कठिन है कांटों रहित रास्ता बनाना
लघुकथा। एक रास्ता बड़ा कंटीला था, उसमें कंकड़ भी बिछे थे, जो उस पर चलता उसके पैर लहुलुहान हो जाते। एक व्यक्ति ने उन कांटों और कंकड़ों को बीनना शुरू कर दिया, रास्ता बहुत लम्बा था, चलने से फिर नये कांटे और कंकड़ उभर आते। उसके इस श्रम को देखकर एक समझदार इंसान ने कहा कि इस रास्ते पर चलने वाले को जूते पहनने चाहिये। कांटों रहित रास्ता बनाना कठिन है। संसार में विग्रह कांटों की तरह है, उन्हें हटाया नहीं जा सकता। हम अपने गुण, कर्म, स्वभाव को ही ऐसा बना सकते हैं कि किसी अड़चन या मुश्किलों से परास्त न होना पड़े।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें