352 साल बाद काशी विश्वनाथ धाम में शामिल होगा ज्ञानवापी कूप
विचार। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 13 दिसम्बर 2021 को काशी विश्वनाथ कोरीडोर में देश-विदेश के लगभग 5000 धर्माचार्य, महात्माओं, प्रबुद्धजनों की उपस्थिति में लोकार्पण होगा। काशी विश्वनाथ कोरीडोर के लोकार्पण में अयोध्या के दो दर्जन से ज्यादा प्रसिद्ध संत शामिल होंगे और 8000 से ज्यादा प्रसाद वितरण हेतु स्वयंसेवक लगाए गए हैं। मंडलायुक्त वाराणसी और पुलिस कमिश्नर वाराणसी के द्वारा नियमित समीक्षा की जा रही है। ज्योर्तिलिंग काशी विश्वनाथ मंदिर का स्वतंत्र भारत में 241 साल बाद पहली बार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा विस्तार एवं इसका आम जनमानस के लिए 13 दिसम्बर 2021 को लोकार्पण किया जायेगा। प्रधानमंत्री का मानना है कि काशी हमारी पुरातन, सनातन, संस्कृति का केन्द्र एवं वर्तमान भारत के उद्भव का आधुनिकता का मुख्य केन्द्र है तथा यह उच्चतम शिखर पर हम सभी को पहुंचाएंगे। वहीं मुख्यमंत्री योगी का मानना है कि काशी भारत की विरासत भगवान शंकर की नगरी के रूप में हमेशा विश्व में अध्यात्म का मार्गदर्शन किया है एवं आगे भारत को विश्व गुरु के रूप में स्थापित करेंगे। बता दें कि औरंगजेब के फरमान के बाद 1669 में मुगल सेना ने विशेश्वर का मंदिर ध्वस्त कर दिया था। स्वयंभू ज्योतिर्लिंग को कोई क्षति न हो इसके लिए मंदिर के महंत शिवलिंग को लेकर ज्ञानवापी कुंड में कूद गए थे। हमले के दौरान मुगल सेना ने मंदिर के बाहर स्थापित विशाल नंदी की प्रतिमा को तोड़ने का प्रयास किया था लेकिन तमाम प्रयासों के बाद भी वे नंदी की प्रतिमा को नहीं तोड़ सके। तब से आज तक विश्वनाथ मंदिर परिसर से दूर रहे ज्ञानवापी कूप और विशाल नंदी को एक बार फिर विश्वनाथ मंदिर परिसर में शामिल कर लिया गया है। यह संभव हुआ है विश्वनाथ धाम के निर्माण के बाद। 352 साल पहले अलग हुआ यह ज्ञानवापी कूप एक बार फिर विश्वनाथ धाम परिसर में आ गया है।
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