असीम शक्ति समेटे हुए है सनातन परम्परा
विचार : धार्मिक लोग वहीं हैं, जो अन्य धर्मों का सम्मान व आदर करते हैं, लेकिन अधिकतर धर्म व मत के लोग धर्म परिवर्तन कराने के लिए बकायदा मिशनरी चलाते हैं, जो कि निहायत निंदनीय है। लालच या दबाव डालकर धर्म परिवर्तन कराना आदि बातें स्वीकार्य नहीं होनी चाहिए। अधिकतर मिशनरियों ने भारत को ही लक्ष्य बनाया है, यहीं के लोगों को बड़ी तेजी से धर्म परिवर्तन कराया जा रहा है, गांवों में पहुंच हो गयी है मिशनरियों की। इससे भी ज्यादा दु:खद है कि भारत के कुछ लोग ऐसे लोगों का साथ भी देते हैं। लेकिन ऐसे लोगों को समझ लेना चाहिए कि सनातन परम्परा को कोई क्षति तो पहुंचा सकता है लेकिन सनातन संस्कारों का डीएनए यानि कि आनुवंशिक लक्षण कोई समाप्त नहीं कर सकता। सनातन संस्कार एक ऊर्जा है और सर्वविदित है कि ऊर्जा नष्ट नहीं होती। विश्व में सनातन परम्परा ही है जो किसी पर किसी तरह का दबाव या मिशनरी नहीं चलाती। बल्कि कई ऐसे देशों के सम्मानित लोग हैं जो सनातन संस्कारों से प्रभावित होकर स्वयं इसी परम्परा का पालन करने लगते हैं और मोक्ष मार्ग पर चलना पसंद करते हैं। सनातन यानि शाश्वत अर्थात जिसका न आदि है न अन्त। विभिन्न कारणों से हुए भारी धर्मान्तरण के बाद भी बहुसंख्यक आबादी धर्म में आस्था रखती है। सनातन धर्म की संस्कृति संस्कारों पर ही आधारित है। हमारे ऋषि-मुनियों ने मानव जीवन को पवित्र व मर्यादित बनाने के लिये संस्कारों का अविष्कार किया। धार्मिक ही नहीं वैज्ञानिक दृष्टि से भी इन संस्कारों का हमारे जीवन में विशेष महत्व है। कई शास्त्रों में चालीस संस्कार बताये गये हैं लेकिन बाद यह सोलह हो गयी, जिसका वर्तमान समय में भी पालन किया जा रहा है— गर्भाधान संस्कार, पुंसवन संस्कार, सीमन्तोन्नयन संस्कार, जातकर्म संस्कार, नामकरण संस्कार, निष्क्रमण संस्कार, अन्नप्राशन संस्कार, मुंडन/चूडाकर्म संस्कार, विद्यारंभ संस्कार, कर्णवेध संस्कार, यज्ञोपवीत संस्कार, वेदारम्भ संस्कार, केशान्त संस्कार, समावर्तन संस्कार,विवाह संस्कार व अन्त्येष्टि संस्कार। ऐसे संस्कारों का पालन करना बड़ा कठिन है लेकिन आनंददायी है। अब सवाल है कि संस्कार क्या है। संस्कार का मतलब हमारे चित या मन पर जो पिछले जन्मों के पाप कर्मों के प्रभाव को हम मिटा दें और सकारात्मक प्रभाव को बना दे, उसे संस्कार कहा जाता है। ऋषियों के समय प्रत्येक संस्कार के समय यज्ञ किया जाता था, एक अच्छे सभ्य समाज के लिए संस्कार अत्यंत आवश्यक था। मौजूदा समय में सनातन धर्म शनै:—शनै: फिर से विश्व का नेतृत्व करने के लिए तैयार हो रही है, क्योंकि सनातन परम्परा असीम शक्ति समेटे हुए है।
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