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फ़रवरी, 2022 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

12 साल बाद सूर्य और बृहस्पति की 'युति'

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ज्‍योतिष। ग्रहों के राजा माने गए सूर्य और सबसे अधिक शुभ ग्रह माने जाने वाले गुरु ग्रह का 12 साल बाद कुम्भ राशि में युति बना है। जब दो ग्रह एक ही राशि में हों तो इसे ग्रहों की युति कहा जाता है। जब दो ग्रह एक-दूसरे से सातवें स्थान पर हों अर्थात् 180 डिग्री पर हों, तो यह प्रतियुति कहलाती है। शुभ ग्रहों की युति शुभ फल देती है। 13 फरवरी 2022 को सूर्य कुम्भ राशि में प्रातः 3 बजकर 42 मिनट पर प्रवेश किया, जिसमें वह 30 दिन तक विराजमान रहेंगे। जबकि बृहस्पति पहले से ही कुम्भ राशि में अस्त अवस्था में विराजमान हैं। जब तक बृहस्पति अस्त अवस्था में शुभ कार्य वर्जित रहेगा। सूर्य और बृहस्पति के युति से कुछ राशियों पर शुभ असर होगा, यह स्थिति 15 मार्च 2022 तक रहेगी- मेष : इस राशि वालों को भाग्य का पूरा साथ मिलेगा, हर काम में सफलता मिलेगी, नए काम शुरू करने के लिए अच्‍छा समय है। मेष राशि के जातकों के लिए यह समय आर्थिक लाभ कराएगा। मिथुन : इस राशि के जातकों के लिए गुरु-सूर्य की बड़ा लाभ कराएगी। कुछ लोगों के लिए यह समय करियर में ऊंचाइयों पर ले जाने वाला रहेगा, व्यापार में काफी मुनाफा होगा। सिंह : इस राशि वालों...

'नंदी' और 'भोलेनाथ' की कथा

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आस्था । बैल को बहुत काम करना होता है, काम यानि लोककल्याण के लिये अधिक कार्य करना। भगवान शंकर भी भोले और कर्मठ हैं, शिव ने नंदी बैल को ही अपने वाहन के रूप में इसीलिये चुना कि वृष यानि बैल काफी सुंदर, हष्ट-पुष्ट, सज्जन, स्वच्छ आदि जितनी सराहना की जाय कम हैं और मेहनत तो इतनी कि समाज का भला ही भला हो। भगवान शंकर का वाहन हैं नंदी यानि एक बैल। सौम्य-सात्विक बैल शक्ति का प्रतीक है, हिम्मत का प्रतीक है। शिवभक्त शिवलिंग के सामने बैठे नंदी के कान में अपनी मनोकामना कहते हैं। मान्यता है कि नंदी के कान में मनोकामनाएं बताने से जल्द पूर्ण हो जाती हैं। क्या है नंदी बैल की कहानी-शिलाद ऋषि ने पुत्र प्राप्ति के लिए शंकर भगवान की आराधना और घोर तपस्या की। अंतत: शिलाद को खेत की खोदाई के दौरान एक बच्चा मिला, बच्चे में सूर्य जैसा तेज था। शिलाद ऋषि उस बच्चे को घर ले गये और उसका नाम नंदी रखा। नंदी बहुत ही होशियार और बुद्धि से तेज था।  कुछ सालों बाद ऋषि मित्रा और ऋषि वरुण शिलाद के घर आए, शिलाद व नंदी ने उनका खूब सत्कार व सेवा की। दोनों ऋषि जब शिलाद के घर से जाने लगे तो उन्होंने कहा कि मैं आपके पुत्र को लम्बे...

27 फरवरी को मकर राशि में प्रवेश करेंगे शुक्र, चार राशि वालों की मनोकामनाएं होंगी पूरी

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ज्योतिष। शास्त्र के अनुसार 27 फरवरी 2022 को शनि की राशि मकर में गोचर करेंगे शुक्र। 27 फरवरी 2022 दिन रविवार की सुबह 7:10 बजे से 1 अप्रैल 2022 दिन शुक्रवार की सुबह 9:50 बजे तक शुक्र मकर राशि मे रहेंगे। शुक्र को धन, वैभव व सुख प्रदान करने वाला माना जाता है। शुक्र राशि परिवर्तन से चार राशि वालों के लिये उत्तम समय रहेगा। मेष : इस राशि के जातकों के लिए करियर में अनुकूल परिस्थितियां रहेंगी। इस दौरान नई नौकरी का प्रस्ताव आ सकता है। व्यापार में अचानक धन लाभ हो सकता है। इस राशि के दूसरे व 7वें भाव के स्वामी शुक्र देव हैं। वृष : इस राशि के पहले व छठवें भाव के स्वामी हैं शुक्र। इस दौरान वह नवम भाव में गोचर करेंगे, जिससे भाग्योदय होगा। जातक को मेहनत के दम पर सफलता मिलेगी। इस अवधि में भाग्य का पूरा साथ मिलेगा। पदोन्नति के योग हैं। इस अवधि में अटके काम पूरे हो सकते हैं। धनु : शुक्र जातक के दूसरे यानि धन संचय, परिवार और वाणी भाव में गोचर करेंगे। इस दौरान जातक का स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। परिवार में कोई धार्मिक या मांगलिक कार्यक्रम हो सकता है। लम्बे समय से अटका धन वापस मिल सकता है। इस दौरान शुक्र जातक की...

महाशिवरात्रि : करोड़ों सूर्यों के समान प्रभाव वाले ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हुए थे भोलेनाथ

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ज्योतिष। शास्त्रों के अनुसार फाल्गुन महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाई जाने वाली महाशिवरात्रि का पावन पर्व इस वर्ष यानि 2022 में 1 मार्च को मनाया जायेगा। शिव पुराण के अनुसार भक्तों के लिए महाशिवरात्रि का दिन बहुत खास होता है। महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव और पार्वती का विवाह हुआ था। महाशिवरात्रि की रात ही भगवान शिव करोड़ों सूर्यों के समान प्रभाव वाले ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हुए थे। इसके बाद से हर साल फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। फाल्गुन कृष्ण पक्ष चतुर्दशी तिथि 28 फरवरी को रात्रि 1:59 से शुरू होकर 1 मार्च को रात्रि 12:17 तक रहेगा। महाशिवरात्रि का व्रत रखने वाले श्रद्धालु 2 मार्च को सुबह पारण करेंगे। महाशिवरात्रि के दिन शिवभक्तों को सबसे पहले शिवलिंग पर चन्दन का लेप लगाकर पंचामृत (दही, दूध, एक चम्मच शहद, घी और चीनी) से शिवलिंग को स्नान कराया जाता है, फिर दीप और कपूर जलाएं। पूजन करते समय ‘ऊं नमः शिवाय’ मंत्र का जाप जरूर करना चाहिए। शिवलिंग पर बेल पत्र और फूल अर्पित करें, साथ ही साथ शिव पूजा के बाद गोबर के उपलों की अग्नि जलाक...

24 फरवरी को शनिदेव के उदित होने से आर्थिक लाभ

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ज्योतिष। शास्त्र के अनुसार शनिदेव कलयुग के साक्षात भगवान हैं। शनिदेव के पिता सूर्य हैं। शनिदेव आधुनिक युग के न्यायाधीश हैं। शनिदेव का काला रंग ही ऐसा रंग है, जिस पर दूसरा और कोई रंग नहीं चढ़ता है। शनिदेव रोगमुक्ति तथा आयुवृद्धि की हमेशा कामना करते हैं। शनिदेव कलियुग के साक्षात भगवान हैं। शनिदेव को प्रसन्न करने का सबसे आसान मंत्र है- ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः। ऊँ ह्रिं नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम। शनिदेव 22 जनवरी 2022 को अस्त हुए थे और अब 24 फरवरी 2022 को फिर से उदित होने वाले हैं। शनिदेव के उदित होने से तीन राशि के जातकों के जीवन बड़ा बदलाव होगा। मेष : इस राशि वालों की कुंडली के 10वें भाव में शनि का उदय होगा। जिस कारण कुंडली में राजयोग बनने वाला है। वेतन में बढ़ोत्तरी के आसार हैं। इसके अलावा व्यापार में आर्थिक लाभ की प्रबल योग हैं। मेष राशि के स्वामी मंगल भाग्य स्थान में बैठे हैं, जिससे राजसुख जैसा आनंद मिल सकता है। राजनीति से जुड़े जातकों को बड़ा पद मिल सकता है। वृष: शनिदेव जब 24 फरवरी को उदित होने से वृष राशि वालों की कुंडली में राजयोग बन रहा है। कार्यों में अपार सफल...

धन, वैभव, सुख, ऐश्वर्य व त़ांत्रिक विधाओं समेत कई अद्भुत गुणों से भरपूर पारस पीपल

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ज्योतिष : पारस पीपल के प्रयोग से धन, वैभव, सुख, ऐश्वर्य हासिल किया जा सकता है। आयुर्वेद में भी इसका महत्व है। पारस पीपल से नशे जैसी लत भी छुड़ाई जा सकती है। पारस पीपल के पत्ते, फूल और छाल का उपयोग कई तरह की तंत्र विधाओं में किया जाता है। इनमें सबसे अधिक प्रयोग वशीकरण में किया जाता है। पारस पीपल के पंचगव्य यानी पत्ते, फूल, छाल, रस और जड़, इन पांच चीजों को केसर के साथ घोटकर मस्तक पर तिलक करने से तीव्र वशीकरण होता है। सर्वविदित है कि पारस पीपल की पूजा से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और धन की देवी मां लक्ष्मी खुश होकर मालामाल कर देती हैं। बता दें कि बहुत कोशिश करने के बाद भी पैसों की तंगी का सामना करना पड़ रहा है तो पारस पीपल के 108 पत्तों पर भगवान विष्णु का नाम लिखकर किसी पवित्र नदी में प्रवाहित कर दें, इससे पैसों की तंगी दूर होती है। पारस पीपल के 11 पत्तों पर ओम् हं हनुमतये नमः लिखकर बहते हुए पानी में प्रवाहित करने से बुरी नजर का प्रकोप खत्म होता है। विवाह में देरी हो रही है तो योग्य जीवनसाथी की तलाश कर रहे हैं तो ऐसे में प्रत्येक दिन पारस पीपल की जड़ में जल अर्पित करें, ऐसा करने से शाद...

1 मार्च को है महाशिवरात्रि, 5 राशि वालों पर होगी भोलेनाथ की विशेष कृपा

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ज्योतिष : शास्त्र के अनुसार इस बार यानि 2022 में महाशिवरात्रि पर पंच ग्रहों का महासंयोग और दो महाशुभ योग बन रहे हैं, जो मनोकामनाएं पूर्ण करने वाला है। 1 मार्च 2022 को मकर राशि में शुक्र, मंगल, बुध, चंद्र, शनि के संयोग के साथ ही केदार योग भी बनेगा। फाल्गुन माह के  कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को शिवभक्त महाशिवरात्रि का व्रत रखते हैं। इस बार यह शुभ तिथि 1 मार्च दिन मंगलवार को है। महाशिवरात्रि पर इस बार दुर्लभ संयोग रहेगा। शिव पूजन का संयोग 28 फरवरी को प्रदोष काल (सूर्यास्त से 45 मिनट पूर्व और सूर्यास्त के 45 मिनट बाद तक का समय प्रदोष काल माना जाता है प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव के मंदिर जाकर दर्शन करना शुभ होता है) से शुरू होगा, इसके चलते तीन दिनों तक पूजन अनुष्ठान होंगे। एक मार्च को महाशिवरात्रि और दो मार्च को अमावस्या होगी। शिवरात्रि चतुर्दशी तिथि एक मार्च की प्रात: 3:16 मिनट से 2 मार्च की रात एक बजे तक रहेगी। मान्यता है कि शिवरात्रि के दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था और भोलेनाथ ने वैराग्य जीवन त्याग कर गृहस्थ जीवन अपनाया था। बता दें कि कोरोना संक्रमण थमने से मंदिरों...

अखिलेश यादव का मानसिक संतुलन बिगड़ा

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश में चुनाव को लेकर नेता तरह-तरह के बयान दे रहे हैं। भाजपा जहां अनुशासित होकर बयानबाजी कर रही है वहीं सपा, कांगे्रस समेत अन्य राजनीतिक दलों के नेता बेलगाम व झूठी बयानबाजी करने में जुटे हैं। बता दें कि उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने फिरोजाबाद में भाजपा प्रत्याशियों के समर्थन में जनसभाओं को संबोधित करते हुए कहा कि आजकल पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पुलिस से बेहद ख़फ़ा है। अखिलेश यादव के गुंडों को पांच वर्ष में पुलिस ने ठीक क्या कर दिया कि अखिलेश यादव पूरी तरह बौखला गए हैं। अखिलेश यादव की स्तरहीन बयानबाजी से पता चलता है कि उनका मानसिक संतुलन बिगड़ गया है। उन्होंने कहा कि दो चरण के चुनाव में ही साइकिल उड़कर सैफई पहुंच गई है। कमल खिल गया है। पुलिस जवानों को बदतमीज कहने का जवाब देना होगा अखिलेश को। सपा को एक वोट देने से हजार गुंडों का जन्म होता है। सपा की सरकार के समय बिजली आती नहीं थी और भाजपा के समय बिजली जाती नहीं है। ट्रांसफार्मर जल जाए तो बिना पैसा दिये लगता नहीं था, अब बिना पैसा दिये ट्रांसफार्मर लग जाता है। सपाई हमलावरों को अखिलेश यादव बचा नहीं पाएंग...

नए भारत का नया उत्तर प्रदेश

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लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बृहस्पतिवार को राजधानी लखनऊ की सरोजनीनगर विधानसभा में भाजपा प्रत्याशी राजेश्वर सिंह के लिए जनसभा को सम्बोधित करते हुए भाजपा प्रत्याशी को भारी मतों से जिताने की अपील की। इस दौरान योगी ने कहा कि 2017 के पहले उत्तर प्रदेश की स्थित क्या थी और 2017 के बाद उत्तर प्रदेश में क्या स्थिति है। एक नए भारत का नया उत्तर प्रदेश आज हम सबके सामने हैं। 2017 से पहले भय, दहशत, दंगा, कर्फ्यू उत्तर प्रदेश की पहचान थी। उत्तर प्रदेश में जब दंगे होते थे तो महीनों कर्फ्यू लगता था, अराजकता थी।उत्तर प्रदेश में 25 करोड़ जनता के विकास के बारे में समाजवादी पार्टी के पास कोई कार्ययोजना नहीं थी, कार्ययोजना होती भी कैसे। उस समय के मुख्यमंत्री 12 बजे सोकर उठते थे। दो बजे तक तैयार होते थे। चार बजे तक उनकी मित्रमंडली आ जाती थी तो प्रदेश के लिए तो उनके पास समय था ही नहीं और चाचा वसूली में बड़े माहिर थे, कोई नियुक्ति निकलती थी। मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि सरोजनीनगर क्षेत्र नवविकसित क्षेत्र है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश और मध्य उत्तर प्रदेश में जाएंगे तो बेटियां स्कूल नहीं जा सकती थीं। सूर्यास्त ...

सर्वार्थ सिद्धि योग में पड़ रहा है माघ पूर्णिमा 2022

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ज्योतिष। शास्त्र के अनुसार इस साल यानि 2022 में माघ माह की पूर्णिमा तिथि 16 फरवरी दिन बुधवार को है। माघ पूर्णिमा के दिन सूर्योदय के समय सर्वार्थ सिद्धि शुभ योग भी रहेगा। ऐसे में सूर्योदय से पूर्व स्नान करके भगवान विष्णु की पूजा करें और कम्बल, तिल, तेल, गेहूं, वस्त्र, जूता का दान करना अत्यंत शुभ फलदायी माना गया है। माघ मास की पूर्णिमा के दिन देवलोक से देवता भी पृथ्वी पर आकर पवित्र नदियों और संगम में स्नान करते हैं। इसीलिये इस दिन चंद्रमा की किरणों में अमृत की वर्षा होती है। इससे सूर्योदय के समय स्नान करने से रोग और पाप दोनों का क्षय होता है। त्रेता युग में भी माघ पूर्णिमा का महत्व ऐसा था कि राम को वनवास भेजने से नाराज भरत ने अपनी माता कैकेयी को शाप दिया था कि उन्हें माघ पूर्णिमा के स्नान, दान का भी पुण्य प्राप्त नहीं होगा। पुराणों के अनुसार जो व्यक्ति पूरे माघ महीने में सुबह स्नान नहीं कर पाते वह केवल त्र्योदशी से लेकर पूर्णिमा तक सुबह स्नान करके सूर्यदेव को जल अर्पित करें तो भी उन्हें पूरे महीने किए हुए माघ स्नान का पुण्य मिलता है। माघ पूर्णिमा के दिन जो व्यक्ति सूर्योदय से पूर्व स्नान...

कोणार्क से भी 200 साल पुराना है उत्तराखंड का कटारमल सूर्य मंदिर

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आस्था। अपना देश भारत​ विविधताओं से भरा है, जहां अधिकतर लोग धार्मिक हैं। देश में तरह-तरह के मंदिर और शिवालय हैं, जो देश को निहायत ही अद्भुत बनाते हैं। ऐसा ही एक मंदिर है उत्तराखंड का कटारमल सूर्य मंदिर। भारतवर्ष का प्राचीनतम सूर्य मन्दिर है कटारमल सूर्य मंदिर, जो उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के अधेली सुनार नामक गांव में स्थित है, इस मंदिर में भगवान सूर्य साक्षात विराजमान हैं। अल्मोड़ा से इस मंदिर की दूरी करीब 16 किलोमीटर की है। कटारमल सूर्य मंदिर समुद्र तल से 2116 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। बताया जाता है कि यह सूर्य मंदिर कोणार्क के सूर्य मंदिर से भी 200 साल पुराना है। इस मंदिर का निर्माण कत्यूरी राजवंश के राजा कटारमल ने करवाया था। मान्यता है कि राजा कटारमल ने इसका निर्माण एक ही रात में करवाया था। कटारमल सूर्य मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता ये है कि यहां की मूर्ति बरगद की लकड़ी से बनी है, जो कि अनोखी और अद्भुत है। सूर्य की मूर्ति बड़ की लकड़ी से बने होने के कारण इस मंदिर को बड़ आदित्य मंदिर भी कहा जाता है। वहीं बता दें कि पौराणिक उल्लेखों के अनुसार सतयुग में उत्तराखण्ड की कन्दराओं में जब ऋषि...

ऋष्यश्रृंग को जंगल से बाहर निकालने के लिये देवदासियों ने रची साजिश

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कथा। पुराणों के अनुसार विभांडक ऋषि कश्यप ऋषि के पुत्र व ऋष्यश्रृंग के पिता थे। विभांडक ऋषि के कठोर तप से देवता कांप उठे थे और उनकी समाधि तोड़ने और ध्यान भटकाने के लिए उन्होंने स्वर्ग से उर्वशी को उन्हें मोहित करने के लिए भेजा। अप्सरा उर्वशी के आकर्षक स्वरूप के कारण विभांडक ऋषि की तपस्या टूट गई। दोनों के संसर्ग से ऋष्यश्रृंग का जन्म हुआ। पुत्र को जन्म देते ही उर्वशी का काम धरती पर समाप्त हो गया और वह अपने पुत्र को विभांडक ऋषि के पास छोड़कर वापस स्वर्ग चली गईं। अप्सरा उर्वशी के छल से विभांडक ऋषि बहुत आहत हुए और उन्होंने नारी जाति को ही इसके लिए दोषी ठहराना शुरू कर दिया। अपने पुत्र को लेकर विभांडक ऋषि एक जंगल में चले गए और उन्होंने प्रण किया कि वह अपने पुत्र पर किसी भी स्त्री की छाया तक नहीं पड़ने देंगे। जिस जंगल में विभांडक ऋषि तप करने गए थे वह जंगल अंगदेश की सीमा से लगकर था। विभांडक ऋषि के घोर तप और क्रोध के चलते अंगदेश में अकाल के बादल छा गए, लोग भूख से बिलखने लगे। इस समस्या के समाधान के लिए राजा रोमपाद ने अपने मंत्रियों, ऋषि, मुनियों को बुलाया। ऋषियों ने राजा से कहा कि यह सब विभांडक ऋषि ...

माघ पूर्णिमा 16 को, नदी में स्नान करने व दान-दक्षिणा देने से मिलता है 32 गुना फल

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ज्योतिष : शास्त्र के अनुसार 16 फरवरी 2022, बुधवार को माघ माह की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि है, इसी दिन को माघ पूर्णिमा कहा जाता है। पूर्णिमा का व्रत इसी दिन रखा जाएगा। मान्यता है कि माघ पूर्णिमा के दिन सभी देवता स्वर्ग से नीचे उतरकर प्रयाग स्थित गंगा में स्नान करते हैं। इसीलिए इस दिन स्नान माघ मास या माघ पूर्णिमा को संगम में स्नान का बहुत महत्व है। संगम नहीं तो गंगा, गोदावरी, कावेरी, नर्मदा, कृष्णा, क्षिप्रा, सिंधु, सरस्वती, ब्रह्मपुत्र आदि पवित्र नदियों में स्नान करना चाहिए। माघी पूर्णिमा पर गंगा तथा अन्य पवित्र नदियों तथा सरोवर तट पर स्नान करके तिलांजलि देना चाहिए तथा पितृ तर्पण करना चाहिए। स्नान करने से सभी तरह के पापों का नाश हो जाता है। माघ पूर्णिमा के दिन स्वयं भगवान श्री विष्णु गंगाजल में निवास करते हैं। इस दिन गंगा स्नान करने से विष्णु की कृपा मिलती है तथा धन-सम्पदा लक्ष्मी, यश, सुख-सौभाग्य तथा उत्तम संतान की प्राप्ति होती है। वहीं माघ पूर्णिमा के दिन दान-दक्षिणा देने से 32 गुना फल मिलता है। इसलिए इसे माघी पूर्णिमा के अलावा बत्तिसी पूर्णिमा भी कहते हैं। इस दिन कम्बल, वस्त्र, ...

कुम्भ राशि में होगा सूर्य व बृहस्पति का मिलाप : मेष, कर्क, कन्या, धनु और कुम्भ राशि वालों को आर्थिक लाभ

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ज्योतिष : शास्त्र के अनुसार 13 फरवरी 2022 को ग्रहों के राजा सूर्य व देवताओं के पुरोहित बृहस्पति का कुम्भ राशि में मिलाप होने वाला है। बता दें कि बृहस्पति की सूर्य से औसत दूरी 77 करोड़ 80 लाख किलोमीटर है और सूर्य का एक पूर्ण चक्कर प्रत्येक 11.86 वर्ष में लगाता है। गुरु ग्रह 20 नवम्बर 2021 की रात 11 बजकर 17 मिनट पर धनिष्ठा नक्षत्र के तृतीय चरण में गोचर करते हुए कुम्भ राशि में प्रवेश कर चुके हैं। अब गुरु कुम्भ राशि में दिसम्बर 2022 तक रहेंगे। गुरु एक राशि में लगभग 13 महीने तक गोचर करते हैं । देवगुरु बृहस्पति लगभग 12 वर्षों में सभी बारह राशियों का भ्रमण पूर्ण करते हैं। यानि इस साल गुरु जिस राशि में हैं, उस राशि में लौटने पर अब करीब 12 वर्षों का समय लगेगा। वहीं सूर्य की हर राशि में एक माह तक गोचर करते हैं। सूर्य और बृहस्पति के मिलन से बारहों राशियां प्रभावित होंगी, लेकिन पांच राशियों में विशेष परिवर्तन होने के आसार हैं— मेष : इस राशि वालों के लिए लाभकारी साबित होने वाला है, जीवन के हर क्षेत्र में उन्नति का योग बनेगा, आर्थिक लाभ होने के योग, परिवार में खुशहाली रहेगी। कर्क : इस राशि वालों ...