सोनिया गांधी ने कहा-पूंछो कितने सवाल पूछने हैं!

विचार। देश को तबाह करने वाली कांग्रेस पार्टी को भारतीय जनता पार्टी अच्छे से सबक सिखा रही है, लेकिन कांग्रेस के लोग भ्रष्टता और बेइमानी छोड़ नहीं पा रहे हैं। सरकार में थे तो नित नये घोटाले होेते थे, लेकिन अब विपक्ष में हैं तो कांग्रेस के देश व विकास विरोधी बयान व कृत्य दिन-ब-दिन देखे, पढ़े व सुने जा सकते हैं। नया मामला नेशनल हेराल्ड का है, जिसमें प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों ने आज यानि 21 जुलाई 2022 को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से करीब 3 घंटे पूछताछ की। सोनिया गांधी को फिर से पूछताछ के लिए 25 जुलाई को बुलाया गया है। सोनिया गांधी से 25 से अधिक सवाल पूछे गए, इसके बाद उन्होंने अपनी दवा के लिए घर जाने को कहा। उधर, कांग्रेस पार्टी के महासचिव जयराम रमेश के अनुसार प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों ने कहा कि हमारे पास कोई सवाल नहीं है, आप जा सकती हैं, लेकिन सोनिया जी ने कहा कि आपके जितने सवाल हैं, पूछिए, मैं रात 8-9 बजे तक रुकने को तैयार हूं। सोनिया गांधी ने पूंछतांछ खत्म करने के लिए कोई निवेदन नहीं किया था। सोनिया गांधी से पूछताछ की अगुआई महिला अफसर मोनिका शर्मा ने की, मोनिका शर्मा एडिशनल डायरेक्टर के पद पर कार्यरत हैं। प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों ने पूछताछ के दौरान सोनिया गांधी की तबीयत का भी ख्याल रखा। उनके लिए एक मेडिकल ऑफिसर को दूसरे कमरे में बैठाया गया था। वहां प्रियंका गांधी भी मौजूद थीं। इस दौरान प्रियंका ने सोनिया से दो बार मुलाकात भी की। सोनिया के वकीलों को पूंछतांछ के दौरान मौजूद रहने की अनुमति नहीं दी गई। बता दें कि प्रवर्तन निदेशालय ने सोनिया गांधी को पहले भी समन भेज चुकी है, लेकिन खराब स्वास्थ्य का हवाला देते हुए सोनिया ने ईडी से समय मांगा था। सोनिया गांधी इससे पहले ईडी की नोटिस पर बीते 8 जून, 11 जून और 23 जून को नहीं पहुंची थी। कांग्रेस ने खराब स्वास्थ्य का हवाला देते हुए पूंछतांछ के समय को टालने की मांग की थी। सोनिया गांधी से पूंछतांछ के विरोध में प्रदर्शन कर रहे 75 कांग्रेसी सांसदों को पुलिस ने हिरासत में लिया। इनमें मल्लिकार्जुन खड़गे, शशि थरूर, अजय माकन और पी चिदंबरम भी शामिल हैं। इनके अलावा राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और राज्य के पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट को भी हिरासत में लिया गया। हिरासत में लिए जाने के बाद सचिन पायलट ने कहा कि लोकतंत्र में एजेंसी का दुरुपयोग हो रहा है। उसके जवाब में हम अहिंसक तरीके से विरोध कर रहे हैं, ये हमारा अधिकार है। लोकतंत्र में विपक्ष की आवाज को दबाने का काम हो रहा है। वहीं राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि सरकार को अपने व्यवहार पर शर्म आनी चाहिए। ईडी घर जाकर भी सोनिया गांधी का बयान ले सकती थी, जैसा पहले भी होता आया है, लेकिन सरकार के कानून विपक्ष के लिए बदल जाते हैं। विपक्ष ने कहा- सरकार जानबूझकर पार्टियों के बड़े नेताओं को निशाना बना रही है। मोदी सरकार जांच एजेंसियों का गलत इस्तेमाल कर रही है। जबकि ऐसा नहीं है, मोदी सरकार संविधान के दायरे में रहकर कार्य कर रही है। केंद्रीय सरकारी एजेंसियों का इस्तेमाल तो कांग्रेसियों ने खूब किया, कई भाजपाइयों पर ईडी के अस्त्र से हमला किया लेकिन कांग्रेसी अपने मंसूबे में असफल रहे।
दरअसल, मामला नेशनल हेराल्ड नाम के अखबार से जुड़ा है, जो आजादी से पहले का अखबार रहा है। इस अखबार के प्रकाशन का जिम्मा प्रकाशन एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (Associated Journals Limited) नाम की कम्पनी के पास था, अखबार की शुरुआत 1938 में पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने की थी। इनके अलावा करीब 5 हजार स्वतंत्रता सेनानी भी इसके शेयर होल्डर थे, प्रकाशन एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड इसके अलावा दो और दैनिक अखबार निकालती थी, हिन्दी के समाचार पत्र का नाम नवजीवन और उर्दू भाषा वाले अखबार का नाम कौमी आवाज था। इस अखबार के जरिए स्वतंत्रता सेनानी अपनी आवाज को पुरजोर तरीके से उठाते थे, यही बात अंग्रेजों को नापसंद थी। इस तरह धीरे-धीरे यह अखबार स्वतंत्रता सेनानियों का मुखपत्र बन गया। 1942 में अंग्रेजों ने नेशनल हेराल्ड अखबार पर प्रतिबंध लगा दिया। नेशनल हेराल्ड को 1945 में दोबारा शुरू किया गया। 1947 में आजादी मिलने के बाद जवाहर लाल नेहरू ने अखबार के बोर्ड अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद अखबार लगातार प्रकाशित किया गया और कांग्रेस की नीतियों को जनता तक पहुंचाने का जरिया बना। 1962-63 में दिल्ली-मथुरा रोड रोड के 5-ए बहादुर शाह जफर मार्ग पर एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड को 0.3365 एकड़ जमीन आवंटित की गई। जमीन आवंटित करते हुए यह शर्त रखी गई कि इस भूमि पर बनने वाली बिल्डिंग का निर्माण किसी और काम के लिए नहीं किया जायेगा। 2008 में कांग्रेस की यूपीए सरकार सत्ता में थी, तब एक बार फिर इस अखबार का प्रकाशन घाटे की वजह से बंद किया गया। 2011 में घाटे में चल रही इस कंपनी की होल्डिंग यंग इंडिया लिमिटेड को ट्रांसफर कर दी गई। यंग इंडिया लिमिटेड की एंट्री यंग इंडिया लिमिटेड एक कम्पनी है। इसकी शुरुआत साल 2010 में हुई, राहुल गांधी तब समय कांग्रेस महासचिव थे और वही इस कम्पनी के डायरेक्टर भी बने थे, इसके सबसे ज्यादा 38-38 फीसदी शेयर राहुल गांधी और सोनिया गांधी के नाम थे, अन्य 24 प्रतिशत शेयर होल्डर में कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा, ऑस्कर फर्नांडीज, पत्रकार सुमन दुबे, और कांग्रेस नेता सैम पित्रोदा शामिल रहे। 2012 में भाजपा नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी ने आरोप लगाते हुए निचली अदालत में एक शिकायत दर्ज करवाई, उन्होंने कहा कि यंग इंडिया लिमिटेड द्वारा एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड के अधिग्रहण में धोखाधड़ी और विश्वासघात किया गया। इस धोखाधड़ी में कांग्रेस के कुछ नेता शामिल रहे। सुब्रह्मण्यम स्वामी ने शिकायत में लिखा कि यंग इंडिया ने एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड की दिल्ली-एनसीआर, लखनऊ, मुम्बई और दूसरे शहरों में मौजूद सम्पत्तियों पर कब्जा किया। सुब्रह्मण्यम स्वामी ने सोनिया गांधी और राहुल गांधी पर छल के जरिए सम्पत्ति पर अधिग्रहण करने का आरोप लगाया।

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