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डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार : हिंदू समाज के लिये सम्पूर्ण जीवन समर्पित

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विचार। डॉ॰ केशव बलिराम हेडगेवार का जन्म १ अप्रैल, १८८९ को महाराष्ट्र के नागपुर जिले में पण्डित बलिराम पन्त हेडगेवार के घर चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन हुआ था, माता का नाम रेवतीबाई था। डॉ. हेडगेवार भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन हिन्दू समाज व राष्ट्र के लिए समर्पित कर दिया था। डॉ. हेडगेवार पहले क्रांतिकारी थे, किंतु बाद में हिन्दू संगठनवादी बन गए। वे जीवन के अंतिम समय तक हिंदुओं को एकता के सूत्र में बांधने के लिए अथक प्रयत्न करते रहे। उन्होंने हिंदुओं के संगठन के लिए ही 'राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ' की स्थापना 1925 में विजयदशमी के दिन की थी। डॉ॰ केशव बलिराम हेडगेवार अपने जीवन के प्रारंभ और मध्य काल में क्रांतिकारी थे। उनका अरविंद घोष, भाई परमानंद, सुखदेव एवं राजगुरु आदि महान क्रांतिकारियों से सम्पर्क था। विद्यार्थी जीवन में उन्होंने 'वन्दे मातरम्' आंदोलन चलाया था। डॉ. हेडगेवार का मानना था कि शक्ति केवल सेना या शस्त्रों में नहीं होती, बल्कि सेना का निर्माण जिस समाज से होता है, वह समाज जितना राष्ट्रप्रेमी, नीतिमान और चरित्रवान संपन्न होगा, उतनी ...

अमन्त्रम अक्षरं नास्ति...

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सुभाषित सर्व धर्म समा वृत्तिः, सर्व जाति समा मतिः। सर्व सेवा परानीति रीतिः संघस्य पद्धति। भावार्थ : सभी धर्मों के साथ समान वृत्ति सभी जातियों के साथ समानता की मति बुद्धि , सभी लोगों के साथ परायणता का व्यवहार संघ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पद्धति है। अमन्त्रम अक्षरं नास्ति, मूलमनौषधं। अयोग्य पुरुषः नास्ति, योजकस्त्र दुर्लभः। भावार्थ : ऐसा कोई अक्षर नहीं जिसका मंत्र न बन सके। ऐसी कोई जड़ी–बूटी नहीं जिसकी औषधि न बन सके, ऐसा कोई व्यक्ति नहीं जिसे अयोग्य करार दिया जाए। केवल उचित योजक होना ही दुर्लभ है।

1563 साल बाद 2 अप्रैल को नवरात्र पर बनने वाला है दुर्लभ संयोग

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ज्योतिष। शास्त्र के अनुसार इस बार हिंदू नववर्ष की शुरुआत के मौके पर ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति न केवल रोचक बल्कि अति दुर्लभ रहेगी। ऐसी स्थितियां 1500 साल बाद बन रही हैं। नववर्ष की शुरुआत के मौके पर रेवती नक्षत्र और 3 राजयोग बन रहे हैं। इसके अलावा नए साल की शुरुआत के मौके पर मंगल अपनी उच्च राशि यानी मकर में, राहु-केतु भी अपनी उच्च राशि (वृषभ और वृश्चिक) में रहेंगे। वहीं शनि अपनी ही राशि मकर में रहेंगे। इस कारण हिंदू नववर्ष की कुंडली में शनि-मंगल की युति होने का शुभ योग बन रहा है। हिंदू नववर्ष के मौके पर ग्रहों का ऐसा शुभ संयोग करीब  1563 साल बाद बन रहा है। इससे पहले यह दुर्लभ योग 22 मार्च 459 को बना था। इस दुर्लभ शुभ योग का फायदा मिथुन, तुला और धनु राशि वाले लोगों को मिल सकता है। इन लोगों को यह योग पैसा और तरक्की दिलाएगा। उन्हें कोई अच्छी खबर भी मिल सकती है। निवेश से मनवांछित फल मिलेगा। बता दें कि हिंदू नववर्ष चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से शुरू होता है। इस दिन युगाब्ध ही नहीं बल्कि संवत भी बदलता है, युगाब्ध जहां 5124 होगा वहीं संवत बदलकर 2079 हो जायेगा। ऐसा दुर्लभ योग डेढ़ ह...

30 अप्रैल को 2022 का पहला सूर्यग्रहण, तीन राशियों के लिये बेहद शुभ

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ज्योतिष। 2022 का पहला सूर्यग्रहण 30 अप्रैल को लगेगा। यह सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा इसलिये इसका सूतक काल भी मान्य नहीं होगा। आंशिक सूर्यग्रहण होने के बाद भी इसका असर सभी राशि वालों पर पड़ेगा। यह ग्रहण दक्षिण अमेरिका, दक्षिण प्रशांत महासागर आदि जगहों पर दिखाई देगा। इस बार यह सूर्यग्रहण शनिवार के दिन पड़ रहा है, शनिवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या को शनिचरी अमावस्या कहते हैं। यह सूर्य ग्रहण 30 अप्रैल की रात 12 बजे से शुरू होगा। यह अवधि 3 राशि वालों के लिए बेहद शुभ है। पैसा मिलेगा। रुके हुए काम बनने लगेंगे। बता दें कि साल का पहला सूर्यग्रहण वृष राशि में लग रहा है। यह समय जातक के करियर में तरक्की दिलाएगा। कोई नया काम शुरू कर सकते हैं। कोई ऐसी शुभ घटना होगी, जो आपका जीवन ही बदल देगी। कारोबारियों को बड़ा मुनाफा होगा। सिंह राशि के जातकों के लिए यह समय धन लाभ कराएगा। उनकी आर्थिक स्थिति में मजबूती आएगी। लम्बी यात्रा पर जा सकते हैं। धनु राशि के जातकों के लिए यह समय नए अवसर दिलाएगा। जातकों को नई नौकरी मिल सकती है। सूर्यग्रहण के 15 दिन बाद 15 मई को साल का पहला चंद्रग्रहण भी लगेगा। वहीं साल...

अप्रैल 2022 में शनि समेत सभी 9 ग्रह बदलेंगे राशि, दुर्लभ संयोग

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   ज्योतिष। इस साल अप्रैल में ऐसी दुर्लभ स्थिति बन रही है कि इस महीने में सभी 9 ग्रह अपनी राशियां बदलेंगे। ऐसा संयोग बहुत कम बनता है जब एक ही महीने में सारे ग्रह राशियां बदलें। मंगल ग्रह 7 अप्रैल को मकर राशि से निकलकर कुम्भ राशि में प्रवेश करेंगे, 8 अप्रैल को बुध गोचर होगा, वे मीन राशि से निकलकर मेष राशि में प्रवेश रहेंगे और 24 अप्रैल को फिर से राशि बदलकर वृष राशि में पहुंचेंगे। 11 अप्रैल को राहु उलटी चाल चलते हुए वृष राशि से निकलकर मेष में प्रवेश करेंगे। 11 अप्रैल को केतु वृश्चिक से निकलकर तुला राशि में प्रवेश करेंगे।13 अप्रैल को गुरु ग्रह कुम्भ राशि से निकलकर मीन राशि में प्रवेश करेंगे। 14 अप्रैल को ग्रहों के राजा सूर्य मीन से निकलकर मेष राशि में प्रवेश करेंगे। 27 अप्रैल को शुक्र ग्रह कुम्भ से निकलकर मीन राशि में प्रवेश करेंगे। 28 अप्रैल को न्‍याय के देवता शनि ढाई साल बाद अपनी ही राशि मकर से निकलकर कुम्भ राशि में प्रवेश करेंगे। वहीं पूरे माह हर ढाई दिन बाद चंद्रमा भी अपनी राशि बदलते रहेंगे। बता दें कि इस दौरान शनि का गोचर सबसे ज्‍यादा प्रभाव डालने वाला है क्‍योंकि इसका असर ...

चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के ​दिन सृष्टि में होता है विशेष परिवर्तन

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ज्योतिष। सनातन धर्म में चैत्र मास का विशेष महत्व है। चैत्र ऐसा माह है, जिसमें धूल, कीचड़ नहीं होता और प्रकाश की कमी नहीं होती। धरती से लेकर आकाश तक सर्वत्र शुद्धता और आलोक फैला होता है। यह चैतन्य और दिव्य भाव प्रत्येक प्राणी के जीवन में प्रवेश करता है। चैत्र माह से ही हिंदू पंचांग का नया वर्ष शुरू होता है, साथ ही नए संवत्सर की शुरुआत भी। इस वर्ष यानि 2022 में चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 2 अप्रैल से होगी। मान्यता है कि यदि नवरात्रि की शुरुआत रविवार अथवा सोमवार से हो रहा होता है तो मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर धरती पर आती हैं और यदि मंगलवार व शनिवार के दिन नवरात्रि का प्रारंभ होता है तो मां दुर्गा भवानी घोड़े की सवारी करके पृथ्वी पर आती हैं। वहीं जब नवरात्रि गुरुवार और शुक्रवार के दिन से प्रारंभ होती हैं तो मां भगवती दुर्गा डोली में बैठकर पृथ्वी पर आती हैं। बता दें कि 2022 में चैत्र नवरात्रि की शुरुआत शनिवार के दिन हो रहा है, इसीलिए मां दुर्गा भवानी इस बार घोड़े की सवारी करके पृथ्वी लोक में आएंगी। वहीं इस बार चैत्र नवरात्रि की अवधि में ग्रहों के राशि परिवर्तन के साथ कुछ ऐसे योग बन रहें हैं...

वैदिक पूजन में अनामिका उंगली का विशेष महत्व

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ज्योतिष। शास्त्रों में अनामिका उंगली को अत्यधिक पावन माना गया है। शास्त्र के अनुसार अनामिका अंगुली पर स्वयं भगवान शंकर का वास माना जाता है। यही कारण है कि भगवान शिव और उनके परिवार के सदस्यों से सम्बन्धित मंत्रों का जाप भी रुद्राक्ष की माला पर किया जाता है। महामृत्युंजय और लघु मृत्युंजय मंत्र का जाप सिर्फ रुद्राक्ष की माला पर किया जाना चाहिए। पूजा अनुष्ठान आदि धार्मिक कार्यों में अनामिका उंगली में कुशा से बनी पवित्री धारण करने का विधान है। अनामिका उंगली मान, अभिमान रहित और यश और कीर्ति की सूचक है। अनामिका उंगली का उपयोग सर्वथा वैदिक पूजन के समय किया जाता है क्योंकि यह उंगली सूर्य का प्रतीक भी है। अनामिका उंगली से ही देवगणों को गंध और अक्षत अर्पित किया जाता है। बता दें कि तीसरी अंगुली अर्थात मध्यमा और कनिष्ठिका के बीच की अंगुली को अनामिका कहते हैं। अनामिका उंगली सीधे हृदय से जुड़े होने के कारण पश्चिमी सभ्यता में भी अनामिका उंगली को रिंग फिंगर कहा गया है, जिस उंगली में अंगूठी पहनना सर्वथा मान्य माना गया है। ज्योतिषीय दृष्टि से इस उंगली पर बने चक्र से व्यक्ति चक्रवर्ती बनता है।

चार राशियों के जातकों को कभी नहीं होती धन की कमी

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ज्योतिष। शास्त्र के अनुसार बारहों राशियों में से कुछ राशि वालों पर कभी आर्थिक संकट नहीं आता है। इन राशि वालों पर मां लक्ष्मी की विशेष कृपा बनी रहती है, ऐसे राशि के लोग तन, मन व धन से काफी मजबूत माने जाते हैं- - वृष राशि के जातकों पर मां लक्ष्मी की विशेष कृपा रहती है। वृष राशि वाले लोग दयालु, तथ्‍यों के आधार पर बात करने वाले, भौतिकवादी, सख्‍त और धैर्य रखने वाले होते हैं। वृष राशि के जातक जीवन में सभी सुखों का अनुभव करते हैं। आर्थिक पक्ष मजबूत होता है। वृष राशि के लोग मेहनती स्वभाव के होते हैं।  - कर्क राशि के जातकों पर मां लक्ष्मी मेहरबान रहती हैं। कर्क जातक बड़ी योजनाओं का सपना देखने वाले होते हैं, जातक परिश्रमी और उद्यमी होते हैं, ऐेसे जातकों को अजनबियों के सम्पर्क में आने से आर्थिक लाभ होता है। जातकों के जीवन में किसी भी चीज की कमी नहीं रहती है। - सिंह राशि के जातकों को मां लक्ष्मी का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है, ये लोग मेहनती स्वभाव के होते हैं। इन लोगों को आर्थिक समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ता है। इन लोगों का जीवन खुशियों से भरा रहता है। सिंह राशि के जातक अपने स्वभाव से ल...

प्यास बुझाने के लिये महिला ने खोदा 35 फिट गहरा कुआं

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झांसी। जिले के बबीना में रहने वाली इमरती ने अपनी साथी महिलाओं के साथ मिलकर करीब 4 माह में कुंआ खोद डाला। इमरती के अनुसार जब गांव में बाकी लोग आराम करते थे। उस समय महिलाएं पानी का इंतजाम करने के लिए खोदाई करने में लगी रहती थीं। सरकारी अधिकारी तो कई बार आए और गए लेकिन कुछ समय पहले परमार्थ समाजसेवी संस्था के लोग उनके गांव में आए। यह संस्था जल संरक्षण का कार्य करती है। इमरती ने जब उन लोगों को अपनी समस्या के बारे में बताया तो उन्होंने गांव में एक कुआं खोदने की सलाह दी। कुआं खोदने की इस बात पर गांव वाले तैयार नहीं हुए तो इमरती ने अकेले ही कुआं खोदने का फैसला कर लिया। यह फैसला इतना आसान नहीं था। शुरुआत में इमरती को काफी विरोध का सामना करना पड़ा। गांव के पुरुषों और महिलाओं ने इमरती का साथ नहीं दिया। कई बार पुरुषों ने उन्हें धमकाया भी। उसे पीटा गया, इमरती को उसके पति ने छोड़ने की धमकी तक दे दी। इन सब विरोधों के बावजूद भी इमरती पीछे नहीं हटी और 4 महीने में उन्होंने 30 फिट गहरा कुआं खोद डाला। उसने बताया कि खोदने से लेकर मिट्टी निकालने तक के पूरे काम महिलाएं ही करती थीं और सभी के पति उन्हें प्रता...

खुशमिजाज और बेहद भाग्यशाली होती हैं तीन राशियों की लड़कियां

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ज्योतिष। शास्त्र के अनुसार बारह राशियां होती हैं। कुछ राशि से सम्बन्धित लड़कियां बेहद होशियार और तेज दिमाग की मानी जाती हैं, ऐसी लड़कियां शादी के बाद अपने पति की लिए बेहद भाग्यशाली साबित होती हैं। - मेष राशि की लड़कियों के लिए धनु राशि का लड़का एकदम सही कहा जा सकता है। जहां मेष राशि की लड़कियां गंभीर सोच व मिलनसार होती है। वहीं धनु राशि के लड़के खुले विचार, मेहनती व खुशमिजाज होते हैं। मेष राशि की लड़कियां बेहद साहसी और निडर होती हैं। इस राशि का स्वमी मंगल ग्रह है। ज्योतिष में मंगल को ग्रहों का सेनापति कहा गया है। इस राशि की लड़कियां बिना योजना के कोई काम नहीं करती हैं। - मिथुन राशि की लड़कियां बहुमुखी प्रतिभा की धनी, निडर, बुद्धिमान और प्यारी होती हैं। ये रोमांटिक और केयरिंग नेचर की होती हैं। मिथुन राशि की लड़कियां शारीरिक और मानसिक तौर पर मजबूत होती हैं। ऐसी लड़कियां हमेशा कुछ नया करने की इच्छा रखती हैं, जीवन में नए लोगों से मिलना और कुछ नया सीखना पसंद होता है। मिथुन राशि की लड़कियां गंभीर स्वभाव की होती हैं, ये हर काम को बेहद जिम्मेदारी से करती हैं। मिथुन राशि का स्वामी बुध है। बुध क...

चार राशियों पर धन के देवता कुबेर की विशेष कृपा

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ज्योतिष। शास्त्र के अनुसार बारह राशियां होती हैं। कुछ राशियां ऐसी हैं जिन पर धन के देवता कुबेर की विशेष कृपा हमेशा बनी रहती है। इन राशियों के लोग जिस काम में हाथ डालते हैं उसमें खूब सफलता अर्जित करते हैं। इनके लिए कोई भी काम असंभव नहीं होता है, साथ ही ये धन कमाने में भी माहिर होते हैं, ऐसे लोग मस्तिष्क के तेज होते हैं। यह लोग अपनी अलग पहचान बनाते हैं- कर्क : इस राशि वाले जातक लोकप्रिय होते हैं एवं सामाजिक जीवन में सफ़लता प्राप्त करते हैं। ये शत्रु पराभव में बहुत सफ़ल होते हैं। कर्क लग्न वाले जातकों का दाम्पत्य प्राय: सुखद नहीं होता है। कर्क राशि वाले जातकों का बचपन थोड़ा कठिनाइयों भरा होता है, लेकिन मध्यावस्था में वे सफलता अर्जित करते हैं। इस राशि के जातक दिमाग के काफी तेज होते हैं। तुला : इस राशि के लोगों का भाग्योदय प्रायः जीवन के मध्यकाल में होता है। 5 से 20 वर्ष तक की आयु तक यह लोग खेलकूद तथा आनंद में बिताते हैं। 21 से 30 वर्ष की आयु तक इन्हें विभिन्न प्रकार के संकटों एवं खतरों का सामना करना पड़ता है। उसके बाद इनके जीवन का अंतिम भाग अच्छा बीतता है। माना जाता है कि इस राशि के जात...

पापी के शरीर को स्पर्श नहीं करता वसुंधरा झरने का जल

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आस्था। मान्यताओं के अनुसार देवभूमि उत्तराखंड में भगवान शिव का निवास है, यहां केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री आदि तमाम तीर्थस्थल स्थित हैं। पांडवों ने स्वर्ग के लिए भी इसी स्थान से प्रस्थान किया था, इसके अलावा गंगा, यमुना और सरस्वती नदी का उद्गम स्थान भी उत्तराखंड ही है। वसुंधरा झरना बद्रीनाथ धाम से 8 किलोमीटर दूर है, यह झरना 400 फिट की ऊंचाई से गिरता है और गिरते हुए इसका पानी मोतियों की तरह नजर आता है। उंचाई से गिरने के कारण इसका पानी दूर-दूर तक पहुंचता है, परंतु अगर कोई पापी इसके नीचे खड़ा हो जाए तो झरने का पानी उस पापी के शरीर से स्पर्श तक नहीं करता। बद्रीनाथ धाम जाने वाले श्रद्धालु इस झरने का दर्शन जरूर करते हैं, इसे बहुत पवित्र झरना कहा जाता है। वसुंधरा झरने के पानी में कई तरह के औषधीय गुण मौजूद हैं। इस झरने का पानी जिस व्यक्ति के शरीर पर गिरता है, उसके रोग दूर हो जाते हैं। विदेशों से भी तमाम पर्यटक वसुंधरा झरने के चमत्कार को देखने के लिए उत्तराखंड जाते हैं। वसुंधरा झरना इतना ऊंचा है कि पर्वत के मूल से पर्वत शिखर तक पूरा झरना एक नज़र में नहीं देखा जा सकता।

20 मार्च को है गौरैया दिवस, घरों के वास्तुदोष दूर करती है गौरैया

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विचार। गोरैया पक्षी दिखने में सुंदर, छोटी सी और बेहद आकर्षक होती है, चूंकि गौरैया मानव सभ्यता के साथ जीना, रहना पसंद करती हैं इसलिए यह पारिस्थितिक तंत्र के लिए अति आवश्यक है। हमें इसकी सुरक्षा के लिए विशेष कदम उठाने चाहिए, जिससे पर्यावरण संतुलित बन सके। गोरैया के विलुप्त होने से बचाने और इसके प्रति जागरूकता के लिए विश्व में 20 मार्च को गौरैया दिवस के रूप में मनाया जाता है। एक समय था जब बबूल के पेड़ पर सैकड़ों घोंसले लटके होते और गौरैया के साथ उसके चूजे चीं-चीं-चीं का शोर मचाते। माना जाता है गौरैया का जीवनकाल तीन वर्ष तक होता है। पर्यावरण संरक्षण में गौरैया की खासी भूमिका है। गौरैया एक घरेलू और पालतू पक्षी है। पूर्वी एशिया में यह बहुतायत पायी जाती है। यह अधिक वजनी नहीं होती हैं, यह पांच से छह अंडे देती है। गौरैया पासेराडेई परिवार की सदस्य है। इसे वीवरपिंच परिवार का भी सदस्य माना जाता है। इसकी लम्बाई 14 से 16 सेमी. होती है। इसका वजन 25 से 35 ग्राम तक होता है। यह अधिकांश झुंड में रहती है। यह अधिक दो मील की दूरी तय करती है। शहरी हिस्सों में इसकी छह प्रजातियां पायी जाती हैं। इन...

गरीब महिलाओं को स्वरोजगार के अवसर देगी योगी सरकार, आटा-मसाला चक्की के लिये मिलेगा अनुदान

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लखनऊ। भाजपा की योगी सरकार 2.0 बनने के बाद अनुसूचित जाति वित्त व विकास निगम गरीब महिलाओं को आटा-मसाला चक्की लगाने के लिये सहायता मुहैया कराएगा। मिली जानकारी के अनुसार इस योजना के तहत सबसे पहले उत्तर प्रदेश के 18 मंडल मुख्यालयों के प्रति जिला 125 महिलाओं को लाभान्वित किया जाएगा। कुल 2 हजार 250 महिलाएं योजना से जुड़कर अपने आटा-मसाला चक्की की इकाई स्थापित कर सकेंगी। इकाई की स्थापना के लिए प्रति महिला को 20 हजार रुपये दिया जाएंगे, इसमें 10 हजार रुपये अनुदान के रूप में और शेष राशि ब्याज मुक्त ऋण के रूप में विशेष केन्द्रीय सहायता से दी जाएगी। सरकार ने इस योजना को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में 2 जिलों से शुरू करते हुए 17 महिला लाभार्थियों को चयनित भी किया है। बाकी जिलों में महिलाओं को योजना से जोड़ने की तैयारी अब और तेजी से शुरू की जाएगी। राज्य सरकार का प्रयास महिलाओं को सशक्त बनाने का है। इस कड़ी में आटा-मासाला चक्की स्थापित करने की योजना भी महिलाओं को संबल प्रदान करेगी, उनको रोजगार का अवसर देने के साथ ही परिवार का पालन-पोषण करने के लिए मजबूत भी बनाएगी। राज्य सरकार ने बीते 5 वर्षों में गरीबी रे...

पृथ्वी पर पाया जाने वाला अद्भुत अनाज है जौ

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सेहत। पूज्यनीय अन्न जौ के अनगिनत फायदे हैं। जौ को "अनाज का राजा" कहा जाता है। देश के कई घरों में जौ के पानी को यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन के लिए एक प्राकृतिक उपचार माना जाता है। संक्रमण कम करने के लिए बच्चों या वयस्कों को अक्सर दैनिक आधार पर कुछ गिलास जौ के पानी के सेवन की सलाह दी जाती है। जौ के पानी को किडनी की पथरी या सिस्ट के लिए भी एक अच्छा उपाय बताया गया है। जौ का पानी बनाने के लिए एक चौथाई कप जौ को चार कप पानी में हल्का सा नमक डाल के 30 मिनट तक उबालें। बीच-बीच में चम्मच की मदद से जौ को मसल दें ताकि इसके गुण पानी में आ जाएं। 30 मिनट बाद गैस बंद कर दें और इसे ठंडा करने के बाद हल्का सा शहद और नींबू का रस मिलाकर इसका सेवन करें। आप चाहें तो इसे फ्रिज में ठंडा करके भी इस्तेमाल कर सकते हैं। आयुर्वेद में जौ के पानी को एक पाचक टॉनिक माना जाता है जो पाचन की प्रक्रिया को सुगम बनाने में मदद करता है, खासकर उन लोगों के लिए जिनकी 'अग्नि' कम होती है। विभिन्न प्रकार के शरीर, जैसे वात, पित्त और कफ, इसके लिए इसे कुछ मसालों में मिला सकते हैं। कब्ज या डायरिया से पीड़ित लोगों को अक्सर...

होलिका दहन के दिन पहली बार बन रहा है शुभ महासंयोग

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ज्योतिष। इस बार यानि 2022 में होलिका दहन के दिन गजकेसरी योग, वरिष्ठ योग और केदार योग बन रहे हैं। ग्रहों का ऐसा शुभ महासंयोग पहली बार बनेगा, जो देश के लिये शुभदायी साबित होगा। तीन राजयोगों का बनना मान-सम्मान, पारिवारिक सुख-समृद्धि, तरक्‍की और वैभव में वृद्धि होती है। इसके अलावा सूर्य भी गुरु की राशि मीन में रहेंगे, कुल मिलाकर ग्रहों की ऐसी शुभ स्थिति बीमारियों, दुख और तकलीफों का नाश करेगी। कारोबारियों के लिए यह समय बेहद लाभदायी रहेगा। अंतराष्ट्रीय स्तर पर चल रही मंदी भी खत्म होने के आसार हैं। ज्योतिष के अनुसार होली का त्योहार चैत्र महीने के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा को मनाया जाता है। यदि प्रतिपदा दो दिन पड़ रही हो तो पहले दिन को ही धुलण्डी के तौर पर मनाने की परम्परा है। होली का त्योहार बसंत ऋतु के आगमन का स्वागत करने के लिए मनाते हैं। बसंत ऋतु में प्रकृति में फैली रंगों की छटा को ही रंगों से खेलकर वसंत उत्सव होली के रूप में दर्शाया जाता है। फाल्गुन मास की पूर्णिमा को बुराई पर अच्छाई की जीत को याद करते हुए होलिका दहन भी किया जाता है। कई मान्यताओं के अलावा एक मान्यता यह भी है कि भगवान शिव के...

हारे हुये विधायकों व मंत्रियों को 'एमएलसी' नहीं बनाएगी भाजपा

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विचार। बीते शनिवार को उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में मुख्यमंत्री आवास पर बैठक हुई। बैठक में भारतीय जनता पार्टी ने स्थानीय निकाय के एमएलसी के नाम तय कर लिए हैं। इनमें सपा से आए कुछ एमएलसी को ही टिकट दिया जाएगा, बाकी भाजपा कार्यकर्ताओं के नाम पर मुहर लगाई गई है। मंगलवार यानि 15 मार्च को सूची जारी करने की खबर है। उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत के बाद अब भाजपा का अगला लक्ष्य एमएलसी चुनाव में जीत हासिल करना है। विधानसभा चुनाव में जोरदार तरीके से हारने वाली सपा विधान परिषद की सीटों को बचाए रखने की तैयारी में है। उत्तर प्रदेश में एमएलसी चुनाव को लेकर राजनीति गर्माने लगी है, तमाम नेता टिकट पाने के लिए अभी से कोशिशों में जुट गए हैं। मिली जानकारी के अनुसार भाजपा इस बार के विधान परिषद चुनाव में हारे हुए नेताओं को मौका नहीं देगी और देना भी नहीं चाहिए। हारे हुये विधायकों व मंत्रियों को स्वयं पीछे हट जाना चाहिए, आखिर किस मुंह से एमएलसी बनेंगे ऐसे हारे हुए विधायक और मंत्री। पद पाने के लिये मेहनत करनी पड़ती है। खबर यह भी है कि हारे हुये विधायक व मंत्री अपने क्षेत्रों में प्रभावी ढंग...

बचपन से ही बाबा भोलेनाथ की अनन्य भक्त थीं माता पार्वती

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  कथा। पर्वतराज हिमालय की घोर तपस्या के बाद माता जगदम्बा प्रकट हुईं और उन्हें बेटी के रूप में उनके घर में अवतरित होने का वरदान दिया। इसके बाद माता पार्वती हिमालय के घर अवतरित हुईं। बेटी के बड़ी होने पर पर्वतराज को बेटी की शादी की चिंता सताने लगी। माता पार्वती बचपन से ही बाबा भोलेनाथ की अनन्य भक्त थीं। एक दिन पर्वतराज के घर महर्षि नारद पधारे और उन्होंने भगवान भोलेनाथ के साथ पार्वती के विवाह का संयोग बताया। नंदी पर सवार भोलेनाथ जब भूत, पिशाचों के साथ बरात लेकर पहुंचे तो उसे देखकर पर्वतराज और उनके परिजन अचम्भित हो गए, लेकिन माता पार्वती ने खुशी से भोलेनाथ को पति के रूप में स्वीकार किया।

महाराजा दिलीप ने की नंदिनी की सेवा व सुरक्षा

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प्रेरक कथा। वानप्रस्थ ग्रहण करने के बाद महाराजा दिलीप पत्नी सहित ब्रहृम​ऋषि वशिष्ठ के आश्रम में पहुंचे। वशिष्ठ ने नंदिनी गाय की सेवा के लिए नियुक्त किया। नंदिनी जब चरने के लिये जंगल में जाती, तो महाराज दिलीप धनुष-बाण लेकर उसकी रक्षार्थ साथ जाते। पत्नी भी साथ होती। एक दिन एक सिंह नंदिनी पर आक्रमण करने के लिए लपका। दिलीप ने धनुष की प्रत्यंचा पर बाण चढ़ाया, सिंह रुका और बोला दिलीप! तुम जिसे सिंह समझ रहे वह मैं नहीं, मैं भगवान शंकर का वाहन हूं। तुम्हारे शस्त्रों का प्रभाव मुझ पर न होगा। दिलीप ने कहा कि आप जो भी हों वनराज, मैं नंदिनी पर किसी भी प्रकार का प्रहार नहीं करने दूंगा। वनराज ने कहा क मैं मार जाऊंगा यदि तुम नंदिनी के बदले में अपना शरीर देकर मेरी भूख मिटाओ। सहर्ष प्रस्तुत हूं, दिलीप ने कहकर धनुष-बाण समेटे। उन्होंने सिर झुकाया, लेकिर काफी समय तक कोई हलचल नहीं हुई, तो उस स्थान की ओर देखा, जहां सिंह खड़ा था, लेकिन वहां सिंह नहीं था, वहां मुस्कुरा रहे थे ब्रहृमऋषि वशिष्ठ। तुम्हारी साधना-तपश्चर्या पूरी हुई वत्स, अब तुम तत्वज्ञान के अधिकारी हो गये हो।

नारियल और पत्थर

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प्रेरक कथा। पेड़ की ऊंची डाली पर लटके नारियल ने नीचे नदी में पड़े पत्थर को देखकर घृणापूर्वक कहा कि घिस-घिसकर मर जाओगे, लेकिन नदी के पैर न छोड़ोगे, अपमान की भी कोई हद होती है। मुझे देखो, स्वाभिमानपूर्वक कैसे उन्नत स्थि​ति में मौज कर रहा हूं। पत्थर ने चुपचाप नारियल की बात सुन ली, कोई उत्तर न दिया। कुछ समय बाद पूजा की थाली में रखे उसी नारियल ने देखा कि नदी का वही पत्थर शालिग्राम के रूप में पूजा-पीठ पर प्रतिष्ठित है, जिसकी पूजा के लिये उसे नैवेद्य के रूप में लाया गया है। नारियल ने महसूस किया कि घिस-घिसकर परिमार्जित होने का परिणाम क्या होता है और अभिमान के मद में मतवाले रहने वालों की गति क्या हुआ करती है।

जगदम्बा की सच्ची उपासना

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प्रेरक कथा। गौरी मां श्रीरामकृष्ण देव की शिष्या थीं। उच्च कोटि की साधिका होने के कारण ठाकुर के शिष्यों में उनका बड़ा सम्मान था। एक बार वह अपने आश्रम में बालिकाओं को पढ़ा रही थीं। कोई व्यवधान न डाले, इसलिए दरवाजे पर रहने वाले सेवक को कहला दिया कि कोई मुझसे मिलने आए तो कहा देना, गौरी मां जगदम्बा की उपासना कर रही हैं। संयोग से थोड़ी देर बाद स्वामी विवेकानंद उनसे मिलने के लिये आ गये। सेवक ने उन्हें भी वही रटा रटाया जवाब दिया, लेकिन वह गौरी मां से मिलने अंदर चले गये, अंदर जाकर उन्होंने देखा, गौरी मां पूर्ण तन्मयता से कन्याओं को पढ़ा रही हैं। वह काफी देर तक यों ही खड़े रहे। बाद में जब गौरी मां की नजर उन पर पड़ी, तो विवेकानंद ने कहा, उस सेवक ने मुझे ठीक ही बताया था, यही जगदम्बा की सच्ची उपासना है।

जीवन में साहसी होना जरूरी

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बोधकथा। बिल्ली के भय से परेशान चूहे ने एक दिन विधाता से प्रार्थना की कि मुझे बिल्ली बना दो। विधाता ने दया करके उसे बिल्ली बना दिया। लेकिन अब उसे कुत्ते का डर लगने लगा। फिर प्रार्थना की तो कुत्ता, कुत्ते से लकड़बग्घा बना दिया, इसी तरह फिर विधाता ने चूहे को शेर तक बना दिया। किंतु अपने डरपोक मन से तू शेर के शरीर में भी चूहा ही रहा। जा फिर से चूहा हो जा। साहस के अभाव में मनुष्य की आधी शक्ति, प्रतिभा, बल चले जाते हैं और आधे उपयोग के अभाव में नष्ट हो जाते हैं।

साधु और बालक

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प्रेरक कथा। एक साधु के दर्शन के लिये गांव की भीड़ उमड़ पड़ी। लोग आते, साधु चरणों पर भेंट चढ़ाते और उनके वचनामृत का पान करने के लिए बैठ जाते। साधु कह रहे थे कि सांसारिक प्रेम मिथ्या है, स्त्री, पुत्र सब लौकिक नेह और नाते छोड़कर मनुष्य को आत्मकल्याण की बात सोचनी चाहिए। भगवान का प्रेम ही सच्चा प्रेम है। एक छोटा सा बालक साधु की बातें बड़े ध्यान से सुन रहा था। उसने छोटा सा प्रश्न किया, महात्मन् मैं कौन हूं, आत्मा—साधु ने संक्षिप्त उत्तर दिया। महाराज! मेरे पिता, मेरी माता दिन भर मेरे कल्याण की बात सोचते हैं, क्या वह आत्मकल्याण न हुआ। सर्वत्र फैली हुई विश्वात्मा से प्रेम क्या ईश्वर—प्रेम नहीं, जो उसके लिए संसार का परित्याग किया जाये, साधु चुप थे,उनसे कोई उत्तर देते न बन पड़ा।

दुनिया की अनोखी खूबसूरती है भगवद्भक्ति

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प्रेरक कथा। भक्तिमयी मीराबाई अपने आराध्य श्रीकृष्ण के प्रेम में सदा भागवमग्न रहती थीं। एक दिन पूर्णिमा की रात को जब चंद्रमा की चांदनी चारों ओर छिटक रही थी, वह अपने कक्ष के अंदर किसी दूसरी ही दिव्य सृष्टि की ज्योत्स्ना का आनंद लूट रही थीं। इतने में महल की किसी दासी ने आकर ध्यानमग्न मीरा को बाहर से पुकारा, बाई सा! बाहर आकर देखो, कैसी खूबसूरत रात है। कई बार पुकारने पर वह बोलीं, इस समय मैं जिस परम सौंदर्य में डूबी हूं, जगत का समस्त सौंदर्य मिलकर भी उसकी एक बूंद के बराबर नहीं है। उन्होंने कहा कि तुम एक बार मेरे दिल के अंदर घुसकर देखो, भगवद्भभक्ति में दुनिया के परे की कैसी अनोखी खूबसूरती है।

कष्टों से नहीं डरते सच्चे मनुष्य

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  बोधकथा। स्वतंत्रता संग्राम में जूझते हुये महाराणा प्रताप वन, पर्वतों में अपने छोटे परिवार समेत मारे-मारे फिर रहे थे। एक दिन ऐसा अवसर आया कि खाने के लिये कुछ भी नहीं रहा। अनाज को पीसकर उनकी धर्मपत्नी ने जो भोजन बनाया था, उसे जंगली जानवर उठा ले गये। छोटी बच्ची भूख से व्याकुल होकर रोने लगी। महाराणा प्रताप का साहस टूटने लगा, वह इस प्रकार बच्चों को भूख से तड़पकर विहृवल होते देखकर विचलित होने लगे। एक बार महाराणा प्रताप के मन में आया कि शत्रु से संधि कर ली जाये और आरामपूर्वक जीवन बिताया जाये। उनकी मुख मुद्रा गम्भीर विचार में डूबी हुई ​थी। रानी को अपने पतिदेव महाराणा प्रताप की चिंत समझने में देर न लगी, उन्होंने प्रोत्साहन भरे शब्दों में कहा कि नाथ, कर्तव्यपालन मानव जीवन की सर्वोपरि सम्पदा है, इसे किसी भी मूल्य पर गंवाया नहीं जा सकता, सारे परिवार के भूखों या किसी भी प्रकार मरने के मूल्य पर भी नहीं। सच्चे मनुष्य न कष्टों से डरते हैं और न ही आघातों से, उन्हें तो कर्तव्य का ही ध्यान रहता है। आप दूसरी बात क्यों सोचने लगे। पत्नी की बात सुनकर महाराणा प्रताप का उतरा हुआ चेहरा फिर से चमकने लगा और...

आदर्शों की रक्षा के लिये चट्टान की तरह बितायें जीवन

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बोध कथा। जीवन के संघर्ष और आंधियों से दु:खी एक नाविक जहाज से उतरकर बाहर आया। समुद्र के मध्य अडिग और अविचलित चट्टान की स्वच्छता को देखकर उसको कुछ शांति मिली। वह थोड़ा आगे बढ़ा और एक टेकरी पर खड़े होकर चारों ओर देखने लगा। उसने देखा, समुद्र की उत्ताल तरंगें चारों ओर से उस चट्टान पर निरंतर आघात कर रही हैं, तो भी चट्टान के मन में न रोष है और ​न विद्वेष। संघर्षपूर्ण जीवन पाकर भी उसे कोई ऊब और उत्तेजना नहीं है। मरने की भी उसने इच्छा नहीं की। यह देखकर नाविक का हृदय श्रद्धा से भर गया। उसने चट्टान से पूछा, तुम पर चारों ओर से आघात लग रहे हैं, फिर भी तुम निराश नहीं हो चट्टान। तब चट्टान की आत्मा धीरे से बोली, तात् निराशा और मृत्यु दोनों एक ही वस्तु के उभयपृष्ठ हैं, हम निराश हो गये होते, तो एक क्षण ही सही दूर से आये अतिथियों को विश्राम देने, उनका स्वागत करने से वंचित रह जाते, नाविक का मन एक चमकती हुई प्रेरणा से भर गया। जीवन में कितने संघर्ष आए, अब मैं चट्टान की तरह जीऊंगा ताकि हमारी न सही, भावी पीढ़ी और मानवता के आदर्शों की रक्षा तो हो सके।