चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से शुरू हुआ था सृष्टि की रचना का कार्य

ज्योतिष : इस वर्ष यानि 2021 में नये वर्ष की शुरुआत 13 अप्रैल से हो रही है, 13 अप्रैल को चैत्र शुक्ल प्रतिपदा है। चैत्र नवरात्र में मां के नौ रुपों का पूजन किया जाता है। शक्ति की उपासना चैत्र मास के प्रतिपदा से नवमी तक की जाती है। 13 अप्रैल 2021 से चैत्र नवरात्र व आनंद नव सम्वत् की शुरुआत होगी। 20 अप्रैल मंगलवार को महाअष्टमी व 21 अप्रैल बुधवार को नवमी का हवन होगा। इसी दिन श्रीराम नवमी मनायी जाएगी। 13 अप्रैल मंगलवार को कलश स्थापना का समय सूर्योदय से लेकर प्रातः 8:47 तक है। उसके बाद द्वितीया लग जाएगी। ब्रह्म पुराण के अनुसार ब्रम्हा ने सृष्टि की रचना का कार्य चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से ही आरम्भ किया था। इसी दिन से राजा विक्रमादित्य ने पंचांग का प्रचलन प्रारम्भ कराया था, जिससे इसका नाम विक्रम सम्वत् पड़ा। आनन्द नाम के इस सम्वत् का पहला दिन मंगलवार होने से इसके राजा मंगल होंगे। हिन्दू पंचांग सार्वभौमिक और वैज्ञानिक कैलेंडर है। यह सौर्य और चंद्रमा की गणना पर आधारित है। इसलिए इसकी गणना बेहद ही सटीक होती है। हिंदू पंचांग के आधार पर यह हजारों साल पहले बता दिया था कि अमुक दिन, अमुक समय पर सूर्यग्रहण होगा। ज्ञात हो कि 13 अप्रैल को विक्रम सम्वत 2078 की भी शुरुआत होगी।

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