सावन के महीने में व्रत रखने से स्वस्थ रहता है मन और मस्तिष्क

आस्था। सावन का पवित्र महीना चल रहा है। इस माह में श्रद्धालु व्रत रखते हैं और भगवान शंकर का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिये रद्राभिषेक भी करते हैं, जो कि अति फलदायी होता है। सावन के महीने में कई ऐसे व्रत त्योहार पड़ते हैं जिनमें उपवास रखने की परंपरा बरसों से चली आ रही है। सावन के सोमवार, सावन शिवरात्रि, सावन में पडऩे वाला मंगला गौरी व्रत, हरियाली तीज इन सभी तिथियों पर उपवास रखा जाता है। श्रावण मास में व्रत रखने को विज्ञान भी मान्यता देता है। वहीं मान्यता है कि सावन महीने में भगवान शंकर अपनी तपस्या में लीन थे, सावन सोमवार का व्रत रखने से जीवन में सफलता और भगवान शंकर का आशीर्वाद मिलता है। बता दें कि सावन माह में हम लोगों की पाचन क्रिया कमजोर हो जाती है। सावन माह में पत्तेदार सब्जियां पालक, मेथी, लाल भाजी, बथुआ, गोभी, पत्तागोभी जैसी सब्जियां खाने से सेहत को नुकसान होता है, क्योंकि इनमें बैक्टीरिया और कीड़ों की संख्या बढ़ जाती है। सावन माह में व्रत नहीं रखने से आने वाले समय में किसी भी प्रकार का गंभीर रोग हो सकता है। व्रत का अर्थ पूर्णत: भूखा रहकर शरीर को सुखाना नहीं बल्कि शरीर को कुछ समय के लिए आराम देना और उसमें से जहरीले तत्वों को बाहर करना होता है। व्रत के दौरान फैट बर्निंग प्रॉसेस तेज हो जाती है। जिससे चर्बी तेजी से गलना शुरू हो जाती है और यदि कोई श्रद्धालु व्रत नहीं रखते हैं तो चर्बी बढ़ती रहती है और हड्डियों पर इसके कारण दबाव बनता है। इससे मानसिक क्षमता और हमारी दिमागी शांति पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। व्रत नहीं रखने से व्यक्ति की प्रतिरोधक क्षमता अर्थात इम्यून सिस्टम भी कमजोर हो जाता है जो कि किसी भी रोग से लडऩे के लिए जरूरी है। व्रत करने से नई रोग प्रतिरोधक कोशिकाओं के बनने में मदद होती है। इसके अलावा व्रत रखने के कई फायदे हैं। व्रत रखने का मूल उद्देश्य होता है संकल्प को विकसित करना। संकल्पवान मन में ही सकारात्मकता, दृढ़ता और एकनिष्ठता होती है। संकल्पवान व्यक्ति ही जीवन के हर क्षेत्र में सफल होता हैं। जिस व्यक्ति में मन, वचन और कर्म की दृढ़ता या संकल्पता नहीं है वह मृत समान माना गया है। संकल्पहीन व्यक्ति की बातों, वादों, क्रोध, भावना और उसके प्रेम का कोई भरोसा नहीं। बता दें कि आषाढ़ माह की एकादशी से संयम, व्रत, साधना के चातुर्मास शुरू हो जाते हैं। चातुर्मास के चार माह श्रावण, भाद्रपद, आश्विन और कार्तिक में से सावन माह में व्रत रखना धार्मिक दृष्टि से तो महत्वपूर्ण होता ही है, साथ ही सावन में व्रत रखना वैज्ञानिक दृष्टि से लाभप्रद होता है। बता दें कि पशु, पक्षी और अन्य सभी प्राणी समय समय पर व्रत रखकर अपने शरीर को स्वस्थ कर लेते हैं। शरीर के स्वस्थ होने से मन और मस्तिष्क भी स्वस्थ हो जाते हैं।

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