आत्मीयता का भाव

बोधकथा। एक खेत में कुछ मजदूर काम कर रहे थे और थोड़ी देर बाद वे बैठकर आपस में गप्पे मारने लगे। यह देखकर खेत के मालिक ने उनसे कुछ नहीं कहा, उसने खुरपी उठायी और खुद काम में जुट गया। मालिक को काम करता देख मजदूर शर्म के मारे तुरंत काम में जुट गये। खेत के मालिक ने दोपहर में मजदूरों के पास जाकर बोला, भाइयों! अब काम बंद कर दो। भोजन करके आराम कर लो। काम बाद में होगा। इसके बाद मजदूर खाना खाने चले गए और थोड़ा आराम करके वे लोग जल्द ही फिर काम पर लौट आये। शाम को छुट्टी के समय पड़ोसी खेत वाले ने उस खेत के मालिक से पूछा कि भाई! तुम मजदूरों को छुट्टी भी देते हो। उन्हें डांटते भी नहीं हो। फिर भी तुम्हारे खेत का काम मेरे खेत से दोगुना कैसे हो जाता है, जबकि मैं लगातार अपने मजदूरों पर नजर रखता हूँ, डांट भी लगाता हूँ और छुट्टी भी नहीं देता। तब खेत के मालिक ने बताया कि मैं काम लेने के लिए सख्ती से नहीं बल्कि अधिक स्नेह और सहानुभूति का सूत्र अपनाता हूं इसलिए मजदूर पूरा मन लगाकर काम करते हैं, इससे काम अधिक व अच्छा होता है। और यह बात सही भी है कि आत्मीयता के भाव से किसी पर भी विजय पायी जा सकती है।

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