाद के जाल में फंसता चला जा रहा है। आजकल तो देश की दीवानगी न तो युवाओं में दिखायी दे रही है और न ही राजनेताओं में। सिर्फ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ही ऐसा संगठन है जो देशहित के लिये कार्य कर रहा है लेकिन इस कार्य में भी अपने लोग ही बाधा डाल रहे हैं, जिससे समाज में तनाव बढ़ रहा है। हालांकि संघ के उच्च विचारों के तहत वह तनाव फूट नहीं पा रहा है अन्यथा समाज का और नुकसान होने से कोई बचा नहीं सकता। आजकल अनियमित जीवनशैली भी मानव जीवन में अति दुर्भावना व निराशा पैदा कर रही है। मानव जीवन को खुशहाल बनाने के लिये निम्न बातों का पालन किया जा सकता है।
— सबसे पहले भारत में रहने वाले सभी नागरिकों को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखा जाना चाहिए, शाखा में एक अद्भुत ऊर्जा का संचार व आश्चर्यजनक सुख मिलता है।


Holistic Life Management Lessons From Ancient Indian Science | by Aakash  Gohil | Medium— मन में नकारात्मक भाव न लायें, अपने परिवार के सदस्यों, उनकी खुशियों, अपने कर्तव्यों को समझें। पशु-पक्षी से स्नेह करें, खुद को प्रकृति के करीब लायें, पर्यावरण व सामाजिक जिम्मेदारी भी समझें।
— शारीरिक स्वास्थ्य के साथ हमेशा मानसिक स्वास्थ्य का भी ख्याल रखे, मानसिक अस्वस्थ व्यक्ति की मदद करें। नशे से दूर रहें।
— टीवी पर रोने-धोने वाले, दु:खद, कलह करने वाले सीरियल से दूर रहें यह आपके मन को प्रभावित करते हैं। यदि टीवी देखनी ही है तो हँसी-खुशी के सीरियल देखें, इससे मन प्रसन्न रहेगा। अकेलेपन में न रहें, दूसरों से अपने मन की बात करें, संभव हो तो परिवार के साथ रहें। नींद पूरी लें, भोजन भी भर पेट व समय से करना चाहिए।
— स्वयं की देखभाल करना, ध्यान साधना करना, खेलकूद, योग, व्यायाम व शौक विकसित करना, तनाव को हेल्दी तरीके से निपटाएं, खाली समय में भी खुद को व्यस्त रखे, लिखने व पढ़ते रहने की आदत डालें। अभिभावकों को अपने बच्चों से एक दोस्त के रूप में व्यवहार करना चाहिए। बच्चों में देश प्रेम की बातें व अच्छे संस्कारों का बीजारोपण करना चाहिए।

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