कहीं आपका बच्चा गांजा तो नहीं फूंक रहा!
जीवनशैली : आजकल युवा पीढ़ी शराब के साथ गांजा, चरस, अफीम जैसे खतरनाक नशों में डूबता जा रहा है। देश के युवाओं में नशे के प्रति रुझान के चलते अब बच्चों के अभिभावकों का सतर्क हो जाना जरूरी हो गया है। यदि आपको अपने बच्चे में बदलाव नजर आ रहा है और दिन-प्रतिदिन खराब हो रहे उसके व्यवहार से आप परेशान आ गए हैं, तो जरूरत है कि आप पहचान करें कि कहीं वह किसी खतरनाक नशे की गिरफ्त में तो नहीं। ऐसे में ध्यान रखें कि जब भी आपका बच्चा कहीं बाहर से घर आता है और उसकी आंखों में आपको लालिमा नजर आती है तो हो सकता है वह इस नशे का शिकार बन रहा हो या बन चुका हो। वहीं अगर आपका बच्चा पहले से ज्यादा शांत और अकेला रहने की कोशिश करता है या पहले की तरह अब आपसे बातचीत नहीं करता तो हो सकता है कि उसने गांजे का नशा शुरू कर दिया हो। वहीं अगर आपका बच्चा पहले के मुकाबले कम खाने लगा हो या एक समय में बेहद ज्यादा खा रहा हो तो यह भी इस नशे के लत होने की एक निशानी है। दरअसल बताया जाता है कि गांजे को पीने के बाद व्यक्ति का दिमाग शांत हो जाता है। नशे के आदी बच्चे के कार्यशैली में कुछ धीमापन आ जाता है। शुरूआत में तो नशे करने वाले को यह सब बेहद अच्छा और मन खुश करने वाला लगता है, जिसके कारण उसे धीरे-धीरे इसकी लत लग जाती है, अगर आपके बच्चे को इस तरह के किसी भी नशे की लत लग गई है तो घबराने से बेहतर उसे प्यार से समझाने की कोशिश करें, अगर नशे की लत छुड़ाने के लिए आप उसके साथ गुस्से का व्यवहार करेंगे तो चांस कम है कि वह नशे को छोड़े।
वहीं अगर आपको लगता है कि आपके बच्चा नशे की लत में ज्यादा घुस गया है तो उसे तुरंत डॉक्टर के पास ले जाएं, इसके साथ ही उसे हर समय इन नशों से होने वाली परेशानियों से आगाह करते रहें। हालांकि शोध में यह भी पता चला है कि नर्व डैमेज होने से उठने वाले दर्द में गांजा आराम देता है। गांजा पीने से उन मरीजों को पुराने पड़ चुके दर्द से काफी राहत मिल सकती है जिनकी नर्व्स डैमेज हो चुकी हैं। दर्द से प्रभावित कुछ मरीजों का कहना है कि उनके रोग के जो लक्षण हैं, उसमें गांजा लाभकारी सिद्ध हुआ है। गांजा दिमाग के लिए भी बहुत अच्छा होता है। शोधकर्ताओं ने यह साबित किया है कि गांजा स्ट्रोक की स्थिति में ब्रेन को नुकसान से बचाता है। गांजा स्ट्रोक के असर को दिमाग के कुछ ही हिस्सों में सीमित कर देता है। साथ ही नींद और बेचैनी के मामलों में भी गांजा के इस्तेमाल से सुधार नजर आया। इसके अलावा एक अन्य शोध के अनुसार गांजे में मिलने वाले तत्व एपिलेप्सी अटैक को टाल सकते हैं। कैनाबिनॉएड्स कंपाउंड इंसान को शांति का अहसास देने वाले मस्तिष्क के हिस्से को कोशिकाओं को जोड़ते हैं। थकान, नाक बहना, मांसपेशियों में दर्द, भूख न लगना और डिप्रेशन, ये हेपेटाइटिस सी के इलाज में सामने आने वाले साइड इफेक्ट हैं। यूरोपियन जरनल ऑफ गैस्ट्रोलॉजी एंड हेपाटोलॉजी के अनुसार गांजा की मदद से 86 प्रतिशत मरीज हैपेटाइटिस सी का इलाज पूरा करवा सके। माना गया कि गांजा ने इसके साइड इफेक्ट्स को कम किया। अमेरिका के नेशनल आई इंस्टीट्यूट के अनुसार गांजा ग्लूकोमा के लक्षण दूर करता है। गांजा ऑप्टिक नर्व से दबाव हटाता है। गांजा का उपयोग आंखों के रोग मोतियाबिंद को रोकने और इसके इलाज के लिए किया जाता है। इस बीमारी में आंख की पुतली पर दबाव बढ़ने लगता है, ऑप्टिक नर्व्स को नुकसान होता है।
अभिषेक त्रिपाठी
8765587382
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