झगड़ा और विवाद से बचें
बोधकथा। एक आदमी टैक्सी से कार्यालय से घर जा रहा था। टैक्सी चालक बड़े ही सावधानी से टैक्सी चला रहा था। सामने से एक दूसरी टैक्सी बहुत ही तेज गति से आती है और उस टैक्सी से टकराते-टकराते बाल-बाल बचती है। तेज गति से चलाने वाला टैक्सी चालक की गलती होने के बावजूद वह दूसरे टैक्सी ड्राइवर से ऊंची आवाज में बात करता है और उस पर चिल्लाता है। वह टैक्सी चालक मंद मुस्कुराता है और कोई भी प्रतिक्रिया दिये बिना चला जाता है। टैक्सी में बैठा हुआ व्यक्ति आश्चर्यचकित हो जाता है, वह टैक्सी वाले को कहता है आपको कितना बुरा भला कहा आपने कुछ क्यों नहीं कहा? उल्टा आपको सुनाना चाहिए था, आपने कुछ भी नहीं कहा और मुस्कुराते हुए उसे जाने क्यों दिया? टैक्सी चालक कहता है इस जीवन के भागदौड़ में सभी लोग उलझे हुए हैं। कोई आर्थिक संकट से जूझ रहा है, कोई व्यक्ति कुटुंब में चल रहे वाद विवाद के कारण मानसिक तनाव से परेशान है, उन्हें सही, गलत से कोई मतलब नहीं, बस वे सिर्फ अपना अपना गुस्सा निकालने का मौका ढूंढते हैं। मैं उनकी परेशानी में पड़ना नहीं चाहता, इसलिए मैं मुसकुरा देता हूं, जिससे मेरा दिमाग ठंडा रहता है, सामने वाले को उलझने का मौका भी नहीं देता और ऐसे में झगड़ा और विवादों से मैं बच जाता हूं।
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