हारे हुये विधायकों व मंत्रियों को 'एमएलसी' नहीं बनाएगी भाजपा
विचार। बीते शनिवार को उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में मुख्यमंत्री आवास पर बैठक हुई। बैठक में भारतीय जनता पार्टी ने स्थानीय निकाय के एमएलसी के नाम तय कर लिए हैं। इनमें सपा से आए कुछ एमएलसी को ही टिकट दिया जाएगा, बाकी भाजपा कार्यकर्ताओं के नाम पर मुहर लगाई गई है। मंगलवार यानि 15 मार्च को सूची जारी करने की खबर है। उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत के बाद अब भाजपा का अगला लक्ष्य एमएलसी चुनाव में जीत हासिल करना है। विधानसभा चुनाव में जोरदार तरीके से हारने वाली सपा विधान परिषद की सीटों को बचाए रखने की तैयारी में है। उत्तर प्रदेश में एमएलसी चुनाव को लेकर राजनीति गर्माने लगी है, तमाम नेता टिकट पाने के लिए अभी से कोशिशों में जुट गए हैं। मिली जानकारी के अनुसार भाजपा इस बार के विधान परिषद चुनाव में हारे हुए नेताओं को मौका नहीं देगी और देना भी नहीं चाहिए। हारे हुये विधायकों व मंत्रियों को स्वयं पीछे हट जाना चाहिए, आखिर किस मुंह से एमएलसी बनेंगे ऐसे हारे हुए विधायक और मंत्री। पद पाने के लिये मेहनत करनी पड़ती है। खबर यह भी है कि हारे हुये विधायक व मंत्री अपने क्षेत्रों में प्रभावी ढंग से कार्य नहीं कर पाये। भाजपा की प्रचंड जीत के बावजूद कई ऐसे उम्मीदवार रहे जो जीत का स्वाद नहीं चख पाए। ऐसे हारे विधायकों, मंत्रियों को भाजपा एमएलसी नहीं बनाएगी। भाजपा ने पार्टी के अन्य कार्यकर्ताओं को अवसर देने का फैसला लिया है। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में विधान परिषद की 36 सीटों पर चुनाव होने वाला है। इन चुनावों के लिए मतदान 9 अप्रैल को होगा और इसके नतीजे 12 अप्रैल को घोषित किए जाएंगे, इस बीच भाजपा के हारे दिग्गज भी विधान परिषद की सीढ़ी के सहारे सदन में पहुंचने की आस देख रहे थे, जिन्हें पार्टी ने अपने फैसले से झटका दे दिया है। भाजपा के 11 मंत्रियों को हार का सामना करना पड़ा है, शामली से भाजपा के जाने-माने नेता सुरेश राणा, बरेली जिले की बहेड़ी विधान सभा सीट से पूर्व राज्य मंत्री छत्रपाल सिंह गंगवार, राजेंद्र प्रताप सिंह उर्फ मोती सिंह प्रतापगढ़ जिले की पट्टी विधान सभा सीट से, चंद्रिका प्रसाद उपाध्याय चित्रकूट सीट से, आनन्द स्वरूप शुक्ला को बलिया जिले की बैरिया सीट, बलिया जिले की ही फेफना सीट पर खेल मंत्री उपेंद्र तिवारी, फतेहपुर जिले की हुसैनगंज सीट पर भाजपा उम्मीदवार रणवेन्द्र सिंह धुन्नी, औरैया जिले की दिबियापुर सीट से लाखन सिंह राजपूत, सिद्धार्थनगर जिले की इटवा सीट से सतीश चंद्र द्विवेदी को हार का सामना करना पड़ा। खुद पूर्व उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य भी अपनी सीट नहीं बचा सके। बता दें कि मुलायम सिंह यादव के कार्यकाल में 2004 में हुए चुनाव में समाजवादी पार्टी 36 में 24 सीटों पर काबिज हुई थी। बसपा के पास एक भी सीट नहीं थी। 2010 में जब इन सीटों पर चुनाव हुए तो बसपा सत्ता में थी। उसने 36 में 34 सीटें जीतकर लगभग क्लीन स्वीप कर लिया था। इसके बाद फरवरी-मार्च 2016 में अखिलेश यादव के मुख्यमंत्री रहते चुनाव हुए तो सपा 31 सीटें जीत गई थी।
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