शिल्पकारों ने बड़ी मेहनत से बनायी थी प्रयागराज कुम्भ में तम्बुओं की नगरी
लखनऊ : बीते महाशिवरात्रि 4 मार्च को 2019 को प्रयागराज कुम्भ सकुशल सम्पन्न हुआ। कुम्भ के सफल संचालन के लिए शासन और प्रशासन ने हर्ष जताया। यही नहीं कुम्भ के दौरान श्रद्धाुलुओं ने भी शासन व प्रशासन का आभार जताया था। कुम्भ तो दिव्य होता ही है मगर उसे भव्य बनाने में जितना सरकार का कुशल मार्गदर्शन रहा, उतना ही छोटे से लेकर बड़े अफसरों व कर्मचारियों का भी योगदान रहा। कुंभ के ये शिल्पकार मेले के सफल और सकुशल संपन्न हो जाने पर फूले नहीं समा रहे हैं। सबसे पहले पीडब्ल्यूडी के काम शुरू हुए थे। कुंभ में गंगा पर 22 पांटून पुल व 26 पुलिया का निर्माण हुआ। इसमें 2437 पीपे लगाए गए। मेले में 443 किमी की चकर्ड प्लेट की सड़कें बनाई गईं। इसमें एक लाख 70 हजार चकर्ड प्लेंटे लगाई गईं। मुख्य अभियंता हिमांशु मित्तल के निर्देशन में अफसर और कर्मचारी दिन.रात लगन के साथ जुटे रहेए जिसके लिए मुख्यमंत्री ने उन्हें सम्मानित किया। सहायक अभियंता सत्येंद्र नाथ ने कई पांटून पुलों का कार्य तेजी से कराया। पांच डिवीजन का कोआर्डिनेशन करने और सामग्री की व्यवस्था में सत्येंद्र नाथ ने अहम भूमिका निभाई। सबसे पहला पांटून पुल काली मध्य उन्होंने ही बनवाया। जेसीबी को गंगा में उतारने का साहस कर इस पांटून पुल को जल्द तैयार कराया।
अखाड़ों के लिए पांटून और जगदीश रैंप पुल बनवाया। संगम नोज पर व्यवस्था की जिम्मेदारी निभाई। यहां पर ही राष्ट्रपतिए उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री भी स्नान किए थे। केंद्रीय भंडार प्रभारी श्रीराम सिंह ने पीपों का निर्माण समेत सड़कों के लिए चकर्ड प्लेटें और पांटून पुलों के निर्माण का माल भी जिस तेजी से सप्लाई किएए उसके कारण ही कार्य समय पर पूरा हो सका। अवर अभियंता विद्युत यांत्रिक अखिलेश यादव ने भी पांटून निर्माण का कार्य तेजी से कराया। इंजीनियर बनवारी सेठ ने संगम नोज के पास अक्षयवट पांटून पुलए एरावत रैंप के कार्य को तेजी से कराया। इंजीनियर बेबी पूनम ने भी बेहद कम समय में 153 पीपों का निर्माण कराकर रिकॉर्ड कायम कर दिया। अवर अभियंता श्वेता सिंह ने मात्र 11 दिनों में किला स्थित मूल अक्षयवट के रास्तेए गेट आदि का कार्य कराया जिससे पवित्र वट वृक्ष के दर्शन की राह आसान हो सकी। अधिशासी अभियंता आरबी राम ने 18, 19 व 20 पांटून पुल के साथ ही सेक्टर एक और दो में कार्य कराया। एक्सईएन विपिन पचौरिया ने पांटून पुल 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 12 व 13 बनवाए। इसके साथ ही उन्होंने सेक्टर 13, 14, 15, 16 व 17 में सड़कें बनवाई। कम समय में ज्यादा काम कराने के लिए मुख्यमंत्री ने उन्हें सम्मानित भी किया। एक्सईएन राजेश निगमए जीएस वर्मा व एके द्विवेदी ने भी मिलकर आठ पांटून पुल बनवाए। अधीक्षण अभियंता संजय श्रीवास्तव ने इन कार्यों की मॉनीटरिंग की। एक्सईएन विद्युत यांत्रिक खंड यूके सिंह ने 1303 पीपे बेहद कम समय में बनवाए। इसके साथ 24 घंटे लगकर 8925 गार्डरए 21987 रेलिंग पोस्ट भी बनवाएए जिससे तेजी से पांटून पुल बनाए जा सके। इसके बाद सबसे अहम कार्य विद्युत विभाग का रहा। अधीक्षण अभियंता एके वर्मा ने दिन.रात लगकर लगभग 48 हजार एलईडी लगवाईं। अधिशासी अभियंता मनोज कुमार गुप्ता और अनूप सिन्हा ने तेजी से कार्य कराते हुए टेंटों में लगभग चार लाख बल्ब लगवाए। मेले में अस्थायी 70 उपकेंद्रों की स्थापना कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इनमें जेनरेटर भी रखवाए गए। विद्युत विभाग ने 135 किमी की लाइन बिछाई गई। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को कुम्भ 2019 के औपचारिक समापन की घोषणा कर दी। आस्था के इस बड़े मेले की कई सुनहरी स्मृतियां हैं, जो इसका हिस्सा बने देश-दुनिया के करोड़ों लोगों के जेहन में लंबे समय तक बनीं रहेंगी। केंद्र और प्रदेश सरकार के सहयोग से दिव्य और भव्य कुम्भ का स्लोगन तो चरितार्थ हुआ ही स्वच्छता और सुरक्षा के लिए यह कुम्भ खास तौर से याद किया जाएगा। गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के पावन संगम तट पर अमृत कुम्भ की शुरुआत 10 जनवरी से हुई थी। प्रदेश सरकार ने बड़ा बदलाव करते हुए इस बार अद्र्घकुम्भ को कुम्भ नाम दिया। कुम्भ अब महाकुम्भ होगा। यह पहला कुम्भ था, जो इलाहाबाद नहीं बल्कि प्रयागराज में हुआ क्योंकि कुम्भ से ठीक पहले प्रदेश सरकार ने जिले का नाम बदल दिया था। कुम्भ में आठ किलोमीटर में 40 स्नान घाटों पर पहली बार इतनी बड़ी तादाद में यानी देश-दुनिया के 24 करोड़ दस लाख लोगों ने डुबकी लगाई। कुम्भ मेला की तैयारियां देखने के लिए पहली बार 70 देशों के राजनयिक प्रयागराज आए। विदेश राज्य मंत्री जनरल वीके सिंह के साथ 15 दिसंबर को एयर इंडिया के विशेष विमान से आए राजनयिकों समेत 115 विदेशी मेहमानों को मेला की तैयारियों की जानकारी दी गई। ऐसा पहली बार हुआ जबकि कुम्भ मेला के दौरान श्रद्धालुओं ने संगम किनारे अकबर द्वारा बनवाए गए किले में स्थित अक्षयवट और सरस्वती कूप का दर्शन किया। पहली बार संगम किनारे अरैल में 60 एकड़ में टेंट सिटी बसाई गई। यहां 50 करोड़ की लागत से 1200 स्विस कॉटेज बनाए गए। वाराणसी से कुम्भ दर्शन को लाए गए प्रवासी भारतीयों को यहीं ठहराया गया था। कुम्भ में इस बार तकनीकी का भरपूर इस्तेमाल हुआ।
अभिषेक त्रिपाठी
दूरभाष-8765587382
अखाड़ों के लिए पांटून और जगदीश रैंप पुल बनवाया। संगम नोज पर व्यवस्था की जिम्मेदारी निभाई। यहां पर ही राष्ट्रपतिए उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री भी स्नान किए थे। केंद्रीय भंडार प्रभारी श्रीराम सिंह ने पीपों का निर्माण समेत सड़कों के लिए चकर्ड प्लेटें और पांटून पुलों के निर्माण का माल भी जिस तेजी से सप्लाई किएए उसके कारण ही कार्य समय पर पूरा हो सका। अवर अभियंता विद्युत यांत्रिक अखिलेश यादव ने भी पांटून निर्माण का कार्य तेजी से कराया। इंजीनियर बनवारी सेठ ने संगम नोज के पास अक्षयवट पांटून पुलए एरावत रैंप के कार्य को तेजी से कराया। इंजीनियर बेबी पूनम ने भी बेहद कम समय में 153 पीपों का निर्माण कराकर रिकॉर्ड कायम कर दिया। अवर अभियंता श्वेता सिंह ने मात्र 11 दिनों में किला स्थित मूल अक्षयवट के रास्तेए गेट आदि का कार्य कराया जिससे पवित्र वट वृक्ष के दर्शन की राह आसान हो सकी। अधिशासी अभियंता आरबी राम ने 18, 19 व 20 पांटून पुल के साथ ही सेक्टर एक और दो में कार्य कराया। एक्सईएन विपिन पचौरिया ने पांटून पुल 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 12 व 13 बनवाए। इसके साथ ही उन्होंने सेक्टर 13, 14, 15, 16 व 17 में सड़कें बनवाई। कम समय में ज्यादा काम कराने के लिए मुख्यमंत्री ने उन्हें सम्मानित भी किया। एक्सईएन राजेश निगमए जीएस वर्मा व एके द्विवेदी ने भी मिलकर आठ पांटून पुल बनवाए। अधीक्षण अभियंता संजय श्रीवास्तव ने इन कार्यों की मॉनीटरिंग की। एक्सईएन विद्युत यांत्रिक खंड यूके सिंह ने 1303 पीपे बेहद कम समय में बनवाए। इसके साथ 24 घंटे लगकर 8925 गार्डरए 21987 रेलिंग पोस्ट भी बनवाएए जिससे तेजी से पांटून पुल बनाए जा सके। इसके बाद सबसे अहम कार्य विद्युत विभाग का रहा। अधीक्षण अभियंता एके वर्मा ने दिन.रात लगकर लगभग 48 हजार एलईडी लगवाईं। अधिशासी अभियंता मनोज कुमार गुप्ता और अनूप सिन्हा ने तेजी से कार्य कराते हुए टेंटों में लगभग चार लाख बल्ब लगवाए। मेले में अस्थायी 70 उपकेंद्रों की स्थापना कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इनमें जेनरेटर भी रखवाए गए। विद्युत विभाग ने 135 किमी की लाइन बिछाई गई। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को कुम्भ 2019 के औपचारिक समापन की घोषणा कर दी। आस्था के इस बड़े मेले की कई सुनहरी स्मृतियां हैं, जो इसका हिस्सा बने देश-दुनिया के करोड़ों लोगों के जेहन में लंबे समय तक बनीं रहेंगी। केंद्र और प्रदेश सरकार के सहयोग से दिव्य और भव्य कुम्भ का स्लोगन तो चरितार्थ हुआ ही स्वच्छता और सुरक्षा के लिए यह कुम्भ खास तौर से याद किया जाएगा। गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के पावन संगम तट पर अमृत कुम्भ की शुरुआत 10 जनवरी से हुई थी। प्रदेश सरकार ने बड़ा बदलाव करते हुए इस बार अद्र्घकुम्भ को कुम्भ नाम दिया। कुम्भ अब महाकुम्भ होगा। यह पहला कुम्भ था, जो इलाहाबाद नहीं बल्कि प्रयागराज में हुआ क्योंकि कुम्भ से ठीक पहले प्रदेश सरकार ने जिले का नाम बदल दिया था। कुम्भ में आठ किलोमीटर में 40 स्नान घाटों पर पहली बार इतनी बड़ी तादाद में यानी देश-दुनिया के 24 करोड़ दस लाख लोगों ने डुबकी लगाई। कुम्भ मेला की तैयारियां देखने के लिए पहली बार 70 देशों के राजनयिक प्रयागराज आए। विदेश राज्य मंत्री जनरल वीके सिंह के साथ 15 दिसंबर को एयर इंडिया के विशेष विमान से आए राजनयिकों समेत 115 विदेशी मेहमानों को मेला की तैयारियों की जानकारी दी गई। ऐसा पहली बार हुआ जबकि कुम्भ मेला के दौरान श्रद्धालुओं ने संगम किनारे अकबर द्वारा बनवाए गए किले में स्थित अक्षयवट और सरस्वती कूप का दर्शन किया। पहली बार संगम किनारे अरैल में 60 एकड़ में टेंट सिटी बसाई गई। यहां 50 करोड़ की लागत से 1200 स्विस कॉटेज बनाए गए। वाराणसी से कुम्भ दर्शन को लाए गए प्रवासी भारतीयों को यहीं ठहराया गया था। कुम्भ में इस बार तकनीकी का भरपूर इस्तेमाल हुआ।
अभिषेक त्रिपाठी
दूरभाष-8765587382
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