प्रतिदिन बढ़ रही है चमत्कारी मूर्ति का आकार, भक्तों की लम्बी कतार
अध्यात्म : आंध्र प्रदेश चित्तूर स्थित विघ्नहर्ता कनिपक्कम गणपति मंदिर की, जो अपने चमत्कारों के लिए जाना जाता है। इस मंदिर से जुड़ा हुआ एक ऐसा रहस्य है जिसके बारे में जो भी सुनता है वो दंग रह जाता है। इस चमत्कारी मंदिर में भगवान गणेश की जो मूर्ति रखी हुई है उसका आकार हर रोज़ बढ़ता जा रहा है। चौंकिए नहीं, सुनने में भले ही यह थोड़ा अटपटा लगता है लेकिन ये बिल्कुल सच है। ये मंदिर नदी के बीचों-बीच स्थित है। इस मंदिर में भगवान गणपति की मूर्ति के बढ़ते हुए आकार की वजह से यहां लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं।
इस मंदिर से जुड़ी हुई एक कहानी है जिसके मुताबिक़ तीन भाई थे जिनमें एक गूंगा, दूसरा बहरा और तीसरा अंधा था। इन तीनों ने मिलकर एक ज़मीन खरीदी और जब खेती के लिए पानी की जरुरत पूरी करने के लिए इस ज़मीन पर कुआं खोद रहे थे तभी काफी खोदने के बाद पानी निकला। पानी निकलने के बाद उन भाइयों ने देखा कि वहां एक पत्थर है जिसे हटाने पर लाल पानी निकला और तीनों भाई बिल्कुल ठीक हो गए। इस बात जी जानकारी जब गांव वालों को हुई तो सभी लोग वहां पहुंच गए। इसके बाद इन सभी लोगों को गणेश जी की एक मूर्ति दिखाई दी जिसे वहीं पर स्थापित कर दिया गया और आज तक ये मूर्ति वहीं पर स्थापित है। अब इस मूर्ति का आकार अपने आप बढ़ रहा है। ऐसा कहते हैं कि भगवान गणेश की एक भक्त ने इस मूर्ति के लिए एक कवच दान किया था, जिसे अब मूर्ति को पहनाना काफी मुश्किल हो गया है। ऐसा मानना है कि जो इस मंदिर में आता है उसके सारी मनोकामना पूरी हो जाती है। वहीँ दक्षिण भारत का प्रसिद्ध पहाड़ी किला मंदिर तमिलनाडु राज्य के त्रिची शहर के मध्य पहाड़ के शिखर पर स्थित है। चैल राजाओं ने चट्टानों को काटकर इस मंदिर का निर्माण किया गया था। यहां भगवान श्री गणेश का एक प्रसिद्घ मंदिर है। पहाड़ के शिखर पर विराजमान होने के कारण इस मंदिर में स्थापित श्री गणेश को उच्ची पिल्लैयार कहते हैं। यहां दूर-दूर से दर्शनार्थी दर्शन करने के लिए आते हैं। इस मंदिर के साथ श्री गणेश की बाल स्वरूप में की गर्इ एक शरारत की कथा जुड़ी है जिसके अनुसार, रावण का वध करने के बाद भगवान राम ने अपने भक्त और रावण के भाई विभीषण को भगवान विष्णु के ही एक रूप रंगनाथ की मूर्ति प्रदान की थी।
इस मंदिर से जुड़ी हुई एक कहानी है जिसके मुताबिक़ तीन भाई थे जिनमें एक गूंगा, दूसरा बहरा और तीसरा अंधा था। इन तीनों ने मिलकर एक ज़मीन खरीदी और जब खेती के लिए पानी की जरुरत पूरी करने के लिए इस ज़मीन पर कुआं खोद रहे थे तभी काफी खोदने के बाद पानी निकला। पानी निकलने के बाद उन भाइयों ने देखा कि वहां एक पत्थर है जिसे हटाने पर लाल पानी निकला और तीनों भाई बिल्कुल ठीक हो गए। इस बात जी जानकारी जब गांव वालों को हुई तो सभी लोग वहां पहुंच गए। इसके बाद इन सभी लोगों को गणेश जी की एक मूर्ति दिखाई दी जिसे वहीं पर स्थापित कर दिया गया और आज तक ये मूर्ति वहीं पर स्थापित है। अब इस मूर्ति का आकार अपने आप बढ़ रहा है। ऐसा कहते हैं कि भगवान गणेश की एक भक्त ने इस मूर्ति के लिए एक कवच दान किया था, जिसे अब मूर्ति को पहनाना काफी मुश्किल हो गया है। ऐसा मानना है कि जो इस मंदिर में आता है उसके सारी मनोकामना पूरी हो जाती है। वहीँ दक्षिण भारत का प्रसिद्ध पहाड़ी किला मंदिर तमिलनाडु राज्य के त्रिची शहर के मध्य पहाड़ के शिखर पर स्थित है। चैल राजाओं ने चट्टानों को काटकर इस मंदिर का निर्माण किया गया था। यहां भगवान श्री गणेश का एक प्रसिद्घ मंदिर है। पहाड़ के शिखर पर विराजमान होने के कारण इस मंदिर में स्थापित श्री गणेश को उच्ची पिल्लैयार कहते हैं। यहां दूर-दूर से दर्शनार्थी दर्शन करने के लिए आते हैं। इस मंदिर के साथ श्री गणेश की बाल स्वरूप में की गर्इ एक शरारत की कथा जुड़ी है जिसके अनुसार, रावण का वध करने के बाद भगवान राम ने अपने भक्त और रावण के भाई विभीषण को भगवान विष्णु के ही एक रूप रंगनाथ की मूर्ति प्रदान की थी।
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