अद्भुत है भीमकुंड और चुंदरू खावा का कुआं
पर्यटन : अद्भुत और विविधता समेटे भारत में अधिकतर जगहों पर घूमने लायक है यानि जो लोग पर्यटन के शौकीन हैं, नई व रहस्यमयी जगहों पर जाना पसंद करते हैं तो ऐसे लोगों को भारत भ्रमण या दर्शन जरूर करनी चाहिए। भारत में ऐसे कई स्थल हैं, जो देखने और समझने लायक है। ऐसा ही एक अद्भुत कुंड है जिसका नाम है भीमकुंड। भीमकुंड एक प्राकृतिक जल कुंड है और मध्य प्रदेश, भारत में एक पवित्र स्थान है। यह मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में बाजना गाँव के पास स्थित है। यह बुंदेलखंड क्षेत्र में सड़क मार्ग से छतरपुर से 77 किमी दूर है। भीमकुंड महाभारत काल से पवित्र है। कई वैज्ञानिकों ने इस पर रिसर्च करके पता लगाने की कोशिश की कि इसका जल इतना साफ और स्वच्छ कैसे है और इसकी गहराई भी जानना चाही लेकिन आज तक कोई भी भीमकुंड के रहस्य को सुलझा नहीं पाया है।
मान्यता है कि महाभारत के समय जब पांडवों को अज्ञातवास मिला था तब वे यहां के घने जंगलों से गुजर रहे थे। उसी समय द्रौपदी को प्यास लगी। लेकिन, यहां पानी का कोई स्रोत नहीं था। द्रौपदी व्याकुलता देख गदाधारी भीम ने क्रोध में आकर अपने गदा से पहाड़ पर प्रहार किया। इससे यहां एक पानी का कुंड निर्मित हो गया। कुंड के जल से पांडवों और द्रौपदी ने अपनी प्यास बुझाई और भीम के नाम पर ही इस का नाम भीम कुंड पड़ा।
वहीं दूसरी ओर झारखंड के हजारीबाग और चतरा जिले की सीमा पर स्थित चुंदरू खावा है। यह स्थान रहस्यमयी तथ्यों से भरा हुआ है। यहां विशालकाय पत्थरों पर बनी आकृति, हाथी और बाघ के पदचिन्ह और पत्थरों के बीच से निर्मल जल का प्रवाह होता है। यहां पत्थरों पर प्राकृतिक रूप से कई कुएं बने हुए हैं। यहां बरसों से पानी भरा रहता है। बल्कि कुछ कुएं तो ऐसे हैं, जिसकी गहराई का पता आज तक नहीं लग सका। इस स्थान को चुंदरू धाम के नाम से जाना जाता है। चुंदरू धाम हजारीबाग जिले के केरेडारी और चतरा जिले के टंडवा थाना की ठीक सीमा पर मौजूद है। इस स्थान को चुंदरू बाबा के नाम से भी जानते हैं।
चुंदरू बाबा टंडवा आसपास के लोगों के कुलदेवता है। झारखंड के चुंदरू धाम दो नदियों का संगम भी है। इस धाम में नक्काशी दार बड़ी-बड़ी चट्टानों में कई रहस्य आज भी छिपे हैं। यहां मौजूद चट्टानों के बीच एक गुफानुमा गड्ढा ऐसा भी है, जिसकी गहराई का आकलन आज तक कोई नहीं कर पाया है। स्थानीय निवासियों की मानें तो उस गड्ढे की गहराई के आंकलन के लिए सात खटिया की डोर भी कम पड़ गईं।
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