प्यास बुझाने के लिये महिला ने खोदा 35 फिट गहरा कुआं

झांसी। जिले के बबीना में रहने वाली इमरती ने अपनी साथी महिलाओं के साथ मिलकर करीब 4 माह में कुंआ खोद डाला। इमरती के अनुसार जब गांव में बाकी लोग आराम करते थे। उस समय महिलाएं पानी का इंतजाम करने के लिए खोदाई करने में लगी रहती थीं। सरकारी अधिकारी तो कई बार आए और गए लेकिन कुछ समय पहले परमार्थ समाजसेवी संस्था के लोग उनके गांव में आए। यह संस्था जल संरक्षण का कार्य करती है। इमरती ने जब उन लोगों को अपनी समस्या के बारे में बताया तो उन्होंने गांव में एक कुआं खोदने की सलाह दी। कुआं खोदने की इस बात पर गांव वाले तैयार नहीं हुए तो इमरती ने अकेले ही कुआं खोदने का फैसला कर लिया। यह फैसला इतना आसान नहीं था। शुरुआत में इमरती को काफी विरोध का सामना करना पड़ा। गांव के पुरुषों और महिलाओं ने इमरती का साथ नहीं दिया। कई बार पुरुषों ने उन्हें धमकाया भी। उसे पीटा गया, इमरती को उसके पति ने छोड़ने की धमकी तक दे दी। इन सब विरोधों के बावजूद भी इमरती पीछे नहीं हटी और 4 महीने में उन्होंने 30 फिट गहरा कुआं खोद डाला। उसने बताया कि खोदने से लेकर मिट्टी निकालने तक के पूरे काम महिलाएं ही करती थीं और सभी के पति उन्हें प्रताड़ित करने का कार्य कर रहे थे। इमरती के इसी जज्बे और बहादुरी को सम्मानित करते हुए केंद्र सरकार ने उन्हें 51 हजार रुपये की धनराशि से सम्मानित किया था। विश्व जल दिवस के अवसर पर परमार्थ समाजसेवी संस्था व बुंदेलखंड जल संरक्षण समिति द्वारा भी इमरती को सम्मानित किया गया। इसके अलावा भी इमरती को कई मंचों पर सम्मानित किया जा चुका है। गौरतलब है कि जल संरक्षण के लिए पानी की एक-एक बूंद को बचाना होगा, पानी की प्रत्येक बूंद को बचाने के लिए नदियों एवं जल स्रोतों को स्वच्छ करना होगा।

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