जगदम्बा की सच्ची उपासना

प्रेरक कथा। गौरी मां श्रीरामकृष्ण देव की शिष्या थीं। उच्च कोटि की साधिका होने के कारण ठाकुर के शिष्यों में उनका बड़ा सम्मान था। एक बार वह अपने आश्रम में बालिकाओं को पढ़ा रही थीं। कोई व्यवधान न डाले, इसलिए दरवाजे पर रहने वाले सेवक को कहला दिया कि कोई मुझसे मिलने आए तो कहा देना, गौरी मां जगदम्बा की उपासना कर रही हैं। संयोग से थोड़ी देर बाद स्वामी विवेकानंद उनसे मिलने के लिये आ गये। सेवक ने उन्हें भी वही रटा रटाया जवाब दिया, लेकिन वह गौरी मां से मिलने अंदर चले गये, अंदर जाकर उन्होंने देखा, गौरी मां पूर्ण तन्मयता से कन्याओं को पढ़ा रही हैं। वह काफी देर तक यों ही खड़े रहे। बाद में जब गौरी मां की नजर उन पर पड़ी, तो विवेकानंद ने कहा, उस सेवक ने मुझे ठीक ही बताया था, यही जगदम्बा की सच्ची उपासना है।


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