लड़कों की मूर्खता
प्रेरक कथा: एक बार की बात है दो लड़के कहीं जा रहे थे, दोनों लड़के चलते-चलते रास्ता भूल गए। अँधेरा बढ़ रहा था और वापस लौटने भर का समय बचा नहीं था इसलिये उन्हें एक सराय में रुकना पड़ा। वहां आधी रात को एकाएक उनकी नींद उचट गई। उन्होंने पास के कमरे से आती हुई एक आवाज सुनी कि कल सुबह एक हंडे में पानी खौला देना। मैं उन दोनों बच्चों का वध करना चाहता हूँ। यह सुनकर दोनों लड़कों ने फौरन वहाँ से भाग जाने का निर्णय लिया और कमरे की खिड़की से वे बाहर कूद गए, लेकिन बाहर पहुँचकर उन्होंने देखा कि बाहर के दरवाजे पर ताला लगा हुआ है और अंत में दोनों लड़कों ने सराय के मालिक के सुअरों के बाड़े में छिपने का फैसला किया। जैसे—तैसे दोनों लड़कों ने जागते हुए रात बिताई। सुबह सराय का मालिक सुअरों के बाड़े में आया। उसने बड़ा-सा छुरा तेज किया और पुकारा, 'आ जाओ, मेरे प्यारे बच्चों, तुम्हारा आखिरी वक्त आ गया है। दोनों लड़के भय से काँपते हुए सराय के मालिक के पैरों पर गिर पड़े और गिड़गिड़ाते हुए अपनी जान की भीख मांगने लगे। सराय का मालिक उनका यह हाल देखकर चकित रह गया। उसकी तो कुछ समझ में ही नहीं आ रहा था। अंतत: उसने पूछा कि बात क्या है, भाई? 'हमने रात में आपको किसी से कहते सुना था कि सुबह आप हमें मौत के घाट उतारने वाले हैं, लड़कों ने उत्तर दिया। सराय का मालिक यह सुनकर हँसा और कहा कि बेवकूफ लड़कों! मैं तुम लोगों के बारे में नहीं कह रहा था। मैंने तो दो नन्हें सुअरों के बारे में कहा था, जिन्हें मैं इसी तरह बुलाता हूँ। पूरी बात जाने बिना दूसरों की बातों का अर्थ अपने आप नहीं समझ लेना चाहिए।
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