500 वर्षों बाद होली पर मनोहारी संयोग
ज्योतिष : शास्त्र के अनुसार तिथि, वार, नक्षत्र, योग व करण की गणना से ही पंचांग का निर्माण किया जाता है। इस बार यानि 2021 में होली पर अद्भुत योग बन रहा है। दरअसल, सूर्य व चन्द्रमा की विशेष दूरियों की स्थितियों को योग कहते हैं। 27 प्रकार के योग का वर्णन किया गया है। विष्कुम्भ, प्रीति, आयुष्मान, सौभाग्य, शोभन, अतिगण्ड, सुकर्मा, धृति, शूल, गण्ड, वृद्धि, ध्रुव, व्याघात, हर्षण, वज्र, सिद्धि, व्यतिपात, वरीयान, परिध, शिव, सिद्ध, साध्य, शुभ, शुक्ल, ब्रह्म, इन्द्र व वैधृति। फाल्गुन महीने की पूर्णिमा को होली का लोकप्रिय पर्व उल्लास से मनाया जाता है। पूर्णिमा की रात होलिका दहन की परम्परा है। दूसरे दिन प्रातः फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि को रंगों वाली होली खेली जाती है। सबसे खास बात यह है कि इस वर्ष होली पर 500 वर्षों बाद दुर्लभ योग व दो खास संयोग बन रहे हैं। रंगों का त्योहार होली इस वर्ष सर्वार्थसिद्धि योग, अमृत सिद्धि व ध्रुव योग का निर्माण हो रहा है। सर्वार्थसिद्धि योग अत्यंत शुभ योग है जो निश्चित वार और निश्चित नक्षत्र के संयोग से बनता है। यह योग सभी इच्छाओं तथा मनोकामनाओं को पूरा करने वाला है। वहीं अमृतसिद्धि योग में भी दुर्लभ परिस्थितियों का योग होने के कारण इस समय प्रारम्भ कोई भी कार्य अत्यंत सफलतादायी होता है। इससे पहले ऐसा योग 3 मार्च, 1521 को बना था।
होली के दौरान चंद्रमा मिथुन राशि में विराजमान होंगे और इस दिन आद्रा नक्षत्र भी रहेगा। सर्वविदित है कि होलाष्टक के दौरान विवाह का मुहूर्त नहीं होता इसलिए इन दिनों में विवाह जैसा मांगलिक कार्य संपन्न नहीं करना चाहिए। नए घर में प्रवेश भी इन दिनों में नहीं करना चाहिए। भूमि पूजन भी इन दिनों में न ही किया जाए तो अच्छा रहेगा। नवविवाहिताओं को इन दिनों में मायके में रहने की सलाह दी जाती है। 27 योगों में से कुल 9 योगों को अशुभ माना जाता है तथा सभी प्रकार के शुभ कामों में इनसे बचने की सलाह दी गई है। ये 9 अशुभ योग हैं- विष्कुम्भ, अतिगण्ड, शूल, गण्ड, व्याघात, वज्र, व्यतिपात, परिध और वैधृति।
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