चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के ​दिन सृष्टि में होता है विशेष परिवर्तन

ज्योतिष। सनातन धर्म में चैत्र मास का विशेष महत्व है। चैत्र ऐसा माह है, जिसमें धूल, कीचड़ नहीं होता और प्रकाश की कमी नहीं होती। धरती से लेकर आकाश तक सर्वत्र शुद्धता और आलोक फैला होता है। यह चैतन्य और दिव्य भाव प्रत्येक प्राणी के जीवन में प्रवेश करता है। चैत्र माह से ही हिंदू पंचांग का नया वर्ष शुरू होता है, साथ ही नए संवत्सर की शुरुआत भी। इस वर्ष यानि 2022 में चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 2 अप्रैल से होगी। मान्यता है कि यदि नवरात्रि की शुरुआत रविवार अथवा सोमवार से हो रहा होता है तो मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर धरती पर आती हैं और यदि मंगलवार व शनिवार के दिन नवरात्रि का प्रारंभ होता है तो मां दुर्गा भवानी घोड़े की सवारी करके पृथ्वी पर आती हैं। वहीं जब नवरात्रि गुरुवार और शुक्रवार के दिन से प्रारंभ होती हैं तो मां भगवती दुर्गा डोली में बैठकर पृथ्वी पर आती हैं। बता दें कि 2022 में चैत्र नवरात्रि की शुरुआत शनिवार के दिन हो रहा है, इसीलिए मां दुर्गा भवानी इस बार घोड़े की सवारी करके पृथ्वी लोक में आएंगी। वहीं इस बार चैत्र नवरात्रि की अवधि में ग्रहों के राशि परिवर्तन के साथ कुछ ऐसे योग बन रहें हैं जो कुछ राशियों के लिए साल भर के लिए परेशानी दे सकते हैं। चैत्र नवरात्रि में शनि और मंगल का गोचर खास तौर पर प्रभावित करने वाला है।शनि और मंगल का मकर राशि में गोचर होगा। शनि-मंगल की युति के दौरान कन्या, कर्क और धनु राशि वालों को विशेष सावधान रहने की जरुरत है। वहीं इस युति योग से मेष, मकर और कुम्भ राशि वालों को विशेष लाभ मिलेगा। इसके अलावा मीन राशि में सूर्य, बुध के साथ मेष राशि में चंद्रमा, वृषभ में राहु और वृश्चिक में केतु रहेंगे, जो कि लाभकारी सिद्ध होगी। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से साल का आरम्भ माना जाता है। यह सृष्टि का पहला दिन है। परम पुरुष जब अपनी प्रकृति से मिलने आते हैं, तो वह वसंत में चैत्र का माह होता है, इनके मिलन से ही प्रकृति में ऊष्णता, पेड़-पौधों एवं जीव-जंतुओं में नवजीवन का संचार हो जाता है। इसलिए सारा संसार चैत्र का मंगल गीत गाता है। चैत्र महीने का यह प्रकटीकरण जम्मू-कश्मीर में नवरेह, पंजाब में बैशाखी, महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा, सिंध में चेतीचंड, केरल में विशु, असम में बिहू, आंध्र में उगादिनाम तथा भोजपुरी भाषी राज्यों में सतुआन के रूप में होता है।
 



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