योगी बनें, तभी तो रहेंगे निरोगी

लखनऊ: देश में एक अहम हिंदू संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ हमेशा सुर्खियों में रहता है। प्रायः यह देखा, सुना गया है कि राजनीतिक दल भारतीय जनता पार्टी की नीतियों और कार्यों से नाखुश विरोधी और विपक्षी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर तीखे शब्दों से हमला करते हैं, जबकि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ किसी का विरोध नहीं करता और विरोध करता भी है तो वह है देशद्रोहियों का। हालांकि यहां राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का उल्लेख इस मकसद से किया जा रहा है कि संघ का मानना है कि शाखा ही संघ है मतलब सुबह और शाम एक घंटे की लगने वाली शाखा ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का प्राण है, जहां खेल, योग, आसन, समता, गीत जैसे महत्वपूर्ण कार्यक्रम कराये जाते हैं जो हिंदू जीवनशैली के जरूरी घटक हैं। स्वस्थ जीवन के लिए सनातन धर्म ही सर्वोपरि है, यह प्रमाणित है, चूंकि सनातन धर्म ऐसा कोई कार्य नहीं करता जो प्रकृति विरुद्ध हो, बल्कि प्रकृति को ही ऊर्जा का स्रोत मानता है और यही कारण पर्यावरण बचाने में और पौधरोपण में देश विश्व पटल पर सबसे आगे है। वहीँ योग का जीवन में काफी महत्व है। योग करने से मन और तन का आलस दूर होता है और शरीर में स्फूर्ति आती है। नियमित योग करने से पूरे दिन शरीर में चुस्ती रहती है और काम में मन लगा रहता है। बीमारियों से बचाव के लिए योग एक बेहतर माध्यम है। इसे अपना कर हम अपने जीवन में कार्यों को अधिक ऊर्जा के साथ पूरा कर पाते हैं। 

योग का क्षेत्र काफी बड़ा है। यह सिर्फ आसन और प्राणायाम तक ही सीमित नहीं है। यह हमारे चंचल मन को भी शांत करता है और मन को भटकने से रोकता है। यह एक साधना है जिसके माध्यम से हम अपनी भीतर की कमियों को दूर कर सकते हैं। सुबह योग करने के बाद पूरा दिन अच्छा-अच्छा सा महसूस करते हैं। शरीर चुस्त-दुरुस्त रहता है। इससे मन में अच्छे विचार आते हैं और हम अच्छे कार्य करने के लिए प्रेरित होते हैं। योग हमारे देश की धरोहर है, जिसे आज पूरा विश्व अपना रहा है। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के दिन पूरे विश्व के लोग योग का अभ्यास करते हैं। प्राचीन काल में भी योग के प्रभाव से लोग लाभान्वित होते आए हैं। इसे अपनी दिनचर्या में शामिल कर हम मन को शरीर को स्वस्थ बना सकते हैं। यह बात सही है कि आज की तेज़ी से दौड़ने वाली दुनिया में, समय की कमी  होने के कारण,समाज हमें अस्वस्थ जीवनशैली अपनाने को मजबूर कर रहा है | तीव्र जीवनशैली ज़्यादा देर तक नहीं चल सकती | यदि हम भाग्यशाली हैं तो हम किसी व्यायामशाला के सदस्य बन कर, योगाभ्यास कर के या ध्यानयोग का अभ्यास कर के बेहतर स्वास्थ्य बनाए रख सकते हैं | परन्तु हम मे  से बहुत से लोग थक-हार कर  टेलीवीजन के सामने पड़े सोफे पर शिथिल चलचित्र की बेहोशी में डूब जाते हैं | लोग धर्म का विरोध करते हैं, धर्म का विरोध नहीं करना चाहिए, चूंकि धर्म और जीवन एक दूसरे के पहलू ही हैं। धर्म का एक ही मतलब है नियम और अनुशासन। हम भारत के लोग मांस, मदिरा खाना व पीना बिल्कुल पसंद नहीं करते, लेकिन विश्व पटल पर यही परोसा जा रहा है। पूरा विश्व चकाचैंध और रोशनी में डूबा हुआ है, तो हम भारतीय उससे अछूता कैसे रह सकते हैं। इसी का परिणाम हैं कि ग्लोबलाइजेशन के नाम पर हम भी मांस, मदिरा और टाइट कपड़े पहनने के शिकार हो रहे हैं और अध्यात्म भूल रहे हैं। पूरे विश्व की निगाह सनातम धर्म खत्म करने की है, जो सदियों से अभी तक कुचक्र किया जा रहा है जबकि सनातन धर्मी किसी को नहीं खत्म करना चाहता। सनातन धर्मियों का मानना है कि जियो और जीने दो। इसलिये जियो और जीने दो। नियमित योग करें और स्वस्थ बनें। और हां, यदि आपको लगता है कि कहां और कैसे योग करें तो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखा जायें, योग आसन वहां प्रतिदिन होता है।
अभिषेक त्रिपाठी
दूरभाष-8765587382

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