
जीवनशैली : पूरी बॉडी का अल्प समय में मसल्स वर्कआउट करना चाहते हैं, तो सीढिय़ां चढऩा सबसे बेहतर ऑप्शन है। 6 हजार लोगों के बीच में करवाए गए एक सर्वे में यह बात निकलकर आई है कि 1 घंटे तक जिम में पसीना बहाने से आपको उतना ही फायदा मिल पाता है, जितना 15 मिनट सीढियां चढऩे से। सर्वे की मानें तो आप अगर रोजाना केवल एक मंजिल सीढियां चढ़कर अपने घर या ऑफिस जाते हैं, तो वह आपके आधे किलोमीटर ट्रेडमील पर चलने के बराबर हो जाता है। वहीं, अगर आप 2-3 बार सीढिय़ां चढ़ उतर लेते हैं, तो आपकी बॉडी को इसके बाद जिम जाने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। सीढिय़ां चढऩे से शरीर में तुरंत एनर्जी आ जाती है, जो जिम में 5 से 7 मिनट एक्सर्साइज करने के बाद ही आती है, वो भी तब जब आप तेज स्पीड से एक्सर्साइज करें। इतना ही नहीं सीढ़ियां चढऩा हार्ट और लंग्स के लिए भी जिम से ज्यादा फायदेमंद हैं। फिजियोथेरपिस्ट डॉ. रोहित कहते हैं, सीढियां चढऩा प्राकृतिक व्यायाम है। अगर आप यह रोजाना कर पाते हैं, तो आपकी थाई तो शेप में रहती ही है, मसल्स भी फ्लेक्सेबिल हो जाती हैं। यही नहीं, ओवरऑल फिटनेस के लिए भी सीढिय़ां चढऩा बेहद फायदेमंद है। इसके बाद आप जोड़ों की प्रॉब्लम, बोन पेन जैसी चीजों से बचे रहेंगे। सीढय़ां चढऩे से एड्रेनलिन हॉर्मोन एक्टिव हो जाता है। यह हॉर्मोन हार्ट की मसल्स तक ब्लड सर्कुलेशन बनाए रखने और हार्ट बीट नॉर्मल रखने के लिए बहुत जरूरी होता है। ऊपर चढऩे के दौरान जब बॉडी का 70-85 डिग्री का एंगल बनता है, तो यह पॉश्चर लोअर बॉडी के लिए और 135 डिग्री का एंगल अपर बॉडी के लिए बहुत फायदेमंद होता है। यह एक कारगर कार्डियो वर्कआउट भी साबित हो सकता है। एक घंटे के भीतर इससे लगभग 700 कैलोरी बर्न की जा सकती है। वहीं यदि आप ट्रेडमिल पर एक घंटा दौड़ेंगे, तो इससे मात्र 300 कैलरी ही बर्न होगी। सीढिय़ां चढऩा एक ऐसी ऐक्टिविटी है जिससे मसल्स में फैट एकत्र नहीं हो पाता और शरीर शेप में रहता है। यह टेंशन कम करने के साथ व्यक्ति की एकाग्रता को भी बढ़ाता है। इसको रेग्युलर करने से मेंटल हेल्थ को भी सपोर्ट मिलता है और रोजमर्रा के काम करने के लिए फोकस करने में मदद मिलती है। कई बार लोग पहले ही दिन से अधिक चढऩे की कोशिश करते हैं, जिससे थकान और टांगों में दर्द हो सकता है। इसलिए एक ही दिन में 3-4 मंजिल सीढ़ी चढऩे की बजाय धीरे-धीरे समय को बढ़ाएं। सीढियां चढऩा तभी फायदेमंद हो सकता है अगर आप इसे नियमित रूप से करें। 15 दिन या एक महीने कर आप इसे छोड़ दें तो आपको इसका कोई फायदा नहीं मिलेगा, इसलिए इसे अपनी रूटीन का पार्ट बनाएं। शुरू में एक बार और फिर तीन बार और फिर इसे रोजाना करें। इसे 12 साल के बच्चे से लेकर 70 साल के बुजुर्ग तक कर सकते हैं। इसमें पूरी तरह से व्यक्ति को अपनी एनर्जी लेवल का उपयोग करना होता है। इसके लिए न तो कोई खर्च करने जरूरत है और न ही किसी इंस्ट्रयूमेंट की जरूरत है। इससे भी अधिक इस व्यायाम का फायदा यह है कि इसे हार्ट पेंशेट और डायबीटीज रोगी सभी आसानी से कर सकते हैं।
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