स्मार्टफोन व सोशल मीडिया से फायदे कम, नुकसान अधिक
विचार। आजकल मोबाइल जीवन का अहम हिस्सा बन गया है और होना भी चाहिए, लेकिन स्मार्ट फोन का उपयोग उतना ही करना चाहिए, जितनी जरूरत है। स्मार्ट फोन ही नहीं बल्कि वह हर वस्तु का उतना ही उपयोग करें, जितने में आप का काम चल जाये। इंटरनेट के बढ़ते उपयोग के चलते लोगों की जीवनशैली बदल गयी है, जिसके कारण आये दिन नई-नई मानसिक और शारीरिक समस्याएं लोगों में नजर आने लगी हैं। विशेषज्ञ के अनुसार सोशल मीडिया प्लेटफार्म के अधिकाधिक प्रयोग के कारण लोगों में मानसिक समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं। मोबाइल पर अधिक समय देने के कारण नींद की कमी, मोटापा, नेत्र सम्बन्धी समस्याएं और मस्कुलोकेलेटन जैसी समस्यायें हो रही हैं। इसके अलावा अत्याधिक इंटरनेट के उपयोग के कारण मानसिक विकारों जैसे अवसाद, चिंता, नकारात्मक जीवन की घटनाओं, भावनात्मक अस्थिरता, निराशा और असहनशीलता आदि देखने को मिल रहे हैं। वहीं सोशल मीडिया बच्चों में गुस्से और तनाव का प्रमुख कारण बनता जा रहा है। सोशल मीडिया के दुष्परिणाम के रूप में विकृत मानसिकता उभर कर सामने आ रही हैं। इससे अपराध भी बढ़ रहे हैं। सोशल मीडिया से साइबर बुलिंग, हैकिंग, हेट स्पीच, डेटा चोरी, राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे अपराधों का खतरा बढ़ता जा रहा है। देश की करीब 60 प्रतिशत आबादी इंटरनेट का नियमित इस्तेमाल करती है। सर्वे के अनुसार देर रात तक मोबाइल चलाने का असर मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है। इससे थकान और तनाव बढऩे लगता है। रात को लंबे समय तक मोबाइल चलाने से मेलाटोनिन नामक हार्मोन का लेवल कम हो जाता है। इसकी वजह से स्ट्रेस लेवल बढ़ जाता है और आप थकान महसूस करने लगते हैं। विशेषज्ञ बताते हैं कि एक व्यक्ति को एक दिन में लगभग 1 से 2 घंटे फोन का इस्तेमाल करना चाहिए क्योंकि ज्यादा मोबाइल चलाने से हमारे आखों और मानशिक में काफी तनाव पड़ता है। हाल ही में एक शोध के अनुसार अधिक फोन चलाने से अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसॉर्डर (एडीएचडी) का खतरा अधिक रहता है। बता दें किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय लखनऊ उत्तर प्रदेश के मानसिक चिकित्सा विभाग का 51वाँ स्थापना दिवस समारोह 30 अप्रैल 2022 को है। कार्यक्रम में 'प्रौद्योगिकी की लत और इसके मनोसामाजिक सम्बन्ध' के विषय पर चर्चा होगी। दरअसल, मोबाइल के रेडिएशन का नकारात्मक प्रभाव शुक्राणुओं में कमी के रूप में भी देखा जा सकता है। पांच वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के एक शोध के अनुसार मोबाइल फोन का अत्यधिक इस्तेमाल मस्तिष्क के कैंसर के लिए जिम्मेदार होता है। इसके विकिरणों के प्रभाव के चलते ब्रेन में ट्यूमर हो सकता है। बता दें कि बीते दिनों खबरों में यह बात प्रमुखता से उठाई गयी थी कि डिजिटल शिक्षा से स्कूली छात्रों की लिखने की आदत छूट गयी, जिससे उन्हें कई तरह की समस्याएं हुईं, कई छात्रों ने पूरे एक्जाम पेपर साल्व ही नहीं कर पाये, क्योंकि लिखने की आदत छूट गयी थी, यानि पढ़ाई के साथ लिखाई भी जरूरी है। बता दें कि स्मार्टफोन के और कई सारे नुकसान हैं, लेकिन इसका यह मतलब नहीं इंटरनेट व स्मार्टफोन के सिर्फ नुकसान ही हैं, इसके कई सारे फायदे भी हैं, यानि नुकसान की अपेक्षा फायदे कम हैं।
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