दुर्गापूजन के साथ 13 अप्रैल से प्रारम्भ होगा नववर्ष
ज्योतिष : 29 मार्च 2021 को वर्ष का प्रथम महीना चैत्र शुरू हो गयी है। वहीं चैत्र प्रतिपदा यानि नववर्ष 13 अप्रैल 2021 को बड़ी नवरात्रि प्रारंभ होगी और विक्रम संवत 2078 भी शुरू हो जाएगा, इसे संवत्सर भी कहा जाता है। चैत्र मास का वैदिक नाम है-मधु मास। मधु मास अर्थात आनंद बांटती वसंत का महीना। सारी वनस्पति और सृष्टि प्रस्फुटित होती है, पके मीठे अन्न के दानों में, आम की मन को लुभाती खुशबू में, गणगौर पूजती कन्याओं और सुहागिन नारियों के हाथ की हरी-हरी दूब में तथा वसंतदूत कोयल की गूंजती स्वर लहरी नये वर्ष में मधुर लगती है। चारों तरफ पके फसलों के दर्शन, खेतों में हलचल, फसलों की कटाई, हसिए का मंगलमय खर-खर करता स्वर और खेतों में डाँट-डपट-मजाक करती आवाजें, मानो खेतों में हंसी-खुशी की रौनक आ गयी है। नई फसल घर में आने का समय भी यही है। इस समय प्रकृति में उष्णता बढ़ने लगती है, जिससे पेड़-पौधे, जीव-जन्तु में नया जीवन आ जाता है। लोग इतने मदमस्त हो जाते हैं कि आनंद में मंगलमय गीत गुनगुनाने लगते हैं। ब्रह्म पुराण के अनुसार ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना चैत्र मास के प्रथम दिन, प्रथम सूर्योदय होने पर की। इस तथ्य की पुष्टि सुप्रसिद्ध भास्कराचार्य रचित ग्रंथ ‘सिद्धांत शिरोमणि’ से भी होती है, जिसके श्लोक में उल्लेख है कि लंका नगर में सूर्योदय के क्षण के साथ ही, चैत्र मास, शुक्ल पक्ष के प्रथम दिवस से मास, वर्ष तथा युग आरम्भ हुए। अत: नव वर्ष का प्रारम्भ इसी दिन से होता है, और इस समय से ही नए विक्रम संवत्सर का भी आरंभ होता है, जब सूर्य भूमध्य रेखा को पार कर उत्तरायण होते हैं। इस समय से ऋतु परिवर्तन होनी शुरू हो जाती है। वातावरण समशीतोष्ण होने लगता है। ठंडक के कारण जो जड़-चेतन सभी सुप्तावस्था में पड़े होते हैं, वे सब जाग उठते हैं, गतिमान हो जाते हैं। पत्तियों, पुष्पों को नई ऊरा मिलती है, समस्त पेड़-पौधे, पल्लव रंग-बिरंगे फूलों के साथ खिल उठते हैं।
ऋतुओं के एक पूरे चक्र को संवत्सर कहते हें। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन संवत्सर, सृष्टि के प्रारम्भ होने के दिवस के अतिरिक्त, अन्य पावन तिथियों, गौरवपूर्ण राष्ट्रीय, सांस्कृतिक घटनाओं के साथ भी जुड़ा है। रामचन्द्र का राज्यारोहण, धर्मराज युधिष्ठिर का जन्म, आर्य समाज की स्थापना तथा चैत्र नवरात्र का प्रारम्भ आदि जयंतियां इस दिन से संलग्न हैं। इसी दिन से मां दुर्गा की उपासना, अराधना, पूजा भी प्रारंभ होती है। वहीं सम्राट विक्रमादित्य ने अपने अभूतपूर्व पराक्रम द्वारा शकों को पराजित कर, उन्हें भगाया, और इस दिन उनका गौरवशाली राज्याभिषेक किया गया। नया विक्रम संवत कर 6 बजकर 2 मिनट पर वृषभ लग्न में प्रवेश करेगा और चैत्र नवरात्रि 13 अप्रैल, 2021 का शुभारंभ रेवती नक्षत्र में मंगलवार को शुरू होगी।
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