विश्व पटल पर भारत रखे अपनी बात, 'हमारा है पाकिस्तान'
विचार : भारत को उथल—पुथल करने में सिर्फ और सिर्फ पाकिस्तान ही नहीं बल्कि विश्व बिरादरी के कई देश भारत को मिटाना चाहते हैं, भले ही बात अलग है कि भारत जड़ है और भाई लोग जड़ मिटाने में लगे हैं। विश्व पटल पर सम्भवत: भारत ही एक ऐसा देश है, जहां ईसाई और इस्लामिक मिशनरी चलाई जा रही है, इस पर भारत सरकार न लगाम लगा पा रही है और न ही हम नागरिक सुधर रहे हैं। यह बात सर्वविदित है कि पाकिस्तान का निर्माण भारत को उलझाये रखने के लिए ही किया गया था। अगर हम भारतीय संगठित और एकजुट होकर नहीं रहे तो वह दिन दूर नहीं जब हम फिर गुलामी प्रथा में जिएंगे। वहीं दूसरी ओर जैश—ए—मोहम्मद का आतंकी भारत पर फिर हमले की फिराक में है और वह तालिबान के सम्पर्क में भी है। इससे पहले पीओके में भारतीय वायुसेना की तरफ से बालाकोट में की गई एयर स्ट्राइक से पहले जैश चीफ मौलाना मसूद अजहर ने तालिबान, हक्कानी गुटों के कमांडरो के साथ बैठक की थी। इस बैठक में ये फैसला लिया गया है कि जैश तालिबान के साथ मिलकर भारत और अफ़ग़ानिस्तान में हमला करेगा। जैश ने जहां तालिबान के साथ मिलकर भारत पर हमले की योजना बनाई है, वहीं ये खतरा अफ़ग़ानिस्तान में भी लगातार बना हुआ है। आइएसआई पिछले कई महीनों से जैश, हक्कानी और तालिबान को एक साथ लाना चाहती थी। जब से अमेरिका ने तालिबान के साथ मिलकर अफगनिस्तान में बातचीत का दौर शुरू किया है, आइएसआई इस मौके का फायदा उठाने में लगी है। वो तालिबानी आतंकियों को भारत में हमले के लिए उकसा रही है और इसीलिए आइएसआई ने इन आतंकी गुटों के साथ बैठक कराई है। उधर, कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए आत्मघाती आतंकी हमले के बाद से पाकिस्तान को पूरी दुनिया में अलग-थलग कर देने की भारतीय कोशिशें जारी हैं। लेकिन अभी इस खंडहरनुमा देश के बाकी दोनों पड़ोसियों ईरान और अफगानिस्तान ने उसके खिलाफ राजनयिक दायरे में जैसा सख्त रुख अपना रखा है, उसके लिए भारत का कोई प्रयास नहीं, खुद पाकिस्तान की अपनी हरकतें ही जिम्मेदार हैं। लंबे समय से अफगानिस्तान को पाषाण काल में धकेल देने की मुहिम चला रहे कट्टरपंथी बागी संगठन तालिबान को कल यानी 18 फरवरी को पाकिस्तान सरकार ने बाकायदा आधिकारिक निमंत्रण देकर बातचीत के लिए बुला रखा था।
इसे मात्र एक संयोग कहें या सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान की पाकिस्तान में मौजूदगी के चलते बनी अटपटी स्थिति, कि ऐन मौके पर इस बातचीत को टाल देने की घोषणा पाकिस्तान ने कर दी। जाहिर है, दिन-रात आतंकी हमलों से घिरे अफगानिस्तान के लिए तालिबान-पाकिस्तान वार्ता की यह खबर तिलमिला देने वाली थी और इसकी शिकायत उसने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से की। बगल में ईरान की परेशानी और भी बड़ी है। कश्मीर के पुलवामा जिले में जैश-ए-मोहम्मद के फिदायीन हमले के ठीक एक दिन पहले ईरानी इस्लामी क्रांति की 40वीं वर्षगांठ के मौके पर पाकिस्तान की ही जमीन से काम करने वाले आतंकी संगठन जैश-अल-अद्ल ने ईरान के सीस्तान-बलूचिस्तान प्रांत में 27 ईरानी सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया। याद रहे, कश्मीर मामले में ईरान का रुख वहां की इस्लामी क्रांति के बाद से ही अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत सरकार के खिलाफ रहा है। लेकिन अपने रुख में आश्चर्यजनक बदलाव लाते हुए उसने इस बार न सिर्फ पुलवामा हमले की निंदा की, बल्कि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से मुलाकात में ईरान के उप विदेश मंत्री सैयद अब्बास अरागछी ने इनफ इज इनफ कहते हुए साथ मिलकर आतंकवाद का मुकाबला करने की बात कही।गौर करें, तो इमरान खान के प्रधानमंत्री बनने के बाद से पाकिस्तान में आतंकी संगठनों का हौसला बहुत बढ़ गया है। सरकार हर मौके पर उनका बचाव कर रही है, कूटनीतिक दायरों में उनका अलगाव खत्म करने का प्रयास कर रही है और उनकी आर्थिक मजबूती में मददगार बन रही है। इसका अंदेशा पाकिस्तान में हुए पिछले आम चुनाव के समय ही हो गया था, जब पाकिस्तानी पंजाब में अपना जनाधार मजबूत करने के लिए इमरान ने वहां के कट्टरपंथी आतंकी संगठनों से खुली मदद लेने का रवैया अपनाया था। पाकिस्तानी हुकूमत और आतंकी संगठनों के इस नापाक गठजोड़ को समय रहते तोड़ा नहीं गया तो इसके नतीजे पूरी दुनिया को भुगतने पड़ेंगे। पाकिस्तान को भारत ही सबक सिखा सकता है। भारत को चाहिए कि वह विश्व सुरक्षा परिषद में कश्मीर की नहीं पाकिस्तान की मांग करे। यह मुद्दा पुरजोर उठाया जा सकता है कि पाकिस्तान को भारत से जबदस्ती अलग किया गया था या यूं कहें कि कुछ राजनीतिक प्यादों ने इस बंटवारे को अजाम दिया था। जबकि यह बंटवारा बहुतायत में भारतीयों को पसंद नहीं था, इसके बावजूद भारत—पाकिस्तान का बंटवारा किया गया, जो कि एकदम गलत है और कई भारतीय इस फैसले से आहत हैं। विश्व समुदाय में भारत को यह बात प्रमुखता से उठानी चाहिए कि पाकिस्तान हमारा है, सिंध हमारा है। यकीन नहीं तो ब्रिटश संसद में इसके प्रमाण मिल जाएंगे कि ईस्ट मतलब भारत। भारत इतना विशाल था कि जिसका वर्णन नहीं किया जा सकता, लेकिन विश्व बिरादरी ने देश को खंडित—खंडित कर दिया।
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