अक्षय तृतीया पर्व में दान-पुण्य का विशेष महत्व
ज्योतिष : अक्षय तृतीया के दिन किया गया दान-पुण्य भी अक्षय हो जाता है। विवाह के लिए सबसे उत्तम माने जाने वाले अक्षय तृतीया का सात मई को उत्साह एवं धूमधाम के साथ मनाया जाएगा। इस दिन बच्चे जहां गुड्डे और गुडिय़ों का ब्याह रचाते हैं तो वहीं विवाहिता कन्या के यहां पिता पानी से भरा घड़ा, मौसमी फल आदि का दान करते हैं। इस पर्व में भगवान परशुराम का पूजन विशेष रूप से किया जाता है। छत्तीसगढ़ में अक्ती के नाम से इस पर्व का विशेष महत्व है। वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तीसरी तिथि ही अक्षय तृतीया के नाम से प्रसिद्ध है। मान्यता है कि अक्षय तृतीया के दिन किए जाने वाले शुभ कार्य, शुभ कर्म, दान-दक्षिणा का अक्षय पुण्य प्राप्त होता है। यही वजह है कि इस दिन जरूरतमंदों में तथा असहायों को उनकी जरूरत की वस्तुएं दान करने का भी विधान है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार अक्षय तृतीया के दिन ही भगवान विष्णु के अवतार परशुराम जी का जन्म महर्षि जमदग्रि के घर हुआ था। छत्तीसगढ़ में अक्ती पर्व के नाम से प्रसिद्ध अक्षय तृतीया को विवाह के लिए सर्वोत्तम मुर्हूत माना जाता है। छत्तीसगढ़ में अक्ती भांवर (विवाह) का विशेष महत्व है, यही वजह है कि अंचल में अक्षय तृतीया के दिन ही सर्वाधिक विवाह होते हैं। इसके पीछे यह भी मान्यता है कि अक्षय तृतीया के दिन दांपत्य सूत्र में बंधने वाले विवाहित जोड़ों का साथ भी अक्षय हो जाता है। इसके अलावा अक्ष्य तृतीया के दिन स्नान-दान का भी विधान है।
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