हनुमान जयंती पर बन रहे हैं दो अद्भुत योग

आस्था : प्रत्येक चैत्र शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को प्रभु हनुमान जी का जन्मोत्सव मनाया जाता है। इसी पावन दिन माता अंजनी की कोख से हनुमान जी ने जन्म लिया था। इस वर्ष यानि 2021 में 27 अप्रैल को हनुमान जन्मोत्सव मनाया जाएगा। हनुमान जन्मोत्सव पर इस बा दो संयोग बन रहे हैं। 27 अप्रैल 2021 को सिद्दि और व्यतीपात योग बन रहा है। हनुमान जन्मोत्सव के दिन शाम 8 बजकर 3 मिनट तक सिद्ध योग और उसके बाद व्यतीपात योग लग जाएगा। वार, तिथि और नक्षत्र के मध्य तालमेल होने पर सिद्धि योग का निर्माण होता है। सिद्दि योग के स्वामी भगवान गणेश हैं। इस योग में किए गए कार्य बिना किसी विघ्न-बाधा के सफल हो जाते हैं। सिद्दि प्राप्ति के लिए इस योग को उत्तम माना जाता है। इस समय हनुमान जी की पूजा करना शुभ और फलदाई होगा। वहीं व्यतीपात योग योग को शुभ नहीं माना जाता है, लेकिन इस समय में मंत्र जप, गुरु पूजा, उपवास आदि करने का महत्व बहुत अधिक होता है। हनुमान जी का जन्म त्रेतायुग के अंतिम चरण में चैत्र पूर्णिमा को मंगलवार के दिन चित्रा नक्षत्र व मेष लग्न के योग में सुबह छह बजकर तीन मिनट पर मौजूदा झारखंड राज्य के गुमला जिले के आंजन नाम के छोटे से पहाड़ी गाँव के एक गुफा में हुआ था। 

एक दिन  हनुमान की माता फल लाने के लिये इन्हें आश्रम में छोड़कर चली गईं। जब शिशु हनुमान को भूख लगी तो वे उगते हुये सूर्य को फल समझकर उसे पकड़ने आकाश में उड़ने लगे। उनकी सहायता के लिये पवन भी बहुत तेजी से चला। उधर भगवान सूर्य ने उन्हें अबोध शिशु समझकर अपने तेज से नहीं जलने दिया। जिस समय हनुमान सूर्य को पकड़ने के लिये लपके, उसी समय राहु सूर्य पर ग्रहण लगाना चाहता था। हनुमान जी ने सूर्य के ऊपरी भाग में जब राहु का स्पर्श किया तो वह भयभीत होकर वहाँ से भाग गया। उसने इन्द्र के पास जाकर शिकायत करते हुए कहा कि देवराज! आपने मुझे अपनी क्षुधा शान्त करने के साधन के रूप में सूर्य और चन्द्र दिये थे। आज अमावस्या के दिन जब मैं सूर्य को ग्रस्त करने गया तब देखा कि दूसरा राहु सूर्य को पकड़ने जा रहा है। राहु की बात सुनकर इन्द्र घबरा गये और राहु को साथ लेकर सूर्य की ओर चल पड़े। राहु को देखकर हनुमान जी सूर्य को छोड़ राहु पर झपटे। राहु ने इन्द्र को रक्षा के लिये पुकारा तो उन्होंने हनुमान जी पर वज्रायुध से प्रहार किया जिससे वे एक पर्वत पर गिरे और उनकी बायीं ठुड्डी टूट गई। हनुमान की यह दशा देखकर वायुदेव को क्रोध आया। उन्होंने उसी क्षण अपनी गति रोक दिया। इससे संसार की कोई भी प्राणी साँस न ले सकी और सब पीड़ा से तड़पने लगे। तब सारे सुर, असुर, यक्ष, किन्नर आदि ब्रह्मा जी की शरण में गये। ब्रह्मा उन सबको लेकर वायुदेव के पास गये। वे मूर्छत हनुमान को गोद में लिये उदास बैठे थे। जब ब्रह्मा जी ने उन्हें जीवित किया तो वायुदेव ने अपनी गति का संचार करके सभी प्राणियों की पीड़ा दूर की। सभी देवताओं ने हनुमान जी को आशीर्वाद दिया, मान्यता है कि हनुमान जी आज भी पृथ्वी पर मौजूद हैं।

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