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अप्रैल, 2021 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

स्वावलम्बी बनें देश के युवा

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प्रेरक कथा : रेलवे स्टेशन पर उतरते ही नौजवान ने ‘कुली-कुली’ की आवाज लगानी शुरू कर दी। वह एक छोटा सा रेल स्टेशन था, जहाँ पर रेल यात्रियों का आवागमन कम था, इसलिए उस रेल स्टेशन पर कुली नहीं थे। स्टेशन पर कोई कुली न देख कर नौजवान परेशान हो गया। नौजवान के पास सामान के नाम पर एक छोटा-सा संदूक ही था। इतने में एक अधेड़ उम्र का आदमी धोती-कुर्ता पहने हुए उसके पास से गुजरा। लडक़े ने उसे ही कुली समझा और उससे सन्दूक उठाने के लिए कहा। धोती-कुर्ता पहने हुए आदमी ने भी चुपचाप सन्दूक उठाया और उस नौजवान के पीछे चल पड़ा। घर पहुँचकर नौजवान ने कुली को पैसे देने चाहे। पर कुली ने पैसे लेने से साफ इनकार कर दिया और नौजवान से कहा कि धन्यवाद! पैसों की मुझे जरूरत नहीं है, फिर भी अगर तुम देना चाहते हो, तो एक वचन दो कि आगे से तुम अपने सारे काम अपने हाथों ही करोगे। अपना काम अपने आप करने पर ही हम स्वावलम्बी बनेंगे। जिस देश का नौजवान स्वावलम्बी नहीं हो, वह देश कभी सुखी और समृद्धिशाली नहीं हो सकता। धोती-कुर्ता पहने यह व्यक्ति स्वयं उस समय के महान समाजसेवी और प्रसिद्ध विद्वान ईश्वरचन्द्र विद्यासागर थे।

वर्षा और चट्टान का मुकाबला

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प्रेरक कथा : एक बार वर्षा, पृथ्वी और हवा बड़ी चट्टान से बातें कर रहे थे। चट्टान ने कहा कि तुम सब एक साथ मिल जाओ, तब भी तुम मेरा मुकाबला नहीं कर सकते। पृथ्वी और हवा दोनों इस बात पर सहमत थीं कि चट्टान बहुत मजबूत है, लेकिन वर्षा इस बात पर सहमत नहीं थी कि वह चट्टान का मुकाबला नहीं कर सकती। उसने कहा कि यकीनन, तुम बहुत मजबूत हो। यह मैं जानती भी हूँ और मानती भी हूं, लेकिन तुम्हारा यह मानना सही नहीं है कि मैं कमजोर हूं। वर्षा की बात सुनकर पृथ्वी, हवा और चट्टान सब के सब हँसने लगीं। तब वर्षा ने कहा कि मेरी हंसी उड़ाने वालों अभी देखो, मैं क्या कर सकती हूँ। यह कहकर वह खासी तेज गति से बरसने लगी। लेकिन उसके कई दिन बरसने के बावजूद चट्टान को कुछ नहीं हुआ। कुछ समय बाद पृथ्वी और हवा मिलीं तो इस बात को लेकर फिर से हँसने लगीं। उनकी तीर सी चुभने वाली हंसी के प्रतिउत्तर में वर्षा ने कहा कि अभी से इतना मत इतराओ। थोड़ा धैर्य रखो बहनों और देखती जाओ। फिर तो वर्षा उस चट्टान पर लगातार दो वर्षों तक बरसती रही। कुछ समय बाद हवा व पृथ्वी चट्टान से मिलने पहुंचीं तो उन्होंने देखा कि चट्टान बीच से कट गयी है। वे उससे सहान...

सुखी वही है जो खुश है

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प्रेरक कथा : एक गरीब ने राजा से निवेदन किया कि वह बहुत गरीब है, उसके पास कुछ भी नहीं और उसे मदद चाहिए। राजा दयालु था। उसने पूछा कि मैं आपकी क्या मदद कर सकता हूं, गरीब ने कहा कि छोटा-सा भूखंड चाहिये मदद कर दीजिये। राजा ने कहा कि कल सूर्योदय के समय तुम यहां आना और दौडऩा, जितनी दूर तक दौड़ पाओगे, वो पूरा भूखंड तुम्हारा। लेकिन ध्यान रहे, जहां से तुम दौडऩा शुरू करोगे, सूर्यास्त तक तुम्हें वहीं लौट आना होगा। अन्यथा कुछ नहीं मिलेगा। गरीब खुश हो गया। सुबह हुई और सूर्योदय के साथ दौडऩे लगा। सूरज सिर पर चढ़ आया फिर भी उसका दौडऩा नहीं रुका। थोड़ा थकने लगा, तब भी नहीं रुका। शाम होने लगी तो उसको याद आया कि सूर्यास्त तक लौटना भी है, अन्यथा कुछ नहीं मिलेगा। गरीब आदमी ने वापस दौडऩा शुरू किया, लेकिन काफी दूर चला गया था और सूरज पश्चिम की तरफ हो चुका था। उसने पूरा दम लगा दिया लेकिन समय तेजी से बीत रहा था और थकान के चलते वह तेजी से दौड़ नहीं पा रहा था। अंतत: हांफते-हांफते वह थक कर गिर पड़ा और गरीब आदमी की वहीं मौत हो गयी। राजा यह सब देख रहा था, राजा सहयोगियों के साथ वहां गया और राजा ने उस मृत शरीर को गौर स...

हनुमान जयंती पर बन रहे हैं दो अद्भुत योग

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आस्था : प्रत्येक चैत्र शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को प्रभु हनुमान जी का जन्मोत्सव मनाया जाता है। इसी पावन दिन माता अंजनी की कोख से हनुमान जी ने जन्म लिया था। इस वर्ष यानि 2021 में 27 अप्रैल को हनुमान जन्मोत्सव मनाया जाएगा। हनुमान जन्मोत्सव पर इस बा दो संयोग बन रहे हैं। 27 अप्रैल 2021 को सिद्दि और व्यतीपात योग बन रहा है। हनुमान जन्मोत्सव के दिन शाम 8 बजकर 3 मिनट तक सिद्ध योग और उसके बाद व्यतीपात योग लग जाएगा। वार, तिथि और नक्षत्र के मध्य तालमेल होने पर सिद्धि योग का निर्माण होता है। सिद्दि योग के स्वामी भगवान गणेश हैं। इस योग में किए गए कार्य बिना किसी विघ्न-बाधा के सफल हो जाते हैं। सिद्दि प्राप्ति के लिए इस योग को उत्तम माना जाता है। इस समय हनुमान जी की पूजा करना शुभ और फलदाई होगा। वहीं व्यतीपात योग योग को शुभ नहीं माना जाता है, लेकिन इस समय में मंत्र जप, गुरु पूजा, उपवास आदि करने का महत्व बहुत अधिक होता है। हनुमान जी का जन्म त्रेतायुग के अंतिम चरण में चैत्र पूर्णिमा को मंगलवार के दिन चित्रा नक्षत्र व मेष लग्न के योग में सुबह छह बजकर तीन मिनट पर मौजूदा झारखंड राज्य के गुमला जिले के आंजन ना...

सतुआ संक्रान्ति के दिन करें सत्तूू का सेवन

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ज्योतिष : सत्तू संक्रांति 14 अप्रैल को है। दो पर्व ऐसे हैं जो 14 तारीख को प्राय: पड़ते हैं— एक तो है मकर संक्रान्ति खिचड़ी और दूसरा है मेष संक्रांति यानि कि सत्तू संक्रान्ति। मेष संक्रान्ति के दिन सूर्य मीन से मेष राशि में जाते हैं। सत्तू संक्रांति देश के कोने कोने में कई नामों से प्रचलित है। मेष संक्रांति को पंजाब में वैशाख, तमिलनाडु में पुथांदु, बिहार में सतुआनी, पश्चिम बंगाल में पोइला बैसाख एवं ओडिशा में पना संक्रांति के नाम से जाना जाता है। उत्तर भारत के लोग सत्तू संक्रान्ति हर्ष व उल्लास से मनाते हैं। 14 अप्रैल, 2021 को सुबह 5 बजकर 57 मिनट से 12 बजकर 22 मिनट तक शुभ मुहुर्त है।  संक्रान्ति के दिन प्रात: यानि कि सूूर्योदय के समय स्नान के बाद सूर्य को जल अर्पित करना चाहिए, बहुुत ही लाभकारी होता है। चूंकि इस दिन खरमास का समापन हो रहा है, इस दिन सत्यनारायण भगवान की पूजा करनेे सेे मनवांछित फल मिलते हैं, भगवान सत्यनारायण को सत्तूू का भोग लगाना अति लाभकारी रहेेगा। सत्तू संक्रांति के ​दिन सभी को सत्तू का सेवन जरूर करना चाहिए।

स्वस्थ शरीर में ही होता है स्वस्थ मन

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स्वास्थ्य : गर्मियों का महीना शुरू होते ही तेज हवाओं और धूप के चलते शरीर में पानी की मात्रा कम होने लगती है, इसलिये गर्मी में पूरी सावधानी रखने की जरूरत है तभी मन और शरीर स्वस्थ रहेगा। तेज धूप से लोगों में लू लग जाता है। सिर में भारीपन व दर्द का अनुभव होना, तेज बुखार के साथ मुंह सूखना, चक्कर, उल्टी होना, शरीर का तापमान बढऩा, प्यास अधिक लगना तथा पेशाब कम आना आदि लू के लक्षण हैं। लू से बचाव के उपाय-बहुत अनिवार्य न हो तो घर से बाहर न जायें, पानी अधिक मात्रा में पियें, धूप में निकलने से पहले सूती कपड़ों से सिर व कानों को अच्छी तरह से ढक लें, अधिक पसीना आने की स्थिति में ओआरएस घोल पियें और उल्टी, सिर दर्द  तेज बुखार की दशा में निकटतम अस्पताल में जाकर जरूरी सलाह लें। लू लगने पर किया जाने वाला प्रारम्भिक उपचार-बुखार पीडि़त व्यक्ति के सिर पर ठण्डे पानी की पट्टी लगायें, अधिक पानी व पेय पदार्थ पिलायें जैसे कच्चे आम का बना जलजीरा, ओआरएस का घोल पिलाना चाहिए, पीड़ि़त व्यक्ति को पंखे के नीचे हवा में लेटा देना चाहिए व पीड़ित व्यक्ति को शीघ्र ही किसी नजदीकी चिकित्सक या अस्पताल में इलाज के लिए ले ज...

नवरात्रि पर 90 साल बाद बन रहा है अद्भुत संयोग

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ज्योतिष : इस वर्ष नवसंवत्सर यानि 13 अप्रैल 2021 को सुबह दो बजकर 32 मिनट पर ग्रहों के राजा सूर्य का मेष राशि में गोचर होगा। संवत्सर प्रतिपदा व विषुवत संक्रांति दोनों एक ही दिन 31 गते चैत्र, 13 अप्रैल को हो रही है। ऐसी स्थिति करीब 90 साल बाद बन रही है। इसके अलावा देश में ऋतु परिवर्तन के साथ ही नववर्ष प्रारंभ होता है। घटस्थापना के लिए मंगलवार 13 अप्रैल 2021 को सुबह 5 बजकर 28 मिनट से सुबह 10 बजकर 14 मिनट तक शुभ मुहुर्त रहेगा। इसके अलावा प्रात: 11 बजकर 56 मिनट से दोपहर 12 बजकर 47 मिनट तक भी घट स्थापित किया जा सकता है। वहीं 14 अप्रैल 2021 को ग्रहों के राजा सूर्य मीन राशि से निकलकर मेष राशि में गोचर करने वाले हैं। सूर्य का यह गोचर 13 अप्रैल की मध्य रात्रि 2 बजकर 33 मिनट पर मेष राशि में होगा। सूर्य राशि परिवर्तन का सभी राशियों पर असर पड़ेगा। लेकिन कुछ राशियों को मनवांछित परिणाम मिलेगा।

चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से शुरू हुआ था सृष्टि की रचना का कार्य

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ज्योतिष : इस वर्ष यानि 2021 में नये वर्ष की शुरुआत 13 अप्रैल से हो रही है, 13 अप्रैल को चैत्र शुक्ल प्रतिपदा है। चैत्र नवरात्र में मां के नौ रुपों का पूजन किया जाता है। शक्ति की उपासना चैत्र मास के प्रतिपदा से नवमी तक की जाती है। 13 अप्रैल 2021 से चैत्र नवरात्र व आनंद नव सम्वत् की शुरुआत होगी। 20 अप्रैल मंगलवार को महाअष्टमी व 21 अप्रैल बुधवार को नवमी का हवन होगा। इसी दिन श्रीराम नवमी मनायी जाएगी। 13 अप्रैल मंगलवार को कलश स्थापना का समय सूर्योदय से लेकर प्रातः 8:47 तक है। उसके बाद द्वितीया लग जाएगी। ब्रह्म पुराण के अनुसार ब्रम्हा ने सृष्टि की रचना का कार्य चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से ही आरम्भ किया था। इसी दिन से राजा विक्रमादित्य ने पंचांग का प्रचलन प्रारम्भ कराया था, जिससे इसका नाम विक्रम सम्वत् पड़ा। आनन्द नाम के इस सम्वत् का पहला दिन मंगलवार होने से इसके राजा मंगल होंगे। हिन्दू पंचांग सार्वभौमिक और वैज्ञानिक कैलेंडर है। यह सौर्य और चंद्रमा की गणना पर आधारित है। इसलिए इसकी गणना बेहद ही सटीक होती है। हिंदू पंचांग के आधार पर यह हजारों साल पहले बता दिया था कि अमुक दिन, अमुक समय पर सूर्यग्रहण...

महिलाओं के ​लिये विशेष फलदायी है सोमवती अमावस्या

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ज्यो​तिष : शास्त्र के अनुसार सनातन धर्म में अमावस्या व पूूर्णिमा खास महत्व है। हर महीने के कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि को अमावस्या आती है और यदि यह अमावस्या सोमवार के दिन पड़े तो इसे सोमवती अमावस्या कहा जाता है। 12 अप्रैल 2021 को महिलाओं के अखण्ड सौभाग्य का व्रत है। इस दिन अमावस्या तिथि सूर्योदय से लेकर सुबह 7 बजे तक रहेगी। विष्णु की पूजा और पीपल के वृक्ष की 251 या 108 परिक्रमा करने वाली स्त्रियों को परम सौभाग्य मिलता है। सोमवती अमावस्या के दिन किए गए दान का विशेष महत्व है। मान्यता है कि सोमवती अमावस्या के दिन स्नान-दान करने से घर में सुख-शांति और खुशहाली आती है। इस वर्ष यानि 2021 में सोमवती अमावस्या के दिन वैधृति व विष्कंभ योग बन रहा है। सर्वविदित है कि 2021 में सिर्फ एक ही सोमवती अमावस्या पड़ रही है। सोमवती अमावस्या के दिन वैधृति योग दोपहर 2 बजकर 28 मिनट तक रहेगा। इसके बाद विष्कुम्भ योग लग जाएगा। जबकि इस दिन रेवती नक्षत्र सुबह 11 बजकर 30 मिनट तक रहेगा, उसके बाद अश्विनी नक्षत्र लगेगा। चंद्रमा सुबह 11 बजकर 30 मिनट कर मीन राशि, उसके बाद मेष पर संचार करेगा। सूर्य मीन राशि में रहेंगे। विष्कुम...

पहली बार अपना प्रधान चुनेंगे 35 गांवों के वनटांगिया

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जानकारी : उत्तर प्रदेश में योगी सरकार बेहतरीन कार्य कर रही है। इसी के तहत वनटांगिया पर भी योगी सरकार ने विशेष ध्यान दिया है। राजस्व ग्राम का दर्जा मिलने के बाद 35 गावों के वनटांगिया त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में अपने प्रधान का चुनाव करेंगे। गोरखपुर जिले में पांच और पड़ोसी जिले महराजगंज में 18 वनटांगिया गांव हैं। इसके अलावा पूर्वी उत्तर प्रदेश के ही गोंडा और बलरामपुर में 5-5 वनटांगिया गांव हैं। राजस्व ग्राम के निवासी के रूप में इन गांवों के वनटांगिया पहली बार पंचायत चुनाव में सीधी और सक्रिय भूमिका निभाएंगे।

सरदार वल्लभ भाई पटेल से अंग्रेज ने मांगी माफी

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प्रेरक कथा : असेंबली के कार्य निपटाने के बाद वे घर के लिए निकल रहे थे सरदार वल्लभ भाई पटेल कि एक अंग्रेज दम्पति, भारत भ्रमण के लिए आया था, वहां आ पंहुचा। उस दम्पति ने पटेल की सादी वेशभूषा और बढ़ी हुई दाढ़ी देखी तो उन्हें वहां का चपरासी समझ लिया और उनसे असेंबली घुमाने के लिए कहा। विनम्रता से उनका आग्रह स्वीकार करते हुए सरदार पटेल ने दम्पति को पूरी असेंबली का भ्रमण कराया। दम्पत्ति उनसे खुश होकर लौटते वक्त उन्हें एक रुपया बख्शीश में देना चाहा, लेकिन सरदार पटेल ने विनम्रतापूर्वक बख्शीश लेने से मना कर दिया। अंग्रेज दम्पति उस वक्त तो वहाँ से चला गया। लेकिन दूसरे दिन फिर असेंबली में आया तो सभापति की कुर्सी पर बढ़ी हुई दाढ़ी तथा सादे वस्त्रों वाले व्यक्ति को देखकर हैरान रह गया। मन ही मन उसने अपनी भूल का पश्चाताप किया और अपनी शर्मिंदगी की बाबत सरदार को भी बताया। क्षमा मांगी कि जिसे वह चपरासी समझ रहा थे वह लेजिस्लेटिव ऐसेंबली का अध्यक्ष निकला।

विनोबा भावे को कड़े प्रयासों से मिली सफलता

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प्रेरक कथा : आचार्य विनोबा भावे अपने सद्विचारों के कारण समाज के हर वर्ग में बडे ही लोकप्रिय थे। प्रत्येक विषय पर विनोबा भावे के विचार इतने सरल और स्पष्ट होते कि वे सुनने वाले के हृदय में सीधे उतर जाते थे। विनोबा भावे गांव—गांव घूमकर भूदान यज्ञ के लिये भूमि इकट्ठा कर रहे थे। उनके पास न धन था और न कोई बाहरी सत्ता, लेकिन सेवा के साहस से उन्होंने करोड़ों लोगों के दिलों में अपना घर बना लिया। उन्हें 40 लाख एकड़ से अधिक जमीन मिली। एक बार की बात है कि गांव का एक जमींदार विनोबा भावे से मिलना टालता रहा। शुभचिंतकों ने जमींदार से पूछा कि आप श्री भावे से क्यों नहीं मिल लेते। जमींदार ने कहा कि भावे से मिलूंगा तो वे ज़मीन मांगेंगे और मुझे देनी पड़ेगी। जमींदार से पूछा गया कि ऐसा क्यों? आप अपनी जमीन नहीं देना चाहते हो तो मत देना। कह देना कि नहीं दे सकता। इसमें कोई जबरदस्ती थोड़ी है। विनोबा केवल प्रेम से ही तो जमीन मांगते हैं। ज़मींदार बोला कि वे प्रेम से मांगते हैं और उनकी बात सही है इसलिये उनको टाला नहीं जा सकेगा। विनोबा भावे ने जब यह बात सुनी तो उन्होंने हर्ष से कहा कि बस उस जमींदार की जमीन मुझको मिल...

समाज में लायें शांति, बनें आदर्श

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विचार : भागदौड़ भरी जिंदगी में व्यक्ति व्यक्ति से दूर होता जा रहा है। समाज की बात तो दूर अपने घर में अपने परिजनों से लोग महीनों नहीं मिल पाते जबकि एक ही घर में रह रहे हैं, समाज में ईष्या बहुत देखने को मिल रही ​है जिससे पारिवारिक विघटन सामान्य बात हो गयी है। हर एक व्यक्ति भिन्न है, भिन्नता व्यक्ति का स्वाभाविक गुण है तो किसी भी व्यक्ति से अकारण ईष्र्या नहीं करनी चाहिए। पिता पुत्र से पत्नी पति से मतभेद होने के चलते अलग—अलग रहते हैं, जो निहायत ही कष्टप्रद लगता है। सभी को विवाह करने चाहिए, बच्चे पैदा करना चाहिए और देश के प्रति निष्ठावान रहना चाहिए, यही तो हमारे संस्कार हैं। घर में विवाद व कलह न हो इसके लिये माध्यम ढूंढा जा सकता है। हमारे सनातन परम्परा में जीवन जीने के लिये संस्कार शामिल किये गये हैं, यह संस्कार काफी सोच समझकर शामिल किये गये हैं। यही वह संस्कार हैं जिसके चलते जीवन खुशहाल व समृद्धवान रहता है। प्रत्येक भारतीय को सुबह उठकर स्नान आदि के बाद पूजा, पाठ अवश्य करना चाहिए, आज के दौर में सुबह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखा जानी चाहिए। इससे अच्छा संस्कारशाला नहीं विश्व में वर्तमान मे...

लड़कों की मूर्खता

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प्रेरक कथा: एक बार की बात है दो लड़के कहीं जा रहे थे, दोनों लड़के चलते-चलते रास्ता भूल गए। अँधेरा बढ़ रहा था और वापस लौटने भर का समय बचा नहीं था इसलिये उन्हें एक सराय में रुकना पड़ा। वहां आधी रात को एकाएक उनकी नींद उचट गई। उन्होंने पास के कमरे से आती हुई एक आवाज सुनी कि कल सुबह एक हंडे में पानी खौला देना। मैं उन दोनों बच्चों का वध करना चाहता हूँ। यह सुनकर दोनों लड़कों ने फौरन वहाँ से भाग जाने का निर्णय लिया और कमरे की खिड़की से वे बाहर कूद गए, लेकिन बाहर पहुँचकर उन्होंने देखा कि बाहर के दरवाजे पर ताला लगा हुआ है और अंत में दोनों लड़कों ने सराय के मालिक के सुअरों के बाड़े में छिपने का फैसला किया। जैसे—तैसे दोनों लड़कों ने जागते हुए रात बिताई। सुबह सराय का मालिक सुअरों के बाड़े में आया। उसने बड़ा-सा छुरा तेज किया और पुकारा, 'आ जाओ, मेरे प्यारे बच्चों, तुम्हारा आखिरी वक्त आ गया है। दोनों लड़के भय से काँपते हुए सराय के मालिक के पैरों पर गिर पड़े और गिड़गिड़ाते हुए अपनी जान की भीख मांगने लगे। सराय का मालिक उनका यह हाल देखकर चकित रह गया। उसकी तो कुछ समझ में ही नहीं आ रहा था। अंतत: उसने प...

शहरों की तरह गांवों का भी किया जाये विकास

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विचार : कोरोना बीमारी से विश्व परेशान है, परेशानियों के इस माहौल में भारत का शानदार प्रदर्शन रहा है। इसके बावजूद कुछ त्रुटियों को सुधारने की आवश्यकता है, जिसकी पहल राजनीतिक दलों व जनता दोनों को मिलकर करना है, वह यह कि शहर की तरह गांवों के विकास पर ध्यान दिया जाये, जिससे गांवों से पलायन रुके। छात्रों को अपना घर व मां, बाप न छोड़ना पड़े कच्ची उम्र में और हो सके तो बच्चों के बड़े होने से पहले उनकी गांवों में समुचित व्यवस्था का लाभ सरकार को देना चाहिए जिससे बच्चे मां, बाप का बुढ़ापे में सहारा बन सकें। 2020 में कोरोना काल के दौरान रोजगार की तलाश में शहरों में आये अधिकतर कामगार अपने गांव लौट आये। देश के इतिहास में यह अब तक का सबसे बड़ा पलायन था।  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आग्रहों के बावजूद मकान मालिकों ने घर के किराये को लेकर कामगारों से ज्यादतियां की। जिन शहरी दुकानदारों से वे राशन लेते थे उन्होंने इस संकट की घड़ी में उधार राशन देने से मना कर दिया। जिनके यहां वे काम करते थे, उन्होंने भी ज्यादा दिन तक भोजन, पानी की व्यवस्था में असमर्थता जताई। संभ्रांत और प्रबुद्ध कहलाने वाले शहरी तबके...

रोमांचित कर देने वाली है ऋषि श्रृंगी की कथा

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कथा : प्राचीन वैदिक ॠषियों में प्रमुख ॠषि हैं कश्यप, जो ब्रह्मपुत्र मरीचि के पुत्र बताये गये हैं और मरीचि को सबसे प्राचीन ऋषि माना गया है। कश्यप ऋषि को धार्मिक व रहस्यात्मक चरित्र वाला बताया गया है। श्रृंगी ऋषि या ऋष्यशृंग वाल्मीकि रामायण में एक पात्र हैं, जिन्होंने राजा दशरथ के पुत्र प्राप्ति के लिए अश्वमेध यज्ञ तथा पुत्रकामेष्टि यज्ञ कराये थे। शास्त्रों में श्रृंगी ऋषि को विभाण्डक ऋषि के पुत्र और कश्यप ऋषि के पौत्र बताये गये हैं। श्रृंगी के माथे पर सींग (संस्कृत में शृंग) जैसा उभार होने के कारण उनका नाम श्रृंगी पड़ा। ऋष्यशृंग विभाण्डक तथा अप्सरा उर्वशी के पुत्र थे। विभाण्डक ने इतना कठिन तप किया कि देवतागण भयभीत हो गये और उनके तप को भंग करने के लिए उर्वशी को भेजा। उर्वशी ने उन्हें मोहित कर उनके साथ संसर्ग किया जिसके फलस्वरूप ऋष्यशृंग की उत्पत्ति हुयी। ऋष्यशृंग के माथे पर एक सींग (शृंग) था, अतः उनका यह नाम पड़ा। ऋष्यशृंग के पैदा होने के तुरन्त बाद उर्वशी का धरती का काम समाप्त हो गया तथा वह स्वर्गलोक के लिए प्रस्थान कर गई। इस धोखे से विभाण्डक इतने आहत हुये कि उन्हें नारी जाति से घृणा हो...

बड़ा ही शुभकारी है चैत्र का महीना

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ज्योतिष : चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष में नववर्ष शुरू हो रहा है, जो इस वर्ष यानि 2021 में 13 अप्रैल को पड़ रहा है। चैत्र माह के अंतिम दिन यानी पूर्णिमा को चंद्रमा चित्रा नक्षत्र में होता है, इसलिए इसे चैत्र कहते हैं। चैत्र माह में कई व्रत और त्योहार आते हैं। इन दिनों प्रकृति में हर तरफ उत्साह का संचार भी होता है। पौधों, पेड़ों में नयी शाखाएं निकलती हैं तो वहीं आदिशक्ति दुर्गा की उपासना का पवित्र पर्व भी पड़ता है। ब्रह्मा ने चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से ही सृष्टि की रचना शुरू की थी। इसी दिन भगवान विष्णु ने दशावतार में से पहला मत्स्य अवतार लेकर प्रलयकाल में जल में से मनु की नौका को सुरक्षित जगह पर पहुंचाया था। प्रलयकाल खत्म होने पर मनु से ही नई सृष्टि की शुरुआत हुई। आधुनिक युग में मान्यता है कि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन पृथ्वी का उदय हुआ था, जिसमें सबसे पहले तिब्बत का ऊपरी भाग दिखा था। वहीं यह भी कहा जाता है कि चैत्र माह में ठंडे जल से स्नान करना चाहिए, गर्म पानी से नहीं। मौसम में बदलाव के कारण शरीर में गर्म पानी से नहाने के कारण कुछ कमजोरी या संक्रमण की आशंका बनी रहती है। चैत्र माह में सूर्य...