प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में पंडित दीनदयाल उपाध्याय को दी श्रद्धांजलि

विचार। बीते 25 सितम्बर 2021 को पंडित दीनदयाल उपाध्याय की 105वीं जयंती मनाई गयी। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर तमाम दिग्गजों ने पं. दीनदयाल को नमन किया। 25 सितम्बर 1916 को दीनदयाल का उत्तर प्रदेश के मथुरा में जन्म हुआ था। प्रधानमंत्री ने ट्वीट करते हुए लिखा कि एकात्म मानव दर्शन के प्रणेता पंडित दीनदयाल उपाध्याय को उनकी जयंती पर शत-शत नमन। उन्होंने राष्ट्र निर्माण में अपना जीवन समर्पित कर दिया। उनके विचार देशवासियों को सदैव प्रेरित करते रहेंगे। आज के मौजूदा दौर में भारत से नेतृत्व की उम्मीद कर रहा है विश्व, इसके पीछे एकात्म मानववाद पर आधारित नरेंद्र मोदी सरकार की नीतियां और कार्यशैली है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते 25 सितम्बर को  संयुक्त राष्ट्र महासभा के 76वें सत्र को संबोधित किया। कोरोना, आतंकवाद और जलवायु परिवर्तन समेत कई अहम मुद्दों पर उन्होंने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा। इसके साथ ही उन्होंने संयुक्त राष्ट्र में चाणक्य और महान कवि रवींद्र नाथ टैगोर को भी याद किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने चाय बेचने वाले दिनों का भी जिक्र किया। कोरोना काल में जान गंवाने वालों को श्रद्धांजलि देते हुए संयुक्त राष्ट्र महासभा प्रधानमंत्री मोदी न कहा कि पूरा विश्व 100 साल में आई सबसे बड़ी महामारी का सामना कर रहा है। अपने चाय बेचने वाले दिनों को याद करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत के लोकतंत्र की ताकत है कि एक छोटा बच्चा, जो कभी एक रेलवे स्टेशन की टी स्टॉल पर अपने पिता की मदद करता था वह आज चौथी बार भारत के प्रधानमंत्री के तौर पर संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित कर रहा है। संयुक्त राष्ट्र महासभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आचार्य चाणक्य के शब्दों को भी याद किया। उन्होंने कहा कि चाणक्य ने सदियों पहले कहा था कि जब सही समय पर सही कार्य नहीं किया जाता तो समय ही उस कार्य की सफलता को नाकाम कर देता है। संयुक्त राष्ट्र को खुद में सुधार करना होगा। कई सवाल खड़े हो रहे हैं। इन सवालों को हमने कोरोना और आतंकवाद और अफगानिस्तान संकट में गहरा कर दिया है। प्रधानमंत्री मोदी ने महासभा में कहा—एकात्म मानवदर्शन के प्रणेता पंडित दीनदयाल उपाध्याय की आज जयंती है। एकात्म मानवदर्शन यानि स्वयं से समाज तक की विकास और विस्तार यात्रा। ये विचारधारा स्वयं का समाज, देश और पूरी मानवता तक विस्तार करने को लेकर है। ये चिंतन अंत्योदय को समर्पित है, अंत्योदय को आज की परिभाषा में ‘जहां कोई भी न छूटे’ कहा जाता है। इसी भावना के साथ, भारत आज एकीकृत, समतापूर्ण विकास की राह पर आगे बढ़ रहा है। विकास सर्वसमावेशी, सर्वपोषक, सर्वस्पर्शी, सर्वव्यापी हो, ये हमारी प्राथमिकता है। प्रदूषित पानी, भारत ही नहीं पूरे विश्व और खासकर गरीब और विकासशील देशों की बहुत बड़ी समस्या है। भारत में इस चुनौती से निपटने के लिए हम 17 करोड़ से अधिक घरों तक, पाइपों से साफ पानी लोगों तक पहुंचाने का बहुत बड़ा अभियान चला रहे हैं। आज विश्व का हर छठवां व्यक्ति भारतीय है। जब भारतीयों की प्रगति होती है तो विश्व के विकास को भी गति मिलती है, जब भारत बढ़ता है, तो दुनिया बढ़ती है, जब भारत सुधरता है तो दुनिया बदलती है, सेवा परमो धर्म: को जीने वाला भारत, सीमित संसाधनों के बावजूद भी टीकों के विकास और उसके उत्पादन में जी जान से जुटा है। मैं यूएन महासभा को ये बताना चाहता हूं कि भारत ने दुनिया की पहली डीएनए वैक्सीन विकसित कर ली है, इसे 12 साल की उम्र से बड़े सभी लोगों को लगाया जा सकता है। 


 बता दें कि श्रद्धेय पंडित दीनदयाल उपाध्याय के व्यक्तित्व व उनके वैचारिक अवदान को समझने के लिए एकात्म मानववाद के मर्म को समझना होगा। मानवीय जीवन के लिए उन्होंने एक ऐसी वैचारिक संहिता प्रस्तुत की है, जिससे व्यक्तिगत व सामुदायिक जीवन को गुणवत्ता प्रदान करने का मार्ग प्रशस्त होता है। आज सही अर्थों में समाज जीवन को एकात्म मानववाद से निकले मूल्यों व संस्कारों को आत्मसात करना होगा। पं. दीनदयाल उपाध्याय के जीवन के प्रत्येक पक्ष फिर चाहे वह विचारक, संपादक, दार्शनिक अथवा अर्थशास्त्री का रहा हो, हर क्षेत्र में उन्होंने सहयोग, समन्वय व सह-अस्तित्व को वरीयता दी। अंत्योदय के जनक पं. दीनदयाल उपाध्याय ने वंचित वर्ग के हित संवर्धन के लिए साझा सामाजिक दायित्वों को प्राथमिकता देने के साथ पर्यावरणीय घटकों के मर्यादित उपयोग की सम्यक दृष्टि भी प्रदान की। इसमें कोई संदेह नहीं कि अलग-अलग कालखंड में विविध दर्शन व विचारों से समाज का वैचारिक पोषण होता रहा है। प्रत्येक दर्शन जनकल्याण हेतु अपने मार्ग तय करता है, लेकिन पं. दीनदयाल उपाध्याय जी द्वारा प्रतिपादित एकात्म मानववाद की प्रासंगिकता दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है। इसके पीछे उनके विचारों के वैशिष्ट्य के साथ उसकी व्यावहारिक स्वीकार्यता भी है। पं. दीनदयाल उपाध्याय ने भारतीय मूल्यों पर आधारित जीवनशैली के जरिए समाज, अर्थ, राजनीति, पर्यावरण तमाम क्षेत्रों की समस्याओं का समाधानपरक विकल्प प्रशस्त किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के यशस्वी नेतृत्व में भारत आतंकवाद, जलवायु परिवर्तन और नस्लभेद समेत तमाम मुद्दों पर दुनिया को राह दिखा रहा है। जलवायु परिवर्तन के क्षेत्र में भारत आज पिछड़े व विकासशील देशों की आवाज बन चुका है। वहीं देश के वर्तमान नेतृत्व ने विकसित देशों को पर्यावरण अनुकूल नीतियों व हरित अर्थव्यवथा की ओर उन्मुख होने के लिए भी प्रेरित किया है। केंद्र सरकार द्वारा लगातार किए जा रहे प्रयासों के चलते बेरोजगारी की दर में भी अब कमी देखी गई है। सीएमआईई इंडिया बेरोजगारी दर जो अप्रैल 2020 में 27.11 प्रतिशत के अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गई थी, वह मार्च 2021 में गिरकर 6.52 प्रतिशत तक नीचे आ गई थी। लेकिन कोरोना महामारी के दूसरे दौर के बाद बेरोजगारी की दर पुन: 9.4 प्रतिशत के उच्चतम स्तर पर एवं शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारी की दर 10.3 प्रतिशत के उच्चतम स्तर एवं ग्रामीण इलाकों में बेरोजगारी की दर 8.9 प्रतिशत के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई थी, जिसमें अब काफी सुधार दृष्टिगोचर हुआ है। अब देश के कुछ क्षेत्रों में तो कुछ समय पूर्व तक श्रमिक उपलब्ध ही नहीं हो पा रहे थे। जैसे तिरुपुर, जो देश का सबसे बड़ा वस्त्र उत्पादन केंद्र है, में कुल श्रमिकों की क्षमता के मात्र 60 प्रतिशत श्रमिक ही उपलब्ध हो पा रहे थे। इसी प्रकार सूरत में, जहां रत्न एवं आभूषण निर्माण की 6,000 इकाईयां कार्यरत हैं एवं जहां 400,000 से अधिक बाहरी श्रमिक कार्य करते हैं, में भी 40 प्रतिशत श्रमिक अभी भी काम पर नहीं लौटे थे। चेन्नई के चमड़ा उद्योग में भी 20 प्रतिशत कम श्रमिकों से काम चलाया जा रहा था। देश में दरअसल उद्योगों में तो पूरे तौर पर उत्पादन कार्य प्रारम्भ हो चुका है परंतु श्रमिक अभी भी अपने गांवों से वापस इन उद्योगों में काम पर नहीं लौटे हैं। इस प्रकार कुछ क्षेत्रों में रोजगार के अवसर तो उपलब्ध हैं परंतु श्रमिक उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ हो या फिर अन्य वैश्विक मंच सभी विश्व की ज्वलंत समस्याओं के प्रति भारत के दृष्टिकोण में ही समाधान के मार्ग तलाश रहे हैं। यह एकात्म मानववाद की वैश्विक स्वीकार्यता को प्रमाणित करता है। दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की हर नीति की आत्मा एकात्म मानववाद है। कोरोना जनित वैश्विक आपदा से लडऩे के लिए साझा सहयोग तंत्र विकसित करने से लेकर  आतंकवाद के विरुद्ध पूर्ण असहनशीलता की नीति अपनाकर भारत हर जगह विश्व को एकजुट कर रहा है। पं. दीनदयाल उपाध्याय का यह स्पष्ट मानना था कि भारत के आर्थिक व सामाजिक उत्थान का मार्ग भारतीयता के दर्शन पर विकसित होना चाहिए। पूंजीवाद और समाजवाद दोनों विचारधाराओं को वह भारत के लिए अनुपयुक्त व अव्यवहारिक मानते थे। 

एकात्म मानववाद भारत रूपी राष्ट्र के मूल स्वभाव को अनुप्रमाणित करता है। एक ऐसा भारत, जो ज्ञान आधारित उपक्रमों से वैश्विक मानचित्र को विश्वगुरू के रूप में ऊर्वर करता रहा है। पं. दीनदयाल उपाध्याय देश की एकता और अखंडता के लिए सदैव समर्पित रहे हैं, उनका मानता था कि राष्ट्र की निर्धनता और अशिक्षा को दूर किए बिना वास्तविक उन्नति संभव नहीं है। निर्धन और अशिक्षित लोगों की उन्नति के लिए उन्होंने अंत्योदय की संकल्पना का सुझाव दिया। उनका कहना था कि अनपढ़ और मैले, कुचैले लोग हमारे नारायण हैं। हमें इनकी पूजा करनी है यह हमारा सामाजिक दायित्व और धर्म है। राष्ट्र के वैचारिक उपासक पं. दीनदयाल उपाध्याय की जयंती पर नमन करते हुए हम सभी सक्षम व सशक्त भारत के निर्माण का संकल्प लें।

अभिषेक त्रिपाठी
8765587382

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