विवाह पंचमी आज, राम व सीता का हुआ था विवाह

  • शिवधुनष का नाम था पिनाक, प्रत्यंचा चढ़ाते ही टूट गया 

जीवनशैली : आज यानि एक दिसम्बर 2019 को विवाह पंचमी है। रविवार को गोचर यानी आकाश मंडल में स्वराशि स्थित बृहस्पति तथा चंद्रमा से एकादश सूर्य लाभ भाव में होने से इस मुहूर्त की शुद्धता को बढ़ाएंगे। वहीं चंद्रमा का स्वयं के नक्षत्र श्रवण में होना शुभ है। शुभ ग्रहों की प्रधानता होने के कारण यह दिन मांगलिक कार्यों के लिए सर्वश्रेष्ठ रहेगा। रविवार को सूर्य-चंद्रमा की स्थिति से वृद्धि और रवियोग योग बन रहे हैं। वहीं तिथि, वार और नक्षत्र के संयोग से सुबह लगभग 10 बजे तक सर्वार्थसिद्धि योग भी रहेगा। इन शुभ योगों में सूर्योदय होने से मांगलिक कार्यों के लिए पूरा दिन श्रेष्ठ रहेगा। पूर्णा तिथि होने से मांगलिक कार्य पूर्ण होंगे। अंक ज्योतिष में भी यह तिथि काफी शुभ है। रविवार का मूलांक 1 है जो सूर्य देव का अंक है। दिन और अंक का शुभ संयोग बनने से सभी मुहूर्तों में सूर्य का प्रभाव रहेगा। इस दिन किया गया कार्य शुभ फल देगा। प्रभु श्री राम चेतना के प्रतीक हैं और माता सीता शक्ति की प्रतीक हैं। चेतना और प्रकृति के मिलन से यह दिन काफी महत्वपूर्ण हो जाता है। इस दिन भगवान राम और माता सीता का विवाह करना शुभ माना जाता है। जिनकी शादी में अड़चनें आ रही हों और जिन दंपतियों के जीवन में परेशानियां चल रही हों, उन्हें पंचमी को श्रीराम और माता सीता का विवाह करवाना चाहिए। इस दिन रामचरित मानस और बालकांड में भगवान श्री राम और माता सीता के विवाह प्रसंग का पाठ करना शुभ माना गया है।

सीता स्वयंवर में प्रभु श्री राम ने शिव धनुष को भंग किया था। इसके बाद राजा जनक ने अयोध्या में अपने दूत भेजे थे और राजा दशरथ से बारात लाने का आग्रह किया था। इसके बाद पंचमी के दिन प्रभु श्री राम और माता सीता का विवाह हुआ था। जैसा कि ज्ञात है कि सीता के स्वयंवर में राजा जनक ने उद्घोषणा की जो भी शिव जी के धनुष को भंग कर देगा उसके साथ सीता के विवाह का संकल्प कर लिया। स्वयंवर में बहुत राजा महाराजाओं ने अपने वीरता का परिचय दिया लेकिन विफल रहे। जनक जी चिंतित होकर घोषणा की लगता है कि यह पृथ्वी वीरों से विहीन हो गयी है, तभी मुनि विश्वामित्र ने राम को शिव धनुष भंग करने का आदेश दिया। राम जी ने मुनि विश्वामित्र जी की आज्ञा मानकर शिव जी की मन ही मन स्तुति कर शिव धनुष को एक ही बार में भंग कर दिया। इसके बाद राजा जनक ने सीता का विवाह धूमधाम से राम जी से कर दिया।

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