विश्व स्वास्थ्य दिवस : आंखों में चमक, सुडौल शरीर ही असली सौन्दर्य
विचार। आज यानि ७ अप्रैल २०२२ को विश्व स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है। भारत में स्वास्थ्य के प्रति कम लोग जागरूक हैं और अधिकतर लोग तो शराब, सिगरेट, बीड़ी, पान मसाला के सेवन से अपना सुंदर शरीर कुरूप बना लेते हैं, जो न तो स्वयं को अच्छा लगता है और न ही समाज को। इसलिये शरीर को ऐसा हष्ट-पुष्ट और सुंदर बनाना चाहिए, जिससे लोग शरीर की प्रशंसा करें। स्वस्थ शरीर, आँखों और बालों में चमक, गठीला बदन और बेदाग त्वचा ही असली सौन्दर्य है। भारत में करोड़ों लोग कुपोषण के शिकार हैं। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के अनुसार तीन वर्ष की अवस्था वाले ३ प्रतिशत से भी अधिक बच्चों का विकास अपनी उम्र के हिसाब से नहीं हो सका है और ४० प्रतिशत से अधिक बच्चे अपनी अवस्था की तुलना में कम वजन के हैं। इनमें करीब अस्सी फीसदी बच्चे एनीमिया (रक्ताल्पता) से पीडि़त हैं। प्रत्येक दस में से सात बच्चे एनीमिया से पीडि़त हैं जबकि महिलाओं की ३० फीसदी से ज्यादा आबादी कुपोषण की शिकार है। देश में अभी भी सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह मुफ्त नहीं हैं और जो हैं, उनकी स्थिति संतोषजनक नहीं है। इसके लिये सिर्फ सरकार को कटघरे में नहीं खड़ा किया जा सकता है, अधिकतर लोग अपने स्वास्थ्य के प्रति सचेत नहीं रहते और शारीरिक श्रम से देश की अधिक आबादी बचना चाह रही है, हर जगह मशीन का उपयोग किया जा रहा है, लेकिन सभी को समझना जरूरी है कि पेट मशीन से नहीं अन्न से भरेगा, भारत में स्वास्थ्य के क्षेत्र में प्रशिक्षित लोगों की बड़ी कमी है। यहां डॉक्टरों तथा आबादी का अनुपात संतोषजनक नहीं है, बिस्तरों की उपलब्धता बेहद कम है। ५० प्रतिशत से भी ज्यादा झोलाझाप डॉक्टर हैं। परिषद का मानना है कि शहरी क्षेत्रों में जहां योग्य चिकित्सकों की संख्या ५८ प्रतिशत और ग्रामीण क्षेत्रों में यह १९ प्रतिशत से भी कम है। हालांकि भारतीय जनता पार्टी की नरेंद्र मोदी सरकार ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में कई बड़े फैसले लिये हैं, जिससे दुर्बल आय की कमाई करने वालों को काफी लाभ मिला है। लेकिन जब हम स्वस्थ रहेंगे तो अस्पताल जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। स्वस्थ शरीर में स्वस्थ आत्मा का वास होता है। यहां यह उल्लेख करना आवश्यक है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ इसीलिये शाखा लगाता है जिससे मन और मस्तिष्क स्वस्थ रहे और शरीर सुडौल दिखे। शारीरिक स्वास्थ्य, मानसिक सुख व आध्यात्मिक प्रगति के लिए योग व व्यायाम अति आवश्यक है। योग से बीमारियों को दूर कर खुद को स्वस्थ रखा जा सकता है। योग से नैतिकता का विकास होता है और शाश्वत मूल्यों को विकसित किया जा सकता है। यदि शरीर और मन को स्वस्थ रखना है तो हमें योग की शरण में जाना ही होगा। योग से आत्म शुद्धि होती है। २०१४ के चुनाव में जीत के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यालय सँभालने के बाद उनकी सरकार ने एक राष्ट्रव्यापी सार्वभौमिक स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली का अनावरण किया, जिसे राष्ट्रीय स्वास्थ्य गारंटी मिशन के नाम से जाना जाता है, जिसका मुख्य लक्ष्य प्रत्येक नागरिक को मुफ्त दवाएं देना आदि शामिल है।
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