दोषमुक्त जीवन जीयें, सकारात्मक रहें, प्रकृति के साथ चलें
विचार : समाज में सभी को रहना पड़ता है। समाज में विभिन्न प्रकृति के लोग हैं, समाज में तनाव रहता है क्योंकि वैचारिक मतभेद हैं। लेकिन मानव सभ्यता में यह कई तरह से सिद्ध हुआ है कि प्रकृति के साथ—साथ चलना ही हर तरह से सुखदायी है। सनातन धर्म में सूर्य को केंद्र बिंदु माना गया है और सूर्य पूजन हिंदुओं में विशेष आस्था का विषय भी है। चूंकि सूर्य को केंद्र बिंदु माना तो सूर्य का जब अस्त हो तो आप भी अस्त हो जायें, सूर्य का जब उदय हो तब आप भी उदय हो जायें। अस्त मतलब छिप जाना और उदय मतलब दिख जाना। लेकिन बहुत से लोग सूर्य उपासक नहीं हैं इसलिये इसे पूरी तरह से गलत बताते हैं और हमारा समाज इसे काफी हद तक सही मान लेते हैं, जो बिल्कुल गलत है। हमारे समाज में लोग यह भूल कर रहे हैं दिन रात में जिस तरह विभेद है उसी तरह अच्छाई और बुराई में विभेद है, हमारे समाज में दोनों तरह के लोग हैं, इनको आसानी से पहचान पाना मुश्किल है, लेकिन कुछ लक्षण से पहचाना जा सकता है—
चरित्रहीनता : ऐसे व्यक्ति प्रत्येक महिलाओं को बड़े रहस्यमयी तरीके से घूरते हैं। इन्हें जब भी मौका लगे पराई महिलाओं के साथ शारीरिक सम्बन्ध तुरंत बना लेंगे, मान मर्यादा का कोई ध्यान नहीं। ऐसे पुरुषों की समाज में बुराई और आलोचना होती है, ऐसे व्यक्तियों को समाज में उचित स्थान नहीं दिया जाता।
मूर्खता : मूर्ख भी कई प्रकार के होते हैं। पढ़े-लिखे लोग भी मूर्ख होते हैं। कहा जाता है कि मूर्ख व्यक्ति से ज्ञान की बातें नहीं करना चाहिए। वह कुछ का कुछ समझ लेगा। पढ़े-लिखे मूर्खों से समाज और राष्ट्र का ज्यादा नुकसान होता है। हमारे देश में बहुत से राजनेता, अभिनेता, कलाकार, साहित्यकार और पत्रकार बंधु मूर्ख हैं। आप जरा इनसे बचकर ही रहें। आजकल फेसबुक और वॉट्सअप पर ऐसे लाखों मूर्ख पाए जाते हैं, जो अपनी और अपनों की जिंदगी को जगजाहिर करने में लगे हैं। वे अपने जहरीले विचारों से अवगत कराते रहते हैं। मूर्खों की कोई निश्चित विचारधारा नहीं होती। यदि आप मूर्ख नहीं हैं तो आप मूर्खों से दूर रहेंगे तो लाभ में रहेंगे अन्यथा आपकी गिनती भी मूर्खों में होगी। और यदि आप उसका विरोध करेंगे तो खुद भी मूर्ख साबित हो जाएंगे।
शराब : शराबी कई तरह के होते हैं- देवदास, औघड़, शौकिया, लती, अपराधी, राजसी आदि। इनमें से कुछ सही और कुछ गलत हैं। हो सकता है कि आप भी इनमें से एक हों। आपके बहुत से दोस्त होंगे जो शराब, शबाब या कबाब के दीवाने होंगे। शराबी व्यक्ति के साथ रहकर आप कभी भी किसी ऐसी घटना-चक्र में फंस सकते हैं जिससे बाहर निकलने में आपकी जिंदगी के कई वर्ष और रुपए खर्च हो जाएंगे।
मीठी वाणी : बहुत-सी लड़कियां मीठी वाणी की शिकार हो जाती हैं। इस तरह के लोगों का शिकार हो जाती हैं। ये लोग पहले भांप लेते हैं कि किसे क्या पसंद है और फिर वे उसी तरह की बातें करते हैं। वे हमेशा हंसते-मुस्कुराते और सकारात्मक सोच को प्रदर्शित करते हैं। दोहरे चरित्र वाले, हर बात बताओ का आग्रह करने वाले, बहुत ज्यादा मीठा बोलने वाले और नकली मुस्कान वाले, जलन से भरे या ईर्ष्यालु, लगातार मुकाबला करने वाले या आपको प्रतिद्वंद्वी समझने वाले, हर बात पर फैसला सुनाने वाले, देवदास या लड़कीबाज, अपने अहं का प्यारा, धन के लालची, गप्पे मारने वाला आदि लक्षण होते हैं।
नकारात्मकता : बहुत से लोग ऐसे होते हैं कि उनके समक्ष कुछ भी कहो, वे तर्क-वितर्क करके उसमें नकारात्मकता ही खोज लेंगे। वे आपकी हर बात काट देंगे। ऐसे लोगों में संशय, संदेह, दुविधा, छल और डर रहता है। उनके मुंह से हमेशा नकारात्मक बातें ही निकलती रहती हैं। नकारात्मक लोगों की जुबान पर हमेशा 'नहीं' शब्द विराजमान रहता। ये काम तो हो नहीं सकता, वहां जाकर क्या करेंगे, ऐसा करने से कुछ हासिल नहीं होगा, इस कार्य में कभी सफलता नहीं मिलेगी, यदि तुमने ये किया तो तुम बर्बाद हो जाओगे... ऐसे हजारों वाक्य हैं। नकारात्मक लोगों के साथ रहने से आपके भीतर निराशा, उदासी और तनाव का विकास होगा और आप भी खुद को जिंदगी में हारे हुए व्यक्ति समझेंगे। नकारात्मक दृष्टिकोण वाले लोग ब्लैक होल जैसे होते हैं, जो अचानक आकर हमारी पूरी ऊर्जा खींच लेते हैं। हम सकारात्मक बने रहने की कोशिश करते हैं, पर उनकी नकारात्मकता हावी हो जाती है।
घमंडी : बहुत लोग हैं जो जबरन ही रौब झाड़ा करते हैं। हलांकि ऐसे भी कुछ लोग हैं, जो बहुत-कुछ होते हैं। उनके पास धन, पद और सम्मान सब कुछ होता है और इसी से वे घमंड करते हैं। दोनों ही तरह के लोगों से बचकर रहेंगे तो फायदे में रहेंगे अन्यथा ये लोग आपको हीनता का बोध कराते रहेंगे और आपको हरदम नीचा दिखाते रहेंगे। ऐसे लोग अपने अहं के लिए घंटों लड़ सकते हैं। उन्हें इस बात से कोई सरोकार नहीं होता कि आप क्या कह रहे हैं। उनकी नजर में सिर्फ वे ही सही होते हैं। वे किसी भी सूरत में अपनी गलती मानने को तैयार नहीं होते।
ईर्ष्या : जब ईर्ष्या बढ़ती है तो वह शत्रुता में बदल जाती है। ऐसे लोग हर वक्त आपके बारे में बुरा ही सोचेंगे। ऐसे लोगों से बचकर दूर ही रहें अन्यथा आप भी उनके जैसे होकर अपने लक्ष्य से तो भटकेंगे ही, साथ ही समय और ऊर्जा भी नष्ट कर लेंगे। दोस्त आपकी खुशी में खुश होते हैं, आपको देखकर जलते नहीं हैं। समस्या यह है कि आपसे जलने वाले लोग आमतौर पर छुपे रहते हैं। वे ऊपर से तो हंसते रहते हैं, लेकिन उनके भीतर ही भीतर ईर्ष्या की अग्नि धधक रही होती है। आप उनकी आंखों में यह सब देख सकते हैं। कई बार उनके शब्द भी उनके राज जाहिर कर देते हैं।
झगड़ालू : हर मुद्दे पर झगड़ते रहना ठीक नहीं माना जाता। ऐसे लोगों को कब और कौन-सी बात चुभ जाए, कहा नहीं जा सकता। ऐसे लोग आपके जीवन को नर्क बना सकते हैं। बात-बात पर झगड़ते रहना या कुछ न कुछ चुभने वाली बातें बोलते रहने वाले से आप दूर रहेंगे तो ही शांति से रहेंगे।
हमेशा दुखी रहने वाला : महाभारत और चाणक्य में वर्णन है कि कुछ लोग भगवान द्वारा बहुत कुछ दिए जाने के बाद भी हमेशा विलाप करते रहते हैं तथा अपना दुख प्रकट करते रहते हैं तो ऐसे लोगों से दूर ही रहना चाहिए। क्यों? दुखी लोगों के साथ रहकर अच्छे-भले सुखी लोग भी दुखी हो जाते हैं। बार-बार दुख पर चर्चा करना और दुख के बारे में ही सोचते रहने से एक दिन आपके जीवन में भी दुख प्रवेश कर जाएगा और आप भी दुखी ही रहेंगे। हंसना, रोना, सुखी रहना और दुखी रहना यह संक्रमण रोग की तरह होता है।
दुष्ट स्त्री : कर्कशा, चरित्रहीन या बुरे स्वभाव की स्त्री से दूर रहने में ही भलाई है अन्यथा आपका मान-सम्मान तो जाएगा ही, साथ में धन और कीमती समय भी जाता रहेगा। महाभारत और चाणक्य का मानना था कि सज्जन पुरुष अगर ऐसी ही किसी स्त्री के संपर्क में आते हैं तो उन्हें अपयश ही प्राप्त होता है।
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