महाशिवरात्रि : करोड़ों सूर्यों के समान प्रभाव वाले ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हुए थे भोलेनाथ

ज्योतिष। शास्त्रों के अनुसार फाल्गुन महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाई जाने वाली महाशिवरात्रि का पावन पर्व इस वर्ष यानि 2022 में 1 मार्च को मनाया जायेगा। शिव पुराण के अनुसार भक्तों के लिए महाशिवरात्रि का दिन बहुत खास होता है। महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव और पार्वती का विवाह हुआ था। महाशिवरात्रि की रात ही भगवान शिव करोड़ों सूर्यों के समान प्रभाव वाले ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हुए थे। इसके बाद से हर साल फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। फाल्गुन कृष्ण पक्ष चतुर्दशी तिथि 28 फरवरी को रात्रि 1:59 से शुरू होकर 1 मार्च को रात्रि 12:17 तक रहेगा। महाशिवरात्रि का व्रत रखने वाले श्रद्धालु 2 मार्च को सुबह पारण करेंगे। महाशिवरात्रि के दिन शिवभक्तों को सबसे पहले शिवलिंग पर चन्दन का लेप लगाकर पंचामृत (दही, दूध, एक चम्मच शहद, घी और चीनी) से शिवलिंग को स्नान कराया जाता है, फिर दीप और कपूर जलाएं। पूजन करते समय ‘ऊं नमः शिवाय’ मंत्र का जाप जरूर करना चाहिए। शिवलिंग पर बेल पत्र और फूल अर्पित करें, साथ ही साथ शिव पूजा के बाद गोबर के उपलों की अग्नि जलाकर तिल, चावल और घी की मिश्रित आहुति दें व होम के बाद किसी भी एक साबुत फल की आहुति दें। महाशिवरात्रि की पूजा के बाद व्रती को पूजा, अर्घ्य, जप और कथा सुननी चाहिए और स्तोत्र पाठ करना चाहिए। अंत में भगवान शिव से भूलों के लिए क्षमा प्रार्थना जरूर करनी चाहिए। इसके अलावा महाशिवरात्रि पर इन मंत्रों का जाप करना लाभकारी रहता है-

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥ 

ॐ तत्पुरुषाय विदमहे, महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्र: प्रचोदयात्।।

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