वैदिक पूजन में अनामिका उंगली का विशेष महत्व
ज्योतिष। शास्त्रों में अनामिका उंगली को अत्यधिक पावन माना गया है। शास्त्र के अनुसार अनामिका अंगुली पर स्वयं भगवान शंकर का वास माना जाता है। यही कारण है कि भगवान शिव और उनके परिवार के सदस्यों से सम्बन्धित मंत्रों का जाप भी रुद्राक्ष की माला पर किया जाता है। महामृत्युंजय और लघु मृत्युंजय मंत्र का जाप सिर्फ रुद्राक्ष की माला पर किया जाना चाहिए। पूजा अनुष्ठान आदि धार्मिक कार्यों में अनामिका उंगली में कुशा से बनी पवित्री धारण करने का विधान है। अनामिका उंगली मान, अभिमान रहित और यश और कीर्ति की सूचक है। अनामिका उंगली का उपयोग सर्वथा वैदिक पूजन के समय किया जाता है क्योंकि यह उंगली सूर्य का प्रतीक भी है। अनामिका उंगली से ही देवगणों को गंध और अक्षत अर्पित किया जाता है। बता दें कि तीसरी अंगुली अर्थात मध्यमा और कनिष्ठिका के बीच की अंगुली को अनामिका कहते हैं। अनामिका उंगली सीधे हृदय से जुड़े होने के कारण पश्चिमी सभ्यता में भी अनामिका उंगली को रिंग फिंगर कहा गया है, जिस उंगली में अंगूठी पहनना सर्वथा मान्य माना गया है। ज्योतिषीय दृष्टि से इस उंगली पर बने चक्र से व्यक्ति चक्रवर्ती बनता है।
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