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नवंबर, 2019 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

विवाह पंचमी आज, राम व सीता का हुआ था विवाह

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शिवधुनष का नाम था पिनाक, प्रत्यंचा चढ़ाते ही टूट गया  जीवनशैली : आज यानि एक दिसम्बर 2019 को विवाह पंचमी है। रविवार को गोचर यानी आकाश मंडल में स्वराशि स्थित बृहस्पति तथा चंद्रमा से एकादश सूर्य लाभ भाव में होने से इस मुहूर्त की शुद्धता को बढ़ाएंगे। वहीं चंद्रमा का स्वयं के नक्षत्र श्रवण में होना शुभ है। शुभ ग्रहों की प्रधानता होने के कारण यह दिन मांगलिक कार्यों के लिए सर्वश्रेष्ठ रहेगा। रविवार को सूर्य-चंद्रमा की स्थिति से वृद्धि और रवियोग योग बन रहे हैं। वहीं तिथि, वार और नक्षत्र के संयोग से सुबह लगभग 10 बजे तक सर्वार्थसिद्धि योग भी रहेगा। इन शुभ योगों में सूर्योदय होने से मांगलिक कार्यों के लिए पूरा दिन श्रेष्ठ रहेगा। पूर्णा तिथि होने से मांगलिक कार्य पूर्ण होंगे। अंक ज्योतिष में भी यह तिथि काफी शुभ है। रविवार का मूलांक 1 है जो सूर्य देव का अंक है। दिन और अंक का शुभ संयोग बनने से सभी मुहूर्तों में सूर्य का प्रभाव रहेगा। इस दिन किया गया कार्य शुभ फल देगा। प्रभु श्री राम चेतना के प्रतीक हैं और माता सीता शक्ति की प्रतीक हैं। चेतना और प्रकृति के मिलन से यह दिन काफी महत्वपूर्ण ह...

'पृथ्वी पर ज्ञान ही स्वर्ग के समान है'

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सुविचार : कलयुग का अभी प्रथम चरण चल रहा है यानि कि अधर्म और अन्याय का बोलबाला। कलयुग में क्या—क्या होने वाला है और कितने वर्षों का रहेगा कलयुग, इन सबका आकलन बड़े ही सटीक पुराणों और शास्त्रों में है। वहीं धर्मग्रंथ महाभारत में ऐसी ज्ञान की हजारों बातें हैं, जो मानव के दैनिक जीवन में आवश्यक है। — झूठ बोलना या झूठ का साथ देना एक ऐसा अज्ञान है, जिसमें डूबे हुए लोग कभी भी सच्चे ज्ञान या सफलता को नहीं पा सकते। — धरती पर अच्छा ज्ञान या शिक्षा ही स्वर्ग है और बुरी आदतें या अज्ञान ही नरक। — जिस काम को करने के पुण्य की प्राप्ति हो या दूसरों का भला हो, उसे करने में देर नहीं करनी चाहिए। जिस पल वे काम करने का विचार मन में आए, उसी पल उसे शुरू कर देना चाहिए। — पुण्य कर्म जरूर करना चाहिए, लेकिन उनका दिखावा बिल्कुल भी न करें। जो मनुष्य लोगों के बीच तारीफ पाने के लिए या दिखावे के उद्देश्य से पुण्य कर्म करता है, उसे उसका शुभ फल कभी नहीं मिलता। — सभी लोगों के साथ एक सा व्यवहार करने वाला और दूसरे के प्रति मन में दया और प्रेम की भावना रखने वाला मनुष्य जीवन में सभी सुख पाता है। — अपने मन और इन्द्रियों क...

कैंसर समेत कई बीमारियों में कारगर है 'सोवा रिग्पा'

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नई दिल्ली : हिमालयीन इलाके सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग, हिमाचल के धर्मशाला, लाहौल स्पीति, लद्दाख और कुछ अन्य इलाकों में 'सोवा रिग्पा' पद्धति काफी प्रचलित है। इसके लिए जड़ी-बूटियों से ही दवा बनती है। विशेषज्ञों का दावा है कि अस्थमा, आर्थराइटिस, कैंसर समेत कई गम्भीर बीमारियों में इस पैथी से इलाज कारगर है। यह भारत की बहुत पुरानी चिकित्सा पद्धति है और अब इस पैथी की पढ़ाई से लेकर चिकित्सीय प्रैक्टिस के लिए नियम-कानून तक बना दिए गए हैं। पहली बार देश के तीन शहरों लेह, सारनाथ और गंगटोक में एक-एक कॉलेज को मान्यता दी गई है। हर कॉलेज में 15-15 स्टूडेंट्स को दाखिला दिया गया है। आयुर्वेद की तरह ही इलाज की एक पद्धति है सोवा रिग्पा। इस पद्धति से भारत में सैकड़ों सालों से इलाज हो रहा है। इस कारण भारत इसे अपना बनाने के लिए जब यूनेस्को पहुंचा, तो चीन भी यूनेस्को पहुंच गया। दोनों देशों ने इलाज की इस पद्धति पर अपना-अपना दावा ठोंक दिया है। भारत सरकार ने आवेदन में कहा कि सोवा रिग्पा भारत की चिकित्सा पद्धति है। इसे इंटेजिबल कल्चरल हेरिटेज ऑफ ह्यूमैनिटी की सूची में शामिल किय...

टाइट जींस पहने युवक की हृदयगति रुकी, डॉक्टरों ने बचाई जान!

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खबर : दिल्ली के पीतमपुरा निवासी सौरभ शर्मा बीते 10 अक्टूबर को कार से ऋषिकेश गए थे, 12 अक्टूबर को दिल्ली लौटे थे, बेहोश होने पर परिजन अस्पताल ले गए तो डॉक्टरों ने बताया कि पल्मोनरी इम्बोलिज्म की वजह से सौरभ का यह हाल हुआ। टाइट जींस पहनकर लॉन्ग ड्राइव पर गए सौरभ का हार्ट बीट और पल्स रुकने के साथ ही शरीर के अंग नीले पड़ गए। चिकित्सकों ने 45 मिनट तक लगातार सीपीआर दिया। इसके बाद हार्ट बीट और पल्स वापस आई। टाइट जींस में लगातार आठ घंटे तक ऑटोमैटिक कार चलाने के दौरान सौरभ के पैरों में खून का थक्का जम गया, जो टूटकर फेफड़ों तक पहुंच गया। इसी वजह से उन्हें कार्डियक अरेस्ट आया। सौरभ का इलाज करने वाले डॉक्टर योगेश कुमार छाबड़ा ने बताया कि चुस्त कपड़े पहनकर लम्बी दूरी की यात्रा खतरनाक हो सकता है। पल्मोनरी इम्बोलिज्म की वजह टाइट कपड़े पहनकर लॉन्ग ड्राइव करना है।

कार्यालयों में झूठ बोलकर छुट्टी लेते हैं कर्मचारी!

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लखनऊ : विश्व में बहुत कम देश होंगे, जहां के लोग झूठ न बोलते हों। झूठ बोलना मानव जीवन की फितरत है, जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए। भारत समेत कई ऐसे देश हैं जहां झूठ बोलकर कर्मचारी छुट्टी ले लेते हैं। जिसमें सबसे ज्यादा बीमारी का बहाना बनाया जाता है, उसके बाद सगे, सम्बन्धियों और दोस्तों की बीमारी, यहां तक कि उनकी मौत का बहाना बनाकर अवकाश ले लिया जाता है। कोचिंग संस्थान चलाने वाले राकेश सारस्वत बताते हैं कि मीडिया संस्थान में कार्य करते हुए उन्होंने कई बार झूठ बोलकर छुट्टी ली। ऐसा झूठ, जिस पर विश्वास करना ही पड़ता है और कितना भी जरूरी कार्य क्यों न हो ऐसे आपातकाल के लिए संस्थानों को छुट्टी देनी ही पड़ती है। नाम न छापने की शर्त पर एक सरकारी कर्मचारी बताते हैं कि उन्होंने ऐसे व्यक्तियों की मौत बताकर छुट्टी ली, जिनकी पहले ही मौत हो चुकी है। बहरहाल, नया सर्वे ब्रिटेन से आया है, जिसमें कहा गया है कि कर्मचारी अपने बॉस से बीमारी के छोटे-छोटे झूठ बोलकर छुट्‌टी लेते हैं। हर पांच में से दो कर्मचारी ऐसा करते हैं। सर्वे में जब कर्मचारियों की नैतिकता और मूल्यों पर सवाल उठाया गया, तो उन्होंने बीमारी के ...

'तिवारी का ब्लॉग': कांग्रेस समस्या की जननी और भाजपा समाधान की जनक : प...

'तिवारी का ब्लॉग': कांग्रेस समस्या की जननी और भाजपा समाधान की जनक : प... : राजनीति : झारखंड में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, जिसको लेकर सभी राजनीतिक दल अपने प्रत्याशियों के प्रचार के लिए चुनावी वादे कर रहे हैं औ...

कांग्रेस समस्या की जननी और भाजपा समाधान की जनक : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

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राजनीति : झारखंड में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, जिसको लेकर सभी राजनीतिक दल अपने प्रत्याशियों के प्रचार के लिए चुनावी वादे कर रहे हैं और मतदाताओं को लुभाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। वहीं भारतीय जनता पार्टी की बात की जाये तो भाजपा के अच्छे दिन चल रहे हैं। विरोधियों को भारतीय जनता पार्टी ऐसे पटखनी दे रही है कि विरोधी समझ नहीं पा रहे कि कौन सा दांव लगायें। वहीं भाजपाइयों का मानना है कि सत्य की जीत हमेशा होती है और भाजपा सत्य की राह पर चलती है। इसी क्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने झारखंड के डालटनंगज के चुनावी सभा में सोमवार को कांग्रेस पर जोरदार हमला बोला। मोदी ने कहा कि अनुच्छेद 370 और राम मंदिर को कांगे्रस ने वोट की लालच में लटकाये रखा। कांग्रेस समस्या की जननी है, जबकि भाजपा समाधान की जनक है। हम पांच सूत्र स्थिरता, सुशासन, समृद्धि, सम्मान और सुरक्षा पर काम करते हैं। भाजपा ने झारखंड में भ्रष्टाचार खत्म करने के लिए दिन-रात काम किया। भाजपा ने समाज के हर आदमी का गौरव बढ़ाया। भाजपा सरकारें सेवा और समर्पित भाव से काम करती है। झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास को उन्होंने भावी मुख्यम...

तानाजी 'द अनसंग वॉरियर' : वीर मराठाओं की कहानी

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  सिनेमा : फिल्म तानाजी 'द अनसंग वॉरियर' का ट्रेलर आज रिलीज किया गया है। फिल्म में मुख्य भूमिका निभा रहे अजय देवगन ने बताया कि ओम राउत के निर्देशन में बनी यह फिल्म 10 जनवरी 2020 को सिनेमा घरों में रिलीज की जाएगी। इससे पहले बीते 18 नवम्बर को काजोल का पोस्टर जारी किया गया था, फिल्म में काजोल सावित्रीबाई मालुसरे की भूमिका में नजर आएंगी। फिल्म से अब तक अजय देवगन समेत कई स्टार्स के लुक सामने आ चुके हैं। खास बात यह है कि काजोल के पोस्टर की तरह ही हर एक्टर के रोल के साथ टैगलाइन का इस्तेमाल किया गया है। फिल्म के ट्रेलर लॉन्च के लिए खास टाइम तय किया था और पहले ही बता दिया गया था कि ट्रेलर मंगलवार को 1 बजकर 47 मिनट पर जारी कर दिया जाएगा। साथ ही तय वक्त पर ट्रेलर जारी कर दिया गया है। फिल्म के ट्रेलर में मराठा वीर की कहानी दिखाई गई है। फिल्म के ट्रेलर में भव्य सेट, कॉस्ट्यूम्स, वॉर सीन, एक्शन की भरमार है। फिल्म के ट्रेलर को यू-ट्यूब पर काफी पसंद किया जा रहा है और ट्रेलर रिलीज होने के कुछ दी देर में हजारों लोग ट्रेलर देख चुके हैं। फिल्म छत्रपति शिवाजी महाराज के सूबेदार मालसुरे त...

अब पहले जैसी नहीं हो रही है पत्रकारिता : उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू

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नई दिल्ली : उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायूड ने दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में मीडिया को लेकर अपने विचार रखे। उनका कहना था कि आज के दौर में सनसनीखेज खबरों को ज्यादा तवज्जो दी जाती है, लेकिन इन खबरों में संवेदनाएं नहीं होती हैं। उपराष्ट्रपति राष्ट्रीय प्रेस दिवस के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे। उप राष्ट्रपति का यह भी कहना था कि आजकल कुछ बिजनेस समूहों, राजनीतिक दलों अथवा कुछ लोगों द्वारा अपने हितों के लिए चैनल व अखबार स्थापित किए जा रहे हैं। ऐसे में पत्रकारिका के मूल मूल्य नष्ट हो रहे हैं। पहले के दौर में खबर का मतलब सिर्फ खबर होता था। इनमें किसी तरह की मिलावट अथवा गलत व्याख्या नहीं होती थी। अब न्यूज और व्यूज आपस में मिलाए जा रहे हैं, यह सबसे बड़ी समस्या हो गई है। उपराष्ट्रपति का यह भी कहना था कि यदि आप मुझसे पूछें कि क्या राजनीति दलों को अपना अखबार शुरू करने का अधिकार नहीं है तो मेरा मानना है कि उन्हें बिल्कुल यह अधिकार है, लेकिन यह उल्लेख किया जाना चाहिए कि इस अखबार को किस राजनीतिक दल द्वारा संचालित किया जा रहा है।

प्रयागराज के संगम तट पर साइबेरियन पक्षियाें का कौतूहल

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माघ मेले से पहले ठण्ड शुरू होते ही साइबेरियन पक्षी प्रयागराज में क्रीड़ा करते हुए बिताते हैं और गर्मी शुरू होते ही अपने वतन को लौटना शुरू कर देते हैं। ये मेहमान पक्षी स्वीटजरलैंड, साइबेरिया, जापान, और रूस समेत विश्व के अन्य ठंडे देशों से सर्दियों में संगम की ओर कूच करते हैं और गर्मी शुरू होने पर अपने वतन लौट जाते हैं। प्रयागराज : पतित पावनी गंगा, श्यामल यमुना और अदृश्य सरस्वती का संगम तट साइबेरियन पक्षियों के कलरव से एक बार फिर सुहावना हो गया है। सर्दी शुरू होते ही संगम तट पर प्रवासी पक्षियों का आगमन शुरू हो गया। संगम में विदेशी मेहमानों के कलरव और अठखेलियों को देखकर पर्यटक आनन्द की अनुभूति होती है। सात समंदर पार से आने वाले साइबेरियन पक्षियों को घाटों पर देखकर सैलानियों को काफी सुकून मिलता है। सुबह से शाम तक श्रद्धालुओं और पर्यटकों की संगम तट पर भीड़ लगी रहती है। शाम ढलते यहां का नजारा देखते ही बनता है। वहीं प्रयागराज में गंगा की लहरों पर इनकी अठखेलियां देखने के लिए दूर-दूर से सैलानी यहां पहुंचे हैं। एक तरफ ये पक्षी आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं तो वहीं दूसरी तरफ अपनी खूबसूर...

मंदिर निर्माण की तैयारी में रामभक्त

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जानकारी : राम मंदिर पर उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद अब राम मंदिर निर्माण के लिए तेजी से चर्चाएं हो रही हैं। शीर्ष अदालत ने कहा है कि तीन महीने में ट्रस्ट बनायें और मंदिर का निर्माण कार्य शुरू कर दें। इस ऐतिहासिक फैसले से देश में सकारात्मक प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। अयोध्या में राम मंदिर का होगा निर्माण, इस निर्णय से देश में नई ऊर्जा का संचार हो रहा है। वहीं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का कहना है कि अगले वर्ष यानि 2020 से निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा। इसके लिए मुहूर्त देखी जाएगी। अयोध्या में इस समय जिस जगह चबूतरे पर रामलला विराजमान हैं, वहीं बनने जा रहे मंदिर का गर्भगृह होगा। गौरतलब है कि अयोध्या मामले में उच्चतम न्यायालय में 40 दिनों तक लगातार चली सुनवाई के बाद बीते शनिवार को फैसला आया। फैसले में कहा गया कि राम मंदिर विवादित स्थल पर बनेगा और मस्जिद निर्माण के लिए अयोध्या में पांच एकड़ जमीन अलग से दी जाएगी। शीर्ष अदालत ने कहा कि विवादित 2.77 एकड़ जमीन केंद्र सरकार के अधीन रहेगी।

मूंगफली के साथ गुड़ खाने के हैं बेहतरीन फायदे

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जीवनशैली : मूंगफली को गुड़ के साथ मिलाकर खाने से अति स्वास्थ्य लाभ होता है और शरीर को अधिक ऊर्जा मिलती है। ठंड के दिनों में मूंगफली और गुड़ से बनी चिक्की खाने की भी सलाह दी जाती है क्योंकि इससे बॉडी में गर्माहट बनी रहती है। इन दोनों में भरपूर आयरन होता है, जो ब्लड सर्कुलेशन को ठीक रखने और दिल की बीमारियों से बचाने में मदद करता है। फाइबर से भरपूर मूंगफली व गुड़ का सेवन शरीर को एनर्जी देने के साथ-साथ मेटाबॉलिज्म बूस्ट भी करता है। इससे वजन घटाने में काफी मदद मिलती है। महिलाओं में गर्भावस्था के दौरान मूंगफली और गुड़ खाने से रक्त संचार नियमित रहता है। इससे यूटेरस के फंक्शन प्रॉपर होते हैं, जो बच्चे के प्रॉपर डेवलपमेंट के लिए फायदेमंद है। मूंगफली और गुड़ में मौजूद फाइबर्स पेट की समस्या जैसे एसिडिटी या कब्ज से दूर रखते हैं। इसके अलावा इससे पाचन क्रिया भी दुरुस्त रहती है।

पायल पहनने से दूर होती है नकारात्मक ऊर्जा

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जीवनशैली : पायल पैरों की शोभा तो है ही, इसके वैज्ञानिक कारण हैं। पायल पहनने से महिलाओं के प्रति पुरुष आकर्षित होते हैं पायल की आवाज से कर्णप्रिय होते हैं, जो सभी को अच्छे लगते हैं। पायल की एक अलग आवाज होती है, पायल की आवाज सुनने में ​अच्छा लगता ही है, पायल की आवाज से पुरुषों के दिमाग की घंटी बज जाती है। पायल की छनक निगेटिव ऊर्जा दूर करती है। कई महिलाएं जिनके पैरों में सूजन की समस्या है उन्हें चांदी की पायल पहनने से काफी लाभ पहुंच सकता है। पायल की एक और विशेष बात है कि पायल सिर्फ चांदी का होता है, सिर्फ और सिर्फ चांदी। पायल पहनने से महिलाओं में रक्त संचार शुद्ध व समुचित रहता है। पायल पैरों से निकलने वाली शारीरिक विद्युत ऊर्जा को शरीर में संरक्षित रखती है। पायल महिलाओं के पेट और निचले अंगों में वसा बढ़ने की गति को रोकती है। पायल पहनने से महिलाओं की इच्छा-शक्ति में मजबूत आती है।

हमेशा ट्रेंड में रहती है साड़ी, जानें पहनने के स्मार्ट तरीके

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जीवनशैली : साड़ी हमेशा से इंडियन वॉरड्रोब का हिस्सा रही है। महिलाएं सबसे पुराने वक्त से साड़ी पहनती आई हैं। माना जाता है करीब 5000 साल पहले इसकी खोज हुई। भारत की महिलाओं का यह सबसे पसंदीदा परिधान है। और अगर हम साड़ी पहनने की बात करें तो इसे पहनने के 50 तरीके हैं। बीते कुछ सालों में साड़ी कुछ ज्यादा ही फैशन ट्रेंड्स में है। नई स्टाइल्स, बॉलिवुड का असर और फैशनशोज में भी इसे जगह मिली है। साड़ी पहनने में काफी कंफर्टेबल है और इससे पहनना भी काफी आसान है, इसे देखते हुए महिलाएं इसमें तरह-तरह के एक्सपेरिमेंट्स कर रही हैं। अगर आप वर्किंग वुमन है जिसे फॉर्मल तरीके से साड़ी पहननी है, तो आपके लिए यहां हैं कुछ बेहतरीन स्टाइल्स।  गर्मी हो या सर्दी आप हर सीजन में साड़ी पहन सकती हैं। साड़ी पहनने का सबसे अच्छा तरीका है इसे बेल्ट के साथ पहनें। ऐसा करने से आपका पल्लू पूरे दिन एक ही जगह पर रहेगा। जिन लोगों को प्लीट्स बनाने में दिक्कत आती है वे स्टिच्ड साड़ी पहन सकते हैं। इस तरह से आपको साड़ी की फिक्र की जरूरत नहीं पड़ेगी। साड़ी को और फॉर्मल लुक देने के लिए आप इस पर रेग्युलर ब्लैजर पहन सकते हैं। ...

गर्भनिरोधक गोलियां लेने वाली किशोरियों में डिप्रेशन

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जीवनशैली : एक नई स्टडी में सामने आया है कि गर्भनिरोधक गोली लेने वाली किशोरियों में अवसाद से जुड़े लक्षणों का खतरा अधिक रहता है। बता दें कि जब से 1962 में ब्रिटेन में यह गोली उपलब्ध हुई है, तब से शोधकर्ता ओरल बर्थ कंट्रोल और मूड के बीच संबंध समझने की कोशिश कर रहे हैं। यह स्टडी ब्रिघम और महिला अस्पताल, यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर ग्रोनिंगन और लीडेन यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर द्वारा की गई। इससे पहले इन संस्थानों द्वारा ब्रेस्ट कैंसर, ब्लड क्लॉट्स, वेट गेन को लेकर शोध हो चुके हैं। जेएएमए मनोरोग मैग्जीन में पब्लिश स्टडी के अनुसार, शोधकर्ताओं ने स्टडी में 16 से 25 साल के बीच की उम्र लड़कियों का शामिल किया। इसके बाद शोधकर्ताओं का कहना था कि गर्भनिरोधक गोली लेने वाली किशोरियों में अन्य की तुलना में अधिक अवसाद से जुड़े लक्षणों का पता चला। शोध में यह भी पता चला कि 16 साल की लड़कियों में अवसाद के लक्षण अधिक पाए गए। अवसाद के लक्षणों को लेकर किए गए सर्वे में अधिक रोने, सोने, खाने, आत्महत्या करने, उदासी आदि की समस्या सामने आई।

असली परीक्षा मंझधार में

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बोधकथा : नदी में सवारियों से भरी एक नाव एक किनारे से उस पार जा रही थी। तूफान से नाव बीच मंझधार में डांवांडोल होने लगी तो लोग घबराकर रोने लगे तो कुछ अपना सामान समेटने लगे। सब अपने-अपने ईश्वर को याद करने लगे। नाव में एक साधु भी था, लेकिन उस पर कुछ असर नहीं दिख रहा था। वह कोने में अपनी माला फेरते हुए आंखें बंद किए बैठा था। कुछ लोगों ने उससे कहा—आप ही कुछ प्रार्थना कर लो, शायद तूफान थम जाए। सुना है साधु की दुआओं में बहुत असर होता है। साधु निर्विकार मुस्कुराता रहा। तभी दूर से किनारा दिखाई पडऩे लगा। अब तो प्रार्थनाओं की आवाज़ भी मंद पडऩे लगी। किनारा पास आते ही सब शांत हो गए और हंसी मज़ाक में डूब गए। इसके विपरीत साधु हाथ उठाकर दुआ करने लगा। यह देखकर एक यात्री ने कहा—जब कुछ करने का वक्त था तो कुछ किया नहीं। अब सुरक्षित पहुंच गए तो दिखावा करते हो। इस पर फकीर हंसते हुए बोला—असली परीक्षा तो मंझधार में ही होती है, जहां हर कोई सावधान रहता है। मगर किनारा दिखते ही सब भूल जाते हैं। मैं बीच में भी निश्चिंत था और यहां किनारे पर भी। हाथ उठाकर तो मैं ऊपर वाले का शुक्रिया अदा कर रहा हूं कि उसने हम सबको ...

बाबू राजेंद्र ने गलती के लिए नौकर से मांगी माफी

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बोधकथा : राष्ट्रपति बनने के बाद भी राजेन्द्र प्रसाद जी का घर सादा ही था। प्रसाद जी का एक पुराना नौकर था, तुलसी। एक दिन सुबह कमरे की झाड़पोंछ करते हुए उससे राजेन्द्र प्रसाद जी के डेस्क से एक हाथी दांत का पेन नीचे ज़मीन पर गिर गया। पेन टूट गया और स्याही कालीन पर फैल गई। राजेन्द्र प्रसाद बहुत गुस्सा हुए। यह पेन किसी की भेंट थी और उन्हें बहुत ही पसन्द थी। उन्होंने तुरन्त तुलसी को अपनी निजी सेवा से हटा दिया। उस दिन कई प्रतिष्ठित व्यक्ति और विदेशी पदाधिकारी उनसे मिलने आये। मगर सारा दिन काम करते हुए उनके दिल में एक कांटा-सा चुभता रहा। उन्हें लगता रहा कि उन्होंने तुलसी के साथ अन्याय किया है। जैसे ही उन्हें मिलने वालों से अवकाश मिला राजेन्द्र प्रसाद ने तुलसी को अपने कमरे में बुलाया।  पुराना सेवक अपनी ग़लती पर डरता हुआ कमरे के भीतर आया। उसने देखा कि राष्ट्रपति सिर झुकाये और हाथ जोड़े उसके सामने खड़े हैं। उन्होंने धीमे स्वर में कहा—'तुलसी, मुझे माफ़ कर दो।' तुलसी से कुछ बोला ही नहीं गया। राष्ट्रपति ने फिर नम्र स्वर में दोहराया—तुलसी, तुम क्षमा नहीं करोगे क्या? इस बार सेवक और स्वामी दो...

टूटे मन पर नियंत्रण

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बोधकथा : एक संत थे, बड़े तपस्वी और बहुत संयमी। लोग उनके धैर्य की प्रशंसा करते थे। एक दिन उनके मन में विचार आया कि उन्होंने खान-पान पर तो संयम कर लिया, लेकिन दूध पीना उन्हें बहुत प्रिय था। उसे त्याग करने के बारे में मन बनाया। इस तरह संत ने दूध पीना छोड़ दिया। सभी लोगों को बड़ा आश्चर्य हुआ। उन्होंने इस व्रत का कड़े नियम से पालन किया। ऐसा करते हुए कई साल बीत गए।  एक दिन संत के मन में विचार आया कि आज दूध पिया जाए। फिर तो न चाहते हुए भी उनकी दूध पीने की इच्छा प्रबल हो गई। तभी उन्हें एक धनी व्यक्ति के यहां से भोजन का बुलावा आया। उन्होंने उस सेठ से कहा, आज सिर्फ मैं दूध पीना चाहूंगा। उन सेठजी को पता था कि संत ने दूध न पीने का कठिन दृढ़ निश्चय किया है। शाम को सेठजी ने 40 घड़े संत की कुटिया के बाहर रखवाये। उन सभी में दूध भरा हुआ था। सेठजी पहुंचे और कहा आप ये पूरा दूध पी लीजिए। संत ने कहा, मुझे अकेले को ही दूध पीना है फिर आप इतने घड़े क्यों ले आए? सेठजी ने कहा, महाराज आपने दूध पीना 40 साल से छोड़ रखा है, उस हिसाब से दूध के 40 बड़े घड़े आपके सामने हैं। संत, सेठजी की बातों को समझ गए। उन्हो...