अमन्त्रम अक्षरं नास्ति...

सुभाषित
सर्व धर्म समा वृत्तिः, सर्व जाति समा मतिः।
सर्व सेवा परानीति रीतिः संघस्य पद्धति।
भावार्थ :
सभी धर्मों के साथ समान वृत्ति सभी जातियों के साथ समानता की मति बुद्धि , सभी लोगों के साथ परायणता का व्यवहार संघ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पद्धति है।
अमन्त्रम अक्षरं नास्ति, मूलमनौषधं।
अयोग्य पुरुषः नास्ति, योजकस्त्र दुर्लभः।
भावार्थ :
ऐसा कोई अक्षर नहीं जिसका मंत्र न बन सके। ऐसी कोई जड़ी–बूटी नहीं जिसकी औषधि न बन सके, ऐसा कोई व्यक्ति नहीं जिसे अयोग्य करार दिया जाए। केवल उचित योजक होना ही दुर्लभ है।

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