धरती को बचाने की सभी लें जिम्मेदारी
पर्यावरण : धरती के अनुकूल रहना सभी प्राणियों का नैतिक कर्तव्य है, लेकिन धरती के पर्यावरण को शुद्ध रखने के लिए सिर्फ बैठकें, विचार-चर्चा और खबरें ही प्रकाशित होती हैं, जमीनी कार्रवाई जस की तस है। धरती को न बचा पायें तो कम से कम प्रकृति के विरुद्ध कार्य भी न करें। पृथ्वी पर निवास करने वाली विभिन्न प्रजातियों में मनुष्य के पास सर्वाधिक विकसित दिमाग है। हम में से हर कोई अपने दिमाग से कोई न कोई उपाय सोच कर धरती के क्षति ग्रस्त पर्यावरण को दुरुस्त करने में सहभागी बन पुण्य कमा सकता है। जैसे बचे हुए प्राकृतिक जंगलों को, उनकी सरहदों पर कंटीले तारों की बागड़ से घेरा जा सकता है। पेड़ों के छोटे से छोटे झुरमुट को भी इसी तरह बचाया जा सकता है। क्योंकि प्राकृतिक जंगलों का कोई विकल्प नहीं होता। वृक्ष गणना अभियान चलाया जा सकता है। वृक्षों के तनों पर फ्लोरसेंट रंगों में अंकों की पट्टियां लगाई जा सकती हैं ताकि पता चल सके कि कहां कितने और किस प्रजाति के वृक्ष मौजूद हैं। बिजली और दूरभाष की समस्त लाइनों को जमीन के अन्दर संजाल बिछा कर फैला दिया जाए तो पेड़ों की केनोपी बेतरतीब कटिंग से बचाई जा सकती है जिससे उनका पूर्ण सौन्दर्य भी दिखाई दे, छाया भी अच्छी मिले और उनके फूल फल भी पूरी तरह लग पाएं। जो लोग जंगलों से, छोटे या बड़े पैमाने पर अवैध लकड़ी की कटाई, ढुलाई व बेचने के धंधे में लगे हैं समाज और मीडिया अपनी ताकत का प्रयोग कर ऐसे चेहरों को बेनकाब कर सकता है ताकि चोरों का दुस्साहस कम हो।
घटती हरियाली को बढ़ाने के लिए वृक्षारोपण किया जा सकता है। एक पेड़ लगाने के लिए बहुत थोड़ी जगह की जरुरत होती है। ज्यादा जरुरत इस हेतु मन बनाने की होती है। बढ़ती आबादी के अनुपात में वृक्ष लगाए जा सकते हैं। घरों के आसपास, कॉलोनी मोहल्लों के बगीचों में, सड़कों के किनारों पर, रेलवे लाईन के दोनों और, खेतों की बागड़ पर, गांवों की कांकड़ पर पोखर के ईर्द गिर्द, नदी नालों के किनारे, पहाड़ों की ढलानों पर कहीं भी। किसी भी पेड़ की औसत उम्र मनुष्य से अधिक होती है। पानी प्रबंधन, कचरा प्रबंधन, ईको आर्किटेक्ट, वाहनों का कम और सही ईंधन के साथ उपयोग व अन्य उर्जा स्त्रोतों जैसे सोलर, पवन आदि का उपयोग भी प्रकारांतर से धरती के पर्यावरण को संरक्षित करने में मददगार हो सकता है। धरती के पर्यावरण की क्षति एक वैश्विक समस्या है। विकसित देशों पर यह दबाव बनाया जा सकता है कि धरती के पर्यावरण को आप की जीवन शैली से अधिक नुकसान पंहुचता है। गौरतलब है कि 'जंगल बचाओ अभियान' को एक नई दिशा देने वाली झारखण्ड में एक आदिवासी महिला जमुना टुडू (लेडी टार्जन) को भारत सरकार ने 'पद्मश्री' से सम्मानित करने का घोषणा की है।
अभिषेक त्रिपाठी
8765587382
लखनऊ।
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