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सितंबर, 2022 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

अक्‍टूबर में दशहरा, करवा चौथ, धनतेरस और दीपावली के चलते रहेगा उल्लास

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धर्म। धार्मिक दृष्टिकोण से अक्टूबर 2022 का महीना बहुत ही खास माना जाता है। इस साल अक्टूबर में सुहागिन महिलाएं पति की लम्बी उम्र के लिए करवा चौथ का व्रत रखेंगी, जबकि दशहरा व दीपावली जैसे बड़े पर्व भी इसी महीने में पड़ेंगे। अक्टूबर 2022 में कई बड़े त्‍योहार पड़ने से महीने भर हर्ष व प्रसन्नता का माहौल रहेगा। शारदीय नवरात्रि के दौरान महीने की शुरुआत होगी। 3 अक्‍टूबर को महाअष्‍टमी, 4 अक्टूबर को महानवमी, 5 अक्‍टूबर को दशहरा, 6 अक्टूबर को पापांकुशा एकादशी व्रत सबका, 7 अक्टूबर को प्रदोष व्रत, 9 अक्टूबर को व्रतादि की आश्विनी पूर्णिमा/शरद पूर्णिमा, 11 अक्टूबर को अशून्य शयन द्वितीया व्रत। 13 अक्‍टूबर को करवा चौथ और संकष्टी चतुर्थी व्रत, 15 को स्कन्द षष्ठी व्रत, 17 अक्टूबर को अहोई अष्टमी व्रत, 21 अक्टूबर को रम्भा एकादशी व्रत। 23 अक्‍टूबर को धनतेरस/धन्वन्तरि जयन्ती, 24 अक्‍टूबर को दीपावली/नरक चतुर्दशी व्रत, 25 अक्‍टूबर को गोवर्धन पूजा/श्राद्धादि की अमावस्या और 26 अक्‍टूबर को भाई दूज मनाई जाएगी। 28 को वैनायकी श्री गणेश चतुर्थी व्रत, 29 को सौभाग्य पंचमी व्रत, 30 अक्टूबर को सूर्य षष्ठी व्रत।

तीन दिन में तीन राशियों के परिवर्तन से तीन राशि के जातकों की चमकेगी किस्मत

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ज्योतिष। पृथ्वी के चलायमान होने चलते नित नये परितर्वन ब्रह्मांड में होते रहते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार 16 अक्टूबर 2022 को मंगल मीन राशि में परिवर्तन करेंगे। 17 अक्टूबर को सूर्य राशि परिवर्तन करेंगे, 17 सितम्बर 2022 को अपनी सिंह राशि से निकलकर बुध की राशि कन्या में गोचर कर रहे हैं सूर्य। वहीं 18 अक्टूबर को शुक्र राशि परिवर्तन करेंगे, बीते 24 सितम्बर को कन्या राशि में गोचर हुए थे शुक्र। पंडित कामता प्रसाद मिश्र ने बताया कि इस तरह तीन राशियों मंगल, सूर्य और शुक्र के राशि परिवर्तन से तीन राशि के जातकों का भाग्य उदय होने वाला है, जातकों की चमकेगी किस्मत।   मेष : धनागम के नये स्रोत बनेंगे। आर्थिक समस्याओं से छुटकारा मिलेगा। जीवनसाथी के साथ समय व्यतीत करेंगे। जीवनसाथी के साथ बेहतर समय व्यतीत करेंगे। नौकरीपेशा लोगों के लिए भी ये समय शुभ रहेगा।   वृश्चिक : इस राशि के जातकों के लिए यह समय किसी वरदान से कम नहीं कहा जा सकता है। दाम्पत्य जीवन सुखमय रहेगा। कार्यों में सफलता मिलेगी, आर्थिक पक्ष मजबूत होगा, निवेश करने से लाभ हो सकता है।   मीन : कार्यक्षेत्र में जातक द्वारा किए ...

हमारा पालन व पोषण करती है प्रकृति

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विचार। प्रकृति एक प्राकृतिक पर्यावरण है जो हमारे आसपास है, हमारा ध्यान देती है और हर पल हमारा पालन-पोषण करती है। प्रकृति हमारे चारों तरफ एक सुरक्षात्मक कवच प्रदान करती है जो हमें नुकसान से बचाती है। हवा, पानी, जमीन, आग, आकाश आदि जैसी प्रकृति के बिना हम लोग इस काबिल नहीं हैं कि पृथ्वी पर रह सकें। यही कारण है कि धरती के आसपास के क्षेत्र ब्रहृमांड को भगवान का दर्जा दिया गया है। भगवान यानि ईश्चर यानि निराकार, जिसका कोई आकार नहीं है। प्रकृति को ही भगवान कहा जा सकता है। भ—भूमि ग—गगन वा—वायु न—नभ बता दें कि ईश्वर के कई साकार रूप हैं। सभी साकार रूप निराकार में ही सम्मिलित हो जाता है। प्रकृति के अन्दर वायु, पानी, मिट्टी, पेड़-पौधे, पशु-पक्षी, नदियाँ, सरोवर, झरने, समुद्र, जंगल, पहाड़, खनिज आदि और न जाने कितने प्राकृतिक संसाधन आते हैं। इन सभी से हमें सांस लेने के लिए शुद्ध हवा, पीने के लिए पानी, भोजन आदि जो जीवन के लिए नितान्त आवश्यक हैं, उपलब्ध होते हैं। प्रकृति से हमें जीवन जीने की उमंग मिलती है। प्रकृति के साथ रहने वालों की याददाश्त तेज रहती है, आम आदमी की अपेक्षा तनावरहित रहते हैं। प्रकृति एक...

आज रात पृथ्वी के सबसे नजदीक रहेंगे गुरु बृहस्पति

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 107 साल बाद 2129 में बनेगा ऐसा दुर्लभ संयोग    ज्योतिष। शास्त्र के अनुसार आज की रात यानि 26 सितम्बर 2022 की रात बेहद खास है। गुरु ग्रह बृहस्पति 59 साल बाद पृथ्वी के सबसे करीब आने वाले है।  जानकारों के अनुसार आज के बाद यह दुर्लभ संयोग 107 साल बाद 2129 में बनेगा। इस खगोलीय घटना के दौरान बृहस्पति और पृथ्वी के बीच सिर्फ 59.1 करोड़ किलोमीटर की दूरी होगी। बृहस्पति जब पृथ्वी से सबसे दूर होता है, तब यह दूरी 96.5 करोड़ किलोमीटर होती है। गौरतलब है कि गुरु बृहस्पति हर 13 महीने में पृथ्वी के करीब आता है, लेकिन कभी इतना नजदीक नहीं होता। पंडित कामता प्रसाद मिश्र के अनुसार बृहस्पति के निकट आने से मीन, धनु और कन्या राशि वाले जातकों को अधिक लाभ होगा।वहीं अच्छी बारिश होने के योग हैं। बता दें कि देवगुरु बृहस्पति को धन, वैभव, ऐश्वर्य और सुख-सम्पदा आदि का कारक माना गया है। मौजूदा समय में गुरु ग्रह मीन राशि में गोचर कर रहे हैं, गुरु 29 जुलाई को मीन राशि में वक्री हुए थे। अब 24 नवम्बर 2022 को फिर से मार्गी होंगे। बृहस्पति को टेलिस्कोप या दूरबीन के माध्यम से देखा जा सकता है। रोज की तुलना मे...

आपस में न करें बैर

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बोधकथा। एक बार की बात है कि गुरु के दो शिष्य हमेशा एक-दूसरे को नीचा दिखने की कोशिश में लगे रहते थे। एक दिन गुरु ने दोनों शिष्यों को कथा सुनाई-एक बार एक जंगल में बैल और घोड़े में लड़ाई हो गई। बैल ने सींग मार-मारकर घोड़े को अधमरा कर दिया। घोड़ा जब समझ गया कि वह बैल से जीत नहीं सकता तब वह वहां से भागा। वह एक मनुष्य के पास पहुंचा, घोड़े ने मनुष्य से अपनी सहायता की गुहार लगाई। मनुष्य ने कहा कि बैल की बड़ी-बड़ी सींगें हैं, वह बहुत बलवान है, मैं उससे कैसे जीत सकूंगा? घोड़े ने मनुष्य को समझाया कि मेरी पीठ पर बैठ जाओ, एक मोटा डंडा ले लो। मैं जल्दी-जल्दी दौड़ता रहूंगा। तुम डंडे से मार-मारकर बैल को अधमरा कर देना और फिर रस्सी से बांध देना। मनुष्य ने कहा कि मैं उसे बांधकर भला क्या करुंगा? घोड़े ने बताया कि बैल बड़े काम के होते हैं-बैल से गाड़ी खींच सकते हो, खेती कर सकते हो और तो और जब आप उसे नहीं रखना चाहो तो उसे व्यापारी के हाथ बेंच सकते हो और बेंचने पर तुम्हें मोटी रकम मिलेगी। मनुष्य ने घोड़े की बात मान ली। बेचारा बैल जब पिटते-पिटते जमीन पर गिर पड़ा, तब मनुष्य ने उसे बांध लिया। घोड़े ने काम समाप्...

शिवलिंग और ज्योर्तिलिंग

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धर्म। शास्त्रों में भागवान शंकर को संसार की उत्पत्ति का कारण और परब्रह्म कहा गया है। भगवान शंकर ही पूर्ण पुरूष और निराकार ब्रह्म हैं। इसी के प्रतीकात्मक रूप में शिवलिंग की पूजा की जाती है। वहीं दूसरी ओर भगवान शिव ने ब्रह्मा और विष्णु के बीच श्रेष्ठता को लेकर हुए विवाद को सुलझाने के लिए एक दिव्य लिंग (ज्योति) प्रकट किया था। ज्योतिर्लिंग हमेशा अपने आप प्रकट होते हैं, लेकिन शिवलिंग मानव द्वारा बनाए और स्वयंभू दोनों हो सकते हैं। शिवलिंग प्राकृतिक रूप से स्वयंभू व अधिकतर शिव मंदिरों में स्थापित किया जाता है। सनातन धर्म में कुल 12 ज्योतिर्लिंग हैं- - सोमनाथ ज्योतिर्लिंग, गुजरात - मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग, आंध्रप्रदेश - महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग, उज्जैन - ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग,खंडवा - केदारनाथ ज्योतिर्लिंग, उत्तराखंड - भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग, महाराष्ट्र - बाबा विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग, उत्तरप्रदेश - त्रंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग, महाराष्ट्र - वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग, झारखंड - नागेश्वर ज्योतिर्लिंग, गुजरात - रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग, तमिलनाडु - घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग, महाराष्ट्र

क्यों मनाया जाता है शारदीय नवरात्रि!

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 शारदीय नवरात्र के प्रथम दिन शुक्ल और ब्रह्म योग आस्था। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस साल यानि 2022 में नवरात्रि 26 सितम्बर से शुरू होकर 5 अक्टूबर को समाप्त होगी। वहीं महा नवमी 4 अक्टूबर को मनाई जायेगी, जबकि दुर्गा अष्टमी 3 अक्टूबर को है। इस साल अश्विन मास की नवरात्रि में मां दुर्गा गज यानी कि हाथी पर सवार होकर आ रही हैं। मां दुर्गा की हाथी की सवारी को खेती और फसलों के लिए शुभ माना जाता है, इससे धन-धान्‍य के भंडार भरे रहते हैं। साथ ही यह बारिश होने की भी सूचक है। शारदीय नवरात्र के प्रथम दिन यानि घटस्‍थापना के लिए दिन भर का समय बहुत शुभ रहेगा। इस दौरान शुक्ल और ब्रह्म योग का अद्भुत संयोग बन रहा है, जिसे पूजा-पाठ और शुभ योगों के लिए बहुत शुभ माना गया है।    मां दुर्गा का आवाहन मंत्र है- ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी। दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।। नवरात्रि और दशहरे से जुड़ी कथा के अनुसार-माता सीता का हरण करके ले गए रावण से युद्ध करने से पहले भगवान श्रीराम ने 9 दिन तक अनुष्ठान करके मां दुर्गा का आर्शीवाद लिया था और फिर 10वें दिन रावण का वध किया था।...

करवा चौथ के दिन निर्जल व्रत न रहें कुंवारी लड़कियां

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  आस्था। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस साल यानि 2022 में करवा चौथ 13 अक्टूबर को पड़ेगा। सुहागिन महिलाएं अपने पति की लम्बी आयु के लिए करवा चौथ का व्रत रखती हैं। विवाहित महिलाओं के साथ कई कुंआरी लड़कियां भी व्रत करती हैं। हालांकि, इनके लिए नियम अलग होते हैं। कहा जाता है कि कुंवारी लड़कियां को व्रत के दौरान केवल करवा माता, भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करनी चाहिए और कथा सुननी चाहिए। शास्त्रों के अनुसार, कुंवारी लड़कियां विवाहित महिलाओं की तरह चंद्रमा को देखकर नहीं बल्कि तारों को देखकर ही व्रत का समापन करें। करवा चौथ व्रत के दिन सुहागिन महिलाएं पूजा के दौरान छलनी का इस्तेमाल करती हैं, ऐसे में कु्ंआरी लड़कियां छलनी का इस्तेमाल न करें। सबसे अहम बात कि करवा चौथ के दिन कुंवारी लड़कियों को निर्जला व्रत नहीं करना चाहिए। अविवाहित युवतियों फलाहार व्रत रखना चाहिए। चूंकि सुहागिन महिलाएं निर्जला व्रत में पति के हाथों से पानी पीकर पारण करती हैं, ऐसे में कुंआरी लड़कियों को निर्जला व्रत नहीं करना चाहिए। करवा चौथ के दिन तामसिक भोजन नहीं करना चाहिए। इस न‍ियम का पालन केवल व्रती मह‍िलाओं को ही नहीं ब...

वृक्ष की उम्र

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बोधकथा। एक बार वृद्ध वैज्ञानिक ने युवा वैज्ञानिक से कहा कि चाहे विज्ञान कितनी भी प्रगति क्यों न कर ले, लेकिन वह अभी तक ऐसा कोई उपकरण नहीं ढूंढ पाया, जिससे चिंता पर लगाम कसी जा सके।' युवा वैज्ञानिक मुस्कराते हुए कि आप भी कैसी बातें करते हैं, अरे चिंता तो मामूली सी बात है। भला उसके लिए उपकरण ढूंढने में समय क्यों नष्ट किया जाए? वृद्ध वैज्ञानिक ने कहा कि चिंता बहुत भयानक होती है। यह व्यक्ति का नाश कर देती है, लेकिन युवा वैज्ञानिक इस बात से सहमत नहीं हुआ। वृद्ध वैज्ञानिक उसे अपने साथ घने जंगलों की ओर ले गया। एक बड़े वृक्ष के आगे वे दोनों खड़े हो गए, युवा वैज्ञानिक ने पूछा कि आप मुझे यहां क्यों लाए हैं? वृद्ध वैज्ञानिक ने उत्तर देते हुये कहा कि जानते हो, इस वृक्ष की उम्र चार सौ वर्ष बताई गई है। युवा वैज्ञानिक बोला, अवश्य होगी। वृद्ध वैज्ञानिक ने समझाते हुए कहा कि इस वृक्ष पर चौदह बार बिजलियां गिरीं। चार सौ वर्षों से अनेक तूफानों का इसने सामना किया। अब युवा वैज्ञानिक ने झुंझला कर कहा कि आप साबित क्या करना चाहते हैं? वृद्ध वैज्ञनिक ने कहा कि धैर्य रखो, यहां आओ और देखो कि इसकी जड़ में दीमक...

59 साल बाद ग्रहों का अनोखा और विलक्षण संयोग

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ज्योतिष। शस्त्र के अनुसार 24 सितम्बर 2022 को 59 वर्ष बाद अनोखा और विलक्षण संयोग बन रहा है। इस दिन गुरु बृहस्पति और शनि वक्री अवस्था में रहेंगे व शुक्र ग्रह राशि परिवर्तन करेंगे। धन व ऐश्वर्य का कारक ग्रह शुक्र कन्या राशि में 24 सितम्बर को रात सवा नौ बजे गोचर होंगे। बता दें, कन्या राशि में ग्रहों के राजा सूर्य पहले से ही विराजमान हैं। पंडित कामता प्रसाद मिश्र के अनुसार शुक्र के राशि परिवर्तन से सभी राशि के जातकों पर प्रभाव पड़ेगा, लेकिन पांच राशियों के लिये शुक्र का परिवर्तन विशेष लाभकारी सिद्ध होगा- वृष : इस दौरान वृष राशि के जातकों के जीवन पर अच्छा प्रभाव पड़ने वाला है। नौकरी में पदोन्नति के योग हैं। इस राशि के जातकों को व्यापार में मुनाफा के कई योग दिख रहे हैं। वहीं नौकरी पेशा जातकों को कार्य स्थल में काम की वाहवाही मिलेगी। मिथुन : मिथुन राशि में हंस नाम का राजयोग बन रहा है। ऐसे में इस राशि के जातकों को नौकरी और व्यापार में अपार सफलता मिलेगा। इसके साथ ही धन लाभ के पूर्ण आसार हैं, समाज में मान-सम्मान बढ़ेगा, व्यवसाय में वृद्धि के योग। कन्या : इस राशि के लिये दुर्लभ संयोग अच्छा साब...

वक्री हैं बृहस्पति, 3 राशियों की चमकेगी किस्मत

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ज्योतिष। शास्त्रों के अनुसार महर्षि अंगिरा के सबसे ज्ञानी पुत्र ऋषि बृहस्पति थे। महाभारत के आदिपर्व के अनुसार बृहस्पति महर्षि अंगिरा के पुत्र तथा देवताओं के पुरोहित हैं। बता दें कि मौजूदा समय में देवगुरु बृहस्पति 12 साल बाद अपनी स्वराशि मीन में वक्री हुए हैं, यानी गुरु ग्रह उल्टी चाल चल रहे हैं। गुरु बीते 29 जुलाई से वक्री हैं और 23 नवम्बर 2022 तक मीन राशि में वक्री रहेंगे। गुरु बृहस्पति के वक्री होने का प्रभाव तीन राशियों के लिए बेहद शुभ रहेगा— वृष : बृहस्पति देव अपनी राशि से 11वें स्थान में वक्री हुए हैं। वृष राशि वालों के लिये भौतिक सुख-सुविधाओं में वृद्धि होगी। सेहत अच्छी रहेगी। कार्यक्षेत्र में मान-सम्मान मिलेगा। नौकरी की तलाश करने वाले जातकों को शुभ समाचार मिल सकता है। आय के नए साधन खुलेंगे। व्यापारियों को मुनाफा होगा। मिथुन : मिथुन राशि वालों के लिए पैसे व करियर से सम्बन्धित सभी समस्याएं हल होंगी। पेशेवर रूप से जातक का विकास तेजा होगा। धनागम के नये मार्ग प्रशस्त होंगे, दाम्पत्य जीवन सुखमय रहेगा। कर्क : गुरु वक्री होने से कर्क राशि के जातकों को भाग्य का साथ मिलेगा, व्यापारियो...

अनोखे और अद्भुत गुणों से परिपूर्ण होता है सरसों का तेल

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  सेहत। सरसों का तेल या कड़वा तेल, इसका प्रयोग हर घरों में रोज होता है। आजकल आम बोलचाल भाषा में तेल लगाने को मजाक में लिया जाता है, लेकिन बता दें कि हमारे पूर्वजों ने सरसों के तेल को नियमित भोजन में ऐसे ही नहीं शामिल किया। सरसों के तेल में अद्भुत और अनोखे गुण होते हैं। सरसों का तेल भोजन का स्वाद बढ़ाता है, साथ ही शरीर में लगाने से हड्डियां और त्वचा मजबूत होती हैं, यही कारण हैं शिशु को माताएं सरसों के तेल से ही मालिश करती हैं, जिससे शरीर का समुचित विकास हो सके। वहीं अगर लाठी या दंड में सरसों का तेल लगाया जाये तो उसकी मजबूती, चमक और सुंदरता बढ़ जाती है। कड़वा तेल के कई चमत्कारिक फायदे हैं। नाभि और उसके आसपास तेल लगाने से तनाव में आराम मिलता है। साथ ही मानसिक सेहत में सुधार होता है, इसके लिए रोजाना नाभि में तेल लगाएं। नाभि में तेल लगाने से त्वचा में निखार आता है, इससे शरीर को पोषण प्राप्त होता है। कैल्शियम और विटामिन-डी की कमी से जोड़ों में दर्द की शिकायत होती है। इसके अलावा, जोड़ों में दर्द के कई अन्य कारण भी हैं। नाभि में तेल लगाने से जोड़ों के दर्द में शीघ्र आराम मिलता है। आंखों के लि...

आज भी बेजोड़ हैं चाणक्य की नीतियां

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नीति। चाणक्य कौटिल्य या विष्णुगुप्त नाम से भी प्रसिद्ध हैं। पिता श्री चणक के पुत्र होने के कारण वह चाणक्य कहे गए। विष्णुगुप्त कूटनीति, अर्थनीति, राजनीति के महाविद्वान और अपने महाज्ञान का 'कुटिल' 'सदुपयोग, जनकल्याण और अखंड भारत के निर्माण जैसे सृजनात्मक कार्यों में करने के कारण उन्हें कौटिल्य कहा जाता है। चाणक्य द्वारा रचित अर्थशास्त्र नामक ग्रन्थ राजनीति, अर्थनीति, कृषि, समाजनीति आदि का महान ग्रन्थ है। अर्थशास्त्र मौर्यकालीन भारतीय समाज का दर्पण माना जाता है। चाणक्य की नीतियां आज भी बेजोड़ मानी जाती हैं। काव्यशास्त्रविनोदेन कालो गच्छति धीमतां। व्यसनेन च मूर्खाणां निद्रया कलहेन वा।। अर्थ : ज्ञानी व्यक्ति अपना पूरा समय काव्य और शास्त्रों के अध्ययन में बिताते हैं। वहीं मूर्ख और अज्ञानी लोग अपना समय सोने, लड़ने और बुरी आदतों का पीछा करने में बिताते हैं। इसलिए व्यक्ति को अपना समय व्यर्थ के कार्यों से हटाकर रचनात्मक कार्यों में लगाना चाहिए, इससे व्यक्ति के कौशल में और अधिक निखार आएगा। सानन्दं सदनं सुतास्तु सधियः कांता प्रियालापिनी इच्छापूर्तिधनं स्वयोषितिरतिः स्वाज्ञापराः सेवकाः ...

सनातन धर्म करेगा विश्व का कल्याण

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धर्म। सनातन धर्म में हाथ जोड़कर प्रणाम करना, माथे पर तिलक लगाना, पूजा में शंख बजाना और बड़े-बुजुर्गों के चरण स्पर्श करना, दीन-दु:खी की सेवा करना, सभी के सुख की कामना करने की विशेष परम्परा रही है। आधुनिक युग में इसके वैज्ञानिक महत्व भी हैं। भारतीय जीवनशैली में जमीन पर बैठकर खाना खाने की परम्परा सदियों पुरानी है। जमीन पर पालथी मारकर बैठकर खाना खाने से भोजन अच्छे से पचता है और शरीर में जठर रस का सही उपयोग होता है। जमीन पर पालथी मारकर बैठकर भोजन करने से खूब आनंद आता है, बशर्ते भोजन परिवार के साथ हो। वहीं तिलक लगाना भारतीय परम्परा का हिस्सा है, महिला, पुरुष, बच्चे और वृद्ध सभी के माथे पर तिलक लगाया जाता है। दोनों आंखों के बीच आज्ञा चक्र होती है, इसलिए इस स्थान पर तिलक लगाने से एकाग्रता बढ़ती है, साथ ही तिलक लगाते समय उंगली का दबाव माथे पर पड़ता है, इससे नसों का रक्त संचार भी शुद्ध होता है। बता दें कि पूजा-पाठ में शंख बजाने का विधान है। शंख बजाने से कई बीमारियां दूर होती हैं, इससे फेफड़ों को शक्ति मिलती है और फेफड़ों का संक्रमण समाप्त होता है। पंडित कामता प्रसाद मिश्र बताते हैं कि हम अक्सर अप...

पांच योग में 17 सितम्बर को मनाई जाएगी विश्वकर्मा जयंती

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आस्था। शास्त्रों के अनुसार कन्‍या संक्रांति के दिन भगवान विश्‍वकर्मा की जयंती मनाई जाती है। कन्‍या संक्रांति यानि जिस दिन सूर्य कन्‍या राशि में गोचर करते हैं। इस वर्ष यानि 2022 में 17 सितम्बर को कन्या संक्रांति की तिथि पड़ेगी। कन्‍या संक्रांति के दिन विश्‍वकर्मा पूजा की जाती है। इस दिन लोग अपने औजारों, मशीनों, उपकरणों की पूजा करते हैं। इस दिन भगवान विश्‍वकर्मा की और उद्यम के उपयोग में आने वाले उपकरणों की पूजा करने से वे अच्‍छे से चलती रहती हैं। विश्वकर्मा भगवान की पूजा के दिन अगर कोई भी टूल्स, औजार या कोई उपकरण मांगने आए तो उसे टाल देना चाहिए, ऐसा करने से भगवान विश्वकर्मा को सम्मान मिलता है। विश्वकर्मा पूजा के दिन सुबह जल्दी स्नान करके स्वच्छ कपड़े पहने चाहिए, कार्यस्‍थल पर चौकी पर नया पीला कपड़ा बिछाकर भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति या चित्र स्थापित करना चाहिए, फिर मशीनों, औजारों, वाहनों का पूजन करें। इस दौरान भगवान विश्वकर्मा के मंत्रों ॐ आधार शक्तपे नम:, ओम कूमयि नम:, ओम अनन्तम नम:, पृथिव्यै नम: का जाप करें। इसके बाद हल्‍दी, अक्षत, फूल अर्पित करें, धूप-दीप दिखाएं, फल व मिठाइयों का भोग ल...

पान की पत्तियों व तुलसी के बीज के सेवन से दूर होती है मुंह की बीमारियां

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सेहत। सनातन धर्म में पान की पत्तियों का भी पूजन होता है, पान की पत्तियों का पूजन ऐसे ही नहीं किया जाता, इसके कुछ आध्यात्मिक और वैज्ञानिक कारण हैं। पान की पत्तियां और तुलसी के बीज के सेवन से व्यक्ति को काफी लाभ हो सकता है, लेकिन इसके सेवन के लिए विशेषज्ञ की सलाह लेना उत्तम रहेगा। पान की पत्तियां और तुलसी का बीज रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सहायक हैं। पान का पत्ता व तुलसी के बीज शरीर के कुछ ब्याधियों में रामबाण की तरह असर करता है, इसके सेवन से कई सामान्य बीमारियां व मुंह, दांत, जिह्वा आदि को सुगन्धित और स्वस्थ रखा जा सकता है। पान की पत्तियां शारीरिक क्षमता को बेहतर कर सकता है। इससे स्पर्म सीमेन काउंट और गुणात्मक सुधार किया जा सकता है। अगर आपको शारीरिक रूप से कमजोरी महसूस हो रही है तो नियमित रूप से अपने आहार में पान की पत्तियां और तुलसी के बीज शामिल करना लाभकारी रहेगा। पान की पत्तियों के साथ तुलसी का बीज खाने से आपकी पाचन क्रियाएं दुरुस्त होती हैं। बता दें कि तुलसी के बीज पान के साथ खाने से यह लार ग्रंथियों को सक्रिय रखने में सहायता करती हैं। पान की पत्तियां और तुलसी के बीज का मिश्रण स...

पुत्र की रक्षा के लिये जीवित्पुत्रिका व्रत रखती हैं महिलाएं

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आस्था। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार प्रत्येक अश्विन महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जीवित्पुत्रिका व्रत रखा जाता है। इस व्रत को पुत्रवती स्त्रियां पुत्र के जीवन की रक्षा करने के उद्देश्य से करती हैं। इस व्रत में पूरे दिन न‍िर्जला व्रत रखा जाता है। यह पर्व उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और नेपाल के मिथिला और थरुहट में आश्विन माह में कृष्ण-पक्ष के सातवें से नौवें चंद्र दिवस तक तीन द‍िनों तक मनाया जाता है। जीवित्पुत्रिका व्रत आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि से लेकर नवमी तिथि तक मनाया जाता है। 17 सितम्बर को दोपहर 2 बजकर 14 मिनट पर अष्टमी तिथि शुरू होगी और 18 सितम्बर को दोपहर 4 बजकर 32 मिनट पर समाप्त होगी। उदया तिथि के अनुसार, जीवित्पुत्रिका व्रत 18 सितम्बर को रखा जाएगा। 19 सितम्बर की प्रात:6 बजकर 10 मिनट के बाद व्रत पारण किया जा सकेगा। जीवित्पुत्रिका व्रत के दिन प्रात: स्नान करने बाद व्रती प्रदोष काल में गाय के गोबर से पूजा स्थल को लीपकर साफ कर लें। इसके बाद वहां एक छोटा सा तालाब बना लें। तालाब के पास एक पाकड़ की डाल लाकर खड़ाकर कर दें। अब शालिवाहन राजा के पुत्र धर्मा...

17 सितम्बर को है कन्या संक्रांति, करें सूर्यदेव की पूजा

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ज्योतिष। शास्त्र के अनुसार 12 संक्रांतियां होती हैं। इनमें दो संक्रांति खास होती है-पहला कुम्भ संक्रांति, जो बीते 13 फरवरी 2022 को था और दूसरा कन्या संक्राति। अश्विन माह में पड़ने वाली संक्रांति को कन्या संक्रांति कहा जाता है। 17 सितम्बर 2022 को सूर्य सिंह राशि से निकलकर कन्या राशि में प्रवेश करेंगे। इसलिए इसे कन्या संक्रांति कहा जाता है। कन्या राशि में सूर्य एक महीने तक विचरण करेंगे। बता दें कि सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में परिवर्तन संक्रांति कहलाता है। हर महीने 30 दिन बाद सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं। इस दौरान सूर्य की पूजा आराधना करने से मनवांछित परिणाम मिलता है। संक्रांति के दिन पुण्य काल का मुहूर्त सुबह 7 बजकर 36 मिनट से लेकर दोपहर 2 बजकर 8 मिनट तक है और महापुण्यकाल का मुहूर्त प्रात: 7 बजकर 36 मिनट से प्रात: 9 बजकर 38 मिनट तक है। इस दिन सूर्य सिंह राशि से निकलकर कन्या राशि में सुबह 7 बजकर 36 मिनट पर प्रवेश करेंगे। कन्या संक्रांति के दिन आदित्यह्दयस्त्रोत का पाठ करना चाहिए। सूर्य देव को अर्घ्य देते समय जल में कुमकुम, लाल फूल, इत्र आदि चीजों को शामिल करें, ऐ...

पितृपक्ष 11 सितम्बर से, पितृदेव से मांगें आशीर्वाद

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धर्म। आश्विन मास कृष्णपक्ष की प्रतिपदा से अमावस्या तक 15 दिनों के लिए पितृगण अपने वंशजों के यहां धरती पर अवतरित होते हैं और आश्विन अमावस्या की शाम समस्त पितृगणों की वापसी उनके गंतव्य की ओर होने लगती है। इस वर्ष यानि 2022 में पितृपक्ष 11 सितम्बर, रविवार, प्रतिपदा से श्राद्ध का प्रारम्भ हो रहा है। पितृ पक्ष में श्राद्ध से केवल पितर ही नहीं प्रसन्न होते हैं, बल्कि इससे स्वयं का भी कल्याण होता है। श्राद्ध कर्म सिर्फ 3 पीढ़ी तक ही किया जाता है। पितृ विसर्जनी अमावस्या के दिन सायं के समय पितरों को भोग लगाकर घर के द्वार पर दीप जलाकर प्रार्थना करनी चाहिए कि हे पितृदेव जो भी भूल हुई हो, उसे क्षमा करें और हमें आशीर्वाद दें। मान्यता है कि पितृगण सूर्य चंद्रमा की रश्मियों के कारण वापस चले जाते हैं। ऐसे में वंशजों द्वारा प्रज्ज्वलित दीपों से पितरों की वापसी की राह दिखाई देता है और वह आशीर्वाद के रूप में सुख-शांति देते हैं। पितृपक्ष में पितरों की इच्छापूर्ति और उनका श्राद्ध कर कुंडली के पितृदोष को दूर किया जा सकता है। वहीं श्राद्ध के दौरान अरवा चावल का सेवन किया जाता है जिसे कच्चे चावल के नाम से भी ज...

महालक्ष्मी व्रत का पहला शुक्रवार 9 सितम्बर को

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आस्था। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से महालक्ष्मी व्रत की शुरुआत होती है, इस बार यानि 2022 में यह व्रत बीते 3 सितम्बर राधाष्टमी के दिन से महालक्ष्मी व्रत की शुरुआत हुई थी। महालक्ष्मी व्रत 16 दिवसीय व्रत होते हैं, इसमें लगातार 16 दिनों तक मां लक्ष्मी की पूजा-उपासना, व्रत आदि रखे जाते हैं। एक कलश में जल भरकर उस पर नारियल रख दें और इसे मां लक्ष्मी के मूर्ति के सामने रखें। इसके पश्चात मां लक्ष्मी को फल, नैवेद्य तथा फूल चढ़ाएं और दीपक या धूप जलाएं। आप माता लक्ष्मी की पूजा करें तथा महालक्ष्मी स्त्रोत का जाप करें। महालक्ष्मी व्रत के प्रत्येक दिन सूर्यदेव को अर्घ्य देने की परम्परा है। महालक्ष्मी व्रत का समापन 17 सितम्बर के दिन होगा। 16 दिन तक लगातार महालक्ष्मी की पूजा-अर्चना करने के बाद व्रत का उद्यापन 17 सितम्बर को किया जाएगा, कल यानि 9 सितम्बर को महालक्ष्मी व्रत का पहला शुक्रवार पड़ेगा। इन 16 दिनों तक मां लक्ष्मी की सच्चे दिन से पूजा करने से भक्तों को धन-वैभव, सुख समृद्धि मिलता है। व्रत में उद्यापन के दिन एक सुपड़ा लेते हैं। इस सुपड़े में 16 श्रृंगार के स...

चंद्रमा का सबसे प्रिय नक्षत्र रोहिणी में मनेगा 'करवा चौथ'

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आस्था। करवा चौथ के दिन महिलाएं निर्जला व्रत रहती हैं और सोलह श्रृंगार करती हैं। महिलाएं इस दिन चौथ माता यानि माता पार्वती की उपासना करती हैं और उनसे अपने पति की लम्बी उम्र की कामना करती हैं। रात के समय महिलाएं चंद्रमा का अर्घ्य देने के बाद अपना व्रत खोलती हैं। करवा चौथ को लेकर विवाहित महिलाएं खूब उत्साहित रहती हैं। करवा चौथ का व्रत हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है। इस बार यह व्रत 13 अक्टूबर 2022 को रखा जाएगा। इस बार करवा चौथ पर बेहद ही शुभ संयोग भी बन रहा है। इस बार यानि 12 अक्टूबर 2022 को रात में 2 बजे से चतुर्थी तिथि शुरू हो जायेगी और 13 तारीख को रात में तीन बजकर 9 मिनट पर चतुर्थी तिथि समाप्त हो जायेगी। इसलिए 13 अक्टूबर को ही करवा चौथ का व्रत रखा जाएगा। चंद्रमा करवा चौथ के दिन वृष राशि में संचार करेंगे जो चंद्रमा की उच्च राशि है। इस पर रोहिणी नक्षत्र का संयोग मिलने से करवा चौथ का व्रत विवाहिताओं के लिए और भी शुभ फलदायी रहेगा। चंद्रमा का सबसे प्रिय नक्षत्र रोहिणी है। वैसे तो करवा चौथ की कई कथाएं हैं, लेकिन एक कथा भी प्रचलित है, जो निम्न है-करवा नाम की ए...

अनंत चतुर्दशी पर सुकर्मा और रवि योग का अद्भुत संयोग

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ज्योतिष। शास्त्र के अनुसार अनंत चतुर्दशी 9 सितम्बर 2022 को है, इस बार अनंत चतुर्दशी पर बेहद ही शुभ योग बन रहा है, जिससे विष्णु भगवान की पूजा से मनवांछित परिणाम मिलेंगे। अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु के अनंत रूपों की पूजा की जाती है और अनंद चतुर्दशी इसलिये भी खास होता है कि इस दिन धूमधाम से गणपति बप्पा को विदाई भी की जाती है। इस वर्ष अनंत चतुर्दशी पर सुकर्मा और रवि योग बन रहे हैं। मान्यता है कि सुकर्मा योग में कोई भी शुभ कार्य करने से जरूर सफलता मिलती है, वहीं, रवि योग में भगवान विष्णु की पूजा करने से सभी पापों से छुटकारा मिलता है। सुकर्मा योग 8 सितम्बर 2022 को रात 9 बजकर 41 मिनट से शुरू हो रहा है और 9 सितम्बर 2022 को शाम 6 बजकर 12 मिनट तक रहेगा। वहीं, रवि योग 9 सितंम्बर को सुबह 6 बजकर 10 मिनट से सुबह 11 बजकर 35 मिनट तक रहेगा।

23 अक्टूबर को मार्गी होंगे शनि, वृष, कन्या और धनु को मिलेगा लाभ

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ज्योतिष। शास्त्रों के अनुसार 5 जून 2022 को शनिदेव मकर राशि में वक्री हुए थे, 141 दिन वक्री रहने के बाद शनि 23 अक्टूबर 2022 को मार्गी हो जाएंगे। वहीं 17 जनवरी 2023 को अपनी स्वराशि कुम्भ राशि में प्रवेश करेंगे। शनि के कुम्भ राशि में प्रवेश करने से धनु राशि वालों को शनि की साढ़ेसाती से मुक्ति मिलेगी और मिथुन व तुला राशि वालों को शनि ढैय्या से मुक्ति मिलेगी। मौजूदा समय में शनि मकर राशि में संचार कर रहे हैं, इस कारण मिथुन और तुला राशि वालों पर शनि ढैय्या चल रही है। वहीं, कुम्भ, धनु व मकर राशि वालों पर शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव है। शनि के मार्गी होने से वृष, कन्या और धनु राशि वालों के लिए शनि का मार्गी होना शुभ रहेगा। इस दौरान जातक की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा, धन प्राप्ति के योग बनेंगे। मान्यता है कि वक्री होने पर शनि की चाल धीमी हो जाती है और कहा यह भी जाता है कि शनि के वक्री होने पर वह पीड़ित हो जाते हैं। शनि देव हर व्यक्ति को उसके कर्मों के अनुसार फल देते हैं। दरअसल शनि देव को परिश्रम का कारक माना गया है। कुंडली का 10वां भाव, कर्म का माना गया है। कुंडली के दशम भाव के स्वामी शनि देव ...

अनंत चतुर्दशी के दिन भुजा पर बांधें 14 गांठों वाला अनंत सूत्र

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आस्था। अनंत चतुर्दशी का व्रत भगवान विष्णु को प्रसन्न करने और अनंत फल देने वाला माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने के साथ यदि कोई व्यक्ति यदि श्री विष्णु सहस्त्रनाम स्तोत्र का पाठ करता है, तो उसकी सभी मनोकामना पूर्ण होती हैं, यह व्रत धन-धान्य, सुख-संपदा और संतान आदि की कामना के साथ किया जाता है। मान्यता है कि जब पाण्डव धृत क्रीड़ा में अपना सारा राज-पाट हारकर वन में कष्ट भोग रहे थे, तब भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें अनंत चौदस का व्रत करने की सलाह दी थी। पांडवों में सबसे बड़े युधिष्ठिर ने अपने भाइयों तथा द्रोपदी के साथ विधि-विधान से अनंत चतुर्दशी का व्रत किया तथा अनन्त सूत्र धारण किया। अनन्तचतुर्दशी-व्रत के प्रभाव से पांडव सभी संकटों से मुक्त हो गए। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को अनंत चतुर्दशी या अनंत चौदस कहा जाता है, इस दिन अनंत भगवान यानि विष्णु की पूजा के बाद बांह पर अनंत सूत्र बांधने की परम्परा है, इसमें 14 गांठें होती हैं। बता दें कि अनंत चतुर्दशी के दिन ही गणेश विसर्जन भी किया जाता है इसलिए इस तिथि का खास महत्व है। अनन्त चतुर्दशी शुक्रवार, सितम्बर...

छह सितम्बर को गणेश, विष्णु और मंगल देव की करें आराधना

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आस्था। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार 6 सितम्बर 2022 दिन मंगलवार को गणेशोत्सव के साथ एकादशी होने से इस दिन गणेश जी, विष्णु जी और मंगल ग्रह की विशेष पूजन का बेहद शुभ योग बन रहा है, जो अति फलदायी है। एक दिन तीन शुभ मुहूर्त होने से श्रद्धालुओं को पूजन से पहले सावधानी रखनी चाहिए, जिससे सभी देवों का आशीर्वाद मिल सके। एकादशी पर सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा करें, जल, दूर्वा, हार-फूल, जनेऊ अर्पित करना चाहिए। धूप-दीप जलाकर आरती करें, मोदक का भोग लगाना चाहिए। वहीं जो लोग एकादशी का व्रत करते हैं, उन्हें इस दिन सुबह जल्दी उठ जाना चाहिए। स्नान के बाद घर के मंदिर में विष्णु जी की पूजा और व्रत का संकल्प लेना चाहिए। व्रत करने वाले व्यक्ति को पूरे दिन सिर्फ फलाहार करना चाहिए। इस दिन अन्न का सेवन वर्जित रहता है।  भगवान विष्णु का पंचामृत से अभिषेक करना चाहिए। पूजा में ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जप करें। पूजा के बाद भगवान से क्षमा याचना करें। एकादशी पर पूरे दिन पूजा और व्रत करने के बाद अगले दिन यानी द्वादशी तिथि पर सुबह फिर से भगवान विष्णु की पूजा करें और जरूरतमंद लोगों को भोजन कराएं, इसके बाद स्वयं ख...

16 दिन तक करें महालक्ष्मी का पूजन, बनेंगे धनवान

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आस्था। भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन से महालक्ष्मी व्रत शुरू हो जाता है, जो अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को समाप्त होता है। 16 दिनों तक चलने वाले इस पर्व में देवी महालक्ष्मी की विशेष आराधना की जाती है। मां लक्ष्मी की पूजा करने के साथ व्रत करने से जल्द ही मनचाहा फल मिलता है। महालक्ष्मी व्रत के दौरान कुछ उपाय करने से धन, धान्य, सुख, वैभव में बढ़ोत्तरी होती है। महालक्ष्मी व्रत शुरू करने से पहले श्रीयंत्र स्थापित करना लाभदायी रहेगा और सोलह दिन तक विधिपूर्वक पूजन करना चाहिए। इससे शुभ फलों की प्राप्ति होगी। देवी लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए चरणों में कमल का फूल अर्पित करें। मान्यता है कि महालक्ष्मी व्रत के 16 दिनों तक प्रवेश द्वार के एक ओर घी का दीपक जलाएं। इससे मां लक्ष्मी का घर में हमेशा वास रहेगा। महालक्ष्मी व्रत के दौरान मां लक्ष्मी को बताशा, शंख, कमलगट्टे, शंख, मखाना आदि अर्पित करना शुभदायी रहेगा। बता दें कि मां लक्ष्मी को कौड़ियां अति प्रिय है। इसलिए पूजन के दौरान मां को कौड़ियां अर्पित करें। इसके बाद महालक्ष्मी व्रत समाप्त होने के बाद इन्हें लाल रंग के कपड़े मे...

शरारती बच्चे और अनुभवी वृद्ध

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  बोधकथा। एक बार की बात है दो किशोर शरारती बच्चों ने तय किया कि एक वृद्ध की परीक्षा ली जाये और उसे हर हाल में गलत साबित करना है, यानि कि बच्चों ने तय किया कि हम लोग वृद्ध से ऐसा प्रश्न पूछेंगे कि वह बता न पाये। काफी सोच-विचार के बाद दोनों बच्चों ने तीन सवाल चुने। दोनों किशोर बच्चों ने तय किया कि हम एक छोटी चिड़िया को पीठ के पीछे पकड़कर वृद्ध से पूछेंगे कि हमारे हाथ में क्या है? वह बूढ़ा आदमी जवाब देगा, पक्षी है, लेकिन यह कोई मुश्किल सवाल नहीं हुआ, किशोर लड़के एकदूसरे से बोले। इसके बाद दूसरा प्रश्न हम लोग यह पूछेंगे कि हमारे हाथ में कौन सा पक्षी है? वृद्ध कहेगा, चिड़िया है, लेकिन यह भी आसान सवाल है’ वे दोनों फिर एकदूसरे से बोले, लेकिन इसके बाद का तीसरा सवाल निश्चित हुआ मुश्किल वाला। बच्चों ने तय कि कि सबसे बाद में हम पूछेंगे, यह चिड़िया जीवित है या मरी हुई है? अब अगर वृद्ध ने जवाब दिया कि मरी हुई है तो जवाब गलत होगा, क्योंकि चिड़िया तो जीवित रहेगी और यदि वृद्ध ने कहा कि जीवित है तो फिर जवाब गलत होगा, क्योंकि तब हम उस चिड़िया को वहीं के वहीं दबा कर मार डालेंगे। दोनों बच्चे बहुत प्रस...

बेहद चालाक होते हैं सुनहरे बाल वाले लोग

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धर्म। ज्योतिष शास्त्र की सूक्ष्म इकाई सामुद्रिक शास्त्र में कहा गया है कि पुरुष व महिला के अंगों को देखकर उसके स्वभाव, गुण व भविष्य के बारे में पता लगाया जा सकता है। सामुद्रिक शास्त्र के अनुसार जिन लोगों के बाल काले होते हैं, वे अनुशासन के बहुत पक्के माने जाते हैं। ऐसे लोग एक बार जिस काम की जिम्मेदारी ले लें तो फिर उसे पूरा करते ही हैं। जीवन में खूबसूरती और ईमानदारी के प्रति आकर्षित होते हैं, दूसरे लोगों को काफी सम्मान करते हैं। वहीं सुनहरे बाल वाले लोगों को शांतिप्रिय और चालाक माना गया है। ऐसे लोग थोड़े मनमौजी स्वभाव के होते हैं लेकिन अपने परिवार को हमेशा पहले स्थान पर रखते हैं। कला और साहित्य में काफी रूचि रखते हैं, आत्मविश्वास की थोड़ी कमी होती है। जिन लोगों के बाल घुंघराले होते हैं, वे अपने काम को लेकर काफी गंभीर और रचनात्मक स्वभाव के माने जाते हैं, ऐसे लोग पूरी लगन और निष्ठा से अपनी जिम्मेदारी निभाते हैं, कठोर मेहनत करना उनकी खूबी होती है और इसी के बल पर वे अपनी पहचान बनाते हैं। वहीं चिकने और मुलायम बाल वाले लोगों के अंदर लीडरशिप क्वालिटीज कूट-कूटकर भरी होती हैं, ऐसे लोग अपने स्वभ...