कर्क व वृश्चिक राशियां शनि ढैय्या से पीड़ित
ज्योतिष। शनि को सबसे धीमी गति का ग्रह माना गया है। यही कारण है कि शनि को एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करने में ढाई साल का समय लगता है। 5 जून 2022 को सुबह 3:16 बजे शनिदेव वक्री हुये थे। वक्री शनि अब 141 दिन बाद मार्गी होंगे। शनि 23 अक्टूबर 2022, रविवार को प्रात: 9 बजकर 37 मिनट पर मार्गी होंगे। यानी शनि फिर से अपनी सीधी चाल शुरू करेंगे। मौजूदा समय में कर्क व वृश्चिक राशियां शनि ढैय्या से पीड़ित हैं। मकर, कुम्भ व मीन राशि वालों पर शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव है। ऐसे में इन राशियों के जातकों को शनि की वक्री अवस्था के दौरान विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है। शनिदेव वृष, कन्या और धनु राशि वालों के लिए शुभ साबित हो सकते हैं। शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए शनिवार के दिन शनि मंदिर में शनि से सम्बन्धित वस्तुओं का दान करना चाहिए। शनि चालीसा का पाठ जरूर करना चाहिए। तुला राशि शनि देव की सबसे प्रिय राशि मानी जाती है। इस राशि के जातक बहुत ही सच्चे और ईमानदारी से जीवन व्यतीत करने वाले होते हैं। माना जाता है कि इस राशि के लोगों पर शनि की विशेष कृपा बनी रहती है। बता दें कि ग्रह दो तरह से गति करते हैं—मार्गी चाल और वक्री चाल। मार्गी का मतलब अपनी स्वाभाविक गति से चलना और वक्री का मतलब है धीमा चलना या रुक जाना। सूर्य और चंद्रमा कभी भी वक्री नहीं होते हैं, शेष सभी ग्रह वक्री चाल चलते हैं।
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