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नागरिकता संशोधन अधिनियम किसी का विरोधी नहीं तो विरोध क्यों : विहिप

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राहुल गांधी द्वारा पाक-बांग्लादेशी क्रूर समाज के प्रति हमदर्दी व असहाय हिन्दू शरणार्थियों के विरोध में सावरकर जी का अपमान सर्वथा निंदनीय  नई दिल्ली : विश्व हिन्दू परिषद ने नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 के विरुद्ध भड़के हिंसक प्रदर्शनों को छद्म-धर्म निरपेक्षतावादियों द्वारा निहित स्वार्थों से प्रेरित एक देश-विरोधी निंदनीय कृत्य बताया है. विहिप के अंतर्राष्ट्रीय महा-मंत्री श्री मिलिंद परांडे ने आज कहा कि विदेशी घुसपैठियों को देश से बाहर निकालने तथा पाकिस्तान, बांग्लादेश तथा अफ़गानिस्तान के धार्मिक उत्पीडन के शिकार शरणार्थियों को भारत में शरण देने से किसी भी भारतीय को कोई हानि नहीं है. इसके बावजूद कुछ छद्म-धर्म निरपेक्षतावादियों तथा निहित स्वार्थी राजनैतिक दलों द्वारा अल्पसंख्यक तुष्टीकरण की नीति के अंतर्गत जनता को भड़का कर जो हिंसक प्रदर्शन कराए जा रहे हैं तथा राहुल गांधी जी द्वारा पाक-बांग्लादेशी क्रूर समुदाय के प्रति हमदर्दी किन्तु वहां के प्रताड़ित हिन्दू समुदाय का विरोध करते हुए स्वातंत्र्य वीर सावरकर का अपमान किया गया, वह सर्वथा निंदनीय व खतरनाक हैं. उन्होंने राज्य सरकारों से...

बड़े ही ज्ञानी थे अष्टावक्र

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कथा : प्राचीन समय की बात है— एक थे उद्दालक ऋषि। उद्दालक के शिष्यों में से एक थे कहोड़। कहोड़ को वेदों का ज्ञान देने के बाद ऋषि उद्दालक ने अपनी रूपवती व गुणवती कन्या सुजाता का विवाह कर दिया। कुछ दिनों के बाद सुजाता गर्भवती हो गईं। इसी दौरान कहोड़ वेदपाठ कर रहे थे, एक दिन गर्भ के भीतर से बालक ने कहा कि पिताजी! आप वेद का गलत पाठ कर रहे हैं। यह सुनते ही कहोड़ क्रोधित हो गयेा और बोले कि तू गर्भ से ही मेरा अपमान कर रहा है इसलिये तू आठ स्थानों से वक्र यानि कि टेढ़ा हो जायेगा। इसके बाद एक दिन कहोड़ राजा जनक के दरबार में जा पहुँचे। वहाँ बंदी से शास्त्रार्थ में उनकी हार हो गई। हार के बाद उन्हें जल में डुबा दिया गया। इस घटना के बाद अष्टावक्र का जन्म हुआ। पिता के न होने के कारण वह अपने नाना उद्दालक को अपना पिता और अपने मामा श्वेतुकेतु को अपना भाई समझता था। एक दिन जब वह उद्दालक की गोद में बैठा था तो श्वेतुकेतु ने उसे अपने पिता की गोद से खींचते हुये कहा कि हट जा तू यहां से, यह तेरे पिता का गोद नहीं है। अष्टावक्र को यह बात अच्छी नहीं लगी और उन्होंने तत्काल अपनी माता के पास आकर अपने पिता के विषय मे...

राहुल गांधी पर लगे रासुका, समाप्त किया जाये संसद सदस्यता

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विचार : देश की संस्कृति के पतन के लिए ही कांगे्रस पार्टी की स्थापना की गयी थी। अपने इस मकसद में कांगे्रस कामयाब भी रही लेकिन जनसंघ बाद में भारतीय जनता पार्टी के उदय के बाद कांगे्रस धीरे—धीरे नष्ट होने की कगार पर है, लेकिन अपने भाई लोग यानि भोली जनता कांगे्रस को वोट देकर खाद, पानी देने का कार्य कर रही है। भारतीयों को समझना होगा कि कांगे्रस पार्टी ने नहीं सुभाषचंद्र बोस के डर से अंगे्रजों को भारत छोड़ना पड़ा और यही कारण रहा कि जवाहरलाल नेहरू और अंगे्रजों की मिलीभगत से देशप्रेमी सुभाषचंद्र बोस को युद्ध अपराधी घोषित कर दिया गया। इतनी चिंताजनक बात है इसके बावजूद कांगे्सियों का अब भी शासन कई राज्यों में है। उधर, राहुल गांधी समेत कांगे्रसी आये दिन भारत विरोधी बातें ही करते हैं। भाजपा के हर निर्णय को गलत बता रहे हैं जबकि ऐसा कुछ भी नहीं, कांगे्रसी समेत सभी विपक्ष विधवा विलाप कर रहे हैं, चूंकि मोदी सरकार में कांगे्रसी दलालों की धनउगाही नहीं हो पा रही है। नये मामले में कांगे्रस का पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने रेप इन इंडिया का बयान दिया है, जो निहायत ही निंद​नीय है। ऐसे बयानों पर कुछ तो कार्रव...

विवाह पंचमी आज, राम व सीता का हुआ था विवाह

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शिवधुनष का नाम था पिनाक, प्रत्यंचा चढ़ाते ही टूट गया  जीवनशैली : आज यानि एक दिसम्बर 2019 को विवाह पंचमी है। रविवार को गोचर यानी आकाश मंडल में स्वराशि स्थित बृहस्पति तथा चंद्रमा से एकादश सूर्य लाभ भाव में होने से इस मुहूर्त की शुद्धता को बढ़ाएंगे। वहीं चंद्रमा का स्वयं के नक्षत्र श्रवण में होना शुभ है। शुभ ग्रहों की प्रधानता होने के कारण यह दिन मांगलिक कार्यों के लिए सर्वश्रेष्ठ रहेगा। रविवार को सूर्य-चंद्रमा की स्थिति से वृद्धि और रवियोग योग बन रहे हैं। वहीं तिथि, वार और नक्षत्र के संयोग से सुबह लगभग 10 बजे तक सर्वार्थसिद्धि योग भी रहेगा। इन शुभ योगों में सूर्योदय होने से मांगलिक कार्यों के लिए पूरा दिन श्रेष्ठ रहेगा। पूर्णा तिथि होने से मांगलिक कार्य पूर्ण होंगे। अंक ज्योतिष में भी यह तिथि काफी शुभ है। रविवार का मूलांक 1 है जो सूर्य देव का अंक है। दिन और अंक का शुभ संयोग बनने से सभी मुहूर्तों में सूर्य का प्रभाव रहेगा। इस दिन किया गया कार्य शुभ फल देगा। प्रभु श्री राम चेतना के प्रतीक हैं और माता सीता शक्ति की प्रतीक हैं। चेतना और प्रकृति के मिलन से यह दिन काफी महत्वपूर्ण ह...

'पृथ्वी पर ज्ञान ही स्वर्ग के समान है'

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सुविचार : कलयुग का अभी प्रथम चरण चल रहा है यानि कि अधर्म और अन्याय का बोलबाला। कलयुग में क्या—क्या होने वाला है और कितने वर्षों का रहेगा कलयुग, इन सबका आकलन बड़े ही सटीक पुराणों और शास्त्रों में है। वहीं धर्मग्रंथ महाभारत में ऐसी ज्ञान की हजारों बातें हैं, जो मानव के दैनिक जीवन में आवश्यक है। — झूठ बोलना या झूठ का साथ देना एक ऐसा अज्ञान है, जिसमें डूबे हुए लोग कभी भी सच्चे ज्ञान या सफलता को नहीं पा सकते। — धरती पर अच्छा ज्ञान या शिक्षा ही स्वर्ग है और बुरी आदतें या अज्ञान ही नरक। — जिस काम को करने के पुण्य की प्राप्ति हो या दूसरों का भला हो, उसे करने में देर नहीं करनी चाहिए। जिस पल वे काम करने का विचार मन में आए, उसी पल उसे शुरू कर देना चाहिए। — पुण्य कर्म जरूर करना चाहिए, लेकिन उनका दिखावा बिल्कुल भी न करें। जो मनुष्य लोगों के बीच तारीफ पाने के लिए या दिखावे के उद्देश्य से पुण्य कर्म करता है, उसे उसका शुभ फल कभी नहीं मिलता। — सभी लोगों के साथ एक सा व्यवहार करने वाला और दूसरे के प्रति मन में दया और प्रेम की भावना रखने वाला मनुष्य जीवन में सभी सुख पाता है। — अपने मन और इन्द्रियों क...

कैंसर समेत कई बीमारियों में कारगर है 'सोवा रिग्पा'

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नई दिल्ली : हिमालयीन इलाके सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग, हिमाचल के धर्मशाला, लाहौल स्पीति, लद्दाख और कुछ अन्य इलाकों में 'सोवा रिग्पा' पद्धति काफी प्रचलित है। इसके लिए जड़ी-बूटियों से ही दवा बनती है। विशेषज्ञों का दावा है कि अस्थमा, आर्थराइटिस, कैंसर समेत कई गम्भीर बीमारियों में इस पैथी से इलाज कारगर है। यह भारत की बहुत पुरानी चिकित्सा पद्धति है और अब इस पैथी की पढ़ाई से लेकर चिकित्सीय प्रैक्टिस के लिए नियम-कानून तक बना दिए गए हैं। पहली बार देश के तीन शहरों लेह, सारनाथ और गंगटोक में एक-एक कॉलेज को मान्यता दी गई है। हर कॉलेज में 15-15 स्टूडेंट्स को दाखिला दिया गया है। आयुर्वेद की तरह ही इलाज की एक पद्धति है सोवा रिग्पा। इस पद्धति से भारत में सैकड़ों सालों से इलाज हो रहा है। इस कारण भारत इसे अपना बनाने के लिए जब यूनेस्को पहुंचा, तो चीन भी यूनेस्को पहुंच गया। दोनों देशों ने इलाज की इस पद्धति पर अपना-अपना दावा ठोंक दिया है। भारत सरकार ने आवेदन में कहा कि सोवा रिग्पा भारत की चिकित्सा पद्धति है। इसे इंटेजिबल कल्चरल हेरिटेज ऑफ ह्यूमैनिटी की सूची में शामिल किय...

टाइट जींस पहने युवक की हृदयगति रुकी, डॉक्टरों ने बचाई जान!

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खबर : दिल्ली के पीतमपुरा निवासी सौरभ शर्मा बीते 10 अक्टूबर को कार से ऋषिकेश गए थे, 12 अक्टूबर को दिल्ली लौटे थे, बेहोश होने पर परिजन अस्पताल ले गए तो डॉक्टरों ने बताया कि पल्मोनरी इम्बोलिज्म की वजह से सौरभ का यह हाल हुआ। टाइट जींस पहनकर लॉन्ग ड्राइव पर गए सौरभ का हार्ट बीट और पल्स रुकने के साथ ही शरीर के अंग नीले पड़ गए। चिकित्सकों ने 45 मिनट तक लगातार सीपीआर दिया। इसके बाद हार्ट बीट और पल्स वापस आई। टाइट जींस में लगातार आठ घंटे तक ऑटोमैटिक कार चलाने के दौरान सौरभ के पैरों में खून का थक्का जम गया, जो टूटकर फेफड़ों तक पहुंच गया। इसी वजह से उन्हें कार्डियक अरेस्ट आया। सौरभ का इलाज करने वाले डॉक्टर योगेश कुमार छाबड़ा ने बताया कि चुस्त कपड़े पहनकर लम्बी दूरी की यात्रा खतरनाक हो सकता है। पल्मोनरी इम्बोलिज्म की वजह टाइट कपड़े पहनकर लॉन्ग ड्राइव करना है।

कार्यालयों में झूठ बोलकर छुट्टी लेते हैं कर्मचारी!

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लखनऊ : विश्व में बहुत कम देश होंगे, जहां के लोग झूठ न बोलते हों। झूठ बोलना मानव जीवन की फितरत है, जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए। भारत समेत कई ऐसे देश हैं जहां झूठ बोलकर कर्मचारी छुट्टी ले लेते हैं। जिसमें सबसे ज्यादा बीमारी का बहाना बनाया जाता है, उसके बाद सगे, सम्बन्धियों और दोस्तों की बीमारी, यहां तक कि उनकी मौत का बहाना बनाकर अवकाश ले लिया जाता है। कोचिंग संस्थान चलाने वाले राकेश सारस्वत बताते हैं कि मीडिया संस्थान में कार्य करते हुए उन्होंने कई बार झूठ बोलकर छुट्टी ली। ऐसा झूठ, जिस पर विश्वास करना ही पड़ता है और कितना भी जरूरी कार्य क्यों न हो ऐसे आपातकाल के लिए संस्थानों को छुट्टी देनी ही पड़ती है। नाम न छापने की शर्त पर एक सरकारी कर्मचारी बताते हैं कि उन्होंने ऐसे व्यक्तियों की मौत बताकर छुट्टी ली, जिनकी पहले ही मौत हो चुकी है। बहरहाल, नया सर्वे ब्रिटेन से आया है, जिसमें कहा गया है कि कर्मचारी अपने बॉस से बीमारी के छोटे-छोटे झूठ बोलकर छुट्‌टी लेते हैं। हर पांच में से दो कर्मचारी ऐसा करते हैं। सर्वे में जब कर्मचारियों की नैतिकता और मूल्यों पर सवाल उठाया गया, तो उन्होंने बीमारी के ...

'तिवारी का ब्लॉग': कांग्रेस समस्या की जननी और भाजपा समाधान की जनक : प...

'तिवारी का ब्लॉग': कांग्रेस समस्या की जननी और भाजपा समाधान की जनक : प... : राजनीति : झारखंड में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, जिसको लेकर सभी राजनीतिक दल अपने प्रत्याशियों के प्रचार के लिए चुनावी वादे कर रहे हैं औ...

कांग्रेस समस्या की जननी और भाजपा समाधान की जनक : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

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राजनीति : झारखंड में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, जिसको लेकर सभी राजनीतिक दल अपने प्रत्याशियों के प्रचार के लिए चुनावी वादे कर रहे हैं और मतदाताओं को लुभाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। वहीं भारतीय जनता पार्टी की बात की जाये तो भाजपा के अच्छे दिन चल रहे हैं। विरोधियों को भारतीय जनता पार्टी ऐसे पटखनी दे रही है कि विरोधी समझ नहीं पा रहे कि कौन सा दांव लगायें। वहीं भाजपाइयों का मानना है कि सत्य की जीत हमेशा होती है और भाजपा सत्य की राह पर चलती है। इसी क्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने झारखंड के डालटनंगज के चुनावी सभा में सोमवार को कांग्रेस पर जोरदार हमला बोला। मोदी ने कहा कि अनुच्छेद 370 और राम मंदिर को कांगे्रस ने वोट की लालच में लटकाये रखा। कांग्रेस समस्या की जननी है, जबकि भाजपा समाधान की जनक है। हम पांच सूत्र स्थिरता, सुशासन, समृद्धि, सम्मान और सुरक्षा पर काम करते हैं। भाजपा ने झारखंड में भ्रष्टाचार खत्म करने के लिए दिन-रात काम किया। भाजपा ने समाज के हर आदमी का गौरव बढ़ाया। भाजपा सरकारें सेवा और समर्पित भाव से काम करती है। झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास को उन्होंने भावी मुख्यम...

तानाजी 'द अनसंग वॉरियर' : वीर मराठाओं की कहानी

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  सिनेमा : फिल्म तानाजी 'द अनसंग वॉरियर' का ट्रेलर आज रिलीज किया गया है। फिल्म में मुख्य भूमिका निभा रहे अजय देवगन ने बताया कि ओम राउत के निर्देशन में बनी यह फिल्म 10 जनवरी 2020 को सिनेमा घरों में रिलीज की जाएगी। इससे पहले बीते 18 नवम्बर को काजोल का पोस्टर जारी किया गया था, फिल्म में काजोल सावित्रीबाई मालुसरे की भूमिका में नजर आएंगी। फिल्म से अब तक अजय देवगन समेत कई स्टार्स के लुक सामने आ चुके हैं। खास बात यह है कि काजोल के पोस्टर की तरह ही हर एक्टर के रोल के साथ टैगलाइन का इस्तेमाल किया गया है। फिल्म के ट्रेलर लॉन्च के लिए खास टाइम तय किया था और पहले ही बता दिया गया था कि ट्रेलर मंगलवार को 1 बजकर 47 मिनट पर जारी कर दिया जाएगा। साथ ही तय वक्त पर ट्रेलर जारी कर दिया गया है। फिल्म के ट्रेलर में मराठा वीर की कहानी दिखाई गई है। फिल्म के ट्रेलर में भव्य सेट, कॉस्ट्यूम्स, वॉर सीन, एक्शन की भरमार है। फिल्म के ट्रेलर को यू-ट्यूब पर काफी पसंद किया जा रहा है और ट्रेलर रिलीज होने के कुछ दी देर में हजारों लोग ट्रेलर देख चुके हैं। फिल्म छत्रपति शिवाजी महाराज के सूबेदार मालसुरे त...

अब पहले जैसी नहीं हो रही है पत्रकारिता : उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू

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नई दिल्ली : उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायूड ने दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में मीडिया को लेकर अपने विचार रखे। उनका कहना था कि आज के दौर में सनसनीखेज खबरों को ज्यादा तवज्जो दी जाती है, लेकिन इन खबरों में संवेदनाएं नहीं होती हैं। उपराष्ट्रपति राष्ट्रीय प्रेस दिवस के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे। उप राष्ट्रपति का यह भी कहना था कि आजकल कुछ बिजनेस समूहों, राजनीतिक दलों अथवा कुछ लोगों द्वारा अपने हितों के लिए चैनल व अखबार स्थापित किए जा रहे हैं। ऐसे में पत्रकारिका के मूल मूल्य नष्ट हो रहे हैं। पहले के दौर में खबर का मतलब सिर्फ खबर होता था। इनमें किसी तरह की मिलावट अथवा गलत व्याख्या नहीं होती थी। अब न्यूज और व्यूज आपस में मिलाए जा रहे हैं, यह सबसे बड़ी समस्या हो गई है। उपराष्ट्रपति का यह भी कहना था कि यदि आप मुझसे पूछें कि क्या राजनीति दलों को अपना अखबार शुरू करने का अधिकार नहीं है तो मेरा मानना है कि उन्हें बिल्कुल यह अधिकार है, लेकिन यह उल्लेख किया जाना चाहिए कि इस अखबार को किस राजनीतिक दल द्वारा संचालित किया जा रहा है।

प्रयागराज के संगम तट पर साइबेरियन पक्षियाें का कौतूहल

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माघ मेले से पहले ठण्ड शुरू होते ही साइबेरियन पक्षी प्रयागराज में क्रीड़ा करते हुए बिताते हैं और गर्मी शुरू होते ही अपने वतन को लौटना शुरू कर देते हैं। ये मेहमान पक्षी स्वीटजरलैंड, साइबेरिया, जापान, और रूस समेत विश्व के अन्य ठंडे देशों से सर्दियों में संगम की ओर कूच करते हैं और गर्मी शुरू होने पर अपने वतन लौट जाते हैं। प्रयागराज : पतित पावनी गंगा, श्यामल यमुना और अदृश्य सरस्वती का संगम तट साइबेरियन पक्षियों के कलरव से एक बार फिर सुहावना हो गया है। सर्दी शुरू होते ही संगम तट पर प्रवासी पक्षियों का आगमन शुरू हो गया। संगम में विदेशी मेहमानों के कलरव और अठखेलियों को देखकर पर्यटक आनन्द की अनुभूति होती है। सात समंदर पार से आने वाले साइबेरियन पक्षियों को घाटों पर देखकर सैलानियों को काफी सुकून मिलता है। सुबह से शाम तक श्रद्धालुओं और पर्यटकों की संगम तट पर भीड़ लगी रहती है। शाम ढलते यहां का नजारा देखते ही बनता है। वहीं प्रयागराज में गंगा की लहरों पर इनकी अठखेलियां देखने के लिए दूर-दूर से सैलानी यहां पहुंचे हैं। एक तरफ ये पक्षी आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं तो वहीं दूसरी तरफ अपनी खूबसूर...

मंदिर निर्माण की तैयारी में रामभक्त

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जानकारी : राम मंदिर पर उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद अब राम मंदिर निर्माण के लिए तेजी से चर्चाएं हो रही हैं। शीर्ष अदालत ने कहा है कि तीन महीने में ट्रस्ट बनायें और मंदिर का निर्माण कार्य शुरू कर दें। इस ऐतिहासिक फैसले से देश में सकारात्मक प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। अयोध्या में राम मंदिर का होगा निर्माण, इस निर्णय से देश में नई ऊर्जा का संचार हो रहा है। वहीं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का कहना है कि अगले वर्ष यानि 2020 से निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा। इसके लिए मुहूर्त देखी जाएगी। अयोध्या में इस समय जिस जगह चबूतरे पर रामलला विराजमान हैं, वहीं बनने जा रहे मंदिर का गर्भगृह होगा। गौरतलब है कि अयोध्या मामले में उच्चतम न्यायालय में 40 दिनों तक लगातार चली सुनवाई के बाद बीते शनिवार को फैसला आया। फैसले में कहा गया कि राम मंदिर विवादित स्थल पर बनेगा और मस्जिद निर्माण के लिए अयोध्या में पांच एकड़ जमीन अलग से दी जाएगी। शीर्ष अदालत ने कहा कि विवादित 2.77 एकड़ जमीन केंद्र सरकार के अधीन रहेगी।

मूंगफली के साथ गुड़ खाने के हैं बेहतरीन फायदे

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जीवनशैली : मूंगफली को गुड़ के साथ मिलाकर खाने से अति स्वास्थ्य लाभ होता है और शरीर को अधिक ऊर्जा मिलती है। ठंड के दिनों में मूंगफली और गुड़ से बनी चिक्की खाने की भी सलाह दी जाती है क्योंकि इससे बॉडी में गर्माहट बनी रहती है। इन दोनों में भरपूर आयरन होता है, जो ब्लड सर्कुलेशन को ठीक रखने और दिल की बीमारियों से बचाने में मदद करता है। फाइबर से भरपूर मूंगफली व गुड़ का सेवन शरीर को एनर्जी देने के साथ-साथ मेटाबॉलिज्म बूस्ट भी करता है। इससे वजन घटाने में काफी मदद मिलती है। महिलाओं में गर्भावस्था के दौरान मूंगफली और गुड़ खाने से रक्त संचार नियमित रहता है। इससे यूटेरस के फंक्शन प्रॉपर होते हैं, जो बच्चे के प्रॉपर डेवलपमेंट के लिए फायदेमंद है। मूंगफली और गुड़ में मौजूद फाइबर्स पेट की समस्या जैसे एसिडिटी या कब्ज से दूर रखते हैं। इसके अलावा इससे पाचन क्रिया भी दुरुस्त रहती है।

पायल पहनने से दूर होती है नकारात्मक ऊर्जा

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जीवनशैली : पायल पैरों की शोभा तो है ही, इसके वैज्ञानिक कारण हैं। पायल पहनने से महिलाओं के प्रति पुरुष आकर्षित होते हैं पायल की आवाज से कर्णप्रिय होते हैं, जो सभी को अच्छे लगते हैं। पायल की एक अलग आवाज होती है, पायल की आवाज सुनने में ​अच्छा लगता ही है, पायल की आवाज से पुरुषों के दिमाग की घंटी बज जाती है। पायल की छनक निगेटिव ऊर्जा दूर करती है। कई महिलाएं जिनके पैरों में सूजन की समस्या है उन्हें चांदी की पायल पहनने से काफी लाभ पहुंच सकता है। पायल की एक और विशेष बात है कि पायल सिर्फ चांदी का होता है, सिर्फ और सिर्फ चांदी। पायल पहनने से महिलाओं में रक्त संचार शुद्ध व समुचित रहता है। पायल पैरों से निकलने वाली शारीरिक विद्युत ऊर्जा को शरीर में संरक्षित रखती है। पायल महिलाओं के पेट और निचले अंगों में वसा बढ़ने की गति को रोकती है। पायल पहनने से महिलाओं की इच्छा-शक्ति में मजबूत आती है।

हमेशा ट्रेंड में रहती है साड़ी, जानें पहनने के स्मार्ट तरीके

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जीवनशैली : साड़ी हमेशा से इंडियन वॉरड्रोब का हिस्सा रही है। महिलाएं सबसे पुराने वक्त से साड़ी पहनती आई हैं। माना जाता है करीब 5000 साल पहले इसकी खोज हुई। भारत की महिलाओं का यह सबसे पसंदीदा परिधान है। और अगर हम साड़ी पहनने की बात करें तो इसे पहनने के 50 तरीके हैं। बीते कुछ सालों में साड़ी कुछ ज्यादा ही फैशन ट्रेंड्स में है। नई स्टाइल्स, बॉलिवुड का असर और फैशनशोज में भी इसे जगह मिली है। साड़ी पहनने में काफी कंफर्टेबल है और इससे पहनना भी काफी आसान है, इसे देखते हुए महिलाएं इसमें तरह-तरह के एक्सपेरिमेंट्स कर रही हैं। अगर आप वर्किंग वुमन है जिसे फॉर्मल तरीके से साड़ी पहननी है, तो आपके लिए यहां हैं कुछ बेहतरीन स्टाइल्स।  गर्मी हो या सर्दी आप हर सीजन में साड़ी पहन सकती हैं। साड़ी पहनने का सबसे अच्छा तरीका है इसे बेल्ट के साथ पहनें। ऐसा करने से आपका पल्लू पूरे दिन एक ही जगह पर रहेगा। जिन लोगों को प्लीट्स बनाने में दिक्कत आती है वे स्टिच्ड साड़ी पहन सकते हैं। इस तरह से आपको साड़ी की फिक्र की जरूरत नहीं पड़ेगी। साड़ी को और फॉर्मल लुक देने के लिए आप इस पर रेग्युलर ब्लैजर पहन सकते हैं। ...

गर्भनिरोधक गोलियां लेने वाली किशोरियों में डिप्रेशन

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जीवनशैली : एक नई स्टडी में सामने आया है कि गर्भनिरोधक गोली लेने वाली किशोरियों में अवसाद से जुड़े लक्षणों का खतरा अधिक रहता है। बता दें कि जब से 1962 में ब्रिटेन में यह गोली उपलब्ध हुई है, तब से शोधकर्ता ओरल बर्थ कंट्रोल और मूड के बीच संबंध समझने की कोशिश कर रहे हैं। यह स्टडी ब्रिघम और महिला अस्पताल, यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर ग्रोनिंगन और लीडेन यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर द्वारा की गई। इससे पहले इन संस्थानों द्वारा ब्रेस्ट कैंसर, ब्लड क्लॉट्स, वेट गेन को लेकर शोध हो चुके हैं। जेएएमए मनोरोग मैग्जीन में पब्लिश स्टडी के अनुसार, शोधकर्ताओं ने स्टडी में 16 से 25 साल के बीच की उम्र लड़कियों का शामिल किया। इसके बाद शोधकर्ताओं का कहना था कि गर्भनिरोधक गोली लेने वाली किशोरियों में अन्य की तुलना में अधिक अवसाद से जुड़े लक्षणों का पता चला। शोध में यह भी पता चला कि 16 साल की लड़कियों में अवसाद के लक्षण अधिक पाए गए। अवसाद के लक्षणों को लेकर किए गए सर्वे में अधिक रोने, सोने, खाने, आत्महत्या करने, उदासी आदि की समस्या सामने आई।

असली परीक्षा मंझधार में

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बोधकथा : नदी में सवारियों से भरी एक नाव एक किनारे से उस पार जा रही थी। तूफान से नाव बीच मंझधार में डांवांडोल होने लगी तो लोग घबराकर रोने लगे तो कुछ अपना सामान समेटने लगे। सब अपने-अपने ईश्वर को याद करने लगे। नाव में एक साधु भी था, लेकिन उस पर कुछ असर नहीं दिख रहा था। वह कोने में अपनी माला फेरते हुए आंखें बंद किए बैठा था। कुछ लोगों ने उससे कहा—आप ही कुछ प्रार्थना कर लो, शायद तूफान थम जाए। सुना है साधु की दुआओं में बहुत असर होता है। साधु निर्विकार मुस्कुराता रहा। तभी दूर से किनारा दिखाई पडऩे लगा। अब तो प्रार्थनाओं की आवाज़ भी मंद पडऩे लगी। किनारा पास आते ही सब शांत हो गए और हंसी मज़ाक में डूब गए। इसके विपरीत साधु हाथ उठाकर दुआ करने लगा। यह देखकर एक यात्री ने कहा—जब कुछ करने का वक्त था तो कुछ किया नहीं। अब सुरक्षित पहुंच गए तो दिखावा करते हो। इस पर फकीर हंसते हुए बोला—असली परीक्षा तो मंझधार में ही होती है, जहां हर कोई सावधान रहता है। मगर किनारा दिखते ही सब भूल जाते हैं। मैं बीच में भी निश्चिंत था और यहां किनारे पर भी। हाथ उठाकर तो मैं ऊपर वाले का शुक्रिया अदा कर रहा हूं कि उसने हम सबको ...

बाबू राजेंद्र ने गलती के लिए नौकर से मांगी माफी

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बोधकथा : राष्ट्रपति बनने के बाद भी राजेन्द्र प्रसाद जी का घर सादा ही था। प्रसाद जी का एक पुराना नौकर था, तुलसी। एक दिन सुबह कमरे की झाड़पोंछ करते हुए उससे राजेन्द्र प्रसाद जी के डेस्क से एक हाथी दांत का पेन नीचे ज़मीन पर गिर गया। पेन टूट गया और स्याही कालीन पर फैल गई। राजेन्द्र प्रसाद बहुत गुस्सा हुए। यह पेन किसी की भेंट थी और उन्हें बहुत ही पसन्द थी। उन्होंने तुरन्त तुलसी को अपनी निजी सेवा से हटा दिया। उस दिन कई प्रतिष्ठित व्यक्ति और विदेशी पदाधिकारी उनसे मिलने आये। मगर सारा दिन काम करते हुए उनके दिल में एक कांटा-सा चुभता रहा। उन्हें लगता रहा कि उन्होंने तुलसी के साथ अन्याय किया है। जैसे ही उन्हें मिलने वालों से अवकाश मिला राजेन्द्र प्रसाद ने तुलसी को अपने कमरे में बुलाया।  पुराना सेवक अपनी ग़लती पर डरता हुआ कमरे के भीतर आया। उसने देखा कि राष्ट्रपति सिर झुकाये और हाथ जोड़े उसके सामने खड़े हैं। उन्होंने धीमे स्वर में कहा—'तुलसी, मुझे माफ़ कर दो।' तुलसी से कुछ बोला ही नहीं गया। राष्ट्रपति ने फिर नम्र स्वर में दोहराया—तुलसी, तुम क्षमा नहीं करोगे क्या? इस बार सेवक और स्वामी दो...

टूटे मन पर नियंत्रण

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बोधकथा : एक संत थे, बड़े तपस्वी और बहुत संयमी। लोग उनके धैर्य की प्रशंसा करते थे। एक दिन उनके मन में विचार आया कि उन्होंने खान-पान पर तो संयम कर लिया, लेकिन दूध पीना उन्हें बहुत प्रिय था। उसे त्याग करने के बारे में मन बनाया। इस तरह संत ने दूध पीना छोड़ दिया। सभी लोगों को बड़ा आश्चर्य हुआ। उन्होंने इस व्रत का कड़े नियम से पालन किया। ऐसा करते हुए कई साल बीत गए।  एक दिन संत के मन में विचार आया कि आज दूध पिया जाए। फिर तो न चाहते हुए भी उनकी दूध पीने की इच्छा प्रबल हो गई। तभी उन्हें एक धनी व्यक्ति के यहां से भोजन का बुलावा आया। उन्होंने उस सेठ से कहा, आज सिर्फ मैं दूध पीना चाहूंगा। उन सेठजी को पता था कि संत ने दूध न पीने का कठिन दृढ़ निश्चय किया है। शाम को सेठजी ने 40 घड़े संत की कुटिया के बाहर रखवाये। उन सभी में दूध भरा हुआ था। सेठजी पहुंचे और कहा आप ये पूरा दूध पी लीजिए। संत ने कहा, मुझे अकेले को ही दूध पीना है फिर आप इतने घड़े क्यों ले आए? सेठजी ने कहा, महाराज आपने दूध पीना 40 साल से छोड़ रखा है, उस हिसाब से दूध के 40 बड़े घड़े आपके सामने हैं। संत, सेठजी की बातों को समझ गए। उन्हो...

दीयों से ऐसे सजाएं घर

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जीवनशैली : दीपावली पर घर सजाने के लिए दीयों को किसी सिंगल कलर में रंग सकती हैं। आप चाहें तो दो कलर्स में भी इन दीयों को रंग सकती हैं। सीप के दीये : छोटे शंख या बड़े-बड़े सीप के पीस मिल जाएं तो आप इन्हें भी दीयों की तरह यूज कर सकती हैं। दिन में भले ही ये देखने में आपको कुछ कम रंगीन लगें लेकिन इन सफेद सीप और शंखों के बीच रात में जब बाती की रोशनी पड़ेगी तो ये सबसे खूबसूरत दीये लगेंगे। घर का पुराना आइटम : हमारे घर में कुकीज के टिन के टिब्बे अक्सर जमा हो जाते हैं। अगर आप भी ऐसे डिब्बों का यूज करना चाहती हैं तो दिवाली इसके लिए बेस्ट है। आप इन डिब्बों को और इनके ढक्कन को किसी एक रंग में या अलग-अलग रंगों में अपनी पंसद के डिजाइन के हिसाब से पेंट करें और फिर इन्हें घर की किसी दीवार पर हैंग कर दें। अब इन पेंटेड डिब्बों में जलते हुए दीये सजाएं। पुरानी बैंगल्स : पुरानी बैंगल्स और कड़े हम अक्सर फेंक देते हैं। लेकिन इस बार इन्हें फेंके नहीं, आप अपनी 3 से 4 चूडिय़ों को फेविक्विक की मदद से एक साथ चिपकाएं। फिर जमीन पर गुलाब या गेंदे के फूलों की पंखुडिय़ां बिछाकर उनके ऊपर इन चूडिय़ों को रख दें। अब इनके ...

अबकी बार दीपावली पर बनाएं फूलों की रंगोली, ईको फ्रेंडली

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 जीवनशैली : दीपावली के दिन रंग-बिरंगे रंगों और फूलों से बनी रंगोली मां लक्ष्मी के स्वागत में बनाई जाती है। रंगोली के कलर्स बनाने में भी कैमिकल्स का यूज होता है। अगर आपके पास नैचरल रंगों से रंगोली बनाने का विकल्प मौजूद नहीं है तो पर्यावण की सुरक्षा और टाइम की बचत के लिए आप फ्लॉवर रंगोली बना सकती हैं। मोरपंख स्टाइल में फ्लॉवर रंगोली बनाकर आप उसे बीच में दीये रखकर सजा सकती हैं। इस तरह की रंगोली बनाने के लिए आपको दो से तीन तरह के फूल और हरे रंग के लिए छोटी पत्तियों की जरूरत होती है। आप चाहें तो अशोक वृक्ष की पत्तियों को छोटा-छोटा काटकर भी यूज कर सकती हैं। आप रंगोली कलर्स के साथ फ्लॉवर्स का कॉम्बिनेशन करके भी रंगोली बना सकती हैं। यहां दिए गए डिजाइन में कलर्स, फ्लॉवर्स और दीयों का बहुत प्यारा कॉम्बिनेशन दिखाया गया है। आप इससे आइडिया ले सकती हैं और अपने रंगोली कलर्स के हिसाब से किसी दूसरे रंग के फूलों का चुनाव भी कर सकती हैं। गोलाकार रंगोली का डिजाइन हमेशा अच्छा लगता है। सिंपल और सुंदर दिखता है वहीं इसे बनाना भी अन्य डिजाइंस की तुलना में आसान रहता है। आप इस तरह से फूल और पत्तियों की...

वासना और संग्रह की प्रवृत्ति है भौतिकवादी

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बोधकथा : आचार्य रजनीश किसी के घर ठहरे हुए थे। उस मकान की ऊपरी मंजिल पर स्विट्जऱलैंड के दो परिवार भी रहते थे। ओशो जिस भारतीय के घर में थे, उन्होंने विदेशियों के बारे में बताया कि ये बड़े भौतिकवादी लोग हैं। इन्हें सिवाय खाने-पीने और नाच-गाने के और कोई काम नहीं। रात बारह बजे तक नाचते रहते हैं। सुख-सुविधा की किसी चीज के अलावा आत्मा-परमात्मा से इन्हें कोई मतलब नहीं। बस धन कमाना और खाना-पीना, यही इनके जीवन का ध्येय है। दोबारा जब ओशो उस घर में गये तो वे विदेशी जा चुके थे। घर की गृहिणी उनसे कहने लगी—वे लोग बड़े अजीब थे। जाते समय अपने सारे बर्तन नौकरानी को दे गये। रेडियो पड़ोसियों को भेंटकर गये। वे अपने कपड़े भी मोहल्ले में बांट गये। रजनीश ने गृहिणी से पूछा—कुछ तुम्हें भी देकर गये हैं, क्या  गृहिणी बोली—नहीं, हमें तो यह सोचकर नहीं दिया होगा कि ये लोग धनी हैं, देने से कहीं नाराज ना हो जायें। गृहिणी जब यह कह रही थी तो वह मन से बड़ी दुखी प्रतीत हो रही थी। तभी गृहिणी की लड़की भीतर से एक रेशम की रस्सी लेकर आई और बोली-इसे वे लोग पीछे आंगन में बंधी छोड़ गये। मेरी मां इसे खोलकर ले आई, बहुत बढिय़ा...

एक चोर कैसे बना धन का देवता कुबेर!

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कथा : इस वर्ष यानि 2019 में 25 अक्टूबर को धनतेरस मनाया जाएगा। धनतेरस और दीपावाली पर कुबेर भगवान की पूजा का भी विधान है। धनतेरस को भगवान धनवंतरि के साथ धन के देवता कुबेर की भी पूजा की जाती है। भगवान कुबेर पूर्वजन्म में एक गुणनिधी नाम के गरीब ब्राह्मण थे। बचपन में उन्होंने अपने पिता से धर्म शास्त्र की शिक्षा ली, लेकिन गलत संगत में आने के कारण उन्हें जुआ खेलने और चोरी की लत लग गई। गुणनिधी की इन हरकतों से परेशान होकर उनके पिता ने उन्हें घर से बाहर निकाल दिया। घर से निकाले जाने के बाद उनकी हालत दयनीय हो गई और वह लोगों के घर जाकर भोजन मांगने लगे। एक दिन गुणनिधि भोजन की तलाश में गांव-गांव भटक रहे थे। लेकिन उन्हें उस दिन किसी ने भोजन नहीं दिया। इसके बाद गुणनिधि भूख और प्यास से परेशान हो गए। भूख और प्यास के कारण गुणनिधि भटकते-भटकते जंगल की और निकल पड़े। जंगल में उन्हें कुछ ब्राह्मण भोग की सामग्री ले जाते हुए दिखाई दिए। भूख की सामग्री को देख गुणनिधि की भूख और भी ज्यादा बढ गई और खाने के लालच में वह ब्राह्मणों के पीछे-पीछे चल दिए। ब्राह्मणों का पीछा करते-करते गुणनिधि एक शिवालय आ पहुंचे, जहां उन...

दीपावली पर बनायें सुंदर रंगोली

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जीवनशैली : इस वर्ष यानि दीपावली 27 अक्टूबर 2019 को पड़ रही है। देश में दीपावली उत्साह से मनायी जाती है। दीपावली पर लोग दीप पूजन करते हैं और तरह—तरह की रंगोली बनाते हैं। दीपावली पर अपने घर को ताजे-फूलों और फूल मालाओं से सजाएं और पारम्परिक लटकन भी आप अपने घर के लिए ला सकते हैं। क्योंकि यह कांच, कड़े, मोतियों और सीप्स से बनी हो सकती हैं। इसी के साथ आप अपनी पसंद के डिजाइन ले सकते हैं और आप चाहे तो राजस्थानी और गुजराती लटकने भी लगा सकते हैं क्योंकि ये कहीं अधिक कलरफुल होती हैं। इसी के साथ घर के लिए बंदरवाल जरूर खरीदें या आम के पत्तों से बनाएं। आजकल घरों की सजावट के लिए पेटिंग सबसे तरीका है। आप घर पर भी पेटिंग बना सकते हैं। अगर आप घर के कामकाजों में व्यस्त रहते हैं तो आप बाजार से भी पेटिंग ला सकते हैं। इसके अलावा आप गुलदस्ते लगा सकते हैं। अगर आपके घर में गमलों में पौधें लग रहे हैं तो आप उन पर लाइट या कलर पेंट करके घर को सजा सकते हैं। वहीं दीपावली पर घर में सबसे जरूरी है—रोशनी की सजावट। वहीं दूसरी ओर ऐसी मान्यता है कि दीपावली पर्व पर रंगोली बनाना बहुत शुभ होता है। रंगोली कई तरह की बनाई जात...

धैर्यवान छिपकली

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बोधकथा : एक जापानी मरम्मत के लिए अपने मकान की दीवारें तोड़ रहा था। जापान में लकड़ी की दीवारों के बीच ख़ाली जगह होती है, यानी दीवारें अंदर से पोली होती हैं। जब वह लकड़ी की दीवारों को तोड़ रहा था तभी उसने देखा कि दीवार के अंदर की तरफ लकड़ी पर एक छिपकली, बाहर से उसके पैर पर ठुकी कील के कारण, एक ही जगह पर जमी पड़ी है। जब उसने यह दृश्य देखा तो उसे बहुत दया आई पर साथ ही वह जिज्ञासु भी हो गया। जब उसने आगे जांच की तो पाया कि वह कील तो उसके मकान बनते समय पांच साल पहले ठोकी गई थी। एक छिपकली इस स्थिति में पांच साल तक जीवित थी। दीवार के अंधेरे पार्टीशन के बीच, बिना हिले-डुले? उसकी समझ से परे था कि एक छिपकली, जिसका एक पैर, एक ही स्थान पर पिछले पांच साल से कील के कारण चिपका हुआ था और जो अपनी जगह से एक इंच भी न हिली थी, वह कैसे जीवित रह सकती है? छिपकली अब तक क्या करती रही है और कैसे अपने भोजन की जरूरत को पूरा करती रही है, यह देखने के लिए उसने अपना काम रोक दिया। थोड़ी ही देर बाद वहां दूसरी छिपकली प्रकट हुई, वह अपने मुंह में भोजन दबाये हुए थी और आकर उस फंसी हुई छिपकली को भोजन खिलाने लगी! यह देख वह स...

भारत और पाकिस्तान के लिए चुनौती है करतारपुर कॉरिडोर

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भारत के गुरु नानकदेव पाकिस्तान के बाबा नानक पीर भी हैं  विचार : सिक्ख गुरु नानकदेव जी की 550वीं जयंती (12 नवंबर 2019) के मौके पर करतारपुर कॉरिडोर के माध्यम से सिक्ख श्रद्धालुओं के लिए गुरुद्वारा दरबार साहिब पहुंचना आसान बनाने का फैसला अपने आप में एक बड़ी पहल है। सीमा पर सब कुछ सामान्य होता तो पाकिस्तान सरकार के इस फैसले पर आज भारत में उसकी वाहवाही हो रही होती। यह हालात की बदतरी ही है कि इतना बड़ा फैसला भी दोनों देशों के बीच खड़ी आशंकाओं की दीवार को भेद नहीं पा रहा। दुखद बात है कि शुरू से ही यह प्रस्ताव दोनों देशों के तनावपूर्ण सम्बन्धों की भेंट चढ़ता रहा है। 1999 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और नवाज शरीफ के कार्यकाल में आपसी गर्मजोशी के बीच यह प्रस्ताव पहली बार आया तो जल्द ही कारगिल युद्ध के कारण ठंडे बस्ते में चला गया। दूसरी बार बात आगे बढ़ी तो 2008 का मुंबई आतंकी हमला आड़े आ गया। अभी अगस्त 2018 में जब पाकिस्तान ने यह कॉरिडोर बनाने के अपने इरादे को 550वें प्रकाश पर्व से जोड़ दिया तो मामला कुछ आगे बढ़ा और समय सीमा के दबाव के आगे सारी बाधाएं इस बार बौनी होती...

दानवों से श्रेष्ठ हैं देव

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बोधकथा : देव और दानवों में एक बार विवाद छिड़ा कि दोनों में श्रेष्ठ कौन है। दोनों ब्रह्माजी के पास पहुंचे। ब्रह्माजी ने दोनों वर्गों को सांत्वना दी। दूसरे दिन सभी को भोजन के लिए बुलाया गया। ब्रह्माजी ने मंत्र शक्ति से दोनों वर्गों को कोहनियों पर से हाथ मुडऩे में अवरोध उत्पन्न कर दिया। दैत्य वर्ग के लोग हाथ ऊपर ले जाते। ऊपर से ग्रास पटकते। कोई ग्रास मुंह में जाता, कोई इधर-उधर गिरता। पूरा चेहरा गन्दा हो जाता। इस स्थिति में उन्हें भूखे रहकर दुखी मन से विवशतापूर्वक उठना पड़ा। पर देवों ने अपने सहज स्वभाव के अनुसार हल निकाल लिया। एक ने अपने हाथ से भोजन ग्रास तोड़ा तथा उसे दूसरे के मुंह में डाल दिया। दूसरे ने तीसरे के मुंह में। इस प्रकार पूरी मंडली ने भरपेट भोजन कर लिया। ब्रह्मा जी ने दोनों को बुलाया और कहा कि जो केवल अपने लिए ही सोचता और करता है वह असंतुष्ट रहता है किन्तु जिसे दूसरों के हित का ध्यान है उसे संतोष भी मिलता है, यश भी और सम्मान भी मिलता है। इस कसौटी पर देव खरे उतरे हैं और देव दानवों से श्रेष्ठ हैं।

बकरियों का चरवाहा

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बोधकथा : प्रतिदिन अपने मालिक की बकरियों को दूर जंगल में चराने का काम करता था चरवाहा, वह सुकून से जीने लायक कमा लेता था। बकरियों को उसकी आवाज में ही संकेत मिल जाता था और कभी डंडे से हांकना नहीं पड़ता था। एक दिन बकरियों के मालिक ने कहा कि जंगल से जड़ी-बूटियां बीन लाओ तो तुम्हें रोज कुछ अतिरिक्त पैसा दे दूंगा। लेकिन चरवाहा यह कहकर कि मेरी सामर्थ्य की सीमा है, बात टालता रहा। एक दिन मालिक ने उसको आलसी समझ कर गुस्से में उसका हाथ पकड़ लिया तो वह आश्चर्य में पड़ गया। दरअसल, चरवाहे की जो दो हथेली थी, उसमें भी बस एक-एक अंगूठा ही था। मालिक शर्मसार हो गया और उसने पूछा कि बकरियों को कैसे नियंत्रण में रखते हो। चरवाहा बोला कि जानवर इनसान से कहीं ज्यादा संवेदनशील होते हैं। कभी रस्सी बांधनी नहीं पड़ी डंडा मारना नहीं पड़ा, बस अपनेपन की आवाज से पहचानते हैं जानवर।

ब्रेन और ब्लड के लिए खूबियों का खजाना है विटमिन बी

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जीवनशैली : सेहत के साथ सुंदरता बनाए रखने के लिए आप विटमिन बी 3 से युक्त चीजों का सेवन करें, जैसे केला, फलीदार सब्जियां और ओटमील खाएं जो निकोटिनमाइड से भरपूर होती हैं। इससे आपकी स्किन का मॉइस्चर लॉक रहता है। इसके साथ ही विटमिन बी कॉम्प्लेक्स में बायोटिन रहता है जो आपके नाखूनों और बालों को मजबूत बनाता है। तमाम लोग इस बात से अवगत हैं कि विटामिन बी 12 का घटा हुआ स्तर अनीमिया पैदा कर सकता है। इस अनीमिया को मेगैलोब्लास्टिक अनीमिया कहा जाता है और इसके साथ कई बार तंत्रिका तंत्र भी प्रभावित हो जाता है। नतीजन रोगियों में जो लक्षण मिलते हैं, वे इन्हीं दोनों तंत्रों ( रक्त और मस्तिष्क की अंदरुनी या बाहरी तंत्रिकाओं ) से संबंधित मिलते हैं। यानी ब्लड और ब्रेन दोनों के लिए यह जरूरी है। विटमिन बी- 1 : गर्भ में बच्चे के मस्तिष्क के विकास में एक बहुत मदद करता है। प्रेग्नेंट महिलाओं को रोज विटमिन बी-1 की जरूरत बहुत अधिक होती है। इसके लिए आप अपनी डायट में पास्ता, मीट, डेयरी उत्पाद को शामिल कर सकती हैं। अगर आप नॉनवेज खाते हैं तो सेलमन फिश जरूर खाएं। यह ओमेगा 3 फैटी एसिड और प्रोटीन बहुत अच्छी मात्रा में...

भारत व चीन को सुलझाने होंगे मतभेद!

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 विचार : चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की सफल भारत यात्रा से भारत-चीन दोस्ती को थोड़ी और मजबूती मिली है। वुहान से शुरू हुई अनौपचारिक संवाद प्रक्रिया को आगे बढ़ाकर दोनों देशों ने दुनिया को संकेत दिया है कि वे अपनी तमाम असहमतियों के बावजूद एक-दूसरे का साथ नहीं छोडऩे वाले हैं। इस बार दोनों के संबंधों का दायरा थोड़ा और स्पष्ट हो गया है। चीन जान गया है कि भारत जम्मू-कश्मीर को लेकर अपने रुख पर दृढ़ता के साथ खड़ा है, उसी तरह भारत को भी अहसास है कि चीन इस मामले में पाकिस्तान की तरफ झुका हुआ है। मगर विवाद के मुद्दों को दोनों अपनी दोस्ती में बाधक नहीं बनने देना चाहते। इसलिए मोदी और शी की मुलाकात में यह मसला नहीं उठा। सीमा विवाद को लेकर भी दोनों का यही रवैया रहा है। दोनों मुल्क मानते हैं कि यह मामला रातोंरात नहीं सुलझ सकता। लिहाजा इसे छोड़कर, जहां भी संभव हो, उन क्षेत्रों में साझा कदम उठाए जाएं। यह समझदारी ही फिलहाल एशिया की इन दो शक्तियों की मित्रता का आधार है, जो विश्व के लिए भी एक मिसाल है। इस मुलाकात से भारत और चीन के द्विपक्षीय संबंधों में कई नए अध्याय जुडऩे की उम्मीद जागी है, जिसका ला...

जीवन में उत्साह होना चाहिए

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बोधकथा : प्रतिदिन घर में होने वाली कलह से तंग आकर एक व्यक्ति ने आत्महत्या करने की सोची। किन्तु आत्महत्या का निर्णय लेना इतना आसान भी नहीं था। परिवार के भविष्य को लेकर वह चिंतित हो गया। असमंजस की स्थिति में वह महर्षि रमण के आश्रम में गया। महर्षि को अपनी स्थिति की सारी जानकारी देकर आत्महत्या के बारे में उनकी राय जाननी चाही। महर्षि उस समय आश्रमवासियों के भोजन के लिए पत्तलें बनाने में व्यस्त थे। पत्तल बनाने में महर्षि की तल्लीनता और परिश्रम को देख उसे आश्चर्य हुआ। उसने पूछा, स्वामी जी! आप इन पत्तलों को इतने परिश्रम से बना रहे हैं, लेकिन थोड़ी देर में भोजन के बाद ये पत्तलें कूड़े में फेंक दी जाएंगी। महर्षि बोले कि सही कहा तुमने, मगर किसी वस्तु का पूरा उपयोग करके उसे फेंकना बुरा नहीं है। गलत तो तब है जब उपयोग किए बिना उसे अच्छी अवस्था में ही फेंक दिया जाए। आप सुविज्ञ हैं, मेरे कहने का आशय समझ गये होंगे। व्यक्ति को समझ आ गया कि जब तक जान है, जीने का उत्साह बने रहना चाहिए। मानव जीवन दुर्लभ है।

सौरव गांगुली : बीसीसीआई के निर्विरोध अध्यक्ष

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विचार : टीम इंडिया के पूर्व कप्तान सौरभ गांगुली भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के अगले अध्यक्ष बनने जा रहे हैं। इस तरह पहली बार भारतीय क्रिकेट का प्रबंधन एक खिलाड़ी के हाथ में होगा। अब तक राजनेता या उद्योगपति ही दुनिया के इस सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड के कर्ता-धर्ता बनते आए हैं जबकि विशेषज्ञों ने बार-बार दोहराया है कि खेल संगठनों का दायित्व कोई पूर्व खिलाड़ी ही संभाले क्योंकि मैदान और उसके बाहर की चुनौतियों को वह बेहतर समझ सकता है। उम्मीद की जानी चाहिए कि दादा के आने से भारतीय क्रिकेट प्रशासन का ढर्रा भी बदलेगा। पूर्व क्रिकेटर सौरभ गांगुली ने सोमवार को अपना नामांकन दाखिल किया जो एक औपचारिकता ही है क्योंकि उनके अलावा किसी अन्य सदस्य ने नामांकन नहीं भरा। उनके निर्विरोध निर्वाचन की घोषणा 23 अक्टूबर को होगी और वह 10 महीने यानी सितंबर 2020 तक बोर्ड के अध्यक्ष होंगे। उन्होंने कहा कि 'नियुक्ति से मैं खुश हूं क्योंकि यह वह समय है जब बीसीसीआई की छवि खराब हुई है और कुछ करने का यह मेरे लिए अच्छा मौका है। आज की तारीख में भारतीय क्रिकेट का डंका भले ही पूरी दुनिया में बज रहा हो पर बीसीसीआई की साख...

मंदी की चपेट में दुनिया

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विश्लेषण : औद्योगिक उत्पादन सूचकांक साढ़े छह साल में सबसे कम है। बीते जुलाई के मुक़ाबले अगस्त में औद्योगिक विकास 4.3 प्रतिशत से घटकर -1.10 प्रतिशत पर आ गया। ये आँकड़े फ़रवरी 2013 के बाद सबसे कमज़ोर हैं। देश के 23 औद्योगिक समूहों में से 15 में निर्माण वृद्धि घटती हुई नकारात्मक हो गई है। हाल के दिनों में ऑटो सेक्टर की हालत ख़राब है ही। बेरोज़गारी भी रिकॉर्ड स्तर पर है। वहीं दूसरी ओर आखिरकार अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष की प्रमुख ने सार्वजनिक तौर पर स्वीकार कर लिया है कि दुनिया का नब्बे फीसदी हिस्सा मंदी की चपेट में है, जिसके मुकाबले को साझे कदम उठाये जाने की जरूरत है। उनकी चिंता में बड़ी बात यह है कि पटरी से उतरी भारतीय अर्थव्यवस्था के लिये मंदी बड़ी चुनौती है। हालांकि, इस संकट की आहट को महसूस करते हुए अर्थव्यवस्था को गति देने के लिये केंद्र सरकार ने कई चरणों में कदम उठाये हैं, मगर सार्वजनिक तौर पर मंदी की बात स्वीकार नहीं की है। बुधवार को केंद्रीय सेवारत कर्मचारियों व सेवानिवृत्त कर्मचारियों के महंगाई भत्ते में जो पांच फीसदी की वृद्धि की गई है, वह एक उपभोक्ता के रूप में उन...