पापी के शरीर को स्पर्श नहीं करता वसुंधरा झरने का जल

आस्था। मान्यताओं के अनुसार देवभूमि उत्तराखंड में भगवान शिव का निवास है, यहां केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री आदि तमाम तीर्थस्थल स्थित हैं। पांडवों ने स्वर्ग के लिए भी इसी स्थान से प्रस्थान किया था, इसके अलावा गंगा, यमुना और सरस्वती नदी का उद्गम स्थान भी उत्तराखंड ही है। वसुंधरा झरना बद्रीनाथ धाम से 8 किलोमीटर दूर है, यह झरना 400 फिट की ऊंचाई से गिरता है और गिरते हुए इसका पानी मोतियों की तरह नजर आता है। उंचाई से गिरने के कारण इसका पानी दूर-दूर तक पहुंचता है, परंतु अगर कोई पापी इसके नीचे खड़ा हो जाए तो झरने का पानी उस पापी के शरीर से स्पर्श तक नहीं करता। बद्रीनाथ धाम जाने वाले श्रद्धालु इस झरने का दर्शन जरूर करते हैं, इसे बहुत पवित्र झरना कहा जाता है। वसुंधरा झरने के पानी में कई तरह के औषधीय गुण मौजूद हैं। इस झरने का पानी जिस व्यक्ति के शरीर पर गिरता है, उसके रोग दूर हो जाते हैं। विदेशों से भी तमाम पर्यटक वसुंधरा झरने के चमत्कार को देखने के लिए उत्तराखंड जाते हैं। वसुंधरा झरना इतना ऊंचा है कि पर्वत के मूल से पर्वत शिखर तक पूरा झरना एक नज़र में नहीं देखा जा सकता।

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