चाणक्य के सामने चीनी दर्शनिक हुआ नतमस्तक, जानें पांच गूढ़ बातें

बोधकथा : एक बार की बात है, एक चीनी दार्शनिक आचार्य चाणक्य से मिलने आया, जब वह चाणक्य के घर पहुंचा तब तक काफी अंधेरा हो चुका था। घर में प्रवेश करते समय उसने देखा कि तेल के माध्यम से प्रज्ज्वलित दीपक के प्रकाश में चाणक्य कोई ग्रन्थ लिखने में व्यस्त हैं। जैसे ही चाणक्य की नज़र चीनी दार्शनिक पर पड़ी, तो उन्होंने मुस्कुराते हुए उनका स्वागत किया, फिर जल्दी से अपना लेखन कार्य समाप्त कर उस दीपक को बुझा दिया, जिसके प्रकाश में वे आगंतुक के आगमन तक कार्य कर रहे थे। इसके बाद चाणक्य एक दूसरा दीपक जलाकर, चीनी दार्शनिक से बातचीत करने लगे, यह देखकर उस चीनी दार्शनिक को काफी आश्चर्य हुआ, उसने सोचा कि अवश्य ही भारत में इस तरह का कोई रिवाज़ होगा, लेकिन फिर भी उसने जिज्ञासावश चाणक्य से पूछा कि मित्र, मेरे आगमन पर आपने एक दीपक बुझा कर ठीक वैसा ही दूसरा दीपक जला दिया, दोनों में मुझे कोई अंतर नहीं दिखता, क्या भारत में आगंतुक के आने पर नया दीपक जलाने का रिवाज़ है? इस बात पर चाणक्य ने मुस्कुराकर कहा कि नहीं मित्र, ऐसी कोई बात नहीं है। जब आपने मेरे घर में प्रवेश किया, उस समय मैं राज्य का कार्य कर रहा था, इसलिए वह दीपक जला रखा था, जो राजकोष के धन से खरीदे हुए तेल से दीप्यमान था, लेकिन अब मैं आपसे वार्तालाप कर रहा हूं और यह मेरा व्यक्तिगत वार्तालाप है। इसलिए मैं उस दीपक का उपयोग नहीं कर सकता, क्योंकि ऐसा करना राजकोष की मुद्रा का दुरुपयोग करना होगा, बस यही कारण है कि मैंने दूसरा दीपक जला लिया। चाणक्य का यह देशप्रेम देखकर वह चीनी दार्शनिक उनके सामने नतमस्तक हो गया।

आचार्य चाणक्य की पांच गूढ़ बातें-

- जो शख्स आर्थिक व्यवहार करने में, ज्ञान अर्जन करने में, खाने में और काम-धंधा करने में शर्माता नहीं है, वह सुखी हो जाता है। 

- किसी भी जीव या व्यक्तित्व की तृप्ति की अलग-अलग परिभाषा है, जैसे ब्राह्मण अच्छे भोजन से तृप्त होते हैं, मोर मेघ गर्जना से, साधू दूसरों की सम्पन्नता देखकर और दुष्ट दूसरों की विपदा देखकर।

- चाणक्य नीति के अनुसार शक्ति की परिभाषा कुछ इस तरह से है, एक राजा की शक्ति उसकी शक्तिशाली भुजाओ में है, एक ब्राह्मण की शक्ति उसके स्वरुप ज्ञान में है, एक स्त्री की शक्ति उसकी सुन्दरता, तारुण्य और मीठे वचनों में है।

- जीवन में वह व्यक्ति सुखी है जो तीन चीजों से संतुष्ट है, वह तीन चीजें है, खुद की पत्नी, वह भोजन जो विधाता ने प्रदान किया और उतने धन से जितना ईमानदारी से मिल गया। 

- जिस प्रकार आग सिर में स्थापित करने पर भी जलाती है, उसी प्रकार दुष्ट व्यक्ति का कितना भी सम्मान कर लें, वह सदा दुःख ही देता है।

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