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मार्च, 2021 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

अच्छे कर्मों से आती है सुंदरता

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प्रेरक कथा : एक दिन यह कौआ सोचने लगा कि पंछियों में मैं सबसे ज्यादा कुरूप हूँ। न तो मेरी आवाज ही अच्छी है, न ही मेरे पंख सुंदर हैं और मैं काला-कलूटा भी हूँ। ऐसा सोचने से उसके अंदर हीनभावना भरने लगी और वह दुखी रहने लगा। एक दिन एक बगुले ने उसे उदास देखा तो उसकी उदासी का कारण पूछा। कौवे ने कहा कि मैं रोज गौर करता हूं, तुम कितने सुंदर हो, गोरे-चिट्टे हो, मैं तो काला हूँ, मेरा तो जीना ही बेकार है। बगुले ने कहा कि दोस्त मैं कहाँ सुंदर हूँ। मैं जब तोते को देखता हूँ, तो यही सोचता हूँ कि मेरे पास उसके जैसे हरे पंख और लाल चोंच क्यों नहीं है। तोते के पास ये दोनों ही चीजें हैं। अब कौए में सुन्दरता को जानने की उत्सुकता बढ़ी। वह तोते के पास गया। बोला कि तुम इतने सुन्दर हो, तुम तो बहुत खुश रहते होगे? तोता ने कहा कि खुश तो वाकई बहुत रहता था मैं, लेकिन जब से मैंने मोर को देखा, तब से बहुत दुखी हूँ, क्योंकि वह बहुत सुन्दर है। अब कौआ मोर को ढूंढने लगा, लेकिन जंगल में कहीं मोर नहीं मिला। जंगल के पक्षियों ने बताया कि सारे मोरों को चिडिय़ाघर वाले पकड़ कर ले गये हैं। कौआ चिडिय़ाघर गया और वहाँ एक पिंजरे में बं...

व्यर्थ है धन का अनावश्यक संग्रह

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प्रेरक कथा : बहुत बड़े विद्वान और धर्म, खगोल विद्या, कला, कोशरचना, भवननिर्माण, काव्य, औषधशास्त्र आदि विभिन्न विषयों पर अनेक पुस्तकों के लेखक थे राज भोज। राजा भोज के समय में कवियों को राज्य से बड़ा आश्रय मिला हुआ था। उन्होंने 1000 से 1055 ई. तक राज्य किया। उनकी विद्वता के कारण जनमानस में एक कहावत प्रचलित हुई- कहाँ राजा भोज, कहाँ गंगू तेली। राजा भोज को बहुत बड़ा वीर, प्रतापी, और गुणग्राही भी बताया जाता है। उन्होंने अनेक राज्यों पर विजय प्राप्त की थी और कई विषयों के ग्रन्थ जुटाये थे। अच्छे कवि और दार्शनिक के साथ वे ज्योतिषी भी थे। उनकी राजसभा सदा बड़े-बड़े पण्डितों से सुशोभित रहती थी। राजा भोज एक बार जंगल के रास्ते से कहीं जा रहे थे। साथ में उनके राजकवि पंडित धनपाल भी थे। रास्ते में एक विशाल बरगद के पेड़ में मधुमक्खियों का एक बहुत बड़ा छत्ता लगा था, जो शहद के भार से गिरने ही वाला था। राजा भोज ने ध्यान से देखा तो पाया कि मधुमक्खियां हाय-तौबा के अंदाज में उस छत्ते से अपने पैर घिस रही हैं। उन्होंने राजकवि से इसका कारण पूछा। राजकवि बोले, महाराज! यह शहद के अनावश्यक संचय का नतीजा है। इसी तरह से...

दुर्गापूजन के साथ 13 अप्रैल से प्रारम्भ होगा नववर्ष

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ज्योतिष : 29 मार्च 2021 को वर्ष का प्रथम महीना चैत्र शुरू हो गयी है। वहीं चैत्र प्रतिपदा यानि नववर्ष 13 अप्रैल 2021 को बड़ी नवरात्रि प्रारंभ होगी और विक्रम संवत 2078 भी शुरू हो जाएगा, इसे संवत्सर भी कहा जाता है। चैत्र मास का वैदिक नाम है-मधु मास। मधु मास अर्थात आनंद बांटती वसंत का महीना। सारी वनस्पति और सृष्टि प्रस्फुटित होती है, पके मीठे अन्न के दानों में, आम की मन को लुभाती खुशबू में, गणगौर पूजती कन्याओं और सुहागिन नारियों के हाथ की हरी-हरी दूब में तथा वसंतदूत कोयल की गूंजती स्वर लहरी नये वर्ष में मधुर लगती है। चारों तरफ पके फसलों के दर्शन, खेतों में हलचल, फसलों की कटाई, हसिए का मंगलमय खर-खर करता स्वर और खेतों में डाँट-डपट-मजाक करती आवाजें, मानो खेतों में हंसी-खुशी की रौनक आ गयी है। नई फसल घर में आने का समय भी यही है। इस समय प्रकृति में उष्णता बढ़ने लगती है, जिससे पेड़-पौधे, जीव-जन्तु में नया जीवन आ जाता है। लोग इतने मदमस्त हो जाते हैं कि आनंद में मंगलमय गीत गुनगुनाने लगते हैं। ब्रह्म पुराण के अनुसार ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना चैत्र मास के प्रथम दिन, प्रथम सूर्योदय होने पर की। इस तथ्य...

आरक्षण की वजह से ग्राम पंचायत चुनाव लड़ने से वंचित

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  विचार : उत्तर प्रदेश में ग्राम पंचायत 2021 चुनाव के तारीखों की घोषणा कर दी गयी है। उत्तर प्रदेश की कुल 58,194 ग्राम पंचायतें हैं। पहले चरण की नामांकन प्रक्रिया 3 अप्रैल से शुरू होगी। दूसरे चरण में 7 से 8 अप्रैल, तीसरे चरण में 13 से 15 अप्रैल तक होगा। नामांकन चौथे चरण में 17 अप्रैल से 18 अप्रैल तक होगा। पंचायत चुनाव को लेकर जो गहमागहमी रहती है वह और किसी चुनाव में नहीं। ग्राम प्रधान, बीडीसी, जिला पंचायत सदस्य आदि पदों के लिए अलग अलग प्रत्याशी खड़े होते हैं। देश में आरक्षण का ऐसा जहर पोषित किया जा रहा है, जिससे समाज का सिर्फ नुकसान ही हो रहा है। सवाल तो कई बार उठे, प्रदर्शन तो कई बार हुए लेकिन जिसने आरक्षण को लेकर सवाल उठाये, प्रदर्शन किया उसका भी सिर्फ और सिर्फ नुकसान किया गया, उसे कष्ट उठाना पड़ा। इसका मतलब यह नहीं कि आरक्षण के खिलाफ सवाल उठाने वाले मुश्किल में पड़ेंगे तो सवाल उठना बंद हो जायेगा, ऐसा बिल्कुल नहीं है। आरक्षण समाज को बांट रहा है इसलिए जब तक यह वैचारिक बंटवारा रहेगा, तब तक ऐसे सवाल उठते रहेंगे, विरोध होते रहेंगे। आरक्षण हटना ही चाहिए, क्योंकि उनका क्या कसूर जो समाज ...

संत ने चोर से सीखा

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प्रेरक कथा : रात्रि रुकने के लिए एक संत कस्बे के मंदिर में गए, लेकिन वहां उनसे कहा गया कि वे इस कस्बे का कोई ऐसा व्यक्ति ले आएं, जो उनको जानता हो। तब उन्हें रुकने दिया जाएगा। लेकिन उस अनजान कस्बे में उन्हें कौन जानता था? दूसरे मंदिरों और धर्मशालाओं में भी वही समस्या आयी तो संत परेशान हो गए। रात काफी हो गयी थी और वे सड़क किनारे खड़े थे। तभी एक व्यक्ति उनके पास आया। उसने कहा कि मैं आपकी समस्या से परिचित हूँ। लेकिन मैं आपकी गवाही नहीं दे सकता। क्योंकि मैं इस कस्बे का नामी चोर हूँ। अगर आप चाहें तो मेरे घर पर रुक सकते हैं। आपको कोई परेशानी नहीं होगी। संत बड़े असमंजस में पड़ गए। एक चोर के यहां रुके तो कोई जानेगा तो क्या सोचेगा? लेकिन कोई और चारा भी नहीं था। मजबूरी में वो यह सोचकर उसके यहां रुकने को तैयार हो गए कि कल कोई दूसरा इंतजाम कर लूंगा। चोर उनको घर में छोड़कर अपने काम यानी चोरी के लिए निकल गया। सुबह वापस लौट कर आया तो बड़ा प्रसन्न था। उसने उनको बताया कि आज कोई दांव नहीं लग सका, लेकिन अगले दिन जरूर लगेगा। चोर होने के बावजूद उसका व्यवहार बहुत अच्छा था, जिसके कारण संत उसके यहां एक महीना र...

जरूरतमंदों की मदद करना सबसे बड़ी सेवा

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प्रेरक कथा: एक बार की बात है कि गुरु गोविंद सिंह के दर्शन के लिए एक वैद्य आनन्दपुर गया। वहां गुरुजी ने उससे कहा कि जाओ, जरूरतमंदों को सेवा करो। वैद्य वापस आकर रोगियों की सेवा में जुट गया, जल्द ही वह दूर—दूर तक प्रसिद्ध हो गया। एक बार गुरु गोविंद सिंह स्वयं उस वैद्य के घर आए। गुरु गोविंद को देखकर वैद्य ने प्रसन्नता जतायी। लेकिन गुरुजी ने कहा कि वह कुछ देर ही ठहरेंगे। तभी एक व्यक्ति भागता हुआ आया और बोला, वैद्य जी, मेरी पत्नी की तबियत बहुत खराब है, शीघ्र चलिए अन्यथा बहुत देर हो जायेगी। वैद्य जी असमंजस में पड़ गए। एक ओर गुरु थे, जो पहली बार उनके घर आये थे। दूसरी ओर एक जरूरतमंद रोगी था। अंतत: वैद्य ने कर्म को प्रधानता दी और इलाज के लिए चला गया। लगभग दो घण्टे के इलाज और देखभाल के बाद रोगी की हालत में सुधार हुआ। तब वहां से चला। उदास मन से सोचा कि गुरुजी के पास समय नहीं था, अब तक तो वे चले गए होंगे। फिर भी भागता हुआ वापस घर पहुंचा। घर पहुंचकर उन्हें घोर आश्चर्य हुआ। गुरुजी बैठे उसकी प्रतीक्षा कर रहे थे। वैद्य उनके चरणों पर गिर पड़ा। गुरु ने उन्हें गले से लगा लिया और कहा, 'तुम मेरे सच्चे श...

जीवन में कभी भी बदल सकती है परिस्थिति

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प्रेरक कथा: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एक मशहूर चौराहे पर बूढ़ा भिखारी बैठता था। वह उसकी निश्चित जगह थी। आने जाने वाले पैसे या खाने-पीने को कुछ दे देते। इसी से उसका जीवन चल रहा था। उसके शरीर में कई घाव हो गए थे, जिनसे उसे बड़ा कष्ट था। एक युवक प्रतिदिन उधर से आते-जाते समय भिखारी को देखता। एक दिन वह उससे बोला कि बाबा! इतनी कष्टप्रद अवस्था में भी आप जीने की आस रख रहे हैं, जबकि आपको ईश्वर से मुक्ति की प्रार्थना करनी चाहिए। भिखारी ने उत्तर दिया कि मैं ईश्वर से रोज यही प्रार्थना करता हूँ, लेकिन वह मेरी प्रार्थना सुनता नहीं है। शायद वह मेरे माध्यम से लोगों को यह संदेश देना चाहता है कि किसी का भी हाल मेरे जैसा हो सकता है। मैं भी पहले तुम लोगों की तरह ही था। मेरे उदाहरण द्वारा वह सबको एक सीख दे रहा है। युवक ने उसको प्रणाम किया और कहा कि आज आपने मुझे जीवन की सच्ची सीख दी दी, जिसे मैं कभी नहीं भूलूंगा। यानि कि परिस्थिति किसी की भी कभी भी बदल सकती है, इसलिये सभी को जीवन में तैयार व सतर्क रहना चाहिए।

रोज सावधानी से करें योग और आसन

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विचार : सनातन धर्म में योग या व्यायाम का महत्व अधिक है। सनातन परम्परा के तीन ही आधार है—स्नान, ध्यान, भोजन। योग से एक नहीं अनेक लाभ हैं, जिसका वर्णन आसानी से नहीं किया जा सकता। योग करने से मांसपेशियों का अच्छा व्यायाम होता है, योग शारीरिक और मानसिक रूप से वरदान है। योग से तनाव दूर होता है और अच्छी नींद आती है, भूख अच्छी लगती है, इतना ही नहीं पाचन भी सही रहता है। यानि कि योग से लाभ ही लाभ हैं। नियमानुसार बह जल्दी उठकर योग करना अधिक फायदेमंद होता है। योगासन से पहले हल्का वॉर्मअप यानि शरीर को गरम करना जरूरी होता है। जैसे बिना गरम किया हुआ लोहा नहीं मोड़ सकते उसी तरह बिना गरम किये शरीर में लचक नहीं आ पाती, इसलिये योग से पहले थोड़ा शरीर को गरम करना आवश्यक होता है। योग की शुरुआत हमेशा ताड़ासन से ही करनी चाहिए। सुबह योगासन खाली पेट करना चाहिए। जो लोग पहली बार योगासन कर रहे हैं, उन्हें शुरुआत में हल्के योग के आसन करने चाहिए और किसी योग प्रशिक्षक की देखरेख में ही करें। फिर जैसे-जैसे इनके अभ्यस्त हो जाएं, तो अपने स्तर को बढ़ाते जाएं। योगासन के तुरंत बाद नहीं नहाना चाहिए, बल्कि कुछ देर इंतजार करन...

अपनी गुणवत्ता बनाये रखें

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प्रेरक कथा : बहुुत समय पहले एक संत थे। संत ने अपने हाथ में सोने का सिक्का लेकर अपने शिष्यों व अनुयाइयों से कहा कि किसको यह सोने का सिक्का चाहिए, अधिकतर लोगों ने हां कहा। संत ने सोने के सिक्के को जमीन पर रगड़कर व गंदाकर कहा कि अब किसे यह सोने का सिक्का चाहिए, लगभग सभी हाथ खड़े थे। तब संत ने कहा कि मैंने आपके सामने इस सोने के सिक्के के साथ न जाने क्या-क्या किया। फिर भी आप सब इसे पाना चाहते हो, क्योंकि लाख मरोडऩे व गंदा करने पर भी सोने के मूल्य में परिवर्तन नहीं आया। अभी भी इसकी कीमत जस की तस है। कई बार हमारी जिंदगी भी हमें कई समस्याओं व परेशानियां देकर हमें विचलित कर देती है और हम अपने आप को कम मूल्यवान समझने लगते हैं। जब तक व्यक्ति अपनी गुणवत्ता नहीं खोयेगा, वह समाज में मूल्यवान बना रहेगा।

संत के दो शिष्य

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प्रेरक कथा : एक संत के दो शिष्य थे, दोनों संत की खूब सेवा करते थे। एक दिन संत ने शिष्यों को दो डिब्बों में मूँग के दाने दिये और कहा कि ये मूँग के दाने हमारी अमानत हैं। ये सड़ें गलें नहीं बल्कि खूब बढे-चढ़ें, इसका ध्यान रखना। जब हम दो वर्ष बाद वापस आयेंगे तो इन्हें ले लेंगे। ऐसा कहकर संत तीर्थयात्रा के लिए चले गये। अब एक शिष्य मूँग के डिब्बे को पूजा के स्थान पर रखकर रोज उसकी पूजा करने लगा। वहीं दूसरे शिष्य ने मूँग के दानों को खेत में बो दिया। इस तरह दूसरे शिष्य के पास दो साल में उसके पास बहुत सी मूँग जमा हो गयी। दो साल बाद संत वापस आये और पहले शिष्य से अमानत वापस माँगी तो वह अपने घर से डिब्बा उठाकर लाया और संत को थमाते हुए कहा कि गुरूजी, आपकी अमानत को मैंने अपने प्राणों की तरह सँभाला है। इसे पालने में झुलाया, आरती उतारी और पूजा-अर्चना की। आश्चर्य जताते हुए संत ने ढक्कन खोलकर देखा तो मूँग के दानों में घुन लगे पड़े थे। आधे दानों की तो वे चटनी बना गये थे, बाकी बचे-खुचे भी बेकार हो गये थे। संत ने शिष्य को वे दाने दिखाते हुए पूछा कि क्यों बेटा! इन्ही घुनों की पूजा-अर्चना करते रहे इतने समय तक...

2021 का पहला सूर्यग्रहण 10 जून को

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ज्योतिष : इस साल यानि 2021 में कुल दो सूर्य ग्रहण लगेंगे, 10 जून 2021 को पहला व आखिरी सूर्य ग्रहण 4 दिसम्बर 2021 को लगेगा। पहले सूर्य ग्रहण को पूर्ण सूर्य ग्रहण नहीं माना जा रहा है। भारत, कनाडा, यूरोप, रुस, ग्रीनलैंड, एशिया और उत्तरी अमेरिका में देखा जा सकता है पहला सूर्यग्रहण। भारत में 2021 के पहले सूर्य ग्रहण को आंशिक रूप से देखा जा सकेगा। जबकि 2021 का दूसरा सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिखाई पड़ेगा। यह  अंटार्कटिका, दक्षिण अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अमेरिका जैसे देशों में दिखायी देगा। जब चन्द्रमा, पृथ्वी व सूर्य के मध्य से होकर गुजरता है तथा पृथ्वी से देखने पर सूर्य पूर्ण अथवा आंशिक रूप से चन्द्रमा द्वारा आच्छादित होता है, वह सूरज की कुछ या सारी रोशनी रोक लेता है जिससे धरती पर छाया फैल जाता है। इस घटना को सूर्य ग्रहण कहते हैं।

श्रेष्ठ होते हैं वृष राशि के जातक

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ज्योतिष : शास्त्र के अनुसार बारह राशियां होती हैं, इन बारह राशियों में वृष राशि दूसरे स्थान पर है। वृषभ राशि की महिलाएं उदार होती हैं। व्‍यक्‍तित्‍व में झूठ और कपट बिलकुल भी नहीं होता। वृषभ राशि की महिलाओं का स्‍वभाव ऐसा होता है कि हर पुरूष उनके जैसा जीवनसाथी पाने की इच्‍छा रखता है। ऐसी महिलाओं को वे पुरूष पसंद आते हैं जो इनके साथ एक बेहतर तालमेल बनाकर चलें। वहीं शांत चंचल मनके होते हैं वृष राशि के पुरुष। कर्मठी, मेहनती, सौम्य, ईमानदार, सज्जन, सामाजिक व सहनशील होते हैं। वृष राशि के जातक होते तो शांत हैं लेकिन गुस्सा आने पर संभाले नहीं संभलते। वृष राशि का स्वामी शुक्र ग्रह है। यदि वृष राशि की लड़की की शादी करनी है तो आसानी से ऐसे समझें कि—वृष यानि कि शंकर जी का सवारी बैल को क्या पसंद है, बैल का पूरा आचरण जान लेने के बाद विवाह तय किया जा सकता है। युवक, युवती दोनों एक राशि के होने से स्वाभिक है कि दोनों एकदूसरे को काफी अच्छे से समझने वाले होते हैं। साथ ही दोनों एक-दूसरे के प्रति जल्दी ही आकर्षित होंगे। मगर वृष राशि के लड़के हर काम को करने से पहले अच्छे से सोच-विचार करना सही समझते है। वही...

500 वर्षों बाद होली पर मनोहारी संयोग

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ज्योतिष : शास्त्र के अनुसार तिथि, वार, नक्षत्र, योग व करण की गणना से ही पंचांग का निर्माण किया जाता है। इस बार यानि 2021 में होली पर अद्भुत योग बन रहा है। दरअसल, सूर्य व चन्द्रमा की विशेष दूरियों की स्थितियों को योग कहते हैं। 27 प्रकार के योग का वर्णन किया गया है। विष्कुम्भ, प्रीति, आयुष्मान, सौभाग्य, शोभन, अतिगण्ड, सुकर्मा, धृति, शूल, गण्ड, वृद्धि, ध्रुव, व्याघात, हर्षण, वज्र, सिद्धि, व्यतिपात, वरीयान, परिध, शिव, सिद्ध, साध्य, शुभ, शुक्ल, ब्रह्म, इन्द्र व वैधृति। फाल्गुन महीने की पूर्णिमा को होली का लोकप्रिय पर्व उल्लास से मनाया जाता है। पूर्णिमा की रात होलिका दहन की परम्परा है। दूसरे दिन प्रातः फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि को रंगों वाली होली खेली जाती है। सबसे खास बात यह है कि इस वर्ष होली पर 500 वर्षों बाद दुर्लभ योग व दो खास संयोग बन रहे हैं। रंगों का त्योहार होली इस वर्ष सर्वार्थसिद्धि योग, अमृत सिद्धि व ध्रुव योग का निर्माण हो रहा है। सर्वार्थसिद्धि योग अत्यंत शुभ योग है जो निश्चित वार और निश्चित नक्षत्र के संयोग से बनता है। यह योग सभी इच्छाओं तथा मनोकामनाओं को पूर...

क्यों न देश का प्रधानमंत्री निर्विरोध चुना जाये

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विचार : अभी हाल ही में समाचार पत्रों में खबर छपी थी कि विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' को ​बीते ढाई साल में 50 लाख से ज्यादा पर्यटक देखने पहुंचे। गुजरात में नर्मदा के तट पर केवडिया नामक स्थान पर इस प्रतिमा का अक्टूबर 2018 में लोकार्पण किया गया था। 2021 में रेलवे द्वारा केवडिया को देश के कई प्रमुख शहरों से रेल-नेटवर्क के माध्यम से जोड़ा गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले वर्ष यानि 2020 में 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' से जुड़ी 17 परियोजनाओं का उद्घाटन किया था। गौरतलब है कि सरदार पटेल की प्रतिमा की ऊंचाई 597 फिट है। यह प्रतिमा 6.5 तीव्रता के भूकंप के झटके और 220 किमी की स्पीड के तूफान का भी सामना कर सकती है। इस प्रतिमा की गैलरी में खड़े होकर एक बार में 40 लोग सरदार सरोवर डैम, विंध्य पर्वत देखा जा सकता है। स्टैच्यू ऑफ यूनिटी 33 महीनों में तैयार की गई, जो एक रिकॉर्ड है। सरदार पटेल ट्रस्ट की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के अनुसार, प्रतिमा की लागत दो हजार 989 करोड़ रुपए आई थी। यानि कि नरेंद्र मोदी सरकार कहें या भाजपा सरकार, इन्होंने कांग्रेसी हों या अन्य राजनीतिक...

बगीचा नहीं है तो घर में लगायें पौधे

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विचार : सनातन परम्परा में मानवों के जीवनचक्र की तरह वृक्षों के जीवनचक्र के बारे में बताया गया है। वृक्ष जीवन के लिए अहम हैं, प्राणवायु है। आजकल प्रदूषण भरे वातावरण में प्रत्येक जीवों की घुटन सी हो रही है। इस घुटन को दूर करना पृथ्वी के मानवों की जिम्मेदारी है, लेकिन दु:खद है कि अपनी जिम्मेदारी बहुत लोग नहीं निभा रहे, बस दूसरों की कमियां निकालने और आलोचना करने में जुटे हुए हैं। प्रदूषण को कैसे रोका जाये, इस पर बहुत कम लोग ध्यान दे रहे हैं, जबकि सभी को पर्यावरण को स्वच्छ और सुरक्षित बनाने में बढ़चढ़कर हिस्सा लेना चाहिए। यदि आप पेड़ नहीं लगा सकते तो कम से कम एक पौधा अपने घर में जरूर रखें। पेड़ को घर के मुख्य द्वार पर कभी भी नहीं लगाना चाहिए। घर में नीम, चंदन, नींबू, अनार, आम, आंवला आदि के पेड़ व पौधे लगाए जा सकते हैं। पेड़ों को घर की दक्षिण या पश्चिम दिशा में लगाना उचित रहता है। कांटे वाले पौधे घरों में कतई न लगायें। ऐसी मान्यता है कि कई ऐसे पेड़ हैं, जिसे लगाने से घर में लक्ष्मी का आगमन होता है और परिवार सुखी रहता है। लक्ष्मणा का पौधा धनलक्ष्मी को आकर्षित करने में सक्षम बताया गया है। घर में...

असीम शक्ति समेटे हुए है सनातन परम्परा

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विचार : धार्मिक लोग वहीं हैं, जो अन्य धर्मों का सम्मान व आदर करते हैं, लेकिन अधिकतर धर्म व मत के लोग धर्म परिवर्तन कराने के लिए बकायदा मिशनरी चलाते हैं, जो कि निहायत निंदनीय है। लालच या दबाव डालकर धर्म परिवर्तन कराना आदि बातें स्वीकार्य नहीं होनी चाहिए। अधिकतर मिशनरियों ने भारत को ही लक्ष्य बनाया है, यहीं के लोगों को बड़ी तेजी से धर्म परिवर्तन कराया जा रहा है, गांवों में पहुंच हो गयी है मिश​नरियों की। इससे भी ज्यादा दु:खद है कि भारत के कुछ लोग ऐसे लोगों का साथ भी देते हैं। लेकिन ऐसे लोगों को समझ लेना चाहिए कि सनातन परम्परा को कोई क्षति तो पहुंचा सकता है लेकिन सनातन संस्कारों का डीएनए यानि कि आनुवंशिक लक्षण कोई समाप्त नहीं कर सकता। सनातन संस्कार एक ऊर्जा है और सर्वविदित है कि ऊर्जा नष्ट नहीं होती। विश्व में सनातन परम्परा ही है जो किसी पर किसी तरह का दबाव या मिशनरी नहीं चलाती। बल्कि कई ऐसे देशों के सम्मानित लोग हैं जो सनातन संस्कारों से प्रभावित होकर स्वयं इसी परम्परा का पालन करने लगते हैं और मोक्ष मार्ग पर चलना पसंद करते हैं। सनातन यानि शाश्वत अर्थात जिसका न आदि है न अन्त। विभिन्न कारण...

मुख्यमंत्री ममता के आरोप पर संदेह!

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                                                                फाइल फोटो विचार : एक मुख्यमंत्री के पैरों में मोच क्या आयी अधिकतर मीडिया को बड़ी खबर मिल गयी, खासकर इलेक्ट्रानिक मीडिया के लोग। मीडिया छोड़िए, कैसे कोई जन प्रतिनिधि झूठ बोल सकता है। तो ऐसे लोगों को यह समझना चाहिए कि झूठ की दीवार बेकार होती है, टिकाऊ तो बिल्कुल नहीं होती। झूठ बोलने का सवाल इसलिये उठ रहा है कि जेड प्लस सुरक्षा व कई पुलिस अधिकारियों का घेरा तोड़कर कैसे कोई मुख्यमंत्री की पिटाई कर सकता है या धक्का दे सकता है। मीडिया में खबर यह भी है कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री को पैरों के मोच के अलावा शरीर के अन्य हिस्सों में भी चोट लगी है। बहरहाल लोकचर्चा यह है कि भाजपा के दिग्गज नेताओं को पश्चिम बंगाल में न घुसने देने वाली, संघ के स्वयंसेवकों को पश्चिम बंगाल में न घुसने देने वाली मुख्यमंत्री की कोई कैसे पिटाई कर सकता है। ममता बनर्जी को इस तरह पकड़े जाने वाला झूठ नह...

सत्कर्मो से बदल जाता है भाग्य

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प्रेरक कथा : एक गांव में दुबला, पतला लड़का रहता था, वह रोज दूध पीता था, लेकिन मोटा नहीं होता था, गांव के लोग अक्सर उसका उदाहरण देकर कहते कि दूध पीने से कुछ नहीं होता। कभी—कभी इस बात को लेकर बच्चा भी चिंतित रहने लगा तब उसके माता—पिता ने बताया कि बेटा तुम अगर दूध नहीं पीते तो तुम्हारा जीवन बिल्कुल नहीं बचता, क्योंकि अनाज के सेवन में तुम्हें शुरू से परेशानी होती है, तुम सिर्फ और सिर्फ दूध के सहारे जीवित और स्वस्थ हो, तो क्या हुआ दुबले हो। इस बात से बच्चे का उत्साह बढ़ गया। इसी तर्ज पर आजकल अक्सर लोग कहते मिल जाते हैं कि पूजा, पाठ, ध्यान, स्नान, सत्कर्म से कुछ नहीं होता। जबकि ऐसा कहना एकदम अनुचित है। एक बार की बात है एक नदी तट पर एक शिवमंदिर था। एक पंडितजी और एक चोर प्रतिदिन मंदिर आते थे। जहां पंडितजी फल फूल, दूध चंदन आदि से प्रतिदिन शिव जी की पूजा करते। वहीं चोर रोज भगवान को खरी खोटी सुनाता और अपने भाग्य को कोसता। एक दिन पंडितजी और चोर एक साथ मंदिर से बाहर निकले। निकलते ही चोर स्वर्णमुद्राओं से भरी एक थैली मिल गयी। जब कि ठीक उसी समय पंडितजी के पैर में एक कील चुभ गई। चोर थैली पाकर अत्यंत प...

कौन हैं संघ के स्वयंसेवक!

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  विचार : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ वर्तमान समय का सबसे बड़ा और अनुशासित सांस्कृतिक संगठन है, जो देश की एकजुटता के लिये तेजी से अनवरत कार्य कर रहा है। अक्सर समाज के लोग जानना चाहते हैं कि संघ क्या है स्वयंसेवक किसे कहते हैं। संघ यानि कि शाखा, शाखा यानि कि कार्यक्रम, कार्यक्रम यानि कि खेल, योग, व्यायाम, सूर्य नमस्कार, गीत, सुभाषित, अमृतवचन समेत कई कार्यक्रम। शाखा एक घंटे की प्रात: और सायं के समय लगती है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखा प्रतिदिन व समय पर लगनी चाहिए। शाखा में भिन्न-भिन्न प्रकार के कार्यक्रम होने चाहिए। स्वयंसेवकों में परस्पर मेलजोल, स्नेह, प्रेम और शुद्धता का वातावरण हो। आपस में विचार-विनिमय, चर्चा आदि कर अपने अंत:करण में ध्येय  साक्षात्कार नित्य अधिकाधिक सुस्पष्ट और बलवान करते रहने की स्वयंसेवकों में प्रेरणा व इच्छा रहे। सामूहिक रूप से नित्य अपनी प्रार्थना का उच्चारण गम्भीरता, श्रद्धा तथा उसका भाव समझकर करें। परम पवित्र प्रतीक के रूप में संघ का भगवा ध्वज है, उसे मिलकर नम्रतापूर्वक प्रणाम करें। ‘‘शाखा विकिर’ के अनंतर बैठकर आपस में बातचीत करें। कौन आया, कौन नहीं आय...

पैदल चलने के अनेक फायदे

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जीवनशैली : आजकल सभी के पास समय का अभाव है, लेकिन इसके बावजूद लोगों को नियमित दिनचर्या रखनी चाहिए। लोग फिट और दुरुस्त दिखना, रहना चाहते हैं लेकिन उसके लिये उपाय करने से डरते हैं, झिझकते हैं। जबकि स्वस्थ और सुंदर दिखने के लिये नियमित योग और व्यायाम करना ही चाहिए, चाहे जितना व्यस्त समय क्यों न हो। अगर योग, व्यायाम नहीं हो पाता तो कम से कम कुछ किलोमीटर पैदल चलने की आदत डालें। पैदल भी चलें तो जब तक चलें ध्यान से चलें, एकदम ध्यान लगाये रहें कि आप पैदल चल रहे हैं और आपको खूब मजा आ रहा है। पैदल चलते समय हमेशा जूता पहनने की आदत डालनी चाहिए जिससे कि पैरों में किसी तरह से चोट न लगे और पैदल चलने के आनंद में खलल भी न पड़े। पैदल चलने से न केवल तेजी से कैलोरी बर्न होती है बल्कि खाना भी अच्छे से पच जाता हैै। पैदल चलने से बीमारियां दूर होती हैं, मन मजबूत होता है। प्रतिदिन 20 मिनट पैदल चलने से ह्रदय रोग नहीं होता है, शरीर में में ग्लूकोज का मात्रा संतुलित रहती है। वहीं 80 मिनट तक पैदल चलने से घुटने, कूल्हे में दर्द से छुटकारा व पैरों में आई जकड़न दूर हो जाती है। स्वस्थ रहने और बीमारियों को दूर भगाने के...

महाशिवरात्रि पर बना रहा विशेष योग

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  शिवपूजन से पूर्ण होंगी मनोकामनाएं   आस्था : ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस वर्ष यानि 2021 में महाशिवरात्रि का पर्व फाल्गुन मास, कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी की तिथि को मनाया जाएगा। इस साल महाशिवरात्रि पर विशेष शुभ योग का निर्माण हो रहा है।, जो इस शिवरात्रि की महिमा में वृद्धि करता है. इस वर्ष महाशिवरात्रि के दिन शिव योग बन रहा है।फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी तिथि में चन्द्रमा सूर्य के नजदीक होता है। अत: इसी समय जीवन रूपी चन्द्रमा का शिवरूपी सूर्य के साथ योग होता है। अत: इस चतुर्दशी को शिवपूजा मनवांछित फल देने वाली होगी। शास्त्र के अनुसार फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी की रात्रि में आदिदेव भगवान शिव करोड़ों सूर्यों के समान प्रभाव वाले लिंग के रूप में प्रकट हुए थे, जिसका वर्णन कुछ इस प्रकार है— फाल्गुन कृष्ण चतुर्दश्याम आदिदेवो महानिशि।  शिवलिंगतयोद्भूत: कोटिसूर्य समप्रभ:॥ 11 मार्च को शुभ मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 8 मिनट से 12 बजकर 55 तक रहेगा। महाशिवरात्रि पर भगवान शिव की पूजा प्रहर पूजा का विधान भी है। महाशिवरात्रि पर भगवान की पूजा रात्रि के समय चार प्रहर में करने से विशेष फल प्राप्त होता है। भग...

महाभारत की अम्बा

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      फाइल फोटो कथा : काशीराज इन्द्रद्युम्न की तीन कन्याओं में ज्येष्ठ कन्या थी अम्बा। काशी की राजकुमारी अम्बा का नाम बेहद साहसी महिला के रूप में लिया जाता है। अम्बा की दो बहनें थीं, जिनका नाम अम्बिका व अम्बालिका था। काशी के राजा ने अपनी तीन बेटियों अम्बा, अम्बिका और अम्बालिका का स्वयंवर रखा जिसमें उसने उस क्षेत्र के हर राजा को आमंत्रित किया लेकिन कुरु वंश को आमंत्रण नहीं भेजा। भीष्म पितामह ये जानकर क्रोधित हो उठे और स्वयंवर में घुस गए। उन्होंने अकेले ही सभी राजाओं और क्षत्रियों को परास्त कर दिया और तीनों राजकुमारियों अम्बा, अम्बिका और अम्बालिका का हरण करके हस्तिनापुर ले आए। भीष्म पितामह सत्यवती के पुत्र विचित्रवीर्य से अम्बा का विवाह करना चाहते थे, लेकिन अम्बा मन ही मन राजा शाल्व (वृषपर्वा के छोटे भाई अजक के अंश से उत्पन्न मार्तिकावत के क्षत्रिय नरेश) को अपना पति मान चुकी थीं और जब यह बात उन्होंने भीष्म को बताई, तब भीष्म ने अम्बा को वापस राजा शाल्व के पास भेज दिया, लेकिन राजा शाल्व ने उन्हें स्वीकार करने से इन्कार कर दिया। अम्बा ने वापस आकर भीष्म से विवाह करने...

सिर्फ जरूरी शब्द ही बोलें

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प्रेरक कथा : पिता व पुत्र रेलगाड़ी से यात्रा कर रहे थे। पुत्र की उम्र करीब 24 साल की थी, पुत्र ने खिड़की के पास बैठने की जिद की, क्योंकि पिता खिड़की की सीट पर बैठे थे। पिता ने खुशी से खिड़की की सीट बेटे को दे दी और खुद बगल में बैठ गये। ट्रेन में आस.पास और भी यात्री बैठे थे, ट्रेन चली तो पुत्र उत्सुकता से चिल्लाने लगा देखिये पिता जी, नदी, पुल, पेड़ पीछे जा रहे हैं, बादल भी पीछे छूट रहे है। पिता भी उसकी हाँ में हाँ मिला रहे थे। उसकी ऐसी हरकतों को देखकर वहां बैठे यात्रियों को लगा कि शायद इस लड़के को कोई दिमागी समस्या है, जिसके कारण यह ऐसी हरकत कर रहा है। पुत्र बहुत देर तक ऐसी अजीबोगरीब हरकतें करता रहा। तभी पास बैठे एक यात्री ने पिता से पूछा कि आप अपने पुत्र को किसी अच्छे डॉक्टर को क्यों नही दिखाते, क्योंकि उसकी हरकत सामान्य नहीं है, हो सकता है की कोई दिमागी बीमारी हो। उस यात्री की बात सुनकर पिता ने कहा कि हम अभी डॉक्टर के पास से ही आ रहे हैं। पिता की बात सुनकर यात्री को आश्चर्य हुआ। पिता ने बताया कि मेरा पुत्र जन्म से ही नेत्रहीन था। कुछ दिन पहले ही इसको आँखों की मिली है, इसे किसी दूसरे की...

भारतीय जीवनशैली से स्वयं को बनायें ऊर्जावान

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विचार : आज के बदलते युग में किसी के पास समय नहीं है, सभी अपने कार्यों में व्यस्त हैं, जिनके पास कार्य नहीं है वह स्मार्ट फोन व टेलीविजन देखने में व्यस्त हैं। कहा जाता है कि नये डिजिटल एसेसरीज तनावमुक्त के साधन हैं लेकिन यह एकदम झूठ है। इलेक्ट्रानिक, डिजिटल व सोशल मीडिया के माध्यम से समाज में जो बातें दिखायी फैलायी जा रही हैं उससे समाज में सिर्फ और सिर्फ विघटन व तनाव ही पैदा हो रहा है। कोई देश को इस्लामिक कंट्री बनाना चाहता है तो कोई क्षेत्रवाद व भाषावाद के जाल में फंसता चला जा रहा है। आजकल तो देश की दीवानगी न तो युवाओं में दिखायी दे रही है और न ही राजनेताओं में। सिर्फ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ही ऐसा संगठन है जो देशहित के लिये कार्य कर रहा है लेकिन इस कार्य में भी अपने लोग ही बाधा डाल रहे हैं, जिससे समाज में तनाव बढ़ रहा है। हालांकि संघ के उच्च विचारों के तहत वह तनाव फूट नहीं पा रहा है अन्यथा समाज का और नुकसान होने से कोई बचा नहीं सकता। आजकल अनियमित जीवनशैली भी मानव जीवन में अति दुर्भावना व निराशा पैदा कर रही है। मानव जीवन को खुशहाल बनाने के लिये निम्न बातों का पालन किया जा सकता है। — स...

उच्चतम न्यायालय के चर्चित फैसले

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विचार : श्रीराम मंदिर का फैसला सर्वोच्च न्यायालय ने राम भक्तों के पक्ष में सुनाकर जिस तरह से सुर्खियां बटोरी, वह सर्वविदित है। अभी हाल ही में एक और फैसला शीर्ष अदालत का आया है, जो समाचार पत्रों ने पहले पृष्ठ पर छापा था। उच्चतम न्यायालय ने एक मार्च 2021 को नाबालिग लड़की से दुष्कर्म के 23 साल के आरोपी से पूछा कि क्या वह दुष्कर्म पीड़िता से शादी करने के लिए तैयार है। न्यायमूर्ति शरद अरविंद बोबडे की अध्यक्षता वाली न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और न्यायमर्ति वी रामसुब्रमण्यम की बेंच ने याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व कर रहे अधिवक्ता आनंद दिलीप लेंगडे से पूछा कि क्या आप उनसे शादी करेंगे। इस सवाल पर अधिवक्ता आनंद ने जवाब दिया कि उन्हें अपने मुवक्किल से निर्देश लेने की जरूरत है और इसके लिए शीर्ष अदालत से समय मांगा। न्यायमूर्ति ने कहा कि सरकारी कर्मचारी होने के नाते याचिकाकर्ता को अपने कुकृत्यों के नतीजों के बारे में सोचना चाहिए था। हालांकि न्यायमूर्ति ने जोर देकर कहा कि अदालत याचिकाकर्ता को लड़की से शादी करने के लिए मजबूर नहीं कर रही है। मामले में दोबारा सुनवाई के दौरान आरोपी व याचिकाकर्ता के वकील ने न...

कच्चा खाएंगे या पक्का!

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  बोध कथा : एक बार सरदार वल्लभ भाई पटेल संत विनोवा भावे के आश्रम गये। भोजन के समय किसी उत्तर भारतीय साधक ने, जो आश्रम की भोजन व्यवस्था से जुड़ा था, सरदार पटेल के आश्रम के विशिष्ट अतिथि होने के नाते उनसे पूछा कि उनके लिये रसोई पक्की होगी या कच्ची? सरदार पटेल कुछ समझ नहीं पाये। उन्होंने साधक से इसका अभिप्राय पूछा, तो साधक ने कहा कि आप कच्चा खाना खायेंगे या पक्का। सरदार पटेल ने छूटते ही कहा, 'भाई! कच्चा क्यों खायेंगे? पक्का ही खायेंगे। बात पक्की हो गई। खाते समय सरदार पटेल की थाली में पूरी, कचौरी, मिठाई जैसी चीजें परोसी गईं तो उन्होंने सादी रोटी और दाल की माँग की। इस पर वह साधक बोला कि आपके निर्देशानुसार ही तो पक्की रसोई बनायी गयी है। सरदार पटेल इस घटना के बाद से ही उत्तर भारत की कच्ची और पक्की रसोई के अंतर को समझ पाये। दिलचस्प यह कि सरदार पटेल हमेशा सादा व सात्विक भोजन ही लेते थे। साथ ही वह सादा जीवन उच्च विचार में विश्वास रखते थे।

जरूरतमंदों की सेवा

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प्रेरक कथा : अमेरिका में भ्रमण व भाषणों के बाद स्वामी विवेकानन्द अपने निवास स्थान पर आराम कर रहे थे। अपने हाथों से भोजन पकाकर वे खाने की तैयारी कर ही रहे थे कि कुछ बच्चे उनके पास आकर खड़े हो गए। उनके अच्छे व्यवहार के कारण बहुत बच्चे उनके पास आते थे। बच्चे भूखे मालूम पड़ रहे थे, उनकी हालत देख स्वामी विवेकानन्द ने अपना सारा भोजन उनमें बाँट दिया। वहां पर एक महिला बैठी ये सब देख रही थीं। उसने बड़े ही आश्चर्य से पूछा कि आपने अपनी सारी रोटियां तो इन बच्चों को दे डाली, अब आप क्या खाएंगे। विवेकानंद ने कहा कि माता! रोटी तो मात्र पेट की ज्वाला शांत करने वाली वस्तु है। इस पेट में न सही तो उनके पेट में ही सही। आखिर ये सब बच्चे भगवान के अंश ही तो हैं, देने का आनंद पाने के आनंद से बहुत बड़ा है। स्वयं से अधिक दूसरे जरूरतमंदों का ख्याल रखना ज्यादा आनन्ददायी होता है।

वृष राशि : उत्तम रहेगा मार्च 2021

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ज्योतिष : वृषभ राशि वालों के लिये मार्च 2021 उत्तम रहेगा, खास कर उद्योग करने वाले लोगों के लिए। छात्रों को सफलता मिलने के आसार और रोगियों को स्वास्थ्य लाभ मिलेगा। मिथुन राशि से निकल कर राहु 23 सितम्बर 2020 से 12 अप्रैल 2022 वृष राशि में ही रहेगा। वृष राशि के लोग सहनशील व कर्मठ होते हैं, मेहनत से इन्हें संतुष्टि मिलती है। हमेशा शांत स्वभाव के ऐसे पुरूष सादा जीवन उच्च विचार पसंद करते हैं। वहीं वृष राशि की महिलाएं व्यवहार से उदार होती हैं। वृष राशि की महिलाओं को वे पुरूष पसंद आते हैं जो इनके साथ एक बेहतर तालमेल बनाकर चलें। वृष की राशि का स्वामी शुक्र होने के कारण इस राशि वाले जातक दिखने में बहुत आकर्षक व सुंदर होते हैं। वृष राशि वालों को देवी लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए। 2021 में शनि मकर राशि में संचार करेगा, जिससे वृष राशि के जातकों पर अवश्य ही प्रभाव पड़ेगा।

समर्पण का सम्मान

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  प्रेरक कथा : एक बार की बात है, एक राजा अपने महल में भोजन कर रहा था, तो अचानक खाना परोस रहे सेवक के हाथ से गिरकर थोड़ी सी सब्जी राजा के कपड़ों पर छलक गई। इससे कपड़ा तो खराब हुआ ही गुस्सैल राजा की त्यौरियां चढ़ गयीं। सेवक ने उसकी मुखमुद्रा देखी तो बहुत घबरा गया, लेकिन शीघ्र ही उसने खुद को संभाला और कुछ सोच समझ कर अपने प्याले की बची सारी सब्जी भी राजा के कपड़ों पर उड़ेल दी। अब तो राजा अति क्रोधित हुआ, राजा ने गुस्से में सेवक से पूछा, 'यह क्या बदतमीजी है? तुमने ऐसा करने का दुस्साहस कैसे किया? सेवक ने शांत भाव से उत्तर दिया—महाराज! आपका गुस्सा बढ़ता देखकर मैंने पहले ही समझ लिया था कि अब मेरी जान नहीं बचेगी। लेकिन फिर मैंने सोचा कि ऐसा हुआ तो लोग कहेंगे कि राजा ने छोटी-सी गलती पर एक समर्पित सेवक को मौत की सजा दे दी। लोग ऐसा कहते तो स्वाभाविक ही आपकी बदनामी होती। इसलिए मैंने सोचा कि सारी सब्जी ही आप पर उड़ेल दूं। ताकि दुनिया आपको बदनाम न करे और मुझे ही अपराधी समझे। राजा को सेवक के जबाव में एक गंभीर संदेश के दर्शन हुए और पता चल गया कि सेवक भाव कितना कठिन है। जो समर्पित भाव से सेवा करता ...