पाकिस्तान को मानना ही पड़ा कि उसके यहां आतंकी पलते हैं, लेकिन भाजपा विरोधी खड़े कर रहे सवाल
विचार : आतंकवादी मसूद अजहर पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध भाजपा की मोदी सरकार की सफलताओं में एक है। लेकिन विरोधी सिर्फ और सिर्फ आलोचना और सवाल खड़े करते रहे हैं। कोई भी सरकार हो जाने—अंजाने में एकाध सही फैसले हो जाते हैं, जिसकी तारीफ होनी चाहिए, लेकिन विपक्ष की नजर में भाजपा की मोदी सरकार ने ऐसा कोई कार्य नहीं किया, जिसकी प्रशंसा की जाये। मोदी सरकार ने कोई अच्छा कार्य नहीं किया, तो भाई तुम्हीं बता दो कि आपने कौन—कौन से कार्य किये, जो समाज के लिए हितकारी रहा हो। आलोचना और झूठ से सत्ता हासिल करने वाले कांगे्रस, सपा, बसपा जैसे तमाम छुटभइये नेता थोड़े से नकली मुसलमानों के लिए अपने हिंदू भाइयों की आलोचना करते हैं, हिंदू भाइयों की आलोचना तो ठीक है कांगे्सियों ने तो भारत का नाम ही मिटाना चाहा और देश का नया नाम इंडिया। पुरातन परम्परा से भगवा या धर्म ध्वज या पताका हमारे समाज में धर्म के संकेत के रूप में करते थे कि कांग्रेसी नया ध्वज ले आये, तिरंगा। कांग्रेसियों ने ही देश को खंड—खंड करने में अपनी अहम भूमिका निभाई, चाहे वह क्यों न महात्मा गांधी ही हों, महात्मा गांधी को भारत बंटवारे की जिम्मेदारी लेनी होगी। ऐसे कांगे्सी जो भारत के वैभव को नहीं स्वीकारते, ऐसे कांगे्सी जिनके अध्यक्ष बहरूपिया हों ऐसे लोगों को पोषण हमारे वोटों से ही मिलता है, जो कि हमें कांगे्रसियों को हरे भरे होने से रोकना चाहिए, अन्यथा अभी भी गुलामी की जकड़न में हैं, जो कि शीघ्र इससे छुटकारा पाने की जरूरत है। वहीं अंतर्राष्ट्रीय दबाव में जर्जर अर्थव्यवस्था वाले पाकिस्तान ने स्वीकार किया है कि उसकी धरती पर मदरसों में घृणा का पाठ पढ़ाया जाता रहा है। सरकार ने अब इन मदरसों को नियंत्रण में लेकर दुनियावी ज्ञान व आधुनिक शिक्षा देने का फैसला किया है। दुनिया में हुई बड़ी आतंकी घटनाओं में इस्लामिक आतंकवादियों की भूमिका से अलग-थलग पड़ते पाक जैसे देशों और मसूद अजहर के मामले में अमेरिका, ब्रिटेन व फ्रांस की प्रतिबद्धता के चलते पाक बैकफुट पर नजर आ रहा है। यहां तक कि आतंकवादियों को आर्थिक मदद देने के आरोप में पाक को ऋण देने वाली संस्थाओं द्वारा कदम पीछे खींचने तथा इस मामले की निगरानी करने वाली अंतर्राष्ट्रीय संस्था द्वारा पाक को ग्रे सूची में शामिल करने से पाक अब बचाव की मुद्रा में है। कहना कठिन है कि मदरसों पर नियंत्रण का फैसला इन अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं के दबाव में लिया गया है या फिर पाक को अपने अपराध बोध का अहसास हुआ है। बहरहाल, पाक हुक्मरानों द्वारा मदरसों में हेट स्पीच की पढ़ाई की बात को स्वीकारना भारत की बड़ी जीत है। भारत दशकों से कहता रहा है कि पाक आतंक की पाठशालाएं चला रहा है। पाक सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल आसिफ गफूर ने पत्रकारों से बात करते हुए स्वीकारा है कि आतंकवाद के आरोपों के चलते पाक को करोड़ों डॉलर का नुकसान हुआ है। इसमें यह स्वीकारोक्ति भी है कि पाक में जिहादी मौजूद हैं। साथ ही उन्होंने स्वीकारा कि पाक में तीस हजार मदरसों में 25 लाख बच्चों को शिक्षा मिलती है। अब इन मदरसों को शिक्षा विभाग नियंत्रित करेगा। मदरसों के पाठयक्रम में नये विषय जोड़े जायेंगे। हेट स्पीच की बजाय दूसरे समुदायों का आदर करना सिखाया जायेगा। यह भी स्वीकारा गया कि आजादी के वक्त जहां देश में 247 मदरसे थे, आज उनकी संख्या तीस हजार से अधिक है। साथ ही ढाई करोड़ बच्चे स्कूल नहीं जाते। निश्चित रूप से यह स्वीकारना होगा कि भारत सरकार ने पुलवामा हमले के बाद पाकिस्तान पर जो अंतर्राष्ट्रीय दबाव बनाया है, उसके नतीजे अब सामने आने लगे हैं। उसी का नतीजा है कि पाक अंतर्राष्ट्रीय बिरादरी में अलग-थलग पड़ता नजर आ रहा है। जैश-ए-मोहम्मद के सरगना पर प्रतिबंध लगाने की मुहिम वैश्विक स्तर पर सिरे चढ़ गई है। भले ही चीन के अडिय़ल रवैये के कारण उसे अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी घोषित न किया जा सका हो, मगर पाक की फजीहत अच्छी खासी हो चुकी है। जिस तरह फ्रांस व अमेरिका खुद इस प्रस्ताव को सिरे चढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं, उससे जाहिर है कि भारत की नीति को विश्व बिरादरी में भरपूर समर्थन मिल रहा है। चीन के अडिय़ल रवैये का कारण साफ है कि वन बेल्ट, वन रोड परियोजना के तहत चीन ने पाकिस्तान में जो 60 अरब डॉलर का निवेश किया है, वह रुक सकता है। दूसरे, उसके एक प्रांत में जिस तरह इस्लामिक आतंकवाद सिर उठा रहा है, उस पर इस्लामिक जगत का समर्थन पाने की लालसा भी मसूद अजहर के पक्ष में खड़े होने के मूल में है। स्पष्ट है मसूद अजहर को अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी घोषित करने से भारत को कोई सीधा लाभ होने वाला नहीं है। वह विदेशों में सक्रिय भी नहीं है और उसके संगठन को विदेशी फंडिंग भी नहीं होती। भारत एक तरह से इसके जरिये कूटनीतिक बढ़त पाकिस्तान पर लेना चाहता है, जिसमें भारत कामयाब होता नजर आ रहा है। पाकिस्तान का कहना है कि उसके सौ मदरसों में चरमपंथ पनप रहा है और उनमें दूसरे समुदायों का आदर करना सिखाया जायेगा, यही स्वीकारोक्ति ही भारत की जीत है। इस बात को लेकर भारत दशकों से विश्व बिरादरी से पाक पर नकेल कसने की मांग करता आ रहा है। इस मुहिम से जहां चीन का पाखंड बेनकाब हुआ है वहीं पाक विश्व बिरादरी में अलग-थलग पड़ा है। लेकिन इसके बावजूद पाक अपनी दोमुंही रणनीतियों से भी बाज नहीं आ रहा है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मोहम्मद फैसल का एक बयान आया है कि अंतर्राष्ट्रीय दबाव में पाकिस्तान जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने को तैयार है लेकिन मसूद अजहर का संबंध पुलवामा हमले से नहीं जोड़ा जाना चाहिए। पाकिस्तान की इस शातिर टिप्पणी का मकसद भारत द्वारा पुलवामा हमले के बाद की गई कोशिशों पर पानी फेरना है, जिसके प्रति भारत को सतर्क रहना होगा। इसके अलाव खबर यह भी आ रही है कि भारतीय जनता पार्टी की मोदी सरकार पाकिस्तान को अब आतंकी देश घोषित करने की फिराक में है, अगर ऐसा है तो भाजपा ऐसा करवाने में सफल भी हो सकती है, जिसके लिए भारतीय जनमानस को राष्ट्रवादी सरकार के साथ मजबूती से खड़ा होना पड़ेगा।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें