शरारती बच्चे और अनुभवी वृद्ध

 


बोधकथा। एक बार की बात है दो किशोर शरारती बच्चों ने तय किया कि एक वृद्ध की परीक्षा ली जाये और उसे हर हाल में गलत साबित करना है, यानि कि बच्चों ने तय किया कि हम लोग वृद्ध से ऐसा प्रश्न पूछेंगे कि वह बता न पाये। काफी सोच-विचार के बाद दोनों बच्चों ने तीन सवाल चुने। दोनों किशोर बच्चों ने तय किया कि हम एक छोटी चिड़िया को पीठ के पीछे पकड़कर वृद्ध से पूछेंगे कि हमारे हाथ में क्या है? वह बूढ़ा आदमी जवाब देगा, पक्षी है, लेकिन यह कोई मुश्किल सवाल नहीं हुआ, किशोर लड़के एकदूसरे से बोले। इसके बाद दूसरा प्रश्न हम लोग यह पूछेंगे कि हमारे हाथ में कौन सा पक्षी है? वृद्ध कहेगा, चिड़िया है, लेकिन यह भी आसान सवाल है’ वे दोनों फिर एकदूसरे से बोले, लेकिन इसके बाद का तीसरा सवाल निश्चित हुआ मुश्किल वाला। बच्चों ने तय कि कि सबसे बाद में हम पूछेंगे, यह चिड़िया जीवित है या मरी हुई है? अब अगर वृद्ध ने जवाब दिया कि मरी हुई है तो जवाब गलत होगा, क्योंकि चिड़िया तो जीवित रहेगी और यदि वृद्ध ने कहा कि जीवित है तो फिर जवाब गलत होगा, क्योंकि तब हम उस चिड़िया को वहीं के वहीं दबा कर मार डालेंगे। दोनों बच्चे बहुत प्रसन्न हुए क्योंकि उन्हें सवाल ही ऐसा मिला था जिसका कोई भी उत्तर गलत होने वाला था। फिर एक छोटी सी चिड़िया लेकर दोनों बच्चे उस वृद्ध आदमी के पास पहुँचे और योजनाबद्ध तरीके से पीठ के पीछे हाथ रखकर उन्होंने पहला प्रश्न पूछा कि हमारे हाथ में क्या है? वृद्ध ने तुरंत उत्तर दिया कि पक्षी है। उन्होंने दूसरा प्रश्न पूछा कि कौन सा पक्षी? वृद्ध ने बोला-चिड़िया है। अब बच्चों ने तीसरा प्रश्न बड़ी उत्सुकता से पूछा कि यह चिड़िया मरी हुई है या ज़िंदा? अनुभवी और वृद्ध आदमी थोड़ा ठिठका, रुका और फिर कहा-यह तुम्हारे हाथ में है। यानि वृद्ध के कहने का तात्पर्य यह था कि ​कोई आपकी उलझन, समस्या नहीं सुलझा सकता है, आप अपना जीवन सुखी बिताना चाहते हैं या दु:खी, यह आपके हाथ में है।

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