समाज में लायें शांति, बनें आदर्श
विचार : भागदौड़ भरी जिंदगी में व्यक्ति व्यक्ति से दूर होता जा रहा है। समाज की बात तो दूर अपने घर में अपने परिजनों से लोग महीनों नहीं मिल पाते जबकि एक ही घर में रह रहे हैं, समाज में ईष्या बहुत देखने को मिल रही है जिससे पारिवारिक विघटन सामान्य बात हो गयी है। हर एक व्यक्ति भिन्न है, भिन्नता व्यक्ति का स्वाभाविक गुण है तो किसी भी व्यक्ति से अकारण ईष्र्या नहीं करनी चाहिए। पिता पुत्र से पत्नी पति से मतभेद होने के चलते अलग—अलग रहते हैं, जो निहायत ही कष्टप्रद लगता है। सभी को विवाह करने चाहिए, बच्चे पैदा करना चाहिए और देश के प्रति निष्ठावान रहना चाहिए, यही तो हमारे संस्कार हैं। घर में विवाद व कलह न हो इसके लिये माध्यम ढूंढा जा सकता है। हमारे सनातन परम्परा में जीवन जीने के लिये संस्कार शामिल किये गये हैं, यह संस्कार काफी सोच समझकर शामिल किये गये हैं। यही वह संस्कार हैं जिसके चलते जीवन खुशहाल व समृद्धवान रहता है। प्रत्येक भारतीय को सुबह उठकर स्नान आदि के बाद पूजा, पाठ अवश्य करना चाहिए, आज के दौर में सुबह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखा जानी चाहिए। इससे अच्छा संस्कारशाला नहीं विश्व में वर्तमान में। घर व समाज में शांति के लिये दीप प्रज्ज्वलित कर तुलसी माता से गृह शांति की प्रार्थना करना काफी कारगर माना गया है। गाय को रोटी खिलाना, चींटियों को आटा खिलाना, घर में देवी, देवताओं की मूर्ति व तस्वीर रखना व उनका पूजन करना, मंत्रोच्चार करने से, घर में धर्मध्वजा रखने से गृहक्लेश नहीं होता और सकारात्मक ऊर्जा आती है, घर में सुख शांति बनी रहती है, और ऐसे घर को आदर्श घर यानि आदर्श परिवार माना गया है, ऐसा हमारे पूर्वज करते थे और हम सुखी रहा करते थे।
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