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विनम्रता से करें समाज की सेवा

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बोधकथा। शिष्यों की शिक्षा पूरी होने के बाद संत ने उन्हें अपने पास बुलाया और कहा कि प्यारे शिष्यों समय आ गया है अब तुम सबको समाज के कठोर नियमों का पालन करते हुए विनम्रता से समाज की सेवा करनी होगी। एक शिष्य ने कहा, गुरुदेव हर समय विनम्रता से काम नहीं चलता! थोड़ी देर चुप रहने के बाद संत बोले-ज़रा मेरे मुँह के अंदर झाँक कर देख के बताओ अब कितने दाँत बचे हैं। बारी-बारी से शिष्यों ने संत का मुँह देखा और एक साथ बोले-आपके सभी दाँत टूट चुके हैं। संत ने कहा जीभ है कि नहीं? जीभ जन्म से मृत्यु तक साथ रहती हैं। जीभ इसलिए नहीं टूटती क्योंकि उसमें लोच है, वह विनम्र होकर अंदर पड़ी रहती हैं, उसमें किसी तरह का अहंकार नहीं है उसमें विनम्रता से सब कुछ सहने की शक्ति है, इसलिए वह हमारा साथ देती है जबकि दाँत बहुत कठोर होते हैं, उन्हें अपनी कठोरता पे अभिमान होता है, वह जानते हैं उनके वजह से ही इंसान की खूबसूरती बढ़ती है, इसलिए वह बहुत कठोर होते हैं, उनका ये अहंकार और कठोरता उनकी बर्बादी का कारण बनती हैं, इसलिए तुम्हें अगर समाज की सेवा अच्छे से करनी हैं, जीभ की तरह बनो। बता दें विनम्रता एक भाव है और भाव का सम्बन्ध ...

44 दिन तक चार राशियों पर रहेगी 'मंगल' की विशेष कृपा, जातक होंगे मालामाल

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ज्योतिष। लाल ग्रह यानि 'मंगल' 27 जून 2022 को स्वयं की राशि मेष में प्रवेश करेंगे। मेष राशि में मंगल 10 अगस्त 2022 तक विराजमान रहेंगे। इस दौरान चार राशि के जातकों को विशेष धन लाभ होने वाला है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से हमारे सौरमंडल में मंगल सूर्य से 14.2 करोड़ मील दूर स्थित है। धरती सूर्य से 9.3 करोड़ मील की दूरी पर है। ज्ञात हो कि मंगल का मेष और वृश्चिक राशि पर आधिपत्य है। मेष : इस राशि के जातक इस दौरान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। मंगल का ये गोचर नौकरीपेशा के लिए भी लाभकारी है। कार्यस्थल पर काम की तारीफ होगी। इस अवधि यानि 27 जून से 10 अगस्त तक में करियर में अच्छे परिणाम देखने को मिलेंगे। मिथुन : इस राशि के जातकों के लिए गोचर भी लाभकारी रहने वाला है। आमदनी में बढ़ोत्तरी होगी। पदोन्नति के प्रबल आसार हैं। नई नौकरी के लिये नये रास्ते खुलेंगे। सिंह : इस राशि के जातकों को एक नहीं, कई स्रोतों से धन की वृद्धि होगी। स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। नौकरी व व्यवसाय में सफलता मिलेगी। निवेश के लिए अनुकूल समय।  तुला : इस राशि के जातकों को व्यवसाय में अच्छा मुनाफा मिलेगा। करियर के लिए अच्छा समय, आमदनी...

कर्क व वृश्चिक राशियां शनि ढैय्या से पीड़ित

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ज्योतिष। शनि को सबसे धीमी गति का ग्रह माना गया है। यही कारण है कि शनि को एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करने में ढाई साल का समय लगता है। 5 जून 2022 को सुबह 3:16 बजे शनिदेव वक्री हुये थे। वक्री शनि अब 141 दिन बाद मार्गी होंगे। शनि 23 अक्टूबर 2022, रविवार को प्रात: 9 बजकर 37 मिनट पर मार्गी होंगे। यानी शनि फिर से अपनी सीधी चाल शुरू करेंगे। मौजूदा समय में कर्क व वृश्चिक राशियां शनि ढैय्या से पीड़ित हैं। मकर, कुम्भ व मीन राशि वालों पर शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव है। ऐसे में इन राशियों के जातकों को शनि की वक्री अवस्था के दौरान विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है। शनिदेव वृष, कन्या और धनु राशि वालों के लिए शुभ साबित हो सकते हैं। शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए शनिवार के दिन शनि मंदिर में शनि से सम्बन्धित वस्तुओं का दान करना चाहिए। शनि चालीसा का पाठ जरूर करना चाहिए। तुला राशि शनि देव की सबसे प्रिय राशि मानी जाती है। इस राशि के जातक बहुत ही सच्चे और ईमानदारी से जीवन व्यतीत करने वाले होते हैं। माना जाता है कि इस राशि के लोगों पर शनि की विशेष कृपा बनी रहती है। बता दें कि ग्रह दो तरह से गति करते हैं—म...

आषाढ़ माह से ही शुरू होता है चतुर्मास, पूर्णिमा का खास महत्व

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ज्योतिष। 15 जून 2022 दिन बुधवार से आषाढ़ माह शुरू हो रहा है। आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि को बहुत ही खास माना जाता है। आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि को ही गुरु पूर्णिमा, व्यास पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है। आषाढ़ माह से ही वर्षा ऋतु की विधिवत शुरुआत मानी जाती है। किसानों के लिए ये मास बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। आषाढ़ माह में जल में जंतुओं की उत्पत्ति बढ़ जाती है अत: इस माह में जल की स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना चाहिए। आषाढ़ माह में पाचन क्रिया भी मंद पड़ जाती है अत: इस मास में सेहत का विशेष ध्यान रखना चाहिए। इस मास ही नहीं बल्की अगले तीन माह तक सेहत का ध्यान रखना चाहिए। इस महीने में जल युक्त फल खाने चाहिए। आषाढ़ में बेल बिलकुल भी न खाएं। इसी माह में देव सो जाते हैं। इसी माह में देवशयनी या हरिशयनी एकादशी होती है। इसी दिन से सभी तरह के मांगलिक और शुभ कार्य बंद हो जाते हैं। आषाढ़ माह से ही चतुर्मास शुरू हो जाता है। चातुर्मास 4 महीने की अवधि है, जो आषाढ़ शुक्ल एकादशी से प्रारंभ होकर कार्तिक शुक्ल एकादशी तक चलता है। इस अवधि में यात्राएं रोककर संत समाज एक ही स्थान पर रहकर व्रत, ध्यान और तप...

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने असमवासियों को दी शुभकामनायें

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विचार। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने असम के केएएसी कार्बी आंगलोंग स्वायत्त परिषद चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की शानदार जीत पर असमवासियों की सराहना की। केएएसी चुनाव के परिणाम में भाजपा की भारी जीत के बाद देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केएएसी चुनाव परिणाम को ऐतिहासिक बताते हुए कहा है कि असम के लोग पार्टी पर विश्वास कर रहे हैं। असम में हुए कार्बी आंगलोंग स्वायत्त परिषद के चुनाव का रिजल्ट बीते रविवार को घोषित किया गया था। इस चुनाव में भाजपा की भारी जीत देखने को मिली। केएएसी चुनाव के परिणाम में भारतीय जनता पार्टी ने सभी 26 सीटों पर जीत हासिल की और कांग्रेस अपना खाता खोलने में भी असफल रही। उधर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट करते हुए लिखा कि कार्बी आंगलोंग के चुनाव परिणाम ऐतिहासिक है। मैं लोगों को लगातार भारतीय जनता पार्टी पर विश्वास बनाए रखने के लिए धन्यवाद देता हूं और लोगों को इस बात का आश्वासन देना चाहता हूं कि हम असम के विकास में लगातार काम करते रहेंगे। असम में भाजपा कार्यकर्ताओं का उत्साह बढ़ाते हुए कहा कि भाजपा कार्यकर्ताओं के किए गए प्रयास सराहनीय हैं। इस जीत के लिए उन्हें भ...

आखिर दुष्टों का अन्याय कब तक सहेगा हिंदू समाज

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विचार। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार का 21 जून 1940 को निधन हो गया था, यह एक संयोग है कि 21 जून को ही विश्व योग दिवस मनाया जाता है। 15 वर्ष हेडगेवार का का शरीर तोड़ परिश्रम, नाम मात्र विश्राम, स्वास्थ्यप्रद आहार की दुर्लभता और अपनी रुग्णता की ओर ध्यान न देकर काम में लगे रहना। डॉ. साहब बीमार रहते हुए भी स्वस्थ मनुष्यों की अपेक्षा 8 से 10 गुना काम कर लेते थे। सर्वविदित है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शुरुआत 1925 में विजयदशमी के दिन मोहिते के बाड़ा में हुई थी। डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार देश के लिये बहुत चिंतित थे। हेडगेवार का कहना था कि आज चारों ओर से आवाज आ रही है कि अहिंदू समाज बहुसंख्यक हिंदुओं पर आक्रमण कर रहे हैं। परिस्थिति ऐसी क्यों हैं?  अहिंदू समाज के लोग हमसे मिल जुलकर क्यों नहीं रह सकते? यह तो दूर उल्टे वह हमें सताते हैं और हम निरर्थक चिल्लाते हैं कि हम क्या करें? हमारा कोई पता नहीं क्या यह क्रंदन ठीक है? अंग्रेजी में एक कहावत है– God helpes those who help themselvees, जिसका अर्थ है, ईश्वर उनकी सहायता करता है जो स्वयं अपनी सहायता करते हैं। मेरी...

15 जून से 16 जुलाई तक मिथुन राशि में रहेंगे सूर्य

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ज्योतिष। 15 जून 2022 को सूर्य ग्रह वृष राशि से निकलकर मिथुन राशि में प्रवेश करेंगे। करने जा रहे हैं। इस राशि परिवर्तन से 4 राशि के जातकों को विशेष लाभ मिलने वाला है। मिथुन राशि में सूर्य ग्रह 16 जुलाई तक विराजमान रहेंगे। सूर्य को प्रसिद्धि, नाम, प्रतिष्ठा, सरकारी नौकरी, सफलता, मान-सम्मान और करियर आदि का कारक माना गया है, जिन जातकों की कुंडली में सूर्य ग्रह मजबूत स्थिति में होता है, उन्हें अच्छी नौकरी, नौकरी में पद और प्रमोशन आदि मिलता है। वृष राशि : इस राशि के जातकों की सैलरी बढ़ने की सम्भावना है, आर्थिक स्थिति में सुधार होगा। वहीं, अगर निवेश करने की सोच रहे हैं, तो समय अनुकूल है। निवेश से अच्छा लाभ हो सकता है। विदेश में नौकरी पाना चाह रहे जातकों के लिए भी ये समय अनुकूल है। कन्या : गोचर के दौरान एक माह शुभ फलदायी रहने वाला है। इस राशि के जातकों को करियर में सफलता मिलेगी, वेतन में बढ़ोत्तरी की सम्भावना है। सिंह : इस राशि के जातकों के आर्थिक स्थिति में सुधार होगा, समाज में मान-सम्मान की प्राप्ति होगी। नई नौकरी की तलाश में हैं, तो जल्द पूरी होगी। आय के नए रास्ते खुलेंगे। तुला : इस राशि के...

रूस ने भारत को और 'तेल' देने से किया इनकार

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विचार। रूस और यूक्रेन जंग के 106 से अधिक दिन बीत चुके हैं। रूस के हमलों से यूक्रेन के शहर तबाह हो रहे हैं। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की अभी भी रूसी राष्ट्रपति से शांति की बात के लिए तैयार हैं, लेकिन, लगता है पुतिन को ये मंजूर नहीं है। इस बीच रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन  ने अपनी तुलना 17वीं सदी के रूसी सम्राट पीटर द ग्रेट से की है। पुतिन ने यूक्रेन पर अपनी सैन्य कार्रवाई को ठीक वैसा ही बताया जैसा पीटर द ग्रेट के समय में स्वीडन पर किया गया था। पुतिन के मुताबिक, अपने क्षेत्र को ‘वापस लेने’ और ‘अपना बचाव’ करने के लिए ये देश की जरूरत थी। युवा उद्यमियों और वैज्ञानिकों के साथ एक बैठक में रूसी राष्ट्रपति ने कहा कि पीटर द ग्रेट ने 21 वर्षों तक महान उत्तरी युद्ध छेड़ा। उन्होंने लंबे समय तक स्वीडन के साथ युद्ध किया। वहीं दूसरी ओर भारत के प्रधानमंत्री जब यूरोप के 7 देशों के नेताओं से मिले तो हर नेता ने कोशिश की कि भारत रूस की आलोचना करे लेकिन भारत का रवैया यह रहा कि भत्र्सना से क्या लाभ होगा? क्या युद्ध बंद हो जाएगा? इतने पश्चिमी देशों ने कई बार रूस की आलोचना की, उसके खिलाफ प्...

उपद्रवियों व दंगाई पर और सख्त कार्रवाई की जरूरत

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विचार। बीते 3 जून को हुई हिंसा के बाद कानपुर शहर में धारा-144 लागू कर दी गई है। पुलिस प्रशासन ने आगामी त्योहारों को देखते हुए कानपुर में धारा 144 लागू रखने का फैसला लिया। यह फैसला जुमे की नमाज से ठीक एक दिन पहले लिया गया है। इस दौरान शहर में सभी प्रकार के धरना प्रदर्शन पर रोक लगा दी गई है। जेपीसी आनंद प्रकाश तिवारी ने इसका आदेश जारी किया है। इस दौरान पुलिस की टीमें हाई अलर्ट पर भी रहेंगी। वहीं कानपुर में बवाल और हिंसा के आरोपियों की रिमांड पर आज सुनवाई हुई। मुख्य आरोपित हयात जफर हाशमी सहित अन्य की रिमांड पर आज कोर्ट में सुनवाई पूरी हो गई है। कोर्ट हयात और उसके साथियों की रिमांड पर कल फिर से बहस के बाद फैसला देगा। कोर्ट ने शुक्रवार को चारों आरोपितों को तलब किया है। उधर, आजकल उत्तर प्रदेश में कई ऐसी घटनाएं घटित हो रही है जिनसे प्रदेश का वातावरण चल रहा है अशांत हो सकता है लेकिन प्रदेश का पुलिस महकमा बहुत ही सतर्क है जिसके कारण अपराधी व दंगाई डर रहे हैं। राष्ट्रपति कोविंद व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कानपुर यात्रा के दौरान उपद्रवियों ने कानपुर को दंगों की आग में झोकने की नाकाम कोशिश की ...

सकारात्मक सोच

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बोधकथा। एक गरीब आदमी बड़ी मेहनत से एक एक-एक रूपया जोड़ कर मकान बनवाता है। उस मकान को बनवाने के लिए वह पिछले 20 वर्षों से एक-एक पैसा बचत करता है ताकि उसका परिवार छोटे से झोपड़े से निकलकर पक्के मकान में सुखी रह सके। आखिरकार एक दिन मकान बन कर तैयार हो जाता है। तत्पश्चात पंडित से पूछ कर गृहप्रवेश के लिए शुभ दिन निश्चित की जाती है। लेकिन गृहप्रवेश के 2 दिन पहले ही भूकंप आता है और उसका मकान पूरी तरह ध्वस्त हो जाता है। यह खबर जब उस आदमी को पता चलती है तो वह दौड़ा दौड़ा बाजार जाता है और मिठाई खरीद कर ले आता है। मिठाई लेकर वह घटनास्थल पर पहुंचता है जहां पर काफी लोग इकट्ठे होकर उसके के मकान गिरने पर अफसोस जाहिर कर रहे थे। ओह बेचारे के साथ बहुत बुरा हुआ, कितनी मुश्किल से एक-एक पैसा जोड़कर मकान बनवाया था। इसी प्रकार लोग आपस में तरह-तरह की बातें कर रहे थे। वह आदमी वहां पहुंचता है और झोले से मिठाई निकाल कर सबको बांटने लगता है। यह देखकर सभी लोग हैरान हो जाते हैं। तभी उसका एक मित्र उससे कहता है, कहीं तुम पागल तो नहीं हो गए हो, तुम्हारा घर गिर गया, तुम्हारी जीवन भर की कमाई बर्बाद हो गई और तुम खुश होकर ...

कहां रहते हैं भगवान

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अध्यात्म। भगवान कहां रहता है, भगवान के पास हम किस तरीके से जायेंगे, भगवान में किस तरीके से लय होंगे। भगवान विभु है और व्यापक है, सभी में समाया हुआ है। भगवान का दृष्टिकोण बड़ा विशाल है, स्वयं के लिये कुछ चाहता है कि नहीं। हमसे और आपसे भगवान क्या चाह सकता है और आप और हम भगवान को क्या दे सकते हैं। हम तो एक जर्रा हैं, कण हैं और वह तो ब्रह्मांड के बराबर विस्तृत है। हम भगवान को कुछ नहीं दे सकते। फिर क्या दे सकते हैं। हमको अपने आप को, अपनी हस्ती को भगवान को प्रदान करना पड़ेगा। अपनी हस्ती को क्यों। अपनी हस्ती, जो कि पानी का एक बबूला है, जो अपने चारों ओर हवा का एक घेरा बना करके बैठा है। उसके अंदर हवा भर दी गई है। हवा के भर जाने के कारण पानी का जो बबूला था, उसने अपना घेरा अलग बना लिया, अपना दायरा अलग बना लिया। लोगों ने उसका मजाक उड़ाया कि देखो, वो बबूला चल रहा है। अब बबूला समाप्त हो गया। जब कोई अलग हो जाता है तो पानी का बबूला हो जाता है। क्षण भर में मजाक की चीज बन जाती है। कभी उसकी सम्पदायें बनती हैं और कभी उसकी सम्पदा बिगड़ती है, नष्ट हो जाती है। ये सम्पदायें क्या हैं। यह हमारा मैं का एक छोटा ...

'मन' को 'बाड़े' में बंद कर देना चाहिए

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विचार। रामकृष्ण परमहंस महान संत, आध्यात्मिक गुरु व विचारक थे। रामकृष्ण परमहंस ने सभी धर्मों की एकता पर जोर दिया, उन्हें बचपन से ही विश्वास था कि ईश्वर के दर्शन हो सकते हैं अतः ईश्वर की प्राप्ति के लिए उन्होंने कठोर साधना और भक्ति का जीवन बिताया। स्वामी रामकृष्ण मानवता के पुजारी थे। रामकृष्ण परमहंस कहा करते थे कि एक हाथी को नहला-धुलाकर छोड़ दो तब भी वह मिट्टी में खेलेगा और शरीर को फिर से गंदा कर लेगा। कोई उस पर बैठे तो उसका शरीर भी गंदा अवश्य होगा, लेकिन यदि हाथी को स्नान कराने के बाद बाड़े में बांध दिया जाये तब फिर हाथी अपना शरीर गंदा नहीं कर सकेगा। इसी प्रकार मनुष्य का मन भी एक हाथी के समान है। एक बार ध्यान, साधना और भगवान के भजन से वह शुद्ध हो गया तो उसे स्वतंत्र नहीं कर देना चाहिए। इस संसार मे पवित्रता भी है, गंदगी भी है। मन का स्वभाव है वह गंदगी में जायेगा और मनुष्य देह को दूषित करने से नहीं चूकेगा। इसलिये उसे गंदगी से बचाये रखने के लिये एक बाड़े की जरूरत होती है, जिसमें वह घिरा रहे। गंदगी की सम्भावनाओं वाले स्थानों में न जा सके। ईश्वर भजन उसका निरंतर ध्यान एक बाड़ा है, जिसमें मन ...

ज्ञान और चरित्र की गरिमा

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प्रेरक कथा। महर्षि अत्रि की एक पुत्री थी, नाम था अपाला। अपाला कुछ बड़ी हुईं तो उनके शरीर पर कुष्ठ रोग हो गया। बहुत उपचार करने पर भी अच्छा न हुआ, बल्कि बढ़ता गया। पुत्री विवाह-योग्य हुई तो वर खोजा गया। उस विदुषी के ज्ञान की प्रशंसा सुनकर अनेक वर आये, लेकिन श्वेत दाग देखकर वापस लौट जाते। ऋषि शिष्य वृताश्व ने बिना कुछ पूछताछ किये ही भावावेश में पाणिग्रहण कर लिया। बाद में वृताश्व ने जब चर्म दोष देखा तो वह उदास हो गये और कभी ऋषि को, कभी अपाला को, कभी अपने आप को दोष देने लगे। किसी पर भार बनने की अपेक्षा अपाला अपने पिता के घर वापस चली आईं। उसने अपना समस्त ध्यान अध्ययन और तप में लगाया, अपाला की प्रवीणता ने उसकी गणना वरिष्ठ ऋषियों में कराई। चर्म दोष की अपेक्षा ज्ञान और चरित्र की गरिमा भारी पड़ी। बता दें कि अपाला अत्यंत ही मेधाविनी कन्या थीं। ऋषि अपने शिष्यों को जो कुछ भी पढ़ाते थे, एक बार सुनकर ही अपाला वह सब स्मरण कर लेती थीं। अत्यन्त कुशाग्रबुद्धि होने पर भी अपाला अत्रि की चिन्ता का कारण थीं, क्योंकि अपाला को चर्म रोग था।

तुला, मकर व कुम्भ राशि पर शनि की रहती है विशेष कृपा

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ज्योतिष । शनिदेव का जन्म ज्येष्ठ माह की कृष्ण अमावस्या के दिन हुआ था। कथा के अनुसार भगवान शनिदेव का जन्म ऋषि कश्यप के अभिभावकत्व यज्ञ से हुआ माना जाता है। लेकिन स्कंदपुराण के काशीखंड अनुसार शनि भगवान के पिता सूर्य और माता का नाम छाया है। शनि की तीन राशि के जातकों पर विशेष कृपा रहती है। तुला राशि : शुक्र शनि के मित्र ग्रह हैं और तुला राशि के स्‍वामी शुक्र हैं।  इस राशि के जातक न्‍याय पसंद, कर्मठ, ईमानदार और मेहनती होते हैं। इसके चलते शनि तुला राशि के जातकों पर मेहरबान रहते हैं। मकर राशि : इस राशि के स्‍वामी हैं शनि। शनि के प्रभाव के कारण मकर राशि के जातक मेहनती, ईमानदार और जरूरतमंदों की सेवा करने वाले होते हैं। अपने इन गुणों के कारण मकर राशि के जातकों को खूब मान-सम्‍मान मिलता है। कुम्भ राशि : शनि देव कुम्भ राशि के भी स्वामी हैं। इस राशि के जातक गरीबों और असहायों की मदद करने के लिए, उनके अधिकारों के लिए लड़ने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं, इस राशि के जातक अपने जीवन में खूब नाम कमाते हैं व प्रतिष्ठा पाते हैं।

महान वैज्ञानिक सत्येंद्र नाथ बोस का गूगल ने डूडल बना कर किया याद

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लखनऊ। दुनिया के महान वैज्ञानिक सत्येंद्र नाथ बोस को आज यानि 4 जून को गूगल ने डूडल बनाकर याद किया। आज ही के दिन 1924 में सत्येंद्र नाथ बोस ने दुनिया के महानतम वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टाइन को अपने क्वांटम फॉर्मूलेशन भेजे थे जिसे अनस्टाइन ने तुरंत क्वांटम यांत्रिकी में एक महत्वपूर्ण खोज के रूप में मान्यता दी थी। डूडल में बोस को एक प्रयोग करते हुए दिखाए गया है। 1924 में जब उन्होंने इतनी बड़ी खोज की थी तब ऐसा दौर था जब भारत गुलामी की जंजीरों में जकड़ा हुआ था और भारतीयों को दुनिया में किसी काबिल नहीं समझा जाता था। लेकिन कहते हैं न कि वैज्ञानिकता की दुनिया में कोई सीमा और भेदभाव नहीं होती है और यही साबित किया था दुनिया के दो महानतम वैज्ञानिकों अल्बर्ट आइंस्टाइन और भारत के सत्येंद्र नाथ बोस ने मिलकर। इतना ही नहीं ऐसा दौर जब पूरी दुनिया अंग्रेजी भाषा में ही एक-दूसरे को समझती थी तब बोस ने अपनी मातृभाषा बांग्ला में अपने रिसर्च को प्रकाशित किया जो गुलामी के दौर में देश को वैज्ञानिकता की दिशा में नया कदम बढ़ाने में मददगार बना था। भौतिक शास्त्र में दो प्रकार के अणु माने जाते हैं-बोसान और फर्मियान। इ...

मनुष्य जीवन में उत्तम दृष्टिकोण जरूरी

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विचार। पेड़ की जड़ें मजबूत व गहरी होती हैं तो पेड़ उम्र भर नहीं सूखते। मौसम अनुकूल न होने पर भी पेड़ हरा-भरा ही बना रहता है। वैसे ही अंतस् में श्रद्धा व मन में विश्वास हो तो प्रतिकूल परिस्थितियों में भी हमारी प्रफुल्लता को कोई छीन नहीं सकता है। जीवन में उल्लास सुख-साधनों से नहीं, बल्कि दृष्टिकोण के बदलने से आता है। जिन व्यक्तियों का जीवन के प्रति दृष्टिकोण, उन्नत, उत्कृष्ट व उत्तम होता है-वह कभी विपत्ति व अतृप्ति से त्रस्त नहीं होते, बल्कि अपने जीवन की राहें ढूंढ ही लेते हैं। भोग, विलास की और आंतरिक आनंद की राहें अलग-अलग हैं। विलास की चाह जिन्हें होती है, वह सुख के साधनों के पीछे दौड़ते, थकते व परेशान होते हैं। उनके न मिल पाने पर अतृप्ति व उनके मिल जाने पर विपत्ति, ऐसे लोगों के जीवन की परिभाषा बन जाती है। जबकि आनंद की अभीप्सा रखने वालों को किसी के पीछे नहीं दौड़ना पड़ता। वह तो मात्र अपने व्यक्तित्व के परिष्कार में जुटते हैं और परिष्कार की प्रक्रिया से प्राप्त पवित्रता को अनुभूत कर आंतरिक आनंद का रसास्वादन करते हैं। आंतरिक पवित्रता से प्राप्त सौंदर्य व मधुरता की तुलना, किसी सांसारिक वस...

लखनऊ में आयोजित तीसरे ग्राउण्ड ब्रेकिंग सेरेमनी का प्रसारण

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रिमोट सेन्सिंग तकनीक के माध्यम से उत्तर प्रदेश के चहुंमुखी उत्थान के लिए भू-सम्पदा, जल सम्पदा, जल संसाधन, वन एवं कृषि सम्पदा, मृदा, भूमि उपयोगिता, भू-आच्छादन, नगरीय संरचना आदि क्षेत्रों में अनेक बहुमूल्य आंकड़े एकत्रित कर विकास कार्यों में  रिमोट सेन्सिंग एप्लीकेशन्स सेंटर  सहयोगी रहा है। विचार। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुक्रवार आठ जून 2022 को इन्दिरा गांधी प्रतिष्ठान, लखनऊ में आयोजित औद्योगिक परियोजनाओं की तृतीय ग्राउण्ड ब्रेकिंग सेरेमनी समारोह में 80 हजार 224 करोड़ की 1406 औद्योगिक परियोजनाओं का शिलान्यास किया गया, जिसका सजीव प्रसारण उत्तर प्रदेश के जिलों में किया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा परियोजनाओं के शिलान्यास से प्रदेश में 5 लाख युवाओं को रोजगार के अवसर, पॉवर, टेक्सटाइल, आईटी, इन्फ्रास्ट्रक्चर निवेश से अर्थव्यवस्था को मजबूती, कृषि आधारित खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना से किसानों की आय में वृद्धि, रक्षा उपकरणों के उत्पादन से रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता, हॉस्पिटैलिटी क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा एवं सीमेन्ट इकाइयों की स्थापना से निर्माण क्षेत्रों...

तेज दिमाग के होते हैं कुम्भ राशि के बच्चे

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  ज्योतिष। कुम्भ का अर्थ होता है घड़ा, जिन लोगों का जन्म कुंभ लग्न या राशि में होता है वह भाग्यशाली होते हैं। कुम्भ का शाब्दिक अर्थ कलश होता है, कुम्भ का पर्याय पवित्र कलश से होता है, इस कलश का हिन्दू सभ्यता में विशेष महत्व है। यदि कुंडली में ग्रह ठीक-ठाक स्थिति में हों तो बच्चे आगे चल कर बहुत धनी हो सकता है। माना जाता है कि कुम्भ वाला अपने इस जन्म में धन से घड़ा भरने आता है। कुम्भ राशि के बच्चे दार्शनिक विचारों के होते हैं। इस राशि के लोग दूसरों के भावों से प्रभावित होकर सहज ही द्रवित हो जाते हैं, खास बात यह है कि अपने शत्रुओं के हित में भी सोचते हैं। इस राशि के बच्चे सच्चाई पता लगाने के लिए उसकी तह तक पहुंच कर ही दम लेते हैं। यह लोग प्रभावशाली तरीके से अपनी बात रखते हैं। बातचीत में अपनी पूरी क्षमता प्रदर्शित करते हैं. इन्हें अपने कर्म में सफलता जन्म स्थान से बाहर ही मिलती है और यह जन्म स्थान से दूर ज्यादा साहस के साथ काम करने में सक्षम होते हैं। इस राशि के जातक सरकार अथवा बॉस की नीतियों का समर्थन करते हैं और कर्म पर अधिक विश्वास करते हैं। कुम्भ राशि के लोग धन के मामले में भाग्यश...

सद्ज्ञान की उपल​ब्धि ही मनुष्य जीवन का श्रेष्ठ सौभाग्य है

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विचार। आत्मा, मन और शरीर, मानवीय व्यक्तित्व के तीन आयाम होते हैं। अन्न, जल व वायु न मिले तो शरीर अधिक समय तक जीवित न रहेगा। मन को पोषण देने के लिये सद्विचारों की व सद्भावनाओं की आवश्यकता पड़ती है। वहीं आत्मा की पूर्ति सद्ज्ञान से होती है। सद्ज्ञान यानि मानव का गुण, कर्म और स्वभाव की उत्कृष्टता से आत्मा को पोषण मिलता है। मनुष्य के जीवन में अकल्पनीय सुख-सुविधाओं के अम्बार लगा दिये जायें और इन सबके बावजूद सद्ज्ञान नहीं है तो यह खालीपन व्यक्ति को जरूर पूरा करना चाहिए यानि कि सद्ज्ञान का होना परम आवश्यक है। सद्ज्ञान की उपल​ब्धि ही मनुष्य जीवन का श्रेष्ठतम सौभाग्य है। सद्ज्ञान की प्राप्ति के बाद मनुष्य को संतोष, सम्मान और समुन्नति मिलता है, जिसके आगे स्वर्ग की सम्पदा भी नगण्य नजर आती है। सद्ज्ञान की प्राप्ति के लिये रास्ते अनेक हैं, लेकिन स्वाध्याय और सत्संग का मार्ग अपनाने वाले लोग महानता के अधिकारी बनते हैं। कहते हैं कि सद्ज्ञान पारस के पत्थर के समान है, जिसके छूने मात्र से जीवन स्वर्णिम व सौभाग्यशाली बनता है, जिसे सद्ज्ञान न मिल सका, वह जन्म-जन्मांतरों तक पतन व पराभव की वीथियों में भटकता...