
लखनऊ : विश्व में बहुत कम देश होंगे, जहां के लोग झूठ न बोलते हों। झूठ बोलना मानव जीवन की फितरत है, जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए। भारत समेत कई ऐसे देश हैं जहां झूठ बोलकर कर्मचारी छुट्टी ले लेते हैं। जिसमें सबसे ज्यादा बीमारी का बहाना बनाया जाता है, उसके बाद सगे, सम्बन्धियों और दोस्तों की बीमारी, यहां तक कि उनकी मौत का बहाना बनाकर अवकाश ले लिया जाता है। कोचिंग संस्थान चलाने वाले राकेश सारस्वत बताते हैं कि मीडिया संस्थान में कार्य करते हुए उन्होंने कई बार झूठ बोलकर छुट्टी ली। ऐसा झूठ, जिस पर विश्वास करना ही पड़ता है और कितना भी जरूरी कार्य क्यों न हो ऐसे आपातकाल के लिए संस्थानों को छुट्टी देनी ही पड़ती है। नाम न छापने की शर्त पर एक सरकारी कर्मचारी बताते हैं कि उन्होंने ऐसे व्यक्तियों की मौत बताकर छुट्टी ली, जिनकी पहले ही मौत हो चुकी है। बहरहाल, नया सर्वे ब्रिटेन से आया है, जिसमें कहा गया है कि कर्मचारी अपने बॉस से बीमारी के छोटे-छोटे झूठ बोलकर छुट्टी लेते हैं। हर पांच में से दो कर्मचारी ऐसा करते हैं। सर्वे में जब कर्मचारियों की नैतिकता और मूल्यों पर सवाल उठाया गया, तो उन्होंने बीमारी के बारे में झूठ बोलने, चोरी करने और अन्य लोगों के काम का श्रेय लेने की बात स्वीकार की।

ब्रिटेन में एक कर्मचारी साल में लगभग चार दिन की सिक लीव लेता है। साल 2018 में ऑफिस न आने के लिए कर्मचारियों ने सबसे आम कारण सामान्य सर्दी, मस्कुलोस्केलेटल समस्याएं (जैसे पीठ दर्द) और दिमागी थकावट जैसी बीमारियां बताई थीं। सीनियर्स की तुलना में जूनियर कर्मचारी अधिक झूठ बोलते हैं। हालांकि, वे सहयोगियों का साथ देने के लिए भी ज्यादा तैयार होते हैं। सर्वे में यह भी पाया गया कि महिलाओं के मुकाबले पुरुषों में दूसरे के काम की प्रशंसा खुद ले लेने की प्रवृत्ति दोगुनी पाई जाती है। सर्वे में शामिल एक तिहाई सदस्यों ने यह भी बताया कि उन्होंने ऑफिस से स्टेपलर और नोटबुक जैसी छोटी-छोटी चीजें भी चुराईं। 16 साल से अधिक उम्र के 3655 वयस्कों से पूछताछ के आधार पर सर्वे रिपोर्ट तैयार की गई।
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