शनि अमावस्या व सूर्यग्रहण के साथ त्रिग्राही युति का दुर्लभ संयोग

ज्योतिष। शास्त्र के अनुसार 30 अप्रैल 2022 को बैशाख अमावस्या है। चूंकि यह अमावस्या शनिवार को दिन पड़ रही है इसलिये इसे शनीचरी अमावस्या कहा जाता है। शनि अमावस्या के दिन साल का पहला सूर्यग्रहण भी लग रहा है और त्रिग्राही युति का दुर्लभ संयोग भी बन रहा है, जो अति शुभदायी है। मेष राशि में सूर्य, चंद्र और राहु की युति से त्रिग्राही योग भी बनेगा जो अत्यन्त दुर्लभ है। राहु और चंद्रमा की युति का असर जिन व्यक्तियों पर होता है वे अगर घर से दूर रहते है तो उन्हें अधिक सफलता मिलती है। सूर्य और राहु की युति से सूर्य ग्रहण लगता है। हालांकि यह सूर्यग्रहण भारत में दृश्य नहीं है इसलिये यहां सूतक मान्य नहीं होगा। बैशाख माह की अमावस्या तिथि 29 अप्रैल को देर रात 12 बजकर 57 मिनट से प्रारम्भ होगी, जो 30 अप्रैल 2022 की देर रात 1 बजकर 57 मिनट पर समाप्त होगी। इसके अलावा 30 अप्रैल, शनिवार को सुबह प्रीति योग रहेगा, जो कि शाम 3 बजकर 20 मिनट तक रहेगा। प्रीति योग में जन्म लेने वाला व्यक्ति विषयों को जानने वाला, जिन्दादिल और किसी भी काम को उत्साह पूर्वक करने वाला होता है। प्रीती योग में जन्में लोग विपरीत लिंग वाले व्यक्ति से प्रीति रखने वाले होते हैं। ये चालाक होते हैं और अपने स्वार्थ को किसी भी तरह सिद्ध करना जानते हैं। अक्सर मेल-मिलाप बढ़ाने, प्रेम विवाह करने तथा अपने रूठे मित्रों एवं संबंधियों को मनाने के लिए प्रीति योग में ही प्रयास करना चाहिए। इस योग में सफलता अवश्य ही मिलती है। इसके बाद आयुष्मान योग शुरू होगा। अश्विनी नक्षत्र रात 8 बजकर 13 मिनट तक रहेगा। इस योग में शुभ व मांगलिक कार्य किए जाते हैं। शनि अमावस्या के दिन दान-स्नान का विशेष महत्व है। जिस व्यक्ति का जन्म आयुष्मान योग में होता है वह व्यक्ति आयुष्मान होता है अर्थात लम्बे समय तक धरती का सुख प्राप्त करता है. इस योग के जातक काव्य से यानी कविताओं और गीतों के शौकीन होते हैं. इस योग के जातक धनवान अर्थात धन धान्य से भरे होते हैं. इस योग में किया गया कार्य जीवन भर सुख देने वाला होता है। शनि अमावस्या व सूर्यग्रहण एक ही दिन होने से शनिदेव को प्रसन्न करने का विशेष योग बन रहा है। शनि अमावस्या का दिन शनि की साढ़ेसाती व ढैय्या से पीड़ित जातकों के लिए बेहद शुभ माना गया है। इस दिन शनि दोष से मुक्ति के लिए उपाय का विधान है। शनि अमावस्या के दिन स्नान आदि करने के बाद व्रत का संकल्प लें। शनि अमावस्या के दिन शनि मंदिर जाकर वहां की साफ-सफाई करें। शनिदेव की विधिवत पूजा करें। शनिदेव को सरसों के तेल में काले तिल मिलाकर अभिषेक करें। शनिदेव को नीले पुष्प अर्पित करें। शनि अमावस्या के दिन शनिदेव के दर्शन से शनिदोष से मुक्ति मिलने की मान्यता है। शनि अमावस्या के दिन शनि दोष से मुक्ति पाने के लिए शमी वृक्ष की पूजा करें। शनि मंत्रों का जाप भी अति फलदायी रहेगा।





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